कहानी: सच की ताकत

परिचय

किसी भी समाज में न्याय का सबसे बड़ा आधार सच होता है। यह कहानी एक छोटे से बच्चे, अर्जुन, की है, जो अपने पिता, विकास गुप्ता, को झूठे आरोपों से बचाने के लिए कोर्ट में खड़ा है। अर्जुन की मासूमियत और साहस ने न केवल उसके पिता की जिंदगी को बदल दिया, बल्कि यह साबित कर दिया कि सच हमेशा जीतता है।

कोर्ट रूम का माहौल

कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया जब 5 साल का अर्जुन अपने छोटे हाथों में एक टूटा हुआ रोबोट लेकर खड़ा हुआ। उसकी आंखों में आंसू थे और आवाज में दर्द। जज विनोद शर्मा ने उसे देखकर हैरान रह गए। अर्जुन ने कहा, “मेरे पापा बेकसूर हैं। वह कुछ नहीं किया है।” कोर्ट में मौजूद लोग हंसने लगे, लेकिन अर्जुन ने अपने खिलौने की ओर इशारा किया, जिससे सबका ध्यान उसकी बात पर गया।

मामले का संदर्भ

विकास गुप्ता पर राजेश मल्होत्रा की हत्या का आरोप था। सबूत इतने मजबूत थे कि डिफेंस लॉयर भी हार मान चुका था। विकास का फिंगरप्रिंट मर्डर वेपन पर था, सीसीटीवी फुटेज में उसे मल्होत्रा के घर जाते हुए देखा गया था, और मृतक के नाखूनों के नीचे से विकास की स्किन मिली थी। लेकिन अब अर्जुन ने एक ऐसा सबूत पेश किया जो पूरे केस को बदल सकता था।

अर्जुन का सबूत

अर्जुन ने कहा, “यह रोबोट अंकल मल्होत्रा का है। उन्होंने मुझे दिया था। इसमें कैमरा भी है।” जज ने तुरंत आदेश दिया कि इस एविडेंस को फॉरेंसिक लैब भेजा जाए। प्रोसीक्यूशन लॉयर ने इसका विरोध किया, लेकिन जज ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया। कोर्ट की सुनवाई स्थगित कर दी गई और विकास को वापस जेल भेज दिया गया।

अर्जुन की मां का दुख

कोर्ट से बाहर निकलते समय, अर्जुन ने अपनी मां सुनीता से पूछा, “मम्मा, पापा घर कब आएंगे?” सुनीता की आंखों में आंसू थे। वह पिछले 6 महीने से हर रोज कोर्ट आ रही थी, लेकिन आज उसे उम्मीद थी कि शायद कुछ बदल सकता है। अर्जुन ने बताया कि रोबोट उसके टॉय बॉक्स में था और उसने इसे स्कूल से लौटने पर देखा।

फॉरेंसिक लैब में जांच

फॉरेंसिक लैब में डीसीपी सिन्हा और फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. मेहरा ने रोबोट की जांच की। उन्होंने पाया कि इसमें हाई डेफिनेशन कैमरा और मेमोरी कार्ड था। डॉ. मेहरा ने बताया कि यह रोबोट प्रोफेशनली मॉडिफाइड है और इसमें मोशन सेंसर है, जो मूवमेंट होते ही रिकॉर्डिंग शुरू कर देता है। लेकिन एक समस्या थी कि इसकी मेमोरी करप्ट हो गई थी।

कोर्ट में नया मोड़

अगली सुबह, डॉ. मेहरा ने रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कहा कि उन्हें मर्डर के एग्जैक्ट टाइम की 20 मिनट की रिकॉर्डिंग मिली है। जब रिकॉर्डिंग प्ले की गई, तो सबने देखा कि एक व्यक्ति घर में घुसा है, लेकिन वह ब्लैक मास्क पहने हुए था। अचानक राजेश मल्होत्रा दिखाई दिया, जो घबरा कर पूछता है, “कौन है तू?”

मर्डर का खुलासा

ब्लैक मास्क वाले ने नाइफ से अटैक किया। लेकिन रिकॉर्डिंग में जो दिखा, उसे देखकर सबके होश उड़ गए। किलर के हाथ पर एक ड्रैगन का टैटू था, जो विकास गुप्ता के हाथ पर था। प्रोसीक्यूशन लॉयर ने इसे क्लियर एविडेंस बताया। लेकिन तभी अर्जुन ने कहा, “मेरे पापा के हाथ पर ड्रैगन टैटू नहीं है। उनके हाथ पर तो बटरफ्लाई का टैटू है।”

अर्जुन की मासूमियत

अर्जुन की बात सुनकर कोर्ट में हड़कंप मच गया। विकास ने अपनी स्लीव ऊपर की और बटरफ्लाई का टैटू दिखाया। कोर्ट में सभी हैरान रह गए। अर्जुन ने फिर एक और बम फोड़ा, “यह अंकल मल्होत्रा की डायरी है। उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें कुछ हो जाए, तो जज साहब को दे देना।”

डायरी का राज

जज ने डायरी पढ़ना शुरू किया। उसमें लिखा था कि राजेश मल्होत्रा को डेथ थ्रेट्स मिल रहे थे और वह डर रहा था कि कोई उसे फ्रेम करने की कोशिश कर रहा है। डायरी के आखिरी पन्ने पर लिखा था, “अगर मुझे कुछ होता है, तो विकास बेकसूर है। मर्डरर कोई और है।”

जांच का आदेश

जज ने डॉ. मेहरा को रिकॉर्डिंग को दोबारा एनालाइज करने का आदेश दिया। डॉक्टर मेहरा ने बताया कि रिकॉर्डिंग डिजिटली मैनिपुलेटेड थी। ड्रैगन टैटू आर्टिफिशियली ऐड किया गया था। यह सुनकर कोर्ट में जोर की आवाजें आने लगीं। जज ने तुरंत सीबीआई इन्वेस्टिगेशन का आदेश दिया।

रामू का खुलासा

इसी बीच, एक आदमी कोर्ट से भागने की कोशिश कर रहा था। वह फॉरेंसिक लैब का टेक्निकल असिस्टेंट रामू था। जब पुलिस ने उसे पकड़ा, तो उसने बताया कि उसे रिकॉर्डिंग में चेंजेस करने के लिए पैसे दिए गए थे। जब जज ने पूछा कि किसने पैसे दिए, तो रामू ने प्रोसीक्यूशन लॉयर एडवोकेट शर्मा की तरफ इशारा किया।

सच का सामना

शर्मा ने इनकार किया, लेकिन रामू ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और वॉइस रिकॉर्डिंग सुनवाई के लिए पेश की। रिकॉर्डिंग में एडवोकेट शर्मा की आवाज थी, जिसमें वह रामू से कह रहा था कि बटरफ्लाई टैटू को ड्रैगन में बदल दे। जज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

विकास की बेगुनाही

सीबीआई ऑफिसर अर्जुन सिंह ने बताया कि एडवोकेट शर्मा के बैंक अकाउंट में मर्डर से दो दिन पहले ₹1 लाख ट्रांसफर हुए थे। अब सारी कहानी साफ हो रही थी। राजेश मल्होत्रा का बिजनेस राइवल कंपनी उसे हटाना चाहती थी और उन्होंने एडवोकेट शर्मा को हायर किया था।

कोर्ट का फैसला

जज ने तुरंत विकास गुप्ता को सभी चार्जेस से बरी कर दिया। विकास की आंखों में खुशी के आंसू थे। उसने अपने बेटे अर्जुन को गले लगाया और कहा, “तूने अपने पापा को बचा लिया।” अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने तो बस सच बोला था।”

निष्कर्ष

इस कहानी ने साबित कर दिया कि सच की ताकत कितनी बड़ी होती है। अर्जुन की मासूमियत और साहस ने उसके पिता की जिंदगी को बदल दिया। कोर्ट से बाहर निकलते समय विकास ने कहा, “सिर्फ यही कहूंगा कि ट्रुथ हमेशा जीतता है और मेरा बेटा मेरा हीरो है।”

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