👉 IPS नेहा शर्मा का वो थप्पड़, जिसने मंत्री जी से लेकर पूरे सिस्टम को हिला दिया” देखिए पूरी कहानी
दिल्ली की चमक-धमक भरी ज़िंदगी में पली-बढ़ी नेहा को कभी नहीं लगा था कि उसका दिल किसी गाँव के सीधे-सादे लड़के के लिए धड़क सकता है। वह हमेशा सोचती थी कि जीवनसाथी ऐसा हो जो अंग्रेज़ी में बात करे, कार में घूमे, बड़ी कंपनी में नौकरी करे और सोशल मीडिया पर स्टाइलिश दिखे। लेकिन किस्मत की एक छोटी सी यात्रा ने उसकी सोच, उसकी भावनाएं और उसका जीवन पूरी तरह बदल दिया।
नेहा अपनी बचपन की दोस्त सोनल की शादी में शामिल होने बिहार के एक गाँव पहुंची। पहली बार किसी गाँव की मिट्टी पर पाँव रखा था। चारों तरफ हरियाली, खुला आकाश और एक अलग ही सादगी का माहौल था। उसे लगा था कि ये बस कुछ दिनों की बात है, जल्दी से शादी निपटे और वो लौट जाए। लेकिन गाँव का माहौल उसे भीतर तक छूने लगा। लोग भले ही साधारण थे, लेकिन उनके दिलों में अपनापन और इज्जत थी।
शादी की तैयारियों में घर चहल-पहल से भरा हुआ था। बुआ, मामा, मौसी, चाचा सभी जुटे थे। हर कोई कुछ न कुछ काम में लगा था। लेकिन नेहा को सबसे अलग एक लड़का दिखाई दिया — राजू।
राजू कोई खास आकर्षक नहीं था। साधारण कपड़े, हल्के से मैले जूते, माथे पर पसीना और चेहरे पर ईमानदारी। वह पूरे घर का बोझ अपने कंधों पर उठाए था। कोई कहता “राजू, पंडित जी को लाना है”, तो कोई कहता “राजू, सब्ज़ी ख़त्म हो गई है” — और वह बिना एक शब्द बोले काम पर लग जाता।
नेहा को हैरानी हुई कि यह लड़का न किसी से ऊँची आवाज़ में बात करता है, न किसी का काम टालता है। एक शाम जब सब लोग डीजे पर नाच रहे थे, नेहा छत पर बैठी थी। तभी राजू एक थाली में खाना लेकर आया और बोला, “आपके लिए खाना ले आया, नीचे शोर बहुत है, आपको पसंद नहीं होगा।”
नेहा थोड़ी हैरान हुई। “तुम्हें कैसे पता मैं क्या पसंद करती हूँ?”
राजू मुस्कुराया, “आपके चेहरे से पढ़ लिया।”
पहली बार नेहा किसी लड़के की ऐसी सादगी भरी बातों से प्रभावित हुई। कोई दिखावा नहीं, कोई चापलूसी नहीं — बस एक सीधी, सरल भावना।
अगले दिन एक खबर ने शादी का माहौल बदल दिया। सोनल के पिताजी को हार्ट अटैक आ गया। शादी की सारी तैयारियां रुक गईं। डॉक्टर ने कहा कि तुरंत इलाज की ज़रूरत है और दिल्ली ले जाना पड़ेगा। परिवार के पास पैसे नहीं थे। रिश्तेदारों ने हाथ खड़े कर दिए।
सब स्तब्ध थे कि अब क्या होगा? तभी राजू आगे आया। उसने कहा, “मैं अपने खेत गिरवी रख दूँगा। पहले सोनल के पापा की जान बचानी है, बाद में शादी होगी।”
नेहा की आंखों में आंसू आ गए। उसने पहली बार महसूस किया कि असली मर्द वो होता है जो संकट में सबसे आगे खड़ा हो।
राजू ने जो कहा, वो किया। खेत गिरवी रखे, पैसे दिए और इलाज का इंतज़ाम किया। सोनल के पिताजी की जान बच गई।
शादी कुछ दिन बाद सादगी से हुई। लेकिन उस शादी में नेहा को एक अनमोल रत्न मिल चुका था — राजू।
अब नेहा रोज़ उसे काम करते देखती, गायों को चारा देते, खेतों में मेहनत करते, बच्चों को पढ़ाते, बड़ों का आदर करते। उसने एक दिन सोनल से कहा, “राजू पढ़ा-लिखा है?”
सोनल हँस पड़ी, “तू क्या समझती है, गाँव वाला है तो अनपढ़ होगा? वो तो बीएससी किया है और खुद गाँव में एक स्कूल खोलना चाहता है।”
नेहा के दिल में अब राजू के लिए कुछ खास उगने लगा था। लेकिन उसे डर था — क्या एक शहर की लड़की और गाँव का लड़का साथ रह सकते हैं?
अंतिम दिन जब नेहा लौटने लगी, तो वह चुप थी। उसने राजू से मिलने की इच्छा जताई। राजू आया और बस मुस्कुरा कर बोला, “आपसे मिलकर अच्छा लगा। आपके जैसे पढ़े-लिखे लोग गाँव आएं तो अच्छा लगता है।”
नेहा ने हल्की आवाज़ में कहा, “अगर मैं हमेशा के लिए गाँव में रह जाऊँ, तो कैसा लगेगा?”
राजू चौंका, “मतलब?”
नेहा ने आंखों में आंखें डालकर कहा, “अगर मैं कहूं कि मुझे तुमसे प्यार हो गया है?”
राजू का चेहरा लाल हो गया। “लेकिन… आप तो शहर की हैं। मैं तो एक साधारण इंसान हूं।”
नेहा मुस्कुराई, “साधारण नहीं, सबसे खास। मैंने आज जाना कि प्यार किसी चमक-धमक से नहीं होता, बल्कि एक सच्चे दिल, जिम्मेदारी और इंसानियत से होता है। और वो सब तुममें है।”
धीरे-धीरे राजू और नेहा के बीच संवाद बढ़ा। राजू ने संकोच के साथ कहा, “अगर तुम्हारे घर वाले माने, तो मैं जिंदगी भर तुम्हारा साथ निभाऊंगा।”
नेहा ने वादा किया कि वह सबको मनाएगी। और उसने किया भी। शुरुआत में उसके माता-पिता को शक था। लेकिन जब उन्होंने राजू को देखा, उसकी मेहनत, सादगी और आत्म-सम्मान को समझा, तो उन्हें भी यकीन हो गया कि उनकी बेटी का फैसला सही है।
6 महीने बाद दिल्ली की लड़की ने गाँव के एक साधारण लड़के से सगाई की। और आज, उसी गाँव में, जिस आंगन में नेहा पहली बार आई थी — उसी आंगन में वह लाल जोड़े में बैठी थी, राजू की दुल्हन बनकर।
लोग कहते नहीं थक रहे थे — “कौन कहता है कि गाँव के लड़के शहर की लड़कियों के काबिल नहीं होते। असली काबिलियत दिल में होती है, कपड़ों और अंग्रेज़ी में नहीं।”
नेहा और राजू की कहानी ने सबको ये सिखा दिया कि असली प्यार दिखावे में नहीं, बल्कि सच्चाई, आत्मसम्मान और साथ निभाने की काबिलियत में होता है।
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