28 वर्ष की IPS मैडम ने 16 साल के लड़के से शादी कर ली; लेकिन फिर अगले दिन जो हुआ……
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शहर के किनारे एक पुराना बंगला था, जहां सन्नाटा छाया रहता था। उस बंगले में रहती थी ममता चौहान, एक 25 साल की विधवा और जिले की सबसे कड़क एसपी। तीन साल पहले उनके पति राहुल चौहान, जो एक ईमानदार डीसीपी थे, एक पुलिस ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी मौत ने ममता की जिंदगी की चमक छीन ली थी, लेकिन उन्होंने अपने दर्द को ड्यूटी में डूबो दिया और जिले की सबसे युवा एसपी बन गईं।
ममता अकेली रहती थीं। उनके माता-पिता कई बार उन्हें शहर के किसी बड़े फ्लैट में शिफ्ट होने को कहते, लेकिन ममता को उस पुराने बंगले की हर दीवार में राहुल की यादें बसती थीं। हर सुबह ऑफिस के लिए निकलतीं और देर रात थक कर लौटतीं, लेकिन उस बड़े खाली बंगले में सन्नाटा उन्हें भीतर तक खाए जाता था।
एक दिन उनकी पुरानी सहेली और इंस्पेक्टर मीरा ने सुझाव दिया, “ममता, तुम्हें कोई नौकर रख लेना चाहिए। घर का काम संभल जाएगा और तुम्हारा मन भी हल्का रहेगा।” ममता ने मना किया, लेकिन मीरा की जिद के आगे हार मान ली। कुछ दिनों बाद मीरा ने एक नौजवान नौकर गोपाल को उनके घर भेजा।
गोपाल 28 साल का लंबा, हट्टाकट्टा और बेहद हैंडसम युवक था। उसकी आंखों में एक अजीब सी गहराई थी और चेहरा ऐसा कि कोई भी उसे भूल ना पाए। वह ममता के बंगले में काम करने लगा। खाना बनाना, सफाई, बगीचे की देखभाल—गोपाल का काम करने का तरीका ममता को अजीब सा लगता था, जैसे वह बंगले को पहले से जानता हो। खासकर जब वह चाय बनाता, उसमें वही मसाले और स्वाद होता जो राहुल की चाय में हुआ करता था।
ममता को यह सब शुरू में महज संयोग लगा, लेकिन धीरे-धीरे गोपाल की छोटी-छोटी हरकतें उन्हें परेशान करने लगीं। वह हमेशा ममता की पसंदीदा किताबों को उसी तरह शेल्फ पर रखता जैसे राहुल रखा करता था। एक बार जब ममता ने रात को अपनी डायरी में कुछ लिखा, तो अगले दिन वह डायरी उसी पेज पर खुली मिली, जैसे कोई उसे पढ़ गया हो। ममता का मन शक से भरने लगा—क्या गोपाल कोई साधारण नौकर था या इसके पीछे कोई बड़ा राज था?
एक रात ममता ऑफिस से डर के मारे जल्दी लौटी। बारिश हो रही थी और बंगले का बिजली कनेक्शन कट गया था। टॉर्च की रोशनी में जब वह घर में कदम रखी, तो देखा गोपाल पहले से ही मोमबत्तियां जला रहा था। उसने ममता को देखकर धीमी आवाज में कहा, “मैडम, आप भीग गई हैं। मैं चाय बना देता हूं।” ममता ने उसकी आंखों में देखा—वही गहराई, वही चमक जो राहुल की आंखों में थी। उनका दिल जोर से धड़कने लगा। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “गोपाल, तुम मुझे कुछ बताना चाहते हो, है ना? बोलो सच क्या है।”
गोपाल ने एक पल के लिए नजरें झुका लीं, फिर मुस्कुराते हुए कहा, “मैडम, मैं बस आपका नौकर हूं, आप टेंशन मत लें, चाय लाता हूं।” लेकिन उसकी आवाज में एक अजीब सी बेचैनी थी, जो ममता से छिप नहीं सकी।
अगले दिन ममता ने मीरा को बुलाया और गोपाल के बारे में बात की। मीरा ने कहा, “ममता, मुझे लगता है गोपाल कोई साधारण इंसान नहीं है। उसकी हरकतें, उसका चाय बनाने का तरीका, उसकी बातें मुझे बार-बार राहुल की याद दिलाती हैं। क्या मैं पागल हो रही हूं?” मीरा हंसकर बात टालने की कोशिश करने लगी, लेकिन ममता का शक गहरा चुका था। उन्होंने मीरा से कहा, “तुम गोपाल की बैकग्राउंड चेक करो। मुझे सच जानना है।”
कुछ दिनों बाद मीरा ने ममता को बताया कि गोपाल के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली। उसका आधार कार्ड और दूसरी डिटेल्स सही थीं, लेकिन पुराना रिकॉर्ड कहीं दर्ज नहीं था। ऐसा लगता था जैसे वह अचानक कहीं से प्रकट हुआ हो। ममता का शक और बढ़ गया।
एक रात जब ममता अपने बेडरूम में पुराने फोटो देख रही थी, तो उन्होंने राहुल और अपनी शादी की एक तस्वीर देखी। उसमें राहुल ने सभी को एक खास अंगूठी दी थी, जिस पर एक छोटा सा ‘एस’ उकेरा हुआ था। ममता ने वह अंगूठी हमेशा अपनी डायरी में रखी थी, लेकिन जब उन्होंने डायरी खोली तो अंगूठी गायब थी। उनका दिमाग सुन्न हो गया। क्या गोपाल ने इसे चुराया था या कोई और था?
अगले दिन ममता ने गोपाल को सख्त लहजे में पूछा, “मेरी डायरी से एक अंगूठी गायब है, तुम्हें कुछ पता है?” गोपाल ने शांत स्वर में कहा, “मैडम, मैंने कुछ नहीं लिया। लेकिन अगर आपकी कोई कीमती चीज गायब है तो मुझे बताइए, मैं ढूंढने में आपकी मदद करूंगा।” उसकी आवाज में एक अजीब सी ईमानदारी थी, लेकिन ममता का शक कम नहीं हुआ।
उसी रात ममता के फोन पर एक अनजान नंबर से मैसेज आया, “ममता, तुम सवाल बहुत पूछ रही हो। गोपाल को छोड़ दो, वरना तुम्हारी कुर्सी और जिंदगी दोनों खतरे में पड़ जाएंगी।” ममता का चेहरा पीला पड़ गया। यह धमकी थी, और इसमें गोपाल का नाम था। क्या गोपाल सचमुच कोई खतरा था या कोई और था जो ममता को डराना चाहता था?
ममता ने मीरा को फोन किया और मैसेज दिखाया। मीरा ने कहा, “ममता, यह मामला गंभीर है। मैं एक टीम भेजती हूं और तुम गोपाल पर नजर रखो।” लेकिन ममता का मन गोपाल को लेकर और उलझ गया था। उनकी आंखों के सामने राहुल का चेहरा बार-बार आ रहा था। क्या गोपाल सचमुच राहुल हो सकता था? या यह सिर्फ उनका वहम था?
अगले दिन ममता ने गोपाल को बगीचे में काम करते देखा। उसने अपने बाएं हाथ में एक पुरानी अंगूठी पहनी थी, जिस पर कुछ उकेरा हुआ था। ममता का दिल जोर से धड़कने लगा। क्या यह वही अंगूठी थी? उन्होंने गोपाल को बुलाया और पूछा, “यह अंगूठी तुम्हें कहां से मिली?” गोपाल ने हल्का सा मुस्कुराया और कहा, “मैडम, यह मेरी मां की थी, पुरानी याद है।” लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो ममता को परेशान कर रही थी।
ममता का मन अब पूरी तरह से गोपाल के रहस्य को सुलझाने में जुट गया था। वह जानना चाहती थी कि गोपाल सचमुच कौन था और क्या उसका राहुल की मौत से कोई कनेक्शन था। लेकिन वह जानती थी कि एक गलत कदम उनकी जान को खतरे में डाल सकता था।
ममता ने मीरा को फोन किया और कहा, “मीरा, राहुल के केस में ‘शैडो’ नाम के गवाह का पता लगाओ। मुझे उसकी हर डिटेल चाहिए।” अगले दिन मीरा ने ममता को एक पुरानी तस्वीर भेजी, जिसमें राहुल अपने कुछ साथियों के साथ खड़ा था। तस्वीर में एक चेहरा ममता को जाना-पहचाना लगा। वह गोपाल से मिलता-जुलता था। ममता का दिल जोर से धड़कने लगा। क्या यह सचमुच गोपाल था?
शाम को जब ममता घर लौटी, तो गोपाल बगीचे में पानी दे रहा था। ममता ने उसे बुलाया, “तुम तस्वीर में हो?” गोपाल का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, फिर उसने हल्के से हंसते हुए कहा, “मैडम, यह मैं नहीं हूं, शायद कोई और है जो मुझसे मिलता-जुलता है।” लेकिन उसकी आंखों में एक हल्का सा डर था, जो ममता से छिपा नहीं सका।
उसी रात ममता के फोन पर फिर से एक अनजान नंबर से मैसेज आया, “ममता, तुम बहुत करीब पहुंच रही हो। शैडो को छोड़ दो, तुम्हारा बंगला तुम्हारी कब्र बन जाएगा।” ममता का खून ठंडा पड़ गया। ‘शैडो’ यह नाम फाइल में था, और अब इस धमकी में गोपाल और शैडो का क्या कनेक्शन था? क्या गोपाल वाकई राहुल हो सकता था?
ममता ने मीरा को तुरंत बुलाया और मैसेज दिखाया। मीरा ने कहा, “यह लोग तुम्हें डराना चाहते हैं, लेकिन अगर गोपाल शैडो है तो वह कुछ बड़ा राज छुपा रहा है। हमें उस पर दबाव डालना होगा।” ममता बोली, “अगर गोपाल राहुल है तो मैं उसे डराना नहीं चाहती, और अगर वह कोई और है तो हमें पहले सबूत चाहिए।”
अगली सुबह ममता ने गोपाल को लिविंग रूम में बुलाया। सख्त लहजे में कहा, “गोपाल, अब और छिपने की जरूरत नहीं। मुझे सच बताओ, तुम शैडो हो, है ना? और तुम राहुल को कैसे जानते हो?” गोपाल ने एक पल के लिए ममता की आंखों में देखा, फिर सिर झुका लिया। “मैडम, आप गलत समझ रही हैं। मैं कोई शैडो नहीं हूं। मैं बस आपका नौकर हूं।” लेकिन उसकी आवाज में हल्की कांप थी।
तभी बंगले का दरवाजा जोर से खटखटाया गया। ममता ने दरवाजा खोला तो सामने मीरा थी, हाथ में एक फाइल। उसने कहा, “ममता, यह शैडो का रिकॉर्ड है, तुम्हें यह देखना होगा।” ममता ने फाइल खोली और उसमें एक तस्वीर देखी। गोपाल खामोश खड़ा था। उसकी आंखों में उदासी थी। ममता ने गहरी सांस ली, “गोपाल, अब और झूठ मत बोलो। तुम कौन हो और राहुल के साथ क्या हुआ था?”
गोपाल ने लंबी सांस ली, “मैडम, मैं आपको सब बताऊंगा, लेकिन पहले आपको मेरे साथ आना होगा।” वह बंगले के पीछे के पुराने स्टोर रूम की ओर इशारा करने लगा। ममता का अंदर उत्सुकता से भर गया। क्या गोपाल वाकई राहुल था या यह कोई जाल था?
मीरा ने सख्त लहजे में कहा, “ममता, तुम अकेले मत जाओ, मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।” ममता ने हल्के से सिर हिलाया, “नहीं मीरा, मुझे गोपाल पर भरोसा करना होगा। अगर वह सचमुच शैडो है तो वह मुझे राहुल की सच्चाई बता सकता है। तुम बाहर इंतजार करो, और अगर कुछ गलत हुआ तो मेरे सिग्नल का इंतजार करना।”
स्टोर रूम की पुरानी लकड़ी की दीवारें और टूटी-फूटी खिड़कियां बरसों की उपेक्षा की कहानी कह रही थीं। गोपाल ने ताला खोला और दरवाजा खींचा। अंदर धूल और सड़ांध की गंध थी। उसने टॉर्च निकाली और एक पुराने लकड़ी के बक्से की ओर इशारा किया। ममता ने सावधानी से कदम बढ़ाए, एक हाथ रिवाल्वर पर था।
गोपाल ने बक्सा खोला और उसमें से कुछ पुराने कागज, एक पुराना लैपटॉप और एक छोटा लॉक ममता को दिया। “इसे खोलिए, इसमें आपकी सारी सच्चाई है।” ममता ने ताला खोला, पासवर्ड राहुल और उनकी शादी की तारीख था।
डायरी में राहुल की हैंडराइटिंग थी। लिखा था कि वह एक बड़े ड्रग और हथियार रैकेट की जांच कर रहा था, जिसमें बड़े पुलिस ऑफिसर और बिजनेसमैन शामिल थे। आखिरी पन्ने पर लिखा था, “अगर मुझे कुछ हुआ तो शांभवी को बताना कि मैंने हमेशा उससे प्यार किया। शैडो मेरी सच्चाई को बचाएगा।”
ममता की आंखें नम हो गईं। उन्होंने गोपाल की ओर देखा, जो चुपचाप खड़ा था। “गोपाल, तुम शैडो हो, है ना? और तुम राहुल को जानते थे। लेकिन तुम यह सब पहले क्यों नहीं बताया?” उनकी आवाज में गुस्सा और डर था।
गोपाल ने कहा, “मैडम, मैं शैडो हूं। मैं राहुल का जूनियर था। उस रात जब गोदाम में धमाका हुआ, मैं वहां था। राहुल ने मुझे अपने प्लान के बारे में बताया था। कहा था कि अगर उसे कुछ हुआ तो मुझे उसकी सच्चाई बचानी है। लेकिन मैं उसे बचा नहीं सका।”
ममता ने डायरी को सीने से लगाया। “राहुल मर चुका है।” गोपाल ने सिर झुका लिया, “मुझे नहीं पता। उस रात के बाद उसका कोई निशान नहीं मिला। लेकिन मैंने सुना है कि रैकेट के लोग डरते हैं कि वह जिंदा हो सकता है। इसलिए मैं आपके पास आया। मैं आपकी हिफाजत के लिए यहां हूं।”
तभी स्टोर रूम के बाहर कांच टूटने की तेज आवाज आई। ममता और गोपाल ने अपनी रिवाल्वर निकाली। बाहर मीरा की आवाज आई, “ममता, बाहर आओ, कोई है।” वे बाहर निकले तो एक काला हुड पहने व्यक्ति चाकू लिए खड़ा था। मीरा ने पिस्तौल तानी, लेकिन वह व्यक्ति धुएं के गुब्बारे में गायब हो गया।
ममता ने गुस्से में गोपाल की ओर देखा, “तुमने मुझे जाल में फंसाया?” गोपाल ने कहा, “मैडम, मुझ पर भरोसा करें। जो राहुल को मारा, वे अब आपके पीछे हैं क्योंकि आपको डायरी मिल गई है।”
मीरा ने ममता को खींचा, “अब रिस्क मत लो। यह डायरी मेरे पास रहेगी, मैं इसे हेडक्वार्टर ले जाऊंगी। तुम और गोपाल मेरे साथ चलो।” ममता ने कहा, “अगर गोपाल सच बोल रहा है तो मैं इस रैकेट का पर्दाफाश करूंगी।”
रात को ममता के फोन पर फिर से मैसेज आया, “तुमने डायरी देख ली, अब तुम्हारा समय खत्म हो रहा है। कल रात 1 बजे पुराने गोदाम के पास अकेले आना।” ममता का दिल दर्द और गुस्से से भर गया।
ममता ने गोपाल को मैसेज दिखाया। गोपाल ने कहा, “यह लोग आपको खत्म करना चाहते हैं। लेकिन अगर आप जाना चाहती हैं, तो मैं आपके साथ चलूंगा।” ममता ने उसकी आंखों में देखा, जिसमें राहुल जैसा जुनून था। “ठीक है, गोपाल, लेकिन अगर तुमने धोखा दिया तो…”
रात 12:45 बजे ममता और गोपाल पुराने गोदाम की ओर निकले। बारिश की बूंदें उनके चेहरे पर पड़ रही थीं। वे अपनी रिवाल्वर खोजी हुई कमर में रखे थे। गोपाल के पास छोटा चाकू था।
गोदाम के टूटे-फूटे गेट पर पहुंचकर ममता ने कहा, “अगर यह जाल है तो तुम्हें इसका हिसाब देना होगा।” गोपाल ने गंभीर नजरों से कहा, “मैडम, मैं आपके साथ हूं, कुछ नहीं होने दूंगा।”
अंदर अंधेरा था, सिर्फ एक लालटेन टिमटिमा रही थी। तभी एक ठंडी आवाज गूंजी, “ममता चौहान, तुम बहुत जिद्दी हो।” एक लंबा शख्स काला मास्क पहने बाहर आया, उसके पीछे दो बंदूकधारी लोग थे।
ममता ने रिवाल्वर निकाली, “तुम कौन हो और राहुल के साथ क्या हुआ?” मास्क वाले ने हंसते हुए कहा, “राहुल एक गलती था जो हमारे रास्ते में आया। अब तुम वही गलती कर रही हो।” उसने डिवाइस निकाला, “इसमें राहुल ने चुराया हुआ सारा डाटा है।”
ममता का खून खौल उठा। गोपाल ने चाकू फेंका, जो मास्क वाले के हाथ में लग गया। डिवाइस जमीन पर गिरा। मास्क वाला चीखा, उसके साथी ममता की ओर बढ़े, लेकिन उसी वक्त पुलिस ने छापा मारा। गोलीबारी हुई, मास्क वाले के साथी गिर गए।
मास्क वाला भागने लगा, लेकिन गोपाल ने उसे पकड़ लिया। ममता ने मास्क उतारा, सामने था विक्रम सिंह, एक रिटायर्ड डीआईजी और राहुल का सीनियर। विक्रम ने कहा, “ममता, तुम और राहुल जिद्दी थे। मैंने चेतावनी दी थी, लेकिन उसने नहीं मानी।”
गोपाल ने पेंडेंट निकाला, जो ममता ने राहुल को पहली सालगिरह पर दिया था। ममता की आंखें चौड़ी हो गईं। “गोपाल, तुम राहुल हो?” राहुल ने सर हिलाया, “हां, मैं राहुल हूं। उस रात गोदाम में बच गया था, लेकिन सामने आया तो वे तुम्हें निशाना बनाएंगे। इसलिए मैंने मौत का नाटक रचा और शैडो बनकर रैकेट को ट्रैक किया।”
ममता की आंखों से आंसू बहने लगे। उसने राहुल को गले लगाया। “तुमने मुझे अकेला क्यों छोड़ा? मैंने हर दिन तुम्हें मरते हुए देखा।” राहुल ने कहा, “मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता था, ममता। लेकिन अब हम साथ हैं।”
मीरा और टीम ने विक्रम को गिरफ्तार किया। डिवाइस में मौजूद डाटा ने पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया। कई बड़े बिजनेसमैन और पुलिस ऑफिसर भी गिरफ्तार हुए। राहुल और ममता ने मिलकर डाटा सार्वजनिक किया, जिससे रैकेट पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
कुछ महीने बाद ममता और राहुल फिर से उसी पुराने बंगले में साथ थे। ममता ने अपनी एसपी की कुर्सी छोड़ दी थी और अब वे एक एनजीओ चलाते थे, जो भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जागरूकता फैलाता था। एक सुबह बंगले के बगीचे में बैठे, ममता ने राहुल को एक कप चाय थमाई और हंसते हुए कहा, “तुम्हारी चाय अब भी मेरे दिल को छूती है।”
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