पापा को छोड़ दो, मैं उन्हें चलना सिखाऊंगी,” बच्ची ने कहा। अदालत हँसी… लेकिन फिर सब हैरान रह गए!

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जयपुर की अदालत में एक दिन सब कुछ अचानक बदल गया। एक छोटी लड़की, फटी हुई स्कूल ड्रेस में, सीधे कोर्ट के बीच में पहुंची और जोर से बोली, “मेरे पिता को रिहा करो। मैं आपको चलना सिखाऊंगी।” यह लड़की अनाया थी, जिसकी हिम्मत और जिद ने न्यायाधीश अरविंद मल्होत्रा के दिल में एक अजीब हलचल पैदा कर दी थी।

अरविंद मल्होत्रा, जो सात साल से अपने बाएं पैर के सुन्न होने की वजह से अंदर ही अंदर जूझ रहे थे, उस दिन अदालत में चुपचाप अनाया को देखते रहे। अदालत में हल्की हंसी गूंजी, लेकिन जज के मन में एक गहरा सवाल उठ रहा था। यह छोटी लड़की सिर्फ जिद कर रही थी या उसके पास सच में कुछ ऐसा था जो अरविंद के खोए हुए अतीत को झकझोर सकता था?

अनाया का पिता, राकेश कुमार, एक रिक्शा चालक था, जिस पर एक प्रभावशाली महिला, मीरा कपूर, ने हैंडबैग चोरी का आरोप लगाया था। मामला सामान्य चोरी का लग रहा था, लेकिन अनाया की बातों में एक बड़ा राज छिपा था। वह जानती थी कि उसके पिता निर्दोष हैं और अदालत को यह सच जानना चाहिए।

अरविंद ने अनाया को अदालत से हटाने की कोशिश की, लेकिन अनाया ने दृढ़ता से कहा, “मुझे पता है आपके पैर को कैसे ठीक करना है।” यह बात सुनकर अरविंद का मन विचलित हो उठा। वह जानते थे कि यह मामला सिर्फ चोरी का नहीं था, बल्कि उनके अपने अतीत से जुड़ा था।

उनकी यादों में सात साल पुरानी एक ट्रेन दुर्घटना थी, जिसमें वे घायल हुए थे और अपनी याददाश्त खो बैठे थे। उस हादसे के बाद से उनका बायां पैर सुन्न था। उसी दुर्घटना से जुड़ी थी मीरा कपूर की साजिश, जो अपने पति प्रमोद कपूर के साथ मिलकर अरविंद को फंसाने की कोशिश कर रही थी।

अदालत में मीरा कपूर ने जोर देकर कहा कि राकेश कुमार ने उसका हैंडबैग छीना था, और उसे सजा मिलनी चाहिए। लेकिन अनाया ने रोते हुए सब कुछ झूठ बताया। जज ने आदेश दिया कि अनाया को उनके केबिन में बुलाया जाए, ताकि वे अकेले में बात कर सकें।

अरविंद ने केस की फाइलें जांचीं, जहां उन्होंने पाया कि मीरा के हस्ताक्षरों में गड़बड़ी थी। फाइलों में कुछ तथ्य ऐसे थे, जो इस पूरे मामले को संदिग्ध बनाते थे। तभी एक पुरानी तस्वीर मिली, जिसमें अरविंद खुद रिक्शा खींचते हुए थे और राकेश कुमार उनकी जान बचाने वाले व्यक्ति थे।

अनाया ने अपनी डायरी भी दिखाई, जिसमें सब कुछ लिखा था—ट्रेन हादसे का सच, मीरा कपूर की साजिश, और राकेश कुमार की मासूमियत। लेकिन अरविंद ने कहा कि कानून सबूतों पर चलता है, इसलिए उन्हें पूरी सच्चाई की जरूरत थी।

मीरा कपूर ने धमकी दी कि अगर अरविंद सच को उजागर करेंगे तो उनका करियर खत्म हो जाएगा। लेकिन अरविंद ने हार नहीं मानी। उन्होंने अनाया के साथ मिलकर उस मंदिर तक जाने का फैसला किया, जहां राकेश कुमार ने डायरी का असली हिस्सा छुपाया था।

रात के अंधेरे में, अरविंद, अनाया और राकेश के बड़े भाई प्रकाश मंदिर पहुंचे। वहां प्रकाश ने बताया कि ट्रेन हादसा कोई दुर्घटना नहीं था, बल्कि जानबूझकर किया गया था। मीरा और प्रमोद कपूर ने ट्रेन के ब्रेक सिस्टम में छेड़छाड़ कराई थी, ताकि वे एक गवाह को खत्म कर सकें, जो भ्रष्टाचार के सबूत लेकर दिल्ली जा रहा था। वह गवाह कोई और नहीं, अरविंद खुद थे।

प्रकाश ने आगे बताया कि राकेश ने अरविंद को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी। उन्होंने अरविंद को सुरक्षित जगह पहुंचाया और उनकी याददाश्त का एक हिस्सा मिटा दिया, ताकि वे खतरे से बच सकें। यह सब राकेश ने अपनी डायरी में लिखा था।

अगले दिन अदालत में, प्रकाश ने अपनी गवाही दी और राकेश की निर्दोषता साबित की। मीरा कपूर और प्रमोद कपूर की साजिशें सामने आईं। अरविंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि न्याय के लिए उन्हें खुद अपने अतीत का सामना करना होगा।

अदालत के बाहर, अरविंद ने अनाया और राकेश के साथ नई जिंदगी की शुरुआत की। उन्होंने सीखा कि कुछ जंजीरें शरीर को नहीं, आत्मा को बांधती हैं, और उन्हें तोड़ना ही असली आजादी है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि उम्मीद और सच्चाई का सामना करने का साहस ही हमें असली मुक्ति देता है। चाहे अतीत कितना भी दर्दनाक हो, सच की रोशनी अंधकार को दूर कर सकती है।