जिसे सबने मामूली समझकर निकाल दिया…असल में वो उसी प्लेन के मालिक की पत्नी थी — फिर जो हुआ….

पूरी कहानी: सादगी की ताकत – रिया गुप्ता की उड़ान

मुंबई एयरपोर्ट की भीड़ में एक औरत चुपचाप फर्स्ट क्लास में जाकर बैठती है। ना कोई शोर, ना दिखावा, बस एक पुरानी हुडी, थका सा चेहरा और गहरी खामोशी। लेकिन कुछ ही मिनटों में वो केबिन तमाशा बन जाता है। कपड़ों पर ताने, आंखों में शक और जुबान पर जहर, उसे अपमानित किया गया। अकेला समझकर कुचला गया। पर किसी को अंदाजा नहीं था कि जिस औरत को वह मामूली समझ रहे थे, वह उड़ान खत्म होने से पहले कुछ ऐसा करेगी जिसके बाद ना सीटें वही रहेंगी, ना चेहरे, ना किस्मत।

कहानी की शुरुआत

रिया गुप्ता सादे कपड़ों में, पुरानी नीली जींस, घिसी हुई हुडी और जल्दी-जल्दी बंधा हुआ जोड़ा, फर्स्ट क्लास केबिन में चुपके से दाखिल हुई। उसकी आंखें बादामी थीं। चेहरे पर गर्माहट भरी मुस्कान थी, लेकिन कोई खास ध्यान नहीं दे रहा था। रिया का मकसद था अपनी बहन माया को दुबई में सरप्राइज देना – एक छोटा सा वीकेंड, बहनों की हंसी-ठिठोली से भरा।

रिया के पास अरबों की दौलत थी – दिल्ली और कोलकाता में फैली जमीन-जायदाद की विरासत। लेकिन उसने कभी इसका घमंड नहीं किया। ना चमचमाते कपड़े, ना महंगा पर्स। उसे भीड़ में घुलना मिलना पसंद था। वह बस अपनी सीट 3A पर चुपचाप बैठकर दुबई पहुंचना चाहती थी। लेकिन जैसे ही वह सीट पर बैठने लगी, माहौल बदल गया।

फर्स्ट क्लास में अपमान

एक फ्लाइट अटेंडेंट अनीता शर्मा तेज आवाज और सख्त रवैये के साथ रिया की ओर बढ़ी। उसका चेहरा तना हुआ, नाक ऊंची और मुस्कान बनावटी।

“जरा आपका बोर्डिंग पास दिखाइए,” उसने कहा, आवाज में मिठास कम, तन ज्यादा।

रिया ने शांति से अपना पास बढ़ाया। अनीता ने स्कैन किया, फिर रिया के सादे कपड़ों पर नजर डाली।

“यह फर्स्ट क्लास का टिकट है। लेकिन क्या आप सचमुच सही जगह पर हैं?” उसका लहजा ऐसा था मानो रिया कोई गलत दरवाजे से घुस आई हो।

रिया ने नरम मुस्कान के साथ जवाब दिया, “जी हां, यही मेरी सीट है।”

लेकिन अनीता को यकीन नहीं हुआ। उसने होठ सिकोड़ते हुए कहा, “देखिए, फ्लाइट भरी हुई है। मेरे पास गलतियां ठीक करने का वक्त नहीं। आप तो दिखती ही नहीं फर्स्ट क्लास की सवारी जैसी।”

रिया का चेहरा हल्का सा लाल हुआ। लेकिन उसने खुद को संभाला, “मेरा टिकट सही है। मैं यहीं बैठ सकती हूं।”

तभी सामने की सीट से एक घमंडी बिजनेसमैन रोहन मेहता उठ खड़ा हुआ। चमचमाता सूट, महंगी घड़ी और चेहरे पर अकड़। उसने तंज कसा, “मैडम, अगर रास्ता भटक गई है तो इकॉनमी उस तरफ है।” उसने इशारा किया और कुछ लोग हंस पड़े।

अनीता ने हाथ हिलाया, “बिल्कुल सही कहा। असली सवारियों को बैठने दो।”

रिया ने फिर कहा, आवाज अब भी शांत, “मेरा टिकट सही है। क्या मैं बस बैठ सकती हूं?”

लेकिन अनीता ने आंखें घुमाई, “ठीक है, मैं दोबारा चेक करती हूं।” उसने पास छीन लिया और रिया को घूरने लगी।

तभी दूसरा फ्लाइट अटेंडेंट विक्रम सिंह आ गया। छोटे बाल, चेहरे पर ऊब भरी हंसी। उसने रिया को ऐसे देखा जैसे वो कोई बिना टिकट की सवारी हो।

“यह क्या ड्रामा चल रहा है?” उसने अनीता से पूछा, इतनी जोर से कि पूरा केबिन सुन ले।

अनीता ने बोर्डिंग पास थमाया, “कह रही है यह सीट इसकी है। लेकिन इसे देखो। सचमुच फर्स्ट क्लास की लगती है?”

विक्रम ने ठहाका लगाया, “हां, कहीं लॉटरी में सीट जीत ली क्या? मैडम!”

रिया का दिल तेज धड़क रहा था। लेकिन उसने गुस्सा नहीं दिखाया, “नहीं, मैंने टिकट खरीदा है।”

विक्रम ने फिर ताना मारा, “हां, सब ऐसा ही कहते हैं। फ्री अपग्रेड के लिए नाटक कर रही हो ना? रोज होता है।”

अब बाकी सवारियां भी शामिल हो गईं। एक औरत मेघा कपूर चमकीली जैकेट में सिर आगे बढ़ाकर बोली, “अरे, यह कोई मुफ्त की सवारी नहीं और शर्मिंदगी मत बटोरो।”

रोहन फिर चिल्लाया, “सचमुच, इसे हटाओ। मजाक किरकिरा कर दिया।” हंसी की लहर फैल गई। लोग सिर घुमाकर आंखें चमका कर रिया को घूर रहे थे, जैसे कोई तमाशा देख रहे हो।

रिया ने आंखें बंद की बस एक पल के लिए। वो कोई झगड़ा नहीं चाहती थी। उसे कुछ साबित नहीं करना था। वो बस चुपचाप उड़ान भरना चाहती थी।

लेकिन अनीता रुकने वाली नहीं थी। “अब बहुत हुआ,” उसने कहा और रिया की बाह पकड़ ली। “चलो, अपनी जगह पर जाओ।”

रिया खड़ी हो गई। नहीं इसलिए कि वह हार गई, बल्कि इसलिए कि वह झगड़े से बचना चाहती थी।

“ठीक है, मैं जा रही हूं,” उसकी आवाज हल्की सी कांपी।

अनीता ने उसकी बाह और जोर से खींची, फुसफुसाते हुए कहा, “खुद को क्या समझती हो? ऐसी औरतें मैं रोज देखती हूं। गंदे कपड़े, मुफ्त सवारी का सपना। फर्स्ट क्लास में क्या कर रही हो? जाओ जहां की हो वरना और बेइज्जती होगी।”

रिया की आंखें फैल गईं। लेकिन उसने फिर भी चुप्पी नहीं तोड़ी।

विक्रम पीछे हंसता आया, “अरे, नाटक की रानी होगी यह।” उसने जोर से कहा, रिया की नकल उड़ाते हुए, पूरा केबिन सुन रहा था।

अब कोई छोटी-मोटी बेइज्जती नहीं थी, बल्कि एक खुला तमाशा बन चुका था। फिर भी रिया ने सिर ऊंचा रखा। उसने उन लोगों को वह खुशी नहीं दी जो उसकी टूटी हिम्मत देखना चाहते थे।

विक्रम ने रिया का बैग खींचा और बोला, “अच्छा हुआ, इकॉनमी ही तुम्हारे लायक है।”
रोहन ने फोन निकाला, फोटो खींची और हंसते हुए बोला, “कैप्शन डालो – फर्स्ट क्लास की नकली सवारी को मिली उसकी औकात। दोस्तों के साथ शेयर करूंगा।”
मेघा ने चिल्लाकर कहा, “प्लीज, जरूर शेयर करो। कल यह वायरल होगी। देखो उसकी हुडी कहीं सड़क से तो नहीं उठाई?”

बाकी सवारियां तालियां बजा रही थीं। उनकी क्रूरता अब हंसी का शोर बन चुकी थी, जिसमें रिया की इज्जत डूब रही थी।

इकॉनमी की सीट पर अपमान

अनीता उसे फर्स्ट क्लास से घसीट कर इकॉनमी की सीट 27B पर ले आई और फेंक दिया। वहां एक तरफ खर्राटे लेता मोटा आदमी था, दूसरी तरफ एक बच्चा जो सीट की पीठ पर लात मार रहा था।

अनीता ने तमाशा बनाया, “लीजिए मैडम, यह रहा आपका तख्त।” उसने रिया का बैग जमीन पर पटका, जहां कोल्ड ड्रिंक की चिपचिपी परत थी। “अगली बार किसी का वक्त मत बर्बाद करना। बनने का नाटक बंद करो। जहां की हो वहीं रहो।”

विक्रम भी आ गया, ऊपर से झुक कर बोला, “अगली बार ऐसी चीज मत छूना जो तुम खरीद नहीं सकती। वो सीट्स मुफ्तखोरों के लिए नहीं।”

बच्चा उसे घूर रहा था। और खर्राटे वाला आदमी हड़बड़ा कर उठा, “क्या है इसका माजरा? दोबारा ऐसी हरकत मत करना।”

अनीता ने बोर्डिंग पास उसकी गोद में फेंक दिया, जैसे कोई कचरा हो।

रिया ने बैग अपनी गोद में रखा। फ्लाइट का हल्का कंपन उसके दिल के दर्द को छुपा रहा था। फ्लाइट उड़ान भर चुकी थी, लेकिन बेइज्जती की बूंदें अब भी टपक रही थीं।

बेइज्जती का शोर

तभी तीसरी अटेंडेंट प्रिया यादव आई। नाक ऊंची, चाल में अकड़। वह फर्स्ट क्लास की स्नैक्स ट्रे लेकर इकॉनमी में पहुंची। छोटे सैंडविच और चॉकलेट से भरी ट्रे लिए वो रिया की सीट के पास रुकी।

बनावटी लहजे में बोली, “ओह, भूल गई। यह तो फर्स्ट क्लास वालों के लिए है। लेकिन क्योंकि आप आज उनकी पार्टी में घुसने की कोशिश कर रही थी, मैं इसे किसी ऐसे को दे देती हूं जो वाकई इसके लायक हो।” उसने ट्रे सामने बैठे आदमी को थमा दी जो हंसते हुए बोला, “शुक्रिया। अगली बार ऐसे लोगों को दूर रखना।”

प्रिया ने उसे आंख मारी और रिया को तिरछी नजर से देखा।

अब कुछ नहीं बचा था, बस हंसी का शोर और रिया के कानों में गूंजती बेइज्जती।

वो चाहती तो अभी अपने पति आरव को कॉल कर सकती थी। एक कॉल और सब बदल जाता। लेकिन रिया ऐसी नहीं थी। उसने फोन निकाला और बस एक मैसेज भेजा, “फ्लाइट की शुरुआत थोड़ी खराब रही। तुम्हें याद कर रही हूं।”
आरव का जवाब तुरंत आया, “तुम ठीक हो? क्या हुआ?”
रिया ने बात हल्की रखी, “सीट में थोड़ी गड़बड़ थी। मैं ठीक हूं।”
लेकिन आरव को सब समझ आ गया। उसका अगला मैसेज सीधा था, “कौन सी फ्लाइट? सब बताओ।”
रिया ने लंबी सांस ली, फिर टाइप किया, “मुंबई से दुबई। सपना एयरलाइंस 217। मुझे फर्स्ट क्लास से निकाल दिया। कोई बड़ी बात नहीं।”
जवाब फौरन आया, गुस्से से भरा, “उन्होंने क्या किया? मैं अभी देखता हूं।”

रिया ने होंठ काटे। उसे राहत भी थी और थोड़ा डर भी। वो कोई हंगामा नहीं चाहती थी। लेकिन आरव वो उसके लिए पूरी दुनिया हिला सकता था।

फर्स्ट क्लास में तूफान

फर्स्ट क्लास में अनीता शैंपेन परोस रही थी। विक्रम मजाक उड़ा रहा था और सवारियां जीत का जश्न मना रही थीं। रिया को वह भूल चुके थे।

तभी फ्लाइट ऊंचाई पर पहुंची। इंटरकॉम पर आवाज गूंजी, “सभी सवारियों को नमस्ते। यह आपका कैप्टन बोल रहा है। हमारे पास एक खास घोषणा है।”

केबिन में हलचल मच गई। अनीता ने भय चढ़ाई, “अब क्या बखेड़ा है?”

तभी कॉकपिट का दरवाजा खुला। लेकिन बाहर कैप्टन नहीं, बल्कि आरव मल्होत्रा निकला। 6 फुट 3 इंच लंबा, गहरे बालों में चांदी की हल्की लकीरें, और एक सूट जो पैसा और ताकत की गूंज था। हवा का रुख बदल गया। हर सिर उसकी ओर मुड़ा।

आरव मल्होत्रा सपना एयरलाइंस का मालिक, कभी एक छोटा सा मैकेनिक, अब हिंदुस्तान के एवीएशन बाजार का बेताज बादशाह। उसका नाम हवाई अड्डों पर गूंजता था, उसका हुक्म कानून बन जाता था।

वो सीधा आगे बढ़ा, आंखें अनीता पर टिकी। वो शैंपेन परोस रही थी, लेकिन उसका हाथ हवा में रुक गया।

“मेरी पत्नी कहां है?” आरव की आवाज धीमी थी, लेकिन इतनी सख्त कि रोंगटे खड़े कर दे।

अनीता की मुस्कान लड़खड़ाई, “आपकी पत्नी…”

आरव की नजर विक्रम की ओर मुड़ी, “तुम, रिया मल्होत्रा कहां है?”

विक्रम घबरा गया, “वो पीछे है शायद, इकॉनमी में।”

आरव बिना एक शब्द कहे पर्दे के पार इकॉनमी में घुस गया। रिया वहां थी, सीट 27B में भीड़ में दबी हुई। खर्राटे वाला आदमी चौंक कर उठा, क्योंकि आरव तूफान की तरह उनके ऊपर खड़ा था।

“रिया,” उसने कहा, आवाज अब नरम थी। वो घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया, “तुम ठीक हो?”

रिया ने सिर हिलाया। उसकी खूबसूरती उस घिसी हुडी में भी चमक रही थी, “हां, बस थोड़ी भीड़ है।”

आरव ने उसका हाथ पकड़ा और उठाया, “अब नहीं, मेरे साथ चलो।”

रिया ने हल्का सा हिचकिचाया, लेकिन आरव का हाथ भरोसे से भरा था। दोनों फर्स्ट क्लास की ओर चले। पूरा केबिन उन्हें देख रहा था।

अनीता ने रास्ता रोकने की कोशिश की, चेहरे पर बनावटी मुस्कान, “सर, आपका स्वागत है।”

आरव ने बीच में काटा, आवाज बर्फ जैसी, “तुमने मेरी पत्नी को उसकी सीट से निकाला, अब वजह बताओ।”

अनीता का चेहरा सफेद पड़ गया, “हमें लगा वो अमीर नहीं लग रही थी…”

आरव की हंसी तेज थी, जैसे चाकू, “अमीर नहीं लग रही थी? यही तुम्हारा बहाना है?”

विक्रम बीच में कूदा, “सर, यह गलती थी। हमें नहीं पता था…”

आरव उसकी ओर घुमा, आंखों में आग, “तुमने पूछा नहीं। तुमने उसके कपड़े देखे, उसकी चुप्पी देखी और मान लिया कि वो कुछ नहीं है। बहुत बड़ी गलती की।”

रोहन बोल पड़ा, “अरे, हमें भी यही लगा कि वो गलत जगह आ गई। कोई नुकसान तो नहीं हुआ…”

आरव की नजर उसकी ओर घूमी, ठंडी और खतरनाक, “नुकसान नहीं। तुमने उसे हंसी में उड़ाया। बाहर निकाला। अब चुप रहो।”

मेघा ने कुछ बोलने की कोशिश की, “सर, हमने बस सोचा…”

आरव ने हाथ उठाया, “सोचा कि वो तुमसे कम है। यही तुम्हारी सबसे बड़ी भूल है।”

उसने फोन निकाला, तेजी से नंबर डायल किया, “राहुल, आरव बोल रहा हूं। मैं फ्लाइट 217 पर हूं। दुबई पहुंचते ही फ्लाइट रोकना। पूरी जांच चाहिए। अनीता शर्मा और विक्रम सिंह को तुरंत सस्पेंड करो। नौकरी से निकाल दो।”

फोन से धीमी आवाज आई, “जी सर।”

आरव ने कॉल काट दी। केबिन में सन्नाटा छा गया। अनीता का ट्रे का काम कर गिर गया। शैंपेन फर्श पर फैल गया।

“आप ऐसा नहीं कर सकते,” वो चिल्लाई।

आरव की नजरों ने उसके हंठ बंद कर दिए, “मैं इस एयरलाइन का मालिक हूं। मैं कुछ भी कर सकता हूं। खासकर जब तुम मेरी बीवी को बेइज्जत करो।”

विक्रम का घमंड पिघल गया, “प्लीज सर, मेरे बच्चे हैं…”

आरव जरा भी नहीं झुका, “सोचना था पहले जब तुमने मेरी बीवी का बैग कचरे की तरह घसीटा।”

कैप्टन कॉकपिट से बाहर आ चुका था, आंखें फटी हुई, “तुमने यह सब देखा?” आरव ने पूछा।

कैप्टन ने सिर हिलाया, “जी सर।”

आरव ने अनीता और विक्रम की ओर इशारा किया, “यह दोनों मेरी फ्लाइट से दुबई में उतरेंगे हमेशा के लिए।”

तभी एक शांत सवारी अमित बोला, “मैंने उनकी टिकट देखी थी – एकदम सही थी। इन लोगों ने सिस्टम तक चेक नहीं किया।”

केबिन में सांसों की लहर दौड़ गई। आरव का जबड़ा कस गया, “तो तुमने सबूत छोड़कर अपनी मनमानी की। वाह, गजब।”

उसने रिया की ओर देखा, आवाज नरम, “तुमने बताया क्यों नहीं?”

रिया ने कंधे उचकाए, “मैं हंगामा नहीं चाहती थी। बस उड़ान भरनी थी।”

आरव ने गर्व और गुस्से से भरा सिर हिलाया, “तुम इस बर्ताव से कहीं ऊपर हो।”

लेकिन आरव का गुस्सा यहीं नहीं रुका। वो रोहन और मेघा की ओर मुड़ा, “तुम्हारे ताने, तुम्हारी हंसी – अब तुम्हारी उड़ाने भी खत्म। सपना एयरलाइंस को तुम्हारे पैसों की जरूरत नहीं।”

रोहन की हंसी गायब हो गई, “आप ऐसा नहीं कर सकते…”

आरव की मुस्कान खतरनाक थी, “देखते जाओ।”
उसने कैप्टन को कहा, “इन दोनों के नाम लिखो। कोई टिकट नहीं, कोई रिफंड नहीं।”

मेघा का चेहरा बिगड़ गया, उसकी चमकीली जैकेट अब बेकार लग रही थी।

अनीता ने आखिरी बार विनती की, “सर, मैंने 10 साल काम किया है…”

आरव की आंखें बर्फ की तरह थी, “और अब 10 सेकंड में बाहर।”

आरव ने फोन फिर से उठाया, “राहुल, अनीता और विक्रम को मेरे सारे एयरलाइन पार्टनर्स में ब्लैक लिस्ट करो। इंडिगो, विस्तारा, सभी। यह कभी प्लेन के पास भी नहीं आएंगे।”

अनीता की टांगे कांप गईं। उसका ट्रे जमीन पर गिरा। विक्रम का चेहरा सिकुड़ गया। सालों की मेहनत सेकंड्स में खत्म हो गई।

अब रोहन और मेघा की बारी थी। आरव उनकी सीट्स के पास झुका, “तुम समझते हो फोटो खींच कर मजाक उड़ाने से बच जाओगे? गलत फ्लाइट, गलत दिन।”
उसने फिर फोन उठाया, “राहुल, रोहन मेहता और मेघा कपूर – पूरा ब्लैक लिस्ट। कोई अपील नहीं। माइल्स खत्म, मेंबरशिप श्रद्धा।”

रोहन का फोन हाथ से फिसल कर गिरा, स्क्रीन टूट गई। मेघा फुसफुसाई, “मेरी छुट्टियां…”

आरव ने ठंडी मुस्कान दी, “अब ट्रेन से जाओ।”

पहले हंसने वाली सवारियां अब चुप थीं। उनके चेहरों पर डर था।

रिया ने आरव की बाह छुई, “आरव, बस करो। उन्हें सबक मिल गया।”

आरव ने उसकी ओर देखा, गुस्सा थोड़ा पिघला, “उन्हें तब समझ आएगा जब वो यहां से जाएंगे।”

उसने रिया को सीट 3A पर बिठाया, “यह तुम्हारी सीट है। अब कोई नहीं हटा सकता।”

रिया ने हल्की सी मुस्कान दी। आरव उसके बगल में बैठ गया। चेहरा अब भी तूफान की तरह, लेकिन कहानी यही खत्म नहीं हुई।

अंजाम और सबक

फ्लाइट दुबई पहुंची। हवाई अड्डे पर सिक्योरिटी गेट पर इंतजार कर रही थी। अनीता और विक्रम को प्लेन से बाहर ले जाया गया – बिना तनख्वाह, बिना विदाई, सिर्फ बदनामी के साथ। सपना एयरलाइंस ने उन्हें तुरंत नौकरी से निकाल दिया। आरव की ब्लैक लिस्ट पूरे एवीएशन नेटवर्क में फैल चुकी थी। अब वह ना क्रू बन सकते थे, ना सवारी। रोहन और मेघा का भी यही हाल हुआ – उनका एलिट स्टेटस खत्म, जीवन भर की बैनिंग।

कैप्टन ने उतरते वक्त घोषणा की, “सपना एयरलाइंस हर सवारी की इज्जत करता है। इसे हमेशा याद रखें।”
मैसेज साफ था – आरव मल्होत्रा की पत्नी को कोई छुए तो उसका सफर वही खत्म।

रिया और आरव आखिरी में प्लेन से उतरे। रिया की पुरानी हुडी अब भी वैसी थी, लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था। आरव का हाथ उसके कंधे पर था।

“तुम्हें इतना करने की जरूरत नहीं थी,” रिया ने हल्के मजाक में कहा।

आरव मुस्कुराया, “जरूरत थी। कोई तुम्हारी बेइज्जती नहीं कर सकता।”

दुबई का सूरज चमक रहा था, लेकिन रिया की मुस्कान उससे कहीं ज्यादा रोशन थी।

वो दोनों हवाई अड्डे से बाहर निकले और तभी रिया की बहन माया वहां पहुंची। माया ने चिल्लाकर उसे गले लगाया, “तूने बताया क्यों नहीं कि तू आ रही है?”

रिया हंसी, “अरे सरप्राइज जो देना था।”

आरव ने माया को देखकर मुस्कुराया, “तुम्हारी बहन को सरप्राइज देना तो बनता है।”

माया ने हंसते हुए कहा, “और तुमने तो पूरी फ्लाइट को सरप्राइज दे दिया।”
तीनों हंस पड़े। रिया ने आरव का हाथ थामा और वो तीनों दुबई की चमकती सड़कों की ओर बढ़ गए।

कहानी का असर

यह कहानी खत्म नहीं हुई। अगले दिन सपना एयरलाइंस ने एक बयान जारी किया –
“हमारी फ्लाइट में हुई घटना के लिए हम माफी मांगते हैं। हम हर सवारी की इज्जत करते हैं, चाहे वह किसी भी तरह के कपड़े पहने हो। कंपनी ने नया नियम बनाया – हर क्रू मेंबर को अब ट्रेनिंग दी जाएगी कि सादगी को कमजोरी ना समझे।”

रिया की कहानी दुबई के अखबारों में छपी। लोग उसकी सादगी और हिम्मत की तारीफ करने लगे। सोशल मीडिया पर रिया की जीत ट्रेंड करने लगा। रिया और माया ने दुबई में खूब मजे किए – खलीफा की चमक देखी, रेगिस्तान में सैर की और समुद्र किनारे हंसी-मजाक किया।

रिया ने अपनी हुडी को अब भी संभाल कर रखा, “यह मेरी ताकत है।” उसने माया से कहा, “लोग कपड़ों को देखते हैं, लेकिन मैं दिल से जीती हूं।”

सीख और सवाल

यह कहानी है सादगी की ताकत की, इज्जत की जीत की। और उस प्यार की जो दुनिया को हिला दे।

अब आपसे एक सवाल –
अगर आप रिया की जगह होते, क्या आप भी चुप रहते या जवाब देते?
क्या रिया के पति ने जो किया वह ठीक किया या गलत किया?
आपकी राय हमारे लिए बहुत कीमती है।

तो दोस्तों, विकास की यह कहानी आपको कैसी लगी – हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। जाते-जाते हमारे वीडियो पर एक लाइक एवं चैनल को सब्सक्राइब कर दें ताकि मेरा हौसला बढ़ता रहे और ऐसे ही प्रेरणादायक कहानी आपके लिए लाता रहूं।

फिर मिलते हैं अगले वीडियो में नई कहानी के साथ। जय हिंद।

सीख:
सादगी कभी कमजोरी नहीं होती, और इज्जत हर इंसान का अधिकार है।
कभी किसी को उसके कपड़ों, चेहरे या चुप्पी से मत आंकिए –
क्योंकि असली ताकत उसके दिल में होती है।