Papa killed mummy with lighter, son made a shocking revelation! Greater Noida Nikki Murder case

दहेज – एक ऐसा शब्द जो सदियों से भारतीय समाज की रगों में ज़हर की तरह बहता आ रहा है। कागज़ों में यह कुरीति “अपराध” घोषित हो चुकी है, लेकिन आज भी न जाने कितनी बेटियां इसके शिकार हो रही हैं। निक्की की कहानी भी इसी समाज की एक दर्दनाक सच्चाई है। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है – ग्रेटर नोएडा की एक शिक्षित, संस्कारी और सहनशील लड़की की जिसने अपने घर को बचाने के लिए सब कुछ सहा, लेकिन अंत में अपनी जान गंवा दी।

शादी की शुरुआत – सपनों का संसार

निक्की की शादी पूरे धूमधाम से हुई थी। मायके वालों ने अपनी हैसियत से बढ़कर दहेज दिया – दो कारें, लाखों की नकदी, सोने के गहने, हर वो चीज़ जो एक दूल्हे के परिवार ने मांगी थी। हर किसी को यही लगा कि निक्की का भविष्य सुनहरा होगा। लेकिन वह सिर्फ शुरुआत थी, असली तस्वीर तो धीरे-धीरे सामने आने लगी।

बढ़ती मांगें और जहरीला माहौल

शादी के कुछ ही महीनों बाद निक्की पर दवाब बनने लगा। कभी कार, कभी नकद रुपए, तो कभी महंगे गहनों की मांग की जाती। निक्की हर बार मायके वालों से कहती कि किसी तरह ये मांगें पूरी कर दी जाएं – शायद इससे घर में शांति आ जाए। लेकिन लालच का कोई अंत नहीं होता। जो मिलता, वह कम लगता। धीरे-धीरे निक्की का ससुराल उसके लिए एक यातना गृह बन गया।

बच्चों के लिए सहती रही निक्की

निक्की के दो बच्चे थे – एक बेटा और एक बेटी। मां होने के नाते निक्की ने कई बार खुद को तुच्छ समझकर भी सब सहा, सिर्फ इसलिए कि बच्चों को मां-बाप दोनों का साथ मिले। लेकिन वह नहीं जानती थी कि एक दिन वही बच्चे उसकी चीखें सुनेंगे, उसे खो देंगे और कभी ना भरने वाला घाव अपने दिल में लिए जीने को मजबूर हो जाएंगे।

उस रात की चीखें

जिस रात यह खौफनाक हादसा हुआ, उस दिन शाम को घर में जोरदार झगड़ा हुआ था। आवाजें इतनी तेज़ थीं कि बच्चे डरकर कमरे में छुप गए थे। लेकिन जब मां की चीखें गूंजने लगीं, बेटा और बेटी दौड़कर बाहर आए। उन्होंने देखा कि पापा और दादी उनकी मां को मार रहे हैं। बेटे ने बताया कि उसकी मां को थप्पड़ मारा गया, कुछ भारी चीज़ से हमला किया गया और फिर उसे कमरे से बाहर धक्का दे दिया गया। बेटी ने भी अपनी मां को बचाने की कोशिश की लेकिन उसे भी पीटा गया और वह बेहोश हो गई।

मौत और मासूम गवाही

जब तक पड़ोसी पहुंचे, तब तक निक्की की जान जा चुकी थी। घर धुएं से भर चुका था, और दोनों बच्चे सदमे में कांप रहे थे। पुलिस आई और बेटे का बयान लिया – वह बच्चा लगातार रोते हुए कहता रहा: “मम्मी मुझे छोड़कर क्यों चली गई?” उसकी आंखों में आंसू थे, उसकी आवाज़ में वो सच्चाई थी जिसने पूरे केस की जड़ें खोल दीं। उसने साफ-साफ कहा – “पापा और दादी ने मिलकर मम्मी को मारा।”

पति का रवैया – पत्थर सा दिल

जब पुलिस ने निक्की के पति को गिरफ्तार किया और पूछताछ की, तो उसका रवैया चौंकाने वाला था। उसने कहा – “निक्की खुद ही गई।” न कोई पछतावा, न कोई अफसोस। यहां तक कि जब पत्रकारों ने पूछा कि “बच्चों का क्या होगा?” तो उसने जवाब दिया – “मुझे परवाह नहीं।” यह सुनकर पुलिस अफसर भी स्तब्ध रह गए। एक इंसान इतना निर्दयी कैसे हो सकता है?

समाज की प्रतिक्रिया

यह घटना जब सोशल मीडिया पर सामने आई, तो हर किसी का खून खौल गया। Twitter, Facebook और Instagram पर हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे – #JusticeForNikki, #StopDowryDeaths, #SaveOurDaughters। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस केस में दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले – कुछ ने तो कहा कि “ऐसे लोगों के लिए बुलडोज़र चलना चाहिए।”

मासूम बेटा – अब भी सदमे में

निक्की का बेटा अब अपने ननिहाल में है। लेकिन उसकी नानी बताती हैं कि वह हर रात सोते हुए चीखता है – “मम्मी बचाओ।” वह बार-बार कहता है, “मैंने सब देखा, मैं झूठ नहीं बोल रहा। पापा और दादी ने मम्मी को मारा।” उसकी आंखों में वो खौफ है जो शायद पूरी ज़िंदगी उसका पीछा नहीं छोड़ेगा। उसकी मासूमियत अब खो चुकी है। उसकी मां तो चली गई, लेकिन उसके बचपन की हंसी भी साथ ले गई।

बहन कंचन की आंखों देखी

निक्की की बहन कंचन ने बताया कि उन्होंने सब कुछ देखा था। उनकी दोनों बहनों की शादी एक ही घर में हुई थी और शुरू से ही परेशानियां थीं। लेकिन निक्की हमेशा कहती थी – “चुप रहो, सब ठीक हो जाएगा।” हर बार वह घर बचाने की कोशिश करती रही, लेकिन आखिरकार उसी घर ने उसकी जान ले ली।

सवाल जो हमें झकझोरते हैं

इस घटना ने पूरे समाज को हिला दिया है। अब सवाल यह है कि:

कब तक बेटियां दहेज के नाम पर मारी जाएंगी?

कब तक समाज लालच को नजरअंदाज़ करता रहेगा?

कब तक बच्चे अपनी मांओं को इस तरह खोते रहेंगे?

क्या अब भी वक्त नहीं आया कि हम मिलकर इस कुरीति को खत्म करें?

क्या हो अगला कदम?

    कानूनी कार्रवाई – इस केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए। दोषियों को उम्रकैद या मृत्युदंड मिलना चाहिए ताकि यह एक उदाहरण बने।

    सरकारी सहायता – निक्की के बच्चों की शिक्षा, पालन-पोषण और मानसिक स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।

    समाजिक चेतना – समाज को अब चुप नहीं रहना चाहिए। दहेज मांगने वालों को खुलकर बेनकाब किया जाए। लड़कियों को सिखाया जाए कि चुप रहना मजबूरी नहीं, विरोध करना अधिकार है।

    मीडिया की भूमिका – मीडिया को ऐसी घटनाओं को सामने लाना चाहिए, लेकिन साथ ही उन्हें संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए ताकि पीड़ित परिवार की गरिमा बनी रहे।

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