सृष्टि और विकास की कहानी

सृष्टि, एक 23 साल की युवा महिला, बचपन से ही मेहनती और संवेदनशील थी। उसकी शादी एक बिजनेस परिवार में हुई थी, जहाँ सबका ध्यान सिर्फ काम और तरक्की पर था। सृष्टि भी शादी के बाद बिजनेस में लग गई और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने लगी।

एक दिन, बिहार के मधुबनी में बिजनेस मीटिंग के बाद, लौटते वक्त सृष्टि की नजर एक लड़के पर पड़ी जो खेत में बकरियां चरा रहा था। उसे देखकर सृष्टि अपने बचपन की यादों में खो गई। उसने ड्राइवर काका से गाड़ी रोकने को कहा और अपने ननिहाल के गाँव चलने को कहा, जहाँ वह बचपन में जाती थी।

रास्ते में सृष्टि ने काका को अपनी कहानी सुनाई—जब वह 13 साल की थी, अपने मामा के गाँव में जाती थी। वहाँ उसका दोस्त विकास था, जो बकरियां चराता था। एक दिन खेलते-खेलते सृष्टि की सोने की बाली खो गई, जो उसके पापा ने दी थी। वह बहुत रोई, तभी विकास ने अपने घर से पैसे लाकर उसे दिए ताकि वह नई बाली बनवा सके। विकास ने अपने पिता के बचाए पैसे चोरी से निकालकर सृष्टि को दे दिए, जिससे उसके पिता ने उसे खूब डांटा, लेकिन विकास ने कभी सच्चाई नहीं बताई।

सृष्टि ने ठान लिया था कि जब बड़ी हो जाएगी, तो विकास का कर्ज जरूर चुकाएगी। समय बीता, सृष्टि की शादी हो गई, वह बिजनेस में सफल हुई। एक दिन, वह अपने बचपन के दोस्त से मिलने और उसका कर्ज लौटाने गाँव पहुंची।

गाँव में पहुँचकर पता चला कि विकास अब इस दुनिया में नहीं रहा। उसके दो छोटे बच्चे और पत्नी मजदूरी करके जीवन चला रही थी। सृष्टि का दिल टूट गया, लेकिन उसने विकास के परिवार की मदद करने का फैसला किया।

सृष्टि ने बच्चों का अच्छे स्कूल में एडमिशन कराया, विकास की पत्नी को सिलाई सेंटर में काम सिखाया और उसके लिए खुद का सिलाई सेंटर खुलवा दिया। धीरे-धीरे, विकास की पत्नी मेहनत से अच्छा पैसा कमाने लगी। सृष्टि ने कहा, “यह तुम्हारे पति का कर्ज था, इसे अपने बच्चों के भविष्य के लिए संभालो।”

सृष्टि अब भी समय-समय पर विकास के परिवार से मिलने जाती है, बच्चों के रिजल्ट पूछती है, खिलौने और कपड़े देती है। उसके पति भी उसके काम पर गर्व करते हैं। गाँव वाले सृष्टि की तारीफ करते नहीं थकते।