माँ के दूध का कर्ज़: जब साँप ने इंसानियत निभाई — दिल छू लेने वाली इस्लामी कहानी!
माँ के दूध का कर्ज: एक साँप की अनोखी वफादारी
शाम का गमगीन वक्त था। पेड़ों के सायों तले एक बूढ़ी मां टूटी-फूटी सांसों के साथ बैठी थी। उसकी एक आंख नहीं थी और दूसरी से भी धुंधला सा दिखता था। जिस बेटे को उसने अपने खून-पसीने से पाला था, उसी की बेरुखी ने उसे दर-बदर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया था। मजबूरी में वह बूढ़ी मां एक दरख्त के नीचे सहमी बैठी थी। हाथ में दूध की छोटी बोतल थी, जो किसी राहगीर ने तरस खाकर दे दी थी।
.
.
.
जैसे ही उसने दूध पीने की कोशिश की, झाड़ियों से एक सांप निकला। सांप लहूलुहान था, उसका पीछा एक योगी सपेरा कर रहा था। सांप डर के मारे सीधा बुढ़िया के आंचल में जा छुपा। बुढ़िया घबरा गई, मगर उसी वक्त अल्लाह के हुक्म से सांप इंसानों की तरह बोल पड़ा, “अम्मा डरिए मत, मैं आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। मेरा दुश्मन पीछे पड़ा है, मुझे पनाह दे दीजिए।”
मां का दिल पसीज गया। कांपते हाथों से उसने सांप को अपने दुपट्टे में छुपा लिया। योगी आया और पूछा, “यहां कोई सांप देखा?” मां ने इनकार कर दिया, योगी चला गया। सांप बोला, “अम्मा, आपने मेरी जान बचाई है। मैं जिंदगी भर आपका यह एहसान नहीं भूलूंगा।”
मां की आंखों से आंसू बह निकले। उसने अपनी दर्दभरी कहानी सांप को सुनाई—कैसे उसके पति की मौत के बाद ससुराल वालों ने उसे निकाल दिया, कैसे उसने अपनी एक आंख अपने बेटे को दी ताकि उसका बेटा दुनिया देख सके, और कैसे वही बेटा उसे छोड़ गया। सांप ने मां का दर्द सुना और बोला, “अम्मा, अब मैं आपका बेटा हूं। इस दूध का कर्ज जरूर चुकाऊंगा।”
अगली सुबह जब मां जागी तो देखा कि उसके लिए एक सुंदर झोपड़ी बनी हुई है। एक खूबसूरत नौजवान उसके पास आया और बोला, “अम्मा, अब मैं दिन में तुम्हारा बेटा बनकर रहूंगा, रात को सांप बन जाऊंगा।” वह मां का पूरा ख्याल रखने लगा। मां के अकेलेपन में अब सुकून था।
इधर मां का असली बेटा और बहू अपने घर में खुश थे, लेकिन जैसे ही उनके बच्चे पैदा होते, वे एक-एक कर गायब होने लगे। गांव में अफवाह फैल गई कि किसी जिन्न या सांप ने बच्चों को उठा लिया। हकीकत ये थी कि वही सांप (जो अब मां का बेटा बन गया था) उन बच्चों को जंगल की झोपड़ी में ले जाता, जहां मां उन्हें अपने पोते की तरह पालती थी।
आखिरकार, बेटे और बहू को सच का पता चला। वे मां के पैरों में गिरकर रोने लगे, माफी मांगी। मां ने रोते हुए उन्हें माफ कर दिया। सांप ने कहा, “याद रखना, मां का दिल तो माफ कर देता है, मगर अल्लाह का इंसाफ जरूर होता है।”
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मां की मोहब्बत और उसकी कुर्बानी का कोई मुकाबला नहीं। जिस दूध से हम बड़े होते हैं, उसका कर्ज हर हाल में चुकाना चाहिए — चाहे इंसान हो या जानवर।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई, तो अपने दोस्तों को जरूर सुनाएं और मां की कद्र करें।
News
नेकी का बदला: साँप ने कैसे चुकाया माँ के दूध का कर्ज? दिल छू लेने वाली हकीकत
नेकी का बदला: साँप ने कैसे चुकाया माँ के दूध का कर्ज? दिल छू लेने वाली हकीकत माँ के दूध…
SP मैडम बनी मजदूर: गाँव में घुसकर किया प्रधान का पर्दाफाश, जुल्म का हुआ ऐसा अंजाम कि सब हैरान रह गए!
SP मैडम बनी मजदूर: गाँव में घुसकर किया प्रधान का पर्दाफाश, जुल्म का हुआ ऐसा अंजाम कि सब हैरान रह…
SP मैडम मजदूर बनकर गाँव पहुंची, जहां प्रधान किसानों पर जुल्म करता था, फिर उस प्रधान के साथ जो हुआ…
SP मैडम मजदूर बनकर गाँव पहुंची, जहां प्रधान किसानों पर जुल्म करता था, फिर उस प्रधान के साथ जो हुआ……
“जब CEO हुए पैनिक, सफाईकर्मी की बेटी ने सबको चौंका दिया!”
“जब CEO हुए पैनिक, सफाईकर्मी की बेटी ने सबको चौंका दिया!” CEO सिस्टम बंद होने पर हो जाते हैं पैनिक…
CEO सिस्टम बंद होने पर हो जाते हैं पैनिक — तब सफाईकर्मी की बेटी सिस्टम ठीक करके सभी को चौंका देती है
CEO सिस्टम बंद होने पर हो जाते हैं पैनिक — तब सफाईकर्मी की बेटी सिस्टम ठीक करके सभी को चौंका…
“डीलरशिप में अपमानित गरीब किशोरी की वापसी: अगले दिन जब उसके अमीर पिता ने दिलाया सम्मान”
“डीलरशिप में अपमानित गरीब किशोरी की वापसी: अगले दिन जब उसके अमीर पिता ने दिलाया सम्मान” “सम्मान की असली कीमत…
End of content
No more pages to load