लड़की ने एक पागल लड़के से कॉन्ट्रैक्ट के लिए शादी की… लेकिन वो लड़का निकला करोड़ों का मालिक…

किस्मत कभी-कभी हमारी जिंदगी में ऐसा मोड़ लाती है जिससे हमें पता चलता है कि सच क्या है और दुनिया दिखाती क्या है। आर्या, एक मासूम लड़की, अपनी जिंदगी के 18 साल पूरे कर रही थी। यह दिन हर लड़की के लिए खास होता है, लेकिन आर्या के लिए यह दिन किसी सजा जैसा था। उसके पिता, देवेंद्र सिंह, पुराने जमाने के सोच वाले और अपनी संपत्ति से ज्यादा अपनी शान के भूखे थे। उनके दादा ने एक प्रॉपर्टी कॉन्ट्रैक्ट बनाया था, जिसमें लिखा था कि अगर लड़की 18 साल के भीतर शादी नहीं करेगी, तो सारी संपत्ति डोनेशन में चली जाएगी। इस एक लाइन ने आर्या की पूरी जिंदगी की दिशा बदल दी थी।

आर्या हमेशा से पढ़ाई में तेज, दिल की मासूम और सपनों से भरी लड़की थी। उसकी ख्वाहिश थी कि वह अपने दम पर कुछ बन सके और शादी के लिए किसी अच्छे साथी का इंतजार करे। लेकिन किस्मत ने उसके लिए एक ऐसा मोड़ रखा था जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। सुबह के करीब 9 बजे, घर में पूजा की थाली सजी थी। रिश्तेदार जमा थे और हर तरफ एक अजीब सी खामोशी थी, मानो कुछ गलत होने वाला हो। उसी समय आर्या की मां, शीतल, उसके पास आई और धीमे से बोली, “आर्या, आज तुम्हारी शादी है।”

आर्या ने चौंक कर मां का हाथ पकड़ा। “मां, किससे? मैं तैयार नहीं हूं।” शीतल ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “यह हमारी मजबूरी है। बेटा, अगर आज शादी नहीं हुई, तो सब कुछ चला जाएगा। तुम्हारे पापा बर्बाद हो जाएंगे।” आर्या के दिल में जैसे किसी ने छुरा घोंप दिया हो। किसी ने उससे राय तक नहीं पूछी थी। कुछ देर बाद वह लड़का लाया गया, विवान। सब कहते थे कि वह पागल है, दिमाग से कमजोर है। आर्या ने उसे पहली बार देखा। वह चुपचाप खड़ा था, अपने हाथों को जोर से पकड़कर, जैसे कोई बच्चा डर गया हो। उसकी आंखों में एक अजीब डर था और चेहरा बिल्कुल मासूम।

रिश्तेदारों के बीच फुसफुसाहट चल रही थी। “क्यों इस लड़की की जिंदगी खराब कर रहे हैं? कहते हैं छुटू पागल है।” आर्या का दिल कांप गया। वह धीरे से बोली, “पापा, यह शादी क्यों?” देवेंद्र ने कड़क आवाज में कहा, “5 साल। बस 5 साल बाद तलाक दे देना। कॉन्ट्रैक्ट बच जाएगा।” आर्या की आंखें भर आईं। वह टूट रही थी, लेकिन बोल नहीं पा रही थी। शाम को छोटे से मंदिर में शादी की तैयारी हुई। विवान बिना किसी शोर के, बिना किसी मांग के चुपचाप बैठ गया। जब पंडित ने मंत्र पढ़ना शुरू किया, विवान ने हल्के से आर्या की ओर देखा। उसके चेहरे पर कोई पागलपन नहीं था, बस डर और अकेलापन।

शादी के बाद जब सभी चले गए, कमरे में सिर्फ दो लोग बचे। एक मासूम सी लड़की और एक ऐसा लड़का जिसे दुनिया ने पागल का टैग दे दिया था। आर्या ने पहली बार उससे धीरे से पूछा, “तुम सच में पागल हो?” विवान ने बिना उसकी तरफ देखे बस इतना कहा, “मैं बुरा नहीं हूं। बस अलग हूं।” उसकी आवाज किसी बच्चे जैसी थी, टूटी हुई और कांपती हुई। आर्या के दिल में जैसे कुछ पिघल गया। उसी रात वह सोच रही थी, शायद यह लड़का पागल नहीं, बस अकेला है और शायद मैं ही उसकी दुनिया बन सकती हूं।

शादी के बाद के शुरुआती दिन आर्या के लिए किसी अनजान दुनिया में कदम रखने जैसे थे। विवान की आदतें अलग थीं। कभी वह खिलौने जैसे छोटी-छोटी चीजें संभाल कर रखता, कभी एक ही सवाल बार-बार पूछता। कभी अचानक डरकर उसका हाथ पकड़ लेता। दुनिया उसे पागल कहती थी, पर आर्या ने धीरे-धीरे महसूस किया कि विवान पागल नहीं, बस बेहद मासूम है। वह किसी चीज को तब तक नहीं समझ पाता था जब तक कोई प्यार से समझाए नहीं।

आर्या ने वही करना शुरू किया। प्यार से वह रोज उसे खाना परोसती, धीरे-धीरे बात करती और उसकी हर डर को हल्के से छूकर मिटा देती। विवान हमेशा उसकी ओर बच्चे जैसी आंखों से देखता। उस नजर में कोई पागलपन नहीं, बस भरोसा था। एक दिन जब वह कमरे में पढ़ाई कर रही थी, विवान अचानक चुपचाप उसके पास बैठ गया और बोला, “आर्या, तुम अच्छा पढ़ती हो। मुझे अच्छा लगता है।” आर्या हैरान रह गई। विवान की बातों में सच्चाई थी, समझ थी। बस वह दुनिया के सामने अपनी बात कह नहीं पाता था।

शुरुआती महीने ऐसे ही बीत गए। धीरे-धीरे विवान का उसके हाथ पकड़ना सामान्य हो गया। रात में सोने से पहले आर्या उसका माथा छूती और कहती, “डरना मत। मैं यहीं हूं।” और विवान बच्चे की तरह मुस्कुरा देता। समय ऐसे ही परिंदा बनकर उड़ गया और देखते-देखते 5 साल पूरे हो गए। अब आर्या अपने दिल को नहीं छिपा पा रही थी। वह विवान को छोड़ने का नाम भी नहीं सह सकती थी। लेकिन उसके माता-पिता के लिए तो यह सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट का खेल था।

पांचवें साल की सुबह देवेंद्र सिंह गुस्से में कमरे में आए और बोले, “तैयार हो जाओ। आज तलाक देना है। तुम्हारी शादी सिंहानिया ग्रुप के अरबपति बेटे से तय कर दी है।” आर्या को लगा उसकी सांस रुक जाएगी। “पापा, मैं तलाक नहीं दूंगी।” उसने पहली बार आवाज ऊंची की। शीतल तुरंत बोली, “आर्या, वो लड़का पागल है। उसकी जिंदगी से निकलो। करोड़पति लड़का तुम्हारा इंतजार कर रहा है।” आर्या की आंखों में आंसू भर आए। उसने पहली बार अपने दिल की बात कही, “मां, मैं उसे छोड़ नहीं सकती। वो पागल नहीं, वो बस अकेला है। और इन पांच सालों में मैंने उससे प्यार करना सीख लिया है।”

देवेंद्र चीख पड़े, “चुप! यह प्यार-व्यार नहीं जानते हम। हमने जैसे बचपन से तुम्हें पाला, वैसे ही हमारी मर्जी चलेगी।” आर्या ने निराश होकर विवान की ओर देखा। विवान चुपचाप खड़ा था, बार-बार अपने हाथों को मरोड़ते हुए मानो समझ ही नहीं पा रहा कि लोग उसे क्यों छोड़ना चाहते हैं। वह धीरे से बोला, “आर्या, अगर तुम जाओगी तो मैं क्या करूंगा?” उसकी आवाज में जो टूटन थी, आर्या उस दर्द को सुनकर खुद टूट गई। उसने तुरंत विवान का हाथ पकड़ लिया। “मैं कहीं नहीं जाऊंगी। तुम मेरे हो और मैं तुम्हारी हूं।”

विवान की आंखों में पहली बार चमक आई। जैसे कोई छोटा बच्चा डर से बाहर निकलकर आखिर सुरक्षित महसूस करें। लेकिन दूसरी तरफ उसके माता-पिता ने फैसला कर लिया था। आज तलाक होना ही होगा। उन्हें लगता था कि वे अपनी बेटी को बचाने का काम कर रहे हैं। उस शाम आर्या के जीवन का सबसे बड़ा मोड़ आने वाला था। जहां एक तरफ करोड़पति घराना बारात लेकर पहुंच चुका था, वहीं दूसरी तरफ विवान अपनी मासूम आंखों में आंसू लिए खड़ा था। लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि जिस लड़के को वे पागल समझते थे, उसकी असलियत ऐसी थी कि पूरी दुनिया उसके सामने झुकती थी।

दोपहर के लगभग 4 बजे आर्या के घर में सजावट चल रही थी। महंगे फूल, रोशनी, गहनों की चमक और रिश्तेदारों की भीड़। सबको लग रहा था कि आज आर्या दुनिया की सबसे बड़ी खुशकिस्मत लड़की बनने वाली है। लेकिन आर्या के चेहरे पर सिर्फ खालीपन था। आंखों में डर और दिल में एक ही नाम – विवान। कमरे में सन्नाटा था। विवान एक कोने में जमीन पर बैठा था। दोनों हाथों की उंगलियां एक-दूसरे में फंसी हुई। जैसे किसी ने उसका खिलौना छीन लिया हो। वह धीरे-धीरे बोल रहा था, “आर्या, तुम जाओगी ना? मैं अकेला हो जाऊंगा।”

आर्या का दिल सीने में टूट रहा था। वह उसके पास बैठ गई, उसके हाथ अपने हाथों में लिए। “विवान, मैं कहीं नहीं जा रही। तुम मेरी पहली और आखिरी जिम्मेदारी हो।” विवान की पलकों पर आंसू थरथराए। उसने मासूमियत से पूछा, “तो फिर लोग क्यों कह रहे हैं कि तुम मुझे छोड़ दोगी?” आर्या जवाब ही नहीं दे पाई। उसके मन में एक ही डर था। आज का फैसला सब कुछ बदल देगा।

इसी बीच दरवाजा जोर से खुला। उसका पिता अंदर आया। “आर्या, नीचे आओ। वकील आ चुके हैं। तलाक के पेपर पर साइन करने का समय हो गया है।” आर्या गुस्से में खड़ी हुई। “मैं तलाक नहीं दूंगी।” पापा, देवेंद्र सिंह चिल्ला पड़े। “हमें करोड़पति परिवार से रिश्ता जोड़ना है। उन्होंने अपने बेटे के लिए तुम्हें चुन लिया है। सपने को समझो आर्या, तुम्हारी जिंदगी बन जाएगी।” लेकिन आर्या ने रोते हुए कहा, “मेरी जिंदगी तो तब से बन गई थी, जब विवान ने पहली बार मेरा हाथ पकड़ा था।”

मां ने गुस्से में उसके कंधे पकड़े। “यह प्यार नहीं है। यह पागलपन है। हम अपने खानदान की इज्जत नहीं मिटा सकते।” सबके बीच विवान खड़ा था, डरा हुआ, टूटा हुआ। मानो सब कुछ उसकी ही वजह से हो रहा हो। वह धीरे से बोला, “अगर मेरे जाने से आर्या खुश होगी, तो मैं चला जाऊंगा।” आर्या चिल्लाई, “विवान, तुम कहीं नहीं जाओगे।” लेकिन नीचे बारात पहुंच चुकी थी। ढोल, गाड़े, महंगे सूट पहने लोग, महंगे गहने पहने महिलाएं और बीच में खड़ा था अर्जुन सिंहानिया, वो करोड़पति लड़का जिससे आर्या की नई शादी तय हुई थी।

अर्जुन अहंकार से भरा ऊंची निगाहों से लोगों को देखते हुए अंदर आया। उसने आर्या के पिता को देखा। “तलाक पेपर तैयार है। मुझे देर पसंद नहीं।” फिर उसकी नजर विवान पर पड़ी। वह हंस पड़ा। “ओ, तो यही वो पागल है जिससे तुमने अपनी बेटी की शादी कर दी थी। अरे, इससे शादी करवाने की हिम्मत कैसे हुई आपकी?” वो आगे बढ़ा और विवान के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, “ओए पागल, इधर आ।” विवान डर कर पीछे हटा। आर्या दौड़कर बीच में आ गई। “अर्जुन, हाथ मत लगाना उसे।”

अर्जुन हंसा, “यह आदमी भी आदमी है। कूड़े की तरह फेंक देने लायक है।” और अगला पल उसने हाथ उठाया। वह विवान को थप्पड़ मारने ही वाला था कि तभी एक भारी कार का दरवाजा खुलने की आवाज गूंजी। गेट पर भीड़ फटने लगी। सुरक्षाकर्मी रास्ता बनाने लगे और धीरे-धीरे एक शख्स अंदर आया। एक बूढ़ा, रॉयल दिखने वाला करोड़पति, सिंहानिया इंडस्ट्रीज का हेड। अर्जुन ने उसे देखकर तुरंत कहा, “डैड, आप यहां कैसे?” पर बूढ़ा आदमी सीधे विवान के सामने जाकर झुक गया। सब हक्काबक्का रह गए।

“सर, आप यहां… आपने बुलाया होता, हम खुद आ जाते।” पूरा माहौल थम गया। ढोल रुक गए। लोगों की सांसे अटक गईं। आर्या, उसके माता-पिता, अर्जुन सभी के चेहरे पीले पड़ गए। विवान, जिसे सभी पागल समझते थे, उसके सामने कोई करोड़पति नहीं, एक साम्राज्य का मालिक झुका हुआ था। पूरा हॉल सन्नाटा बन चुका था। जिस करोड़पति दूल्हे पर सबको घमंड था, उसी के पिता किसी पागल समझे जाने वाले लड़के विवान के सामने झुके खड़े थे।

अर्जुन की आवाज कांप गई। “ड-डैड, आप इसे जानते हैं?” उसके पिता ने सख्त नजरों से अर्जुन को देखा। “शट अप, अर्जुन। तुम्हें अंदाजा भी है तुमने क्या किया है? तुमने जिस लड़के को पागल कहकर हाथ उठाने की कोशिश की, वो राजवंत इंडस्ट्रीज का असली मालिक है।” हॉल में चारों तरफ हलचल मच गई। हर कोई एक दूसरे की तरफ देखने लगा। आर्या के पिता के चेहरे पर घबराहट रंग बदल रही थी। कुछ लोग तो अविश्वास में मुंह ढककर खड़े थे। आर्या स्तब्ध थी।

विवान, उस विवान जो उससे डर कर छुप जाता था, जो रात में बिना बताए रो लेता था, जो लोगों के सामने एक शब्द नहीं बोल पाता था। अर्जुन गुस्से में हकलाते हुए बोला, “डैड, यह मालिक कैसे हो सकते हैं? यह तो पागल है!” उसके पिता गरजे, “पागल तुम हो, अर्जुन। जिन्हें तुम बेइज्जत कर रहे थे, उनके पैरों में पूरी दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां झुकती हैं।” तभी पीछे से दर्जनों गाड़ियों का काफिला आकर रुका। काले सूट पहने बॉडीगार्ड हॉल में दाखिल हुए। सबने एक साथ झुककर कहा, “गुड इवनिंग, सर।” और सीधे विवान के सामने खड़े हो गए, जैसे वह कोई महाराजा हो।

आर्या के दिल की धड़कन तेज हो चुकी थी। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह सपना है या कोई ऐसा सच जो अब तक छुपाया गया था। तभी एक बुजुर्ग अधिकारी आगे बढ़ा। फाइलें खोलते हुए बोला, “सर, आपकी बात सही थी। हमने कंपनी के मैनेजर, एचआर हेड, अकाउंट्स टीम और कुछ शाखाओं में गड़बड़ी पकड़ी है।” अर्जुन घबरा गया। “कौन सी जांच? यह लोग क्या बकवास कर रहे हैं?” बूढ़ा अधिकारी बोला, “जिस कंपनी के आप लोग नाम पर घमंड कर रहे थे, उस कंपनी के असली मालिक आपके सामने खड़े हैं।”

विवान सर आर्या के पिता के हंठ सूखने लगे। उन्होंने हकलाकर पूछा, “मतलब विवान पागल नहीं है?” बूढ़ा आदमी शांत स्वर में बोला, “वह शुरू से ही सामान्य था। लेकिन सर ने अपनी कंपनी में चल रही गड़बड़ियों को पकड़ने के लिए, लोगों का असली चेहरा देखने के लिए, इंसानियत की परीक्षा लेने के लिए, अपनी असलियत छुपाई।” सबकी धड़कन एक साथ थम गई। विवान चुप था। वह बार-बार आर्या की तरफ देख रहा था, जैसे उसे डर हो कि कहीं आर्या इस सच से दूर ना चली जाए।

अर्जुन का चेहरा लाल हो चुका था। वह अब भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि जिस लड़के को उसने हाथ उठाकर मारने की कोशिश की, वह उसके पिता से भी बड़ा मालिक था। तभी विवान ने पहली बार सबके सामने कदम आगे बढ़ाया। उसकी आवाज धीमी लेकिन गहरी थी। “अर्जुन सिंहानिया, तुम्हें किसी इंसान की इज्जत करना नहीं आती। तुम जैसे लोग कंपनी का नाम खराब करते हैं।” फिर उसने अपने एक बॉडीगार्ड को इशारा किया, “ऑफिस के सारे पास कैंसिल। उसका फ्लैट खाली करवाओ और इसे कंपनी से तत्काल निकाल दिया जाए।”

अर्जुन के पैरों से जमीन खिसक गई। “नहीं, सर, प्लीज। डैड, कुछ बोलिए।” लेकिन अर्जुन के पिता भी सिर झुका चुके थे। क्योंकि वे सच जानते थे। उन्होंने खुद कभी विवान को कई डीलों में देखा था। कई साइन उसी लड़के के हाथ से निकले थे। विवान ने धीरे से कांपती आवाज में एक ही बात कही, “मैंने 5 सालों में सिर्फ एक इंसान को सच में अपना माना है। आर्या।” आर्या की आंखों में आंसू आ गए। उसने धीमे से पूछा, “विवान, क्या यह सब सच है?” विवान बच्चे जैसी मासूमियत से बोला, “हां, लेकिन तुमने मुझे तब प्यार किया जब मैं कुछ नहीं था। ना मेरा नाम, ना मेरी पहचान, कुछ भी नहीं। मुझे डर था, अगर मैं तुम्हें सच बता दूं, तो तुम भी दूसरों की तरह बदल जाओगी।”

आर्या की आंखों में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा लेकिन यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी क्योंकि सबसे बड़ा फैसला अभी बाकी था। हॉल में खामोशी उतनी भारी थी जितनी किसी तूफान से पहले होती है। विवान अब वो मासूम लड़का नहीं दिख रहा था। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी जैसे अब वो अपने असली रूप में आ चुका हो। अर्जुन बुरी तरह कांप रहा था। उसकी सांसे बेकाबू थीं। क्योंकि उसे समझ आ चुका था कि जिसे वो पागल समझ रहा था, वह उसकी जिंदगी बर्बाद करने की ताकत रखता है।

विवान ने धीरे से अपनी जेब में हाथ डाला और मोबाइल निकाला। सिर्फ एक शब्द कहा, “स्टार्ट।” उस शब्द के साथ ही पीछे खड़े बॉडीगार्ड्स और अधिकारी हरकत में आ गए। एक अधिकारी ने आगे बढ़ते हुए कहा, “सर, आपके आदेश के अनुसार सिंहानिया ग्रुप के उन पांच मैनेजरों को भी हमने सस्पेंड कर दिया है जिन्होंने पिछले साल आपकी कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने की कोशिश की थी।” अर्जुन के पिता के चेहरे का रंग उड़ गया। वे हकलाने लगे। “सर, लेकिन वह तो हमारी मदद कर रहे थे।” अधिकारी ठंडे स्वर में बोला, “उसी मदद के नाम पर कंपनी को लाखों का नुकसान पहुंचाया गया था।”

फिर उसने अर्जुन की तरफ देखा और कहा, “और यह लड़का आपके बेटे ने तो इंसानियत बेचकर कंपनी की एजेंडा मिटा दी। सर, आपके आदेश के अनुसार इनका फ्लैट खाली करवाया जा रहा है। सारे अकाउंट फ्रीज हो चुके हैं।” अर्जुन वहीं जमीन पर बैठ गया। उसकी आंखों में दहशत थी। “सर, प्लीज, मुझे एक मौका दे दीजिए। मैं नहीं जानता था कि…” विवान ने शांत लेकिन गहरी आवाज में कहा, “यही तुम्हारी गलती है। अर्जुन, तुमने किसी इंसान की हैसियत उसके दिल से नहीं, उसके कपड़ों और शक्ल से आंकी।” अर्जुन ने घुटनों पर गिरकर विनती की। “सर, प्लीज, माफ कर दीजिए। हमारी तो पूरी जिंदगी खत्म हो जाएगी।”

विवान की आंखों में दर्द उभरा। उसकी आवाज भारी हो गई। “मेरी जिंदगी भी कोई आसान नहीं थी। अर्जुन, मैंने अकेलेपन में वर्षों काटे हैं। लोगों की हंसी, ताने और उनके पागल जैसे शब्दों के बीच।” वो थोड़ा रुका। भीड़ उसकी हर सांस सुन रही थी। “लेकिन इंसानियत कभी किसी ने नहीं दिखाई। सिवाय एक लड़की के।” सबकी नजर आर्या पर गई। वह रो रही थी। आंसू गालों पर गिरते जा रहे थे। लेकिन आंखों में गर्व था। क्योंकि जिस आदमी को उसने प्यार किया था, आज पूरी दुनिया उसके सामने झुक रही थी।

विवान उसके पास आया। धीरे से बोला, “आर्या, तुमने मुझे तब प्यार किया जब मैं अपने आप को भी समझ नहीं पाता था। तुमने मुझे हर बार पकड़ कर जमीन पर गिरने से बचाया।” आर्या ने कांपती आवाज में पूछा, “विवान, क्या तुमने सब कुछ छुपाया था? क्या तुम सच में पागल थे?” विवान ने हल्की सी मुस्कान दी। उस मुस्कान में इतना दर्द था कि आर्या का दिल पिघल गया। “नहीं, मैं पागल नहीं था। लेकिन दुनिया को लगता था कि मैं सब कुछ नहीं समझता। मैंने अपने मन का दर्द छुपाया ताकि लोग अपनी असलियत दिखा सकें। मैंने मासूम बनकर सबकी नियत परख ली।”

आर्या की सांसें तेज हो गईं। उसके मन में एक ही सवाल। “तो तुमने मेरी परीक्षा ली थी?” विवान ने सिर हिलाया। “नहीं, आर्या, मैंने सिर्फ दुनिया की परीक्षा ली थी। तुम तो मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत सच्चाई थी।” आर्या टूट कर रो पड़ी। उसने विवान का हाथ पकड़ लिया। जोर से जैसे किसी डर को बांध रही हो। लेकिन कहानी का असली झटका अभी बाकी था। विवान ने अपनी टीम की ओर मुड़कर कहा, “सब व्यवस्था बंद करो। जो गलत थे, उन्हें सजा मिल चुकी है।”

फिर उसने हॉल में खड़ी भीड़ की तरफ देखा और कहा, “अब मेरी जिंदगी में सिर्फ एक फैसला रह गया है। वो फैसला जो आज यही अभी मैं लेने जा रहा हूं।” सबकी सांसें थम गईं। आर्या के दिल की धड़कन तेज हो गई। विवान आखिर क्या करने वाला था? हॉल में हर कोई अपनी सांसें रोके खड़ा था। विवान आर्या का हाथ पकड़े हुए आगे बढ़ा। लेकिन उसकी निगाहें सिर्फ आर्या पर थीं। मानो दुनिया में अब कोई और था ही नहीं।

आर्या घबराई हुई आवाज में बोली, “विवान, तुम क्या करने वाले हो?” विवान ने उसके आंसू पोंछते हुए कहा, “वो जो मुझे 5 साल पहले करना चाहिए था।” फिर वह भीड़ की तरफ मुड़ा। उसकी आवाज नरम थी, लेकिन फैसले की दृढ़ता से भरी हुई। “आज मैं इस लड़की को अपनी जिंदगी का असली हिस्सा बनाने जा रहा हूं।” सबके चेहरे पर हैरानी फैल गई। आर्या ने पलकों झपकाई। “यह सच है या मैं किसी सपने में हूं?”

विवान ने आगे कहा, “5 साल। 5 साल मैंने खुद को तुमसे दूर रखा। तुम्हारे सामने खुद को कमजोर दिखाया। ताकि मैं देख सकूं, प्यार वाकई दिल से होता है या सिर्फ स्टेटस से?” उसने गहरी सांस ली। “आर्या, तुम पास नहीं। मेरे बिल्कुल भीतर रही हो। हर दर्द में, हर मुस्कान में, हर डर में, हर उम्मीद में।” आर्या की आंखें पूरी तरह भीग चुकी थीं। “तो उस दिन जब तुमने कहा था कि तुम अलग हो, उसका मतलब यही था?”

विवान ने धीरे से सिर हिलाया। “हां, मैं अलग था क्योंकि मैं उस दुनिया में बड़ा हुआ जहां हर कोई मेरे सामने झुकता था। लेकिन कोई भी मुझे समझता नहीं था।” उसके शब्द हवा को चीरते चले गए। “लोगों ने मुझे नाम नहीं दिया। बल्कि तमके दिए। मालिक, चेयरमैन, डायरेक्टर। लेकिन कोई मुझे एक इंसान की तरह, एक छोटे बच्चे की तरह कभी प्यार नहीं कर पाया। सिवाय तुम्हारे, आर्या।”

आर्या ने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया। एक ऐसा स्पर्श जो दुनिया के हर ताज से ज्यादा कीमती था। तभी विवान ने अपना फोन निकाला और एक छोटा सा ऑर्डर दिया। “सब कुछ बंद कर दो अर्जुन और उसके पिता के खिलाफ। अब और कोई एक्शन नहीं।” सब हैरान रह गए। यह कैसा मालिक था जो इंसानियत के साथ फैसले ले रहा था। अर्जुन आंसू में भीगा हुआ खड़ा था। उसके पिता ने विवान से कहा, “सर, आपने हमें माफ कर दिया।”

विवान ने नरम आवाज में कहा, “गलतियों की सजा होनी चाहिए। लेकिन इंसानियत के बिना नहीं।” भीड़ में फुसफुसाहट। “यह लड़का मालिक होने के साथ दिल का भी राजा है।” विवान ने आर्या का हाथ खींचा और बहुत धीरे से बोला, “आर्या, क्या तुम सच में मेरे साथ रहना चाहती हो? अब जब तुम्हें मेरी असलियत पता चल चुकी है।” आर्या ने बिना सोचे, बिना रुके, बिना एक पल देर किए उसके गले लगकर कहा, “विवान, मुझे तो तुम तब भी अच्छे लगते थे जब तुम कुछ नहीं थे। अब तो तुम्हें छोड़ना मेरे लिए खुद को छोड़ने जैसा है।”

विवान की आंखों में चमक आ गई। उसने सबके सामने आर्या की मांग में हल्की सी सिंदूर की लकीर भरी। एक शांत, धीमी लेकिन सबसे पवित्र रस्म की तरह। पूरी भीड़ तालियों से गूंज उठी। आर्या के माता-पिता शर्म से सिर झुकाए खड़े थे। उन्हें समझ आ चुका था कि असली अमीरी दिल की होती है, दौलत की नहीं। उस रात विवान आर्या को अपने रॉयल विला ले गया। एक महल जैसा घर जिसकी हर दीवार चमकती रोशनी में जैसे नई कहानी कहना चाहती थी।

आर्या बिस्तर के किनारे बैठी थी। अब भी सदमे में, अब भी प्यार में डूबी हुई। विवान उसके पास आया। धीरे से बोला, “आर्या, मैं तुम्हें एक बात बताना चाहता हूं।” आर्या ने उसका हाथ थामते हुए कहा, “बोलो विवान।” विवान मुस्कुराया, “मैं अब पागल नहीं हूं। लेकिन तुम्हारी मोहब्बत ने मुझे पागल बना दिया है।” आर्या हंसते-हंसते रो पड़ी और उसकी छाती से लग गई। उसी रात दो टूटे हुए लोग एक दूसरे की बाहों में पूरी तरह से पूरा हो गए।

कहानी का संदेश: प्यार पहचान से नहीं, दिल की सच्चाई से होता है। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी इंसान की कीमत उसके कपड़ों, उसके व्यवहार या दुनिया की राय से नहीं आकी जाती। असल इंसानियत यह है कि हम दूसरों का दिल देखें, उनकी तकलीफ समझें। क्योंकि कभी-कभी सबसे साधारण दिखने वाले लोग सबसे असाधारण सच्चाई अपने भीतर छुपाए होते हैं।

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