पुनर्जन्म | 5 साल के बच्चे ने बताई अपने पिछले जन्म की कहानी पाँच साल का बच्चा निकला 2 बच्चों का बाप

बिहार के बेलापुर गाँव की कच्ची गलियों में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। यह घटना किसी फिल्मी कहानी जैसी लगती है, मगर इसके हर मोड़ ने इंसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वाकई आत्मा शरीर बदलकर लौट सकती है?

एक मासूम बच्चा और चौंकाने वाला सच

किसान दयाराम और उनकी पत्नी लीला के घर जब बेटा हुआ तो उन्होंने उसका नाम रखा किशन। गरीबी में पल रहा यह बच्चा साधारण जीवन जी रहा था, लेकिन ढाई साल की उम्र में उसने कुछ ऐसे शब्द कहे जिनसे सबकी नींद उड़ गई।

उसकी मासूम जुबान से निकला –
“मेरा नाम किशन नहीं है। मैं विक्रम सिंह हूँ। एचडीएफसी बैंक, आगरा का मैनेजर। मेरी हत्या कर दी गई थी। मैं अपनी पत्नी प्रिया और दो बेटों आर्यन और आरव के पास वापस जाना चाहता हूँ।”

शुरुआत में दयाराम और लीला ने इसे बच्चों की कल्पना मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया। लेकिन धीरे-धीरे बच्चा और भी बातें बताने लगा।

वह माँ को फटे कपड़े पहनने पर डाँटता और कहता –
“मेरी असली पत्नी हजारों की कीमती साड़ियाँ पहनती थी। मेरे पास सफेद फॉर्च्यूनर गाड़ी थी। बैंक का बड़ा केबिन था। सब लोग मुझे सर कहकर बुलाते थे।”

गाँव का गरीब किसान परिवार यह सब सुनकर हैरान रह गया।

आगरा की तलाश

एक दिन किशन ने घर छोड़ने की जिद की। बोला –
“मुझे आगरा जाना है। वहीं मेरा घर है।”

डरे-सहमे माता-पिता ने उसे रोका, लेकिन आखिरकार बड़े बेटे राजेश को भेजा कि वह आगरा जाकर सच्चाई पता करे।

राजेश ने आगरा में इधर-उधर खोजबीन की और आखिरकार एचडीएफसी बैंक की शाखा पहुँच गया। दरवाज़े पर नामपट्टिका देख उसका कलेजा कांप गया –
“विक्रम सिंह, ब्रांच मैनेजर।”

बैंक कर्मचारियों से पता चला कि सचमुच विक्रम सिंह नाम का मैनेजर था, जिसकी कुछ महीने पहले हत्या कर दी गई थी।

प्रिया से मुलाक़ात

राजेश ने विक्रम की पत्नी प्रिया से भी संपर्क किया। पहले तो प्रिया ने यह कहानी सुनकर गुस्से में इंकार कर दिया। मगर जब राजेश ने बच्चों के नाम, गाड़ी और हत्या की घटना के छोटे-छोटे विवरण बताए तो प्रिया का चेहरा सफेद पड़ गया।

आखिरकार, वह अपने ससुराल वालों के साथ बेलापुर आई। जैसे ही किशन ने उन्हें देखा, दौड़कर विक्रम के पिता से लिपट गया और बोला –
“बाबूजी, आप मुझे छोड़कर क्यों चले गए थे?”

वह प्रिया को देखते ही पहचान गया और नाराज़ होकर बोला –
“तुम बच्चों को क्यों नहीं लाई? आर्यन और आरव कहाँ हैं?”

यह सब देखकर गाँव के लोग दंग रह गए।

पुलिस की परीक्षा

यह खबर पुलिस तक पहुँची। इंस्पेक्टर रामफाल सिंह, जो पुनर्जन्म जैसी बातों को बकवास मानते थे, ने खुद इस मामले की जाँच करने का फैसला किया।

किशन को आगरा ले जाया गया। वहाँ उसने बिना रुके सड़कों की पहचान करवाई, सही मोड़ों पर रास्ता दिखाया और सीधे बैंक के सामने जाकर खड़ा हो गया।

बैंक के अंदर उसने भावुक होकर कहा –
“यहाँ मेरी टेबल हुआ करती थी। यहाँ की कुर्सियाँ बदली गई हैं। और शर्मा जी, आप पहले उस तरफ बैठते थे।”

सब स्तब्ध रह गए।

लॉकर का रहस्य

पुलिस ने अंतिम परीक्षण करने की ठानी। बैंक की तिजोरी में दर्जनों लॉकर थे। किशन को वहाँ ले जाया गया। उसने बिना झिझके एक लॉकर चुना और छः अंकों का पासवर्ड बोल दिया।

तुरंत लॉकर खुल गया। उसमें विक्रम के कागज़ात, घड़ी और प्रिया के साथ तस्वीर रखी हुई थी। तस्वीर देखते ही किशन की आँखें भर आईं –
“देखो, हम कितने खुश थे।”

हस्ताक्षर की गुत्थी

फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने भी जाँच की। किशन की लिखावट तो बचकानी थी, मगर उसके हस्ताक्षर में वही खास S का घुमाव था, जो विक्रम सिंह के हस्ताक्षर में मिलता था। इसे देखकर विशेषज्ञ भी कह उठे –
“यह तो मसल मेमोरी ऑफ द सोल है, आत्मा की याद।”

निर्णायक पल

अब सबसे कठिन परीक्षा बाकी थी। प्रिया चाहती थी कि यह बच्चा उसके बेटों आर्यन और आरव को पहचान पाए।

बीस बच्चों को एक जैसे कपड़े पहनाकर एक हॉल में खड़ा किया गया। सभी की साँसें थम गईं।

प्रिया ने धीरे से कहा –
“विक्रम, जाकर अपने बच्चों को पहचानो।”

किशन ने चारों ओर देखा। उसकी आँखें नम हो गईं। कुछ पलों के बाद वह सीधे भीड़ के बीच दौड़ा और दो बच्चों को कसकर गले लगा लिया –
“मेरे आर्यन… मेरे आरव…”

पूरा हॉल सन्न रह गया। प्रिया फफक-फफक कर रो पड़ी। विक्रम के बूढ़े माता-पिता ने बच्चे को आशीर्वाद दिया और कहा –
“हमारे बेटे ने सचमुच लौटकर जन्म लिया है।”

अनुत्तरित सवाल

यह घटना न सिर्फ़ गाँव वालों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक रहस्य बन गई। वैज्ञानिक इसे संयोग कहकर टालना चाहते थे, मगर जो कुछ हुआ उसे झुठलाना आसान नहीं था।

क्या वाकई आत्मा शरीर बदलकर लौटती है? क्या यादें भी उसके साथ आती हैं?

किशन, जो खुद को विक्रम सिंह मानता था, इस सवाल का जीवित उदाहरण बन गया। उसकी कहानी ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि शायद मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत है।

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