पंजाब में आयी बाढ़ में 🌊 | आर्मी ऑफिसर की प्रेग्नेंट पत्नी बह गयी | पंजाब बाढ़ 😮

कश्मीर की ठंडी वादियों में भारतीय सेना के कैप्टन बलबीर सिंह अपने मिशन पर थे। उनकी पत्नी माही, जो प्रेग्नेंट थी, पंजाब में अपने घर पर उनकी वापसी का इंतजार कर रही थी। बलबीर और माही की शादी को केवल 5 महीने हुए थे, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे के साथ बिताए समय में गहरी दोस्ती और प्यार का अनुभव किया था। माही हमेशा कहती थी, “हमारा एक छोटा सा घर होगा जिसमें बहुत सारा प्यार होगा।”

भाग 2: बाढ़ का कहर

एक दिन, अचानक आई बाढ़ ने पंजाब में तबाही मचा दी। माही, जब बाजार से घर लौट रही थी, तो तेज बारिश के कारण रास्ता बदल गया। पानी का बहाव इतना तेज था कि माही खुद को संभाल नहीं पाई और बाढ़ में बह गई। यह सब बलबीर के लिए एक भयानक सपना बन गया। जब माही ने बलबीर को 50 बार फोन किए, तब वह कश्मीर में दुश्मनों से लड़ रहे थे।

भाग 3: बलबीर की चिंता

जब बलबीर को माही के 50 मिस्ड कॉल्स का पता चला, तो उनका दिल धड़कने लगा। उन्होंने तुरंत माही का नंबर डायल किया, लेकिन फोन स्विच ऑफ था। उन्हें चिंता होने लगी कि कहीं माही किसी मुसीबत में तो नहीं है। उन्होंने अपने मिशन को पूरा किया और अस्पताल में भर्ती होने के बाद, अपनी पत्नी की तलाश में जुट गए।

भाग 4: तलाश का सफर

बलबीर ने छुट्टी लेकर अपने गांव की ओर दौड़ लगाई। वहां पहुँचने पर उन्हें पता चला कि बाढ़ ने गांव को पूरी तरह तबाह कर दिया है। उन्होंने अपने घर की तरफ दौड़ लगाई, लेकिन वहां केवल पानी और मलबा था। उन्होंने माही का नाम पुकारा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उनकी उम्मीदें टूट गईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और माही की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई।

भाग 5: माही का संघर्ष

उधर, माही एक अनजान जंगल में बेहोश पड़ी थी। जब उसे होश आया, तो उसने महसूस किया कि वह अकेली है। उसने अपने पेट पर हाथ रखा और महसूस किया कि उसका बच्चा सुरक्षित है। उसने हिम्मत जुटाई और एक दिशा में चलना शुरू किया। भूख और प्यास ने उसे तोड़ दिया था, लेकिन एक मां की ताकत ने उसे आगे बढ़ने पर मजबूर किया।

भाग 6: इंसानियत की मिसाल

माही एक छोटी सी बस्ती तक पहुँची, जहां उसे कुछ दयालु मुसलमानों ने देखा। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के उसकी मदद की। बस्ती की औरतें माही की देखभाल करने लगीं। फातिमा, जो एक दाई थीं, ने माही की नब्ज़ देखी और उसे बताया कि वह मां बनने वाली है। माही ने इन लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया और बताया कि वह एक हिंदू फौजी की पत्नी है।

भाग 7: बलबीर की उम्मीदें

बलबीर ने माही की तलाश में हर संभव प्रयास किया। उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और माही की तस्वीरें हर जगह पोस्ट कीं। उनकी मेहनत रंग लाई जब एक औरत ने उन्हें बताया कि उसने माही को कश्मीर की एक बस्ती में देखा है। बलबीर ने फौरन उस औरत के साथ कार में कश्मीर की ओर दौड़ लगा दी।

भाग 8: मिलन का पल

जब बलबीर उस बस्ती में पहुंचे, तो उन्होंने फातिमा से पूछा कि माही कहां है। फातिमा ने बताया कि माही ठीक है और उसने एक बेटे को जन्म दिया है। बलबीर की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उन्होंने बस्ती वालों का धन्यवाद किया और माही की तलाश में निकल पड़े।

भाग 9: माही का नया जीवन

माही ने बलबीर के बिना एक नई जिंदगी शुरू की थी। उसने अपने बेटे का नाम अमन रखा, क्योंकि वह शांति का प्रतीक था। बस्ती की औरतों ने माही को अपने परिवार का हिस्सा बना लिया था। माही ने इन लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया और उनका प्यार महसूस किया।

भाग 10: एक नई उम्मीद

बलबीर जब माही के पास पहुंचे, तो दोनों की आंखों में आंसू थे। उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और अपने बेटे को गोद में लिया। बलबीर ने कहा, “तुमने मेरी जान बचाई है।” माही ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमने एक-दूसरे को बचाया है।”

भाग 11: इंसानियत का धर्म

इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि इंसानियत किसी भी धर्म, जाति या सरहद से बढ़कर होती है। माही और बलबीर की कहानी यह साबित करती है कि मुसीबत में एक-दूसरे की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है।

भाग 12: अंत में

बलबीर, माही और अमन का परिवार अब एक साथ था। उन्होंने एक खुशहाल जीवन बिताना शुरू किया। बलबीर ने सीखा कि उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए और इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।

इस कहानी ने हमें यह सिखाया कि प्यार और इंसानियत के आगे कोई भी दीवार नहीं होती। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर दिल में सच्चा प्यार हो, तो हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है।

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