“विधायक को एक लेडी IPS अधिकारी के सामने दादागिरी दिखाना महंगा पड़ गया।”

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वर्दी की गरिमा: IPS नीता वर्मा बनाम विधायक विजय सिंह

13 जून 2025 की वह तपती दोपहर थी, जब शहर के सबसे व्यस्त महावीर चौक पर वाहनों की आवाजाही अपने चरम पर थी। आसमान से आग बरस रही थी, लेकिन इस गर्मी के बावजूद 24 वर्षीय IPS अधिकारी नीता वर्मा अपने दल के साथ पूरी मुस्तैदी से यातायात नियमों की जांच कर रही थीं। उनकी वर्दी के कंधों पर चमचमाते सितारे और अशोक चिन्ह उनकी ईमानदारी और दृढ़ संकल्प की कहानी कहते थे।

नीता वर्मा बैच की सबसे मेधावी और निडर अधिकारियों में से एक थीं। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उनके लिए कानून की किताब ही सर्वोच्च है और नियम-कायदे किसी भी व्यक्ति, पद या सत्ता से ऊपर हैं। उनकी नियुक्ति को अभी सिर्फ 6 महीने हुए थे, लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में ही उन्होंने अवैध खनन और भूमाफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई करके पूरे जिले में अपनी धाक जमा ली थी।

VIP कल्चर के खिलाफ अभियान

शहर में पिछले कुछ दिनों से बिना नंबर प्लेट और काली फिल्म वाली गाड़ियों का चलन बढ़ गया था, जिनका इस्तेमाल अक्सर आपराधिक गतिविधियों में होता था। आज की चेकिंग का मकसद विशेष रूप से VIP कल्चर और यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकना था। नीता ने हेलमेट ना पहनने वाले दोपहिया वाहन चालकों पर कार्रवाई की। साथ ही कई चार पहिया वाहनों के कागजात भी चेक किए। उनका तरीका सख्त था पर विनम्र भी। वह जानती थीं कि जनता को बिना वजह परेशान नहीं करना है, लेकिन नियम तोड़ने वाले को छोड़ना भी नहीं है।

“सिपाही रमेश, सुनिश्चित करें कि हम हर गाड़ी को रोक कर जांच करें। भले ही वह कितनी भी महंगी क्यों ना हो। हमें किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी है,” नीता ने अपने वायरलेस पर आदेश दिया।

विधायक का काफिला

करीब दोपहर 12:15 बजे जब चेकिंग अपने पूरे जोर पर थी, तभी पूरब दिशा की सड़क पर गाड़ियों के रुकने की आवाज और तेजी से आते सायरन की गूंज सुनाई दी। दूर से ही काली SUV का एक लंबा काफिला धूल उड़ाता हुआ उनकी ओर आ रहा था। नीता वर्मा समझ गईं कि यह स्पष्ट रूप से किसी बड़े नेता या अधिकारी का काफिला था।

काफिले में सबसे आगे एक सफेद Fortuner थी, जिस पर लाल बत्ती लगी थी और उसकी सभी खिड़कियों पर अवैध रूप से काली फिल्म चढ़ी हुई थी। इतनी काली कि अंदर कुछ भी देख पाना असंभव था। सुरक्षा और यातायात नियमों के उल्लंघन को देखते हुए नीता के चेहरे पर थोड़ी सख्ती आ गई। उन्होंने बिना एक पल गवाए यातायात नियंत्रित कर रहे सब इंस्पेक्टर विक्रम को इशारा किया।

“सर, तुरंत बैरिकेड्स लगाइए। उस काफिले को रोका जाए। विशेष रूप से लाल बत्ती वाली गाड़ी को।”

विक्रम थोड़ा झिझका, “मैम, वह विधायक विजय सिंह का काफिला लग रहा है। उन्हें रोकना ठीक होगा?”

नीता ने अपनी आंखें सिकोड़ी, “यह चेकिंग पॉइंट है विक्रम। यहां कानून काम करता है। किसी की सत्ता नहीं। तुरंत रोकिए।”

टकराव की शुरुआत

बैरिकेड्स देखकर काफिले की रफ्तार धीमी हुई, लेकिन सबसे आगे वाली सफेद Fortuner के ड्राइवर ने अहंकार वश रुकने की बजाय बैरिकेड्स को छूते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की। नीता वर्मा तेजी से गाड़ी के सामने आईं। उन्होंने हाथ ऊपर उठाया और अपनी आवाज को तेज करते हुए चिल्लाई, “रुक जाइए। यह सरकारी आदेश है। गाड़ी को आगे ना बढ़ाएं।”

ड्राइवर ने ब्रेक लगाया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों के माथे पर बल पड़ गए। तीन सुरक्षाकर्मी जो भारी हथियारों से लैस थे, तेजी से पहली गाड़ी से उतरे और नीता वर्मा के पास आकर लगभग उन्हें घेर लिया।

एक सुरक्षाकर्मी ने लगभग चिल्लाते हुए कहा, “मैडम, आप क्या कर रही हैं? यह विधायक श्री विजय सिंह जी की गाड़ी है। उन्हें एक अर्जेंट मीटिंग में पहुंचना है। आप हमें रोक नहीं सकती।”

नीता वर्मा ने अपनी आंखें उन सुरक्षा कर्मियों की ओर मोड़ी जिनकी आवाज में धमकी थी। उन्होंने अपने हाथ की उंगली से काली फिल्म वाली गाड़ी की ओर इशारा किया, “नियम सबके लिए समान है। यह काली फिल्म अवैध है। लाल बत्ती का उपयोग नियम विरुद्ध हो रहा है। गाड़ी की डिग्गी और कागजात की जांच होगी। विधायक महोदय को सूचित कर दें कि सहयोग करें।”

विधायक की दादागिरी

यह सुनकर विधायक विजय सिंह, जो कि अपने क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली और अभिमानी नेता थे, का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वह जोर से दरवाजा खोलकर बाहर निकले। उनकी शक्ल पर तेज धूप से ज्यादा उनके क्रोध की लालिमा थी।

विधायक विजय सिंह ने अपनी सफेद पतलून और चमकीले जूते पर पड़ी धूल को झाड़ा और सीधे नीता वर्मा की ओर बढ़े। उनकी आंखों में घोर तिरस्कार था। उन्होंने नीता को सिर से पांव तक घूरा और फिर एक जोरदार ठहाका लगाया, “अरे वाह कौन है आप मैडम? क्या नाम है आपका? यह क्या गांव की पंचायत लगा रखी है आपने? तुम जैसी दो कौड़ी की नई-नई आईपीएस। अभी तुम्हें जमीन का पता नहीं है। मुझे रोकोगी विजय सिंह को?”

विधायक ने अपनी बात जारी रखी और नीता वर्मा के पास आकर लगभग फुसफुसाते हुए मगर पूरी टीम के सामने सुनाते हुए कहा, “तुम्हें पता भी है कि मैं कौन हूं। मैं उस पार्टी का विधायक हूं जो तुम्हें यहां नौकरी देती है। तुम भूल रही हो कि तुम एक सरकारी नौकर हो। तुम्हारी वर्दी, तुम्हारी यह सारी हेकड़ी। मैं एक झटके में तुम्हारी नौकरी खा जाऊंगा। तुम्हारी वर्दी उतरवा दूंगा और तुम्हें किसी कोने में बिठाकर चाय बेचनी पड़ेगी।”

विधायक ने गुस्से में अपना हाथ उठाया और नीता वर्मा के कंधे पर रखे स्टार को छूने की कोशिश की, जैसे उन्हें अपमानित कर रहे हों।

IPS की दृढ़ता

नीता वर्मा इस अपमान को बर्दाश्त करते हुए भी अविचलित खड़ी रहीं। उनका चेहरा दृढ़ता की मूरत था। उन्होंने विधायक की ओर देखा और उनके अपमान को एक तरफ रखकर सख्त आवाज में कहा, “मिस्टर सिंह, आप एक लोक सेवक हैं और मैं भी। आप इस समय सरकारी काम में बाधा डाल रहे हैं और एक महिला अधिकारी को सार्वजनिक रूप से धमका रहे हैं। यह अपराध है। मैंने अपने सिपाही को पूरी घटना की वीडियोग्राफी करने का आदेश दे दिया है। आपकी हर हरकत रिकॉर्ड हो रही है।”

यह सुनकर विधायक का चेहरा पीला पड़ गया, लेकिन उनका अहंकार अभी भी नहीं टूटा था। उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मियों को इशारा किया और कुछ अपशब्द बड़बड़ाते हुए गुस्से में वापस अपनी गाड़ी में बैठ गए। चेकिंग से बचने के लिए उन्होंने तेजी से यूटर्न लिया और दूसरे रास्ते से निकल गए।

कानूनी कार्रवाई

विधायक के जाते ही नीता वर्मा ने गहरी सांस ली। उनके चारों ओर खड़े सभी पुलिसकर्मी शर्म और क्रोध से भरे हुए थे। नीता ने तुरंत अपने वायरलेस पर आला अधिकारियों को घटना की जानकारी दी। शाम होते ही उन्होंने बिना किसी डर के विधायक विजय सिंह के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने, जान से मारने की धमकी देने, सार्वजनिक अपमान और दुर्व्यवहार, और महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने के तहत एक विस्तृत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई।

राजनीतिक दबाव तुरंत शुरू हो गया। नीता को फोन पर धमकियां मिलीं। उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें माफी मांगकर बात खत्म करने की सलाह दी। लेकिन नीता वर्मा का संकल्प अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत था। वह जानती थीं कि यह लड़ाई सिर्फ उनकी नहीं बल्कि कानून के शासन और संवैधानिक मर्यादा की है।

अदालत की लड़ाई

मामला तेजी से अदालत पहुंचा। विधायक विजय सिंह ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। लेकिन माननीय न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया और उन्हें कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। सुनवाई का पहला दिन बेहद तनावपूर्ण था। विधायक विजय सिंह अपने दर्जनों समर्थकों और महंगे वकीलों के साथ कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट के अंदर भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश की।

लेकिन न्यायाधीश महोदय अपनी निष्पक्षता और सख्ती के लिए जाने जाते थे। विधायक के वकील ने दलील दी कि विधायक एक जनप्रतिनिधि हैं और उस दिन वह एक महत्वपूर्ण विकास कार्य की बैठक के लिए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि IPS अधिकारी ने जानबूझकर उन्हें रोका और यह केवल अधिकारों के टकराव का मामला है ना कि आपराधिक दुर्व्यवहार का।

नीता वर्मा की ओर से सरकारी अभियोजक ने केस लड़ा। अभियोजक ने दृढ़ता से कहा, “हुजूर, यह मामला केवल सरकारी काम में बाधा डालने का नहीं है। यह कानून की सर्वोच्चता को चुनौती देने का मामला है। एक लोक सेवक, एक महिला अधिकारी को सरेआम दो कौड़ी का कहकर अपमानित किया गया और वर्दी उतरवाने की धमकी दी गई। यह संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है।”

फैसला और जीत

केस के दौरान नीता वर्मा ने स्वयं गवाह के कटघरे में खड़े होकर पूरी घटना का विवरण दिया। उनकी आवाज में ना कोई डर था और ना ही कोई दुर्भावना, सिर्फ सच्चाई की दृढ़ता थी। सबसे निर्णायक मोड़ तब आया जब वीडियो साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। कोर्ट रूम में एक बड़ी स्क्रीन पर वह पूरा दृश्य दिखाया गया। विधायक का तेजी से गाड़ी से उतरना, उनके गुस्से भरे अपशब्द, “तुम जैसी दो कौड़ी की आईपीएस और वर्दी एक झटके में उतरवा दूंगा,” स्पष्ट रूप से सुनाई दे रहे थे।

विधायक द्वारा नीता वर्मा के साथ शारीरिक रूप से बदतमीजी करने की कोशिश भी वीडियो में कैद थी। इस वीडियो को देखकर कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया। विधायक के वकील के पास अब कोई ठोस बचाव नहीं बचा था। इसके अलावा नीता वर्मा की टीम के अन्य पुलिसकर्मियों और उस चौराहे पर मौजूद कुछ आम नागरिकों ने भी कोर्ट में गवाही दी कि विधायक ने अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और सरकारी अधिकारी को डराया-धमकाया।

लगभग दो हफ्तों तक चली घमासान के बाद दोपहर 3:30 पर न्यायाधीश ने अपना अंतिम फैसला सुनाया। “यह न्यायालय सभी साक्ष्यों, गवाहों के बयानों और विशेष रूप से निर्विवाद वीडियो रिकॉर्डिंग का अवलोकन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि विधायक विजय सिंह ने अपने पद का घोर दुरुपयोग किया है। एक लोक सेवक को दो कौड़ी का कहकर अपमानित करना, उन्हें जान से मारने की धमकी देना और सरकारी कार्य में बाधा डालना एक गंभीर आपराधिक कृत्य है।”

न्यायाधीश ने फैसला सुनाया, “विधायक विजय सिंह को सभी धाराओं के तहत दोषी पाया जाता है। उन्हें सरकारी काम में बाधा डालने और धमकाने के लिए कठोर सजा सुनाई जाती है। उनके घोर दुर्व्यवहार और संवैधानिक पद के दुरुपयोग को देखते हुए यह न्यायालय चुनाव आयोग को आदेश देता है कि विधायक विजय सिंह को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया जाए। डिसक्वालीफाई और आगामी चुनावों में उनके भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया जाए।”

समाज का संदेश

फैसला सुनकर कोर्ट रूम में मौजूद जनता और नीता वर्मा के समर्थकों ने जोरदार तालियां बजाई। विधायक विजय सिंह का चेहरा पूरी तरह उतर चुका था। उनकी सारी हेकड़ी पल भर में मिट्टी में मिल गई थी। नीता वर्मा ने राहत की सांस ली। उनकी आंखों में जीत की चमक थी। यह जीत उनकी व्यक्तिगत नहीं बल्कि कानून के शासन की जीत थी।

इस घटना ने पूरे राज्य में एक उदाहरण पेश किया। मीडिया ने इसे “ईमानदार IPS बनाम अहंकारी विधायक” की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत किया। जनता का आक्रोश भड़क उठा। जगह-जगह विधायक विजय सिंह के खिलाफ प्रदर्शन हुए और नीता वर्मा के समर्थन में नारे लगे।

नीता वर्मा ने अपनी वर्दी पर हाथ फेरा और दृढ़ संकल्प के साथ कोर्ट से बाहर निकलीं। अब वह सिर्फ एक अधिकारी नहीं बल्कि न्याय की प्रतीक बन चुकी थीं।

दोस्तों, मेरा मानना है कि कोई भी हो, चाहे वह नेता हो, विधायक हो या कोई और, सभी को कानून का पालन करना चाहिए। कानून के समक्ष सभी समान हैं।