ईमानदार एसपी साहब का सबक — भ्रष्ट दरोगा की पोल खुली

कहानी का सार

एक दुर्गा पूजा के मौके पर पटना के एसपी अतुल यादव अपनी मां के बुलावे पर भागलपुर ननिहाल जाते हैं। साधारण कपड़ों में रेलवे स्टेशन पर उतरते हैं और ऑटो लेते हैं। रास्ते में ऑटो वाला बताता है कि एक दरोगा मनोहर यादव चौराहे पर चेकिंग के नाम पर पैसे वसूलता है। एसपी साहब ऑटो वाले को भरोसा दिलाते हैं कि जो होगा देखा जाएगा।

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गौशाला चौक पर दरोगा ऑटो को रोकता है, कागज ठीक होने के बावजूद ₹2000 मांगता है, फिर ₹1000 पर आ जाता है। ऑटो वाला गिड़गिड़ाता है, तभी एसपी साहब बीच में बोलते हैं कि कागज सही हैं, पैसे क्यों मांग रहे हो? दरोगा एसपी साहब को पहचानता नहीं, उलझ पड़ता है, धमकी देता है और दोनों को थाने ले जाकर लॉकअप में डाल देता है।

एसपी साहब अपना आईपीएस आईडी ऑटो वाले को दिखाते हैं और भागलपुर के एसपी विकास पांडे को फोन करते हैं। विकास पांडे खुद थाना पहुंचते हैं, दरोगा को सलाम ठोकता है, लेकिन जब सच्चाई सामने आती है कि जिसने लॉकअप में डाला वह पटना के एसपी हैं, दरोगा के होश उड़ जाते हैं।

विकास पांडे दरोगा को सबक सिखाते हैं — वर्दी से स्टार नोच लेते हैं, तत्काल सस्पेंड करते हैं और विभागीय जांच बैठा देते हैं। ऑटो वाले को सम्मान के साथ छोड़ दिया जाता है।
अंत में दोनों एसपी साहब मिलकर दुर्गा पूजा का त्योहार ननिहाल में हंसी-खुशी मनाते हैं।

सीख और संदेश

पद और वर्दी का घमंड किसी के सामने नहीं टिकता, ईमानदारी और सच्चाई हमेशा जीतती है।
भ्रष्टाचार चाहे कहीं भी हो, उसे उजागर करना जरूरी है।
आम आदमी को बेवजह परेशान करना कानून का दुरुपयोग है।
प्रशासन में ईमानदार अफसर समाज के लिए प्रेरणा हैं।
दोस्ती और परिवार के रिश्ते हर मुश्किल में साथ देते हैं।

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मिलते हैं अगली कहानी में।
जय हिंद, जय भारत!