हेमा पति धर्मेंद्र से छुपाती पूरी जिंदगी छुपाती रही ये राज,सदमे में चले गए थे धर्मेंद्र|Hema expose
.
.
हेमा मालिनी और धर्मेंद्र: प्रेम, संघर्ष और दो परिवारों के बीच बँटी एक ज़िंदगी
भारतीय सिनेमा की “ड्रीम गर्ल” हेमा मालिनी की ज़िंदगी हमेशा से आकर्षण, रहस्य और विवादों का केंद्र रही है। पर्दे पर उन्होंने जितनी सहजता से प्रेम और त्याग की भूमिकाएँ निभाईं, निजी जीवन में उतनी ही जटिल परिस्थितियों से गुज़रना पड़ा। हाल ही में धर्मेंद्र के निधन के बाद दो परिवारों के बीच दिखी दूरी ने एक बार फिर इस रिश्ते की जटिलता को सामने ला दिया है।
यह लेख किसी सनसनीखेज़ अफवाह पर नहीं, उपलब्ध साक्षात्कारों, जीवनी-संदर्भों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित उनकी पूरी यात्रा का एक समग्र चित्र प्रस्तुत करता है।
शुरुआती ज़िंदगी: “मनहूस” कहकर निकाली गई लड़की से “ड्रीम गर्ल” तक
हेमा मालिनी चक्रवर्ती का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को तमिलनाडु के अम्मनकुंडी में एक तमिल परिवार में हुआ। पिता वी.एस.आर. चक्रवर्ती सरकारी कर्मचारी थे, जबकि मां जया चक्रवर्ती (जया लक्ष्मी) साउथ फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी फिल्म प्रोड्यूसर थीं। घर-परिवार का माहौल दक्षिण भारतीय सिनेमा से जुड़ा होने के बावजूद हिंदी फिल्म जगत को लेकर एक हल्का अविश्वास और दूरी का भाव था।
हेमा की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के तमिल एजुकेशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुई। मां चाहती थीं कि बेटी एक बड़ी भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी नृत्यांगना बने। परिवार चेन्नई (तब मद्रास) शिफ्ट हो गया। नृत्य की कठोर साधना के बीच 12वीं की पढ़ाई अधूरी रह गई, लेकिन भरतनाट्यम में वे बेहद परिपक्व नर्तकी बन गईं।
1963 में उन्हें पहली बार तमिल फिल्म इधु साथियाम में बैकग्राउंड डांसर की भूमिका मिली। 1965 में वे तेलुगु फिल्म पांडव वनवासम में फिर से डांसर के रूप में नज़र आईं। 16 वर्ष की उम्र से ही साउथ फिल्मों में संघर्षरत हेमा को शुरुआती दौर में कड़े अपमान झेलने पड़े।
प्रसिद्ध निर्देशक सी.वी. श्रीधर ने 1964 में उन्हें अपने एक प्रोजेक्ट के लिए साइन किया, स्क्रीन नाम “सुझाता” रखा गया और शूटिंग शुरू हुई। मात्र चार दिनों के बाद, हेमा को सार्वजनिक रूप से यह कहकर फिल्म से निकाल दिया गया कि वे “बहुत दुबली” हैं, उनमें स्टार बनने की बात तो दूर, अभिनय क्षमता भी नहीं है। उनके स्थान पर जयललिता को साइन किया गया।
यह अस्वीकृति उनके आत्मविश्वास के लिए बड़ा झटका थी, लेकिन यही घटना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बनी। रोने-बिलखने के बजाय हेमा ने इसे चुनौती माना। बाद में उन्होंने कहा था कि वे एक दिन अपनी सफलता से सी.वी. श्रीधर को जवाब देना चाहती थीं।
पाँच साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद 1968 में राज कपूर की फिल्म सपनों का सौदागर उनके हाथ लगी। राज कपूर ने खुद उनका स्क्रीन टेस्ट लिया और प्रभावित होकर साइन किया। फिल्म के पोस्टर पर पहली बार उन्हें “ड्रीम गर्ल” के रूप में प्रचारित किया गया। फिल्म भले ज्यादा न चली हो, लेकिन हेमा मालिनी के लिए यह एक सशक्त लॉन्चपैड साबित हुई।

स्टारडम की ऊँचाइयाँ: “सीता और गीता” से “शोले” तक
सपनों का सौदागर के बाद हेमा ने वारिस, जहाँ प्यार मिले, तुम हसीन मैं जवान जैसी फिल्मों में मुख्य भूमिकाएँ निभाईं। 1970 में देव आनंद के साथ जॉनी मेरा नाम की सफलता ने उन्हें पहली बार “टॉप एक्ट्रेस” की कतार में ला खड़ा किया।
उनकी मां जया चक्रवर्ती उनके करियर की सूझबूझ वाली मैनेजर थीं। फिल्मों का चयन, बातचीत, फीस—काफी हद तक उन्हीं की देखरेख में होता था। यही कारण था कि हेमा को एक के बाद एक बड़े बैनर और बड़े नायकों के साथ काम करने के मौके मिलते गए।
1972 में सीता और गीता ने हेमा को सातवें आसमान पर पहुँचा दिया। डबल रोल, कॉमिक टाइमिंग और संजीव कुमार–धर्मेंद्र के साथ सशक्त अभिनय ने उन्हें “अभिनेत्री” के रूप में भी स्थापित किया। इसके बाद वे अपने दौर के लगभग सभी बड़े नायकों—राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, दिलीप कुमार, शशि कपूर, ऋषि कपूर, जितेंद्र, संजीव कुमार, मिथुन चक्रवर्ती—के साथ बराबरी से काम करती नज़र आईं।
1975 में शोले में बसंती का किरदार उनकी पॉप-कल्चर पहचान बन गया। 70 से 90 के दशक तक उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया, ट्रेजडी, कॉमेडी, एक्शन और रोमांस—हर शैली में खुद को साबित किया। उम्र बढ़ने पर बाग़बान, बाबुल जैसी फिल्मों में माँ की संवेदनशील भूमिकाओं से उन्होंने दूसरी पारी भी सफल बनाई।
फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट और अनेक सम्मान उनके खाते में दर्ज हुए। सिनेमाई यात्रा की यह चमकदार कहानी, उनके निजी जीवन के तूफानों से बिल्कुल विपरीत थी।
प्रेम के मोर्चे: राजकुमार, संजीव कुमार और धर्मेंद्र
हेमा की सुंदरता और लोकप्रियता के कारण इंडस्ट्री के कई बड़े सितारे उनके प्रति आकर्षित हुए। पहले सुपरस्टार राजकुमार ने फिल्म लाल पत्थर के दौरान उनसे विवाह की इच्छा जताई, जबकि वे स्वयं विवाहित थे। हेमा ने विनम्रता के साथ यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।
इसके बाद उनके जीवन में आए संजीव कुमार। सीता और गीता की शूटिंग के दौरान एक हादसे (स्केटिंग ट्रॉली दुर्घटना) में दोनों बाल-बाल बचे। इस अनुभव ने उन्हें भावनात्मक रूप से करीब लाया। संजीव कुमार ने हेमा से विवाह का प्रस्ताव रखा, और हेमा भी झुक चुकी थीं। लेकिन संजीव की मां शांताबेन की शर्त थी कि शादी के बाद हेमा अभिनय पूरी तरह छोड़ दें और एक “त्यागी गृहिणी” की भूमिका निभाएँ।
हेमा की मां और खुद हेमा ने इस शर्त को अस्वीकार कर दिया। अपने करियर की बुलंदी पर खड़ी हेमा अपनी पहचान छोड़ने को तैयार नहीं थीं। यह रिश्ता टूट गया; संजीव कुमार गहरे अवसाद में चले गए और शराब का सहारा लेते-लेते कम उम्र में निधन तक पहुँच गए।
इसी दौर में तुम हसीन मैं जवान के सेट पर हेमा की मुलाकात हुई धर्मेंद्र से। धर्मेंद्र उस समय शादीशुदा थे और चार बच्चों—सनी, बॉबी, विजेता और अजीता—के पिता। शुरुआत में हेमा ने उनसे दूरी बनाए रखी, लेकिन प्रतिज्ञा और फिर शोले जैसी फिल्मों की शूटिंग के दौरान दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए।
इस प्रेम की राह आसान नहीं थी। हेमा का परिवार और धर्मेंद्र की पत्नी प्रकाश कौर, दोनों इस रिश्ते के खिलाफ थे। एक प्रसंग में धर्मेंद्र और हेमा के पिता के बीच हाथापाई तक की बात कही जाती है।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि हेमा की मां ने जितेंद्र के साथ उनकी शादी तय कर दी। चेन्नई में गुप्त रूप से मंडप सज गया, लेकिन स्थानीय अखबार में खबर लीक हो गई। धर्मेंद्र, उस समय की अपनी मित्र शोभा सिप्पी के साथ, फ्लाइट से चेन्नई पहुँचे। बताया जाता है, हल्के नशे में वे सीधे मंडप तक पहुँचे और कमरे में जाकर दुल्हन के जोड़े में बैठी हेमा से इस विवाह को ना करने की गुजारिश की। अंततः हेमा ने जितेंद्र से शादी से इंकार कर दिया और यह अध्याय वहीं समाप्त हो गया।
दूसरी शादी, दो घर और कभी न भरने वाली खाई
1980 में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की शादी ने समाज और फिल्म उद्योग दोनों में हलचल मचा दी। धर्मेंद्र पहले से प्रकाश कौर से विवाहित थे; हिंदू विवाह अधिनियम के तहत बिना तलाक दूसरी शादी गैरकानूनी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बाधा को पार करने के लिए दोनों ने इस्लाम धर्म अपनाकर (नाम बदलकर) निकाह किया, भले ही धर्मेंद्र ने बाद में इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार न किया हो। बाद में उन्होंने दक्षिण भारतीय रीति से भी विवाह संस्कार किए।
शादी के बाद हेमा ने एक अलग रास्ता चुना—or कहना चाहिए, अपनाना पड़ा। वे अपनी बेटियों ईशा और अहाना के साथ एक अलग बंगले में रहती रहीं; धर्मेंद्र अपने पहले परिवार के साथ। हेमा ने कई इंटरव्यू में माना कि कोई भी स्त्री ऐसी ज़िंदगी नहीं चाहती, हर महिला अपने पति और बच्चों के साथ एक छत के नीचे रहना चाहती है; लेकिन परिस्थितियाँ ऐसा करने नहीं देतीं तो उन्हें स्वीकारना पड़ता है। उन्होंने कभी धर्मेंद्र के पहले परिवार में हस्तक्षेप नहीं किया।
धर्मेंद्र, हेमा और बेटियों के लिए एक “विज़िटिंग फादर” की तरह थे—शाम को आते, कुछ समय बिताते, फिर जूहू वाले घर लौट जाते। दो समानांतर ज़िंदगियों के बीच झूलते इस संतुलन ने दोनों घरों के बीच दूरी को स्थायी बना दिया।
ईशा देओल ने बाद में कहा कि उन्हें बचपन में पता ही नहीं था कि उनके पिता का दूसरा परिवार भी है। वे 30 साल की उम्र तक सौतेली मां प्रकाश कौर से नहीं मिलीं। दूसरी ओर, सनी और बॉबी देओल भी हेमा मालिनी को कभी “मां” के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए।
80 के दशक में एक अफवाह खूब फैली कि सनी देओल ने गुस्से में हेमा पर चाकू उठाया था। बाद में प्रकाश कौर और खुद हेमा मालिनी ने इस खबर को बेबुनियाद और झूठ बताया। इसके बावजूद यह किस्सा गॉसिप कॉलमों में वर्षों तक जीवित रहा।
आज तक तथ्य यही हैं: सनी–बॉबी और हेमा–ईशा–अहाना के बीच शिष्ट दूरी बनी रही। सार्वजनिक समारोहों में कभी-कभार सतही गर्मजोशी दिखी, पर पारिवारिक निकटता नहीं।
राजनीति, विवाद और व्यक्तिगत त्रासदियाँ
फिल्मी करियर की ऊँचाइयों के बाद हेमा मालिनी ने 1998 में राजनीति में प्रवेश किया। शुरुआत में उन्हें राजनीति की भाषा और सत्ता के दांव–पेच समझने में वक्त लगा, लेकिन धीरे-धीरे वे मथुरा से सफल सांसद बनीं और तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति तक पहुँचीं।
राजनीतिक जीवन में भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। 2015 में राजस्थान के दौसा में उनकी कार एक अन्य वाहन से टकराई; दुर्घटना में एक बच्ची की मौत हुई। हेमा की ओर से दिए गए बयान और मुआवज़े की चर्चा ने उन्हें आलोचना के घेरे में ला दिया।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत संसद परिसर में अजीब तरीके से झाड़ू लगाते उनका वीडियो वायरल हुआ; सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया गया और खुद धर्मेंद्र ने भी हँसी में उन्हें “नौसिखिया” कहकर चुटकी ली।
परिवारिक स्तर पर, बेटी ईशा देओल का 11 साल की शादी के बाद भरत तख्तानी से तलाक हेमा के लिए एक और भावनात्मक झटका रहा। समय के साथ जिन रिश्तों पर वे गर्व कर सकती थीं, उन पर भी वक्त का असर दिखाई दिया।
धर्मेंद्र के अंतिम दिन: दो समानांतर दुनिया, एक विदा
नवंबर 2025 की शुरुआत में धर्मेंद्र की तबीयत बिगड़ने लगी। सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें मुंबई के ब्रिच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी इच्छा थी कि बीमारी को गुप्त रखा जाए; वे कभी खुद को कमजोर या बीमार रूप में दिखाना नहीं चाहते थे। इस बीच सोशल मीडिया पर उनकी मौत की अफवाहें वायरल हुईं, जिनका खंडन करने के लिए हेमा और ईशा को सार्वजनिक रूप से आगे आना पड़ा।
24 नवंबर 2025 की सुबह धर्मेंद्र ने जूहू स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली—वहीं घर जहाँ वे अपने पहले परिवार के साथ रहते थे। 25 नवंबर को विले पार्ले के पवन हंस श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ।
यहाँ भी दो दुनियाएँ साफ दिखीं। मुख्य रस्में सनी और बॉबी ने निभाईं; प्रकाश कौर परिवार के केंद्र में थीं। दूसरी ओर, हेमा मालिनी अपनी बेटियों के साथ थोड़ी दूरी पर हाथ जोड़े खड़ी रहीं—दुख स्पष्ट था, लेकिन उनकी भूमिका एक मूक दर्शक की जैसी थी।
अस्थि-विसर्जन हरिद्वार में केवल सनी और बॉबी ने किया; हेमा और उनकी बेटियाँ शामिल नहीं हुईं। मीडिया में प्रश्न उठे कि क्या उन्हें जानबूझकर अलग रखा गया, या वे स्वयं दूर रहीं। संपत्ति के बंटवारे को लेकर भी अटकलें चलीं, हालांकि सूत्रों के अनुसार सनी ने बहनों के हिस्से का आश्वासन दिया।
27 नवंबर को एक ही दिन दो अलग-अलग प्रार्थना सभाएँ आयोजित की गईं। ताज लैंड्स एंड, बांद्रा में प्रकाश कौर और बेटों द्वारा आयोजित भव्य सभा में फिल्म उद्योग के बड़े नाम उपस्थित थे। वहीं दूसरी तरफ हेमा ने अपने घर पर भजन संध्या के रूप में एक निजी सभा रखी, जिसमें सिर्फ करीबी मित्र शामिल हुए।
यह दृश्य, शायद धर्मेंद्र–हेमा की पूरी प्रेम–कहानी का प्रतीक था: एक ही व्यक्ति के लिए दो समानांतर जगतों में आहुति, दो छोरों पर खड़े परिवार और बीच में खड़े एक अभिनेता की स्मृति।
“ड्रीम गर्ल” से “तन्हा योद्धा” तक
धर्मेंद्र की मृत्यु के कुछ दिन बाद हेमा ने सोशल मीडिया पर उनके साथ कुछ अनदेखी तस्वीरें साझा कीं और लिखा, “मेरा व्यक्तिगत नुकसान अपूरणीय है, वे मेरे लिए सब कुछ थे।” एक निजी बातचीत में उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र के अंतिम दिन बेहद दर्दनाक थे; वे उन्हें उस हालत में देख भी नहीं पाती थीं, और उन्हें मलाल रहा कि वे उन्हें आखिरी बार उनके फार्महाउस पर नहीं देख सकीं।
आज, हेमा मालिनी अपने अलग बंगले में, बेटियों के अपने-अपने रास्ते चुन लेने के बाद, काफी हद तक अकेली हैं। उनके पास उनका नृत्य है, राजनीति है, यादगार फिल्में हैं और धर्मेंद्र के साथ बिताए दशकों की यादें हैं—यादें जिनमें प्रेम भी है, दर्द भी, और सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ चुपचाप लड़ी गई एक लंबी लड़ाई भी।
उनकी ज़िंदगी हमें यह दिखाती है कि चमकदार स्टारडम के पीछे कितनी परतों वाला संघर्ष छुपा हो सकता है—कैरियर बनाम निजी जीवन, स्त्री की स्वतंत्रता बनाम पारिवारिक उम्मीदें, और प्रेम बनाम सामाजिक स्वीकृति की जंग।
हेमा मालिनी शायद आज भी कई सवालों के साथ जी रही हैं। लेकिन एक बात तय है: उन्होंने हर मोर्चे पर, जितना भी संभव था, अपनी गरिमा बचाए रखने की कोशिश की। यही कोशिश उन्हें सिर्फ “ड्रीम गर्ल” नहीं, बल्कि एक “तन्हा योद्धा” भी बनाती है।
.
News
Sunny Deol- Isha Deol ने Dharmendra के Birthday पर किया इमोशनल पोस्ट | Dharmendra Birth Anniversary
Sunny Deol- Isha Deol ने Dharmendra के Birthday पर किया इमोशनल पोस्ट | Dharmendra Birth Anniversary धर्मेंद्र का 90वां जन्मदिन:…
Dharmendra 90th Birthday: Hema Malini ने ऐसे बयां किया हाल-ए-दिल! Sunny, Bobby Deol भी हुए इमोशनल
Dharmendra 90th Birthday: Hema Malini ने ऐसे बयां किया हाल-ए-दिल! Sunny, Bobby Deol भी हुए इमोशनल धर्मेंद्र का 90वां जन्मदिन:…
Dharmendra 90th Birthday Celebration | धर्मेंद्र जी के जन्मदिन उनके घर के बाहर लाखों फैंस का भीड़
Dharmendra 90th Birthday Celebration | धर्मेंद्र जी के जन्मदिन उनके घर के बाहर लाखों फैंस का भीड़ धर्मेंद्र का 90वां…
Hema Malini post on Dharmendra birthday: धर्मेंद्र के जन्मदिन पर हेमा मालिनी ने शेयर की इमेशनल पोर्ट
Hema Malini post on Dharmendra birthday: धर्मेंद्र के जन्मदिन पर हेमा मालिनी ने शेयर की इमेशनल पोर्ट बॉलीवुड के हीमैन…
Denizciler üsteki bir SEAL askerini soymaya çalıştılar; askerin savaşa hazır olduğundan habersizlerdi.
Denizciler üsteki bir SEAL askerini soymaya çalıştılar; askerin savaşa hazır olduğundan habersizlerdi.. . . “Denizciler Üstteki Bir SEAL Askerini…
“Yaklaşma.” Eğitim sırasında etrafını sardılar – Onun bir GROM dövüş şampiyonu olduğunu bilmiyorlardı
“Yaklaşma.” Eğitim sırasında etrafını sardılar – Onun bir GROM dövüş şampiyonu olduğunu bilmiyorlardı . Yaklaşma 1. Bölüm: Yeni Gelen Polonya’nın…
End of content
No more pages to load






