बैंक मैनेजर पत्नी ने पति को धक्का देकर निकाला… पर असलियत सामने आते ही उसके होश उड़ गए
यह कहानी कानपुर की गलियों से शुरू होती है। वही गलियाँ जहाँ पसीना, संघर्ष और सपने साथ-साथ बहते हैं। उन्हीं गलियों में जन्मा और पला बढ़ा था आरव वर्मा, एक साधारण लड़का, जिसके पास पैसे नहीं थे पर हौसले अनगिनत थे। पिता स्कूल में अध्यापक थे, माँ गृहिणी। घर छोटा था, लेकिन संस्कार बड़े। मोहल्ले वाले कहते – “गरीब हैं, मगर इज्ज़तदार हैं।” पिता हमेशा समझाते – “बेटा, मेहनत से बड़ी कोई दौलत नहीं होती।” और यही वाक्य आरव के दिल की धड़कन बन गया।
पढ़ाई में वह हमेशा मेहनती रहा। लेकिन सरकारी नौकरी के सपनों के पीछे सालों तक भटकता रहा। कभी इंटरव्यू में नाम कट जाता, कभी रिज़ल्ट निराश कर देता। नतीजा – सिर्फ़ नाकामी। पर उसने हार नहीं मानी।
इन्हीं दिनों उसकी जिंदगी में आई मीरा। पढ़ी-लिखी, आत्मविश्वासी और बड़े सपनों वाली लड़की। शादी बिना दहेज और सादगी से हुई। शुरुआत में दोनों के बीच प्यार ही प्यार था। सड़क किनारे कुल्फ़ी खाना, छत पर बैठकर पुराने गाने गाना – छोटे-छोटे पलों में खुशियां ढूंढ़ लेना, यही उनकी दुनिया थी।
लेकिन मोहब्बत से पेट नहीं भरता। समय बीतने के साथ तंगी बढ़ने लगी। किराए का छोटा कमरा, गिनगिन कर खर्च किए पैसे और महंगाई का बोझ। धीरे-धीरे मीरा का धैर्य टूटने लगा। उसने कहा –
“आरव, दूसरों को देखो। उनकी बीवियां खुश हैं। कारें, अच्छे कपड़े, शॉपिंग। और मैं… मैं हर दिन सिक्के गिनते-गिनते थक गई हूँ। कब तक ऐसे जीऊँगी?”
आरव ने उसकी आँखों में देखा और धीमे स्वर में कहा –
“थोड़ा सब्र करो, मीरा। मेहनत कर रहा हूँ। वक्त बदलेगा हमारा भी।”
पर सब्र हमेशा इंसान के बस में नहीं होता। शिकायतें तानों में बदलीं। मीरा कहती – “तुम बड़े सपने दिखाते हो लेकिन देते क्या हो? ना नौकरी, ना सम्मान।”
एक दिन मीरा ने साफ़ कहा – “मैं अब और नहीं रह सकती। तलाक चाहती हूँ।”
आरव के लिए यह शब्द किसी हथौड़े से कम न थे। मगर उसने हार मानना नहीं सीखा था।
तलाक के बाद उसका कमरा और भी सुनसान हो गया। मोहल्ले वाले फुसफुसाते – “बीवी छोड़ गई। नाकाम इंसान।” पर वह चुपचाप सब सुनता और संघर्ष में डूबता गया।
उसने छोटे-छोटे काम शुरू किए। मजदूरों को ठेकेदार तक पहुँचाना, दुकानदारों के लिए सामान सप्लाई करना। घाटे पर घाटे झेलता, पर कहता – “गिरना बुरा नहीं है, गिरकर उठना छोड़ देना बुरा है।”
एक दिन उसने शहर के कोने में टूटी-फूटी वर्कशॉप देखी। वहीं से शुरुआत की। पिता से सीखा लकड़ी का हुनर काम आया। चार कारीगर बुलाए, छोटा कर्ज लिया और फर्नीचर बनाने का काम शुरू किया। लोग हँसे – “यह नौकरी नहीं पा सका, अब फर्नीचर बनाएगा?”
पर धीरे-धीरे उसकी ईमानदारी ने पहचान बनाई। वह कहता – “काम छोटा हो, पर माल कभी घटिया नहीं होगा। समय पर डिलीवरी मिलेगी।”
लोगों का भरोसा बढ़ने लगा। छोटे-छोटे ऑर्डर बड़े ऑर्डरों में बदल गए। कुछ सालों में वर्कशॉप छोटे कारखाने में बदल गई।
आरव का नाम अखबारों में छपने लगा – “युवा उद्यमी आरव वर्मा का संघर्ष।”
वह रात को आईने में खुद से कहता – “मीरा, तुमने कहा था सपनों से पेट नहीं भरता। देखो, आज वही सपने मेरी रोटी भी हैं और पहचान भी।”
उधर मीरा बैंकिंग करियर में आगे बढ़ती गई। प्रमोशन, सैलरी, गाड़ी – सबकुछ था। पर जब-जब अखबार में आरव का नाम देखती, दिल में टीस उठती। मगर वह खुद को समझा लेती – “असल दौलत बैंक बैलेंस है, सपनों में नहीं।”
लेकिन वक्त दोनों के लिए अलग परीक्षा लिख चुका था। आरव अब सिर्फ़ फर्नीचर मेकर नहीं, बल्कि इंटीरियर डिज़ाइनिंग का बड़ा नाम बन चुका था। उसकी कंपनी शहर की सीमाओं से बाहर फैल रही थी।
एक दिन उसे बड़े प्रोजेक्ट के लिए बैंक लोन चाहिए था। वह ब्लैक सूट पहनकर शहर के सबसे बड़े बैंक में पहुँचा। रिसेप्शन से केबिन में बुलाया गया। दरवाज़ा खुला और सामने बैठी थी… मीरा।
दोनों की नज़रें मिलीं। मीरा का चेहरा पल भर को सफ़ेद पड़ गया। वही आदमी, जिसे उसने गरीबी में ठुकरा दिया था। उसने प्रोफेशनल अंदाज़ अपनाते हुए ठंडी आवाज़ में कहा –
“यस, हाउ कैन आई हेल्प यू?”
आरव ने मुस्कान दी – “लोन चाहिए। नए प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग।”
मीरा ने फाइल देखी, हल्की हंसी के साथ बोली –
“याद है जब हम साथ थे? तब भी तुम्हारे पास नौकरी नहीं थी। और आज अचानक से बिजनेसमैन बनने का नाटक?”
उसने फाइल बंद कर दी और कहा –
“यह बैंक है, यहाँ अकाउंट चलते हैं, इमोशंस नहीं। गार्ड, इन्हें बाहर निकालो।”
गार्ड ने दरवाज़ा खोला। आरव ने कागज़ उठाए और सिर्फ़ इतना कहा –
“धन्यवाद मीरा, वक्त को अपना काम करने दो।”
कुछ दिन बाद शहर के सबसे बड़े होटल में बिज़नेस सम्मेलन हुआ। मीडिया, उद्योगपति, बैंक अधिकारी – सब मौजूद थे। मंच पर नाम लिखा था –
“विशेष अतिथि – श्री आरव वर्मा, सीईओ वर्मा ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़।”
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आरव मंच पर आया। उसने कहा –
“दोस्तों, मैं वही इंसान हूँ जिसे उसकी गरीबी की वजह से ठुकरा दिया गया था। लेकिन मैंने सीखा – गरीबी इंसान को तोड़ नहीं सकती, अगर वह हार मानने से इंकार कर दे।”
पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। भीड़ में बैठी मीरा की आँखें भर आईं। याद आया – बैंक में उसने क्या कहा था। और आज वही आदमी समाज की मिसाल बन चुका था।
कार्यक्रम के बाद मीरा उसके पास आई। आँसू बह रहे थे। उसने कहा –
“आरव, मैंने गलती की। तुम्हें सिर्फ़ गरीबी की वजह से छोड़ा। आज समझती हूँ, मोहब्बत पैसों से ऊपर होती है। क्या अब भी मेरे लिए तुम्हारे दिल में जगह है?”
आरव ने गहरी नज़र से देखा और शांत स्वर में बोला –
“मीरा, जिस दिन तुमने छोड़ा था, उसी दिन तुम्हें माफ़ कर दिया। तुम्हारा तिरस्कार ही मेरी ताक़त बना। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। तुम्हारे लिए मेरा प्यार दुआ बन गया है। मैं पीछे नहीं लौट सकता।”
मीरा फूट-फूट कर रो पड़ी। उसके पास सबकुछ था, मगर कुछ भी नहीं। आरव आगे बढ़ गया – अपनी नई दुनिया, अपने सपनों और जिम्मेदारियों की ओर।
यह कहानी हमें यही सिखाती है –
प्यार का असली इम्तिहान मुश्किल वक्त में होता है। अगर आप किसी को सिर्फ़ उसकी गरीबी की वजह से छोड़ देते हैं, तो वक्त वही इंसान आपको आईना दिखाता है। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं।
Play video :
News
TEMİZLİKÇİ KIZINI GETİRDİĞİ İÇİN ÖZÜR DİLEDİ… MİLYONER GÜLÜMSEYEREK BUNU YAPTI
TEMİZLİKÇİ KIZINI GETİRDİĞİ İÇİN ÖZÜR DİLEDİ… MİLYONER GÜLÜMSEYEREK BUNU YAPTI . . Ayşe Yılmaz, İstanbul’un en pahalı semtlerinden birinde bulunan…
KILIK GİYMİŞ MİLYONER, DERS ÇALIŞAN GÜVENLİĞİ BULDU VE HAYATINI DEĞİŞTİRDİ!
KILIK GİYMİŞ MİLYONER, DERS ÇALIŞAN GÜVENLİĞİ BULDU VE HAYATINI DEĞİŞTİRDİ! . . Giyinik Milyoner, Ders Çalışan Güvenliği Buldu ve Hayatını…
Milyoner 25 yıl boyunca komadaydı, ta ki Fakir Bir Kız ortaya çıkıp eline dokunana kadar…
Milyoner 25 yıl boyunca komadaydı, ta ki Fakir Bir Kız ortaya çıkıp eline dokunana kadar… . . Ahmet Demirtaş, hayatının…
BU ŞEYLE KOŞACAKSIN… MİLYONER ALAY ETTİ AMA KALABALIK İMKANSIZI GÖRDÜ
BU ŞEYLE KOŞACAKSIN… MİLYONER ALAY ETTİ AMA KALABALIK İMKANSIZI GÖRDÜ . . Kemal Yılmaz, Rio de Janeiro’nun en zarif hipodromu…
“Jetin düşecek, efendim!” Diyor Çaresiz Fakir Kız, Milyoner uçuşu iptal ediyor ve şoka giriyor…
“Jetin düşecek, efendim!” Diyor Çaresiz Fakir Kız, Milyoner uçuşu iptal ediyor ve şoka giriyor… . . Kemal Yılmaz, Türkiye’nin…
“BABA, ÇÖPTE UYUYAN O İKİ ÇOCUK BANA BENZİYOR” DEDİ MİLYONERİN OĞLU! VE BÜYÜK BİR SIR ORTAYA ÇIKTI
“BABA, ÇÖPTE UYUYAN O İKİ ÇOCUK BANA BENZİYOR” DEDİ MİLYONERİN OĞLU! VE BÜYÜK BİR SIR ORTAYA ÇIKTI . . Ankara’nın…
End of content
No more pages to load