मिल गया असली CCTV वीडियो, उस रात टीचर मनीषा के साथ क्या हुआ! Haryana Bhiwani Manisha Murder Case

हरियाणा के भिवानी ज़िले के एक छोटे से गाँव ढाणी लक्ष्मण की रहने वाली मनीषा, सिर्फ 19 साल की थी। वह एक प्ले स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम कर रही थी और साथ ही बीएससी नर्सिंग में दाखिला लेने की तैयारी कर रही थी। एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार की यह बेटी अपने संघर्ष और मेहनत से परिवार का सहारा बनना चाहती थी। लेकिन 11 अगस्त 2025 को उसकी ज़िंदगी अचानक एक रहस्यमयी मोड़ पर रुक गई — एक ऐसा मोड़ जिसने न केवल उसके परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे राज्य में आक्रोश और सवालों की लहर दौड़ा दी।

11 अगस्त: अचानक गायब होने की शुरुआत

11 अगस्त को मनीषा दोपहर करीब दो बजे घर से कॉलेज जाने के लिए निकली। उसने अपने पिता को बताया कि वह थोड़ी देर में लौट आएगी। उसके बाद मनीषा का मोबाइल एक बार बजा, और फिर बंद हो गया। परिवार ने जब देर शाम तक उसका कोई अता-पता नहीं पाया, तो चिंता बढ़ने लगी। उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन पुलिस ने पहले इसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा कि लड़की खुद ही लौट आएगी, हो सकता है दोस्तों के यहाँ चली गई हो।

परिवार ने जब कॉलेज में जाकर जानकारी चाही, तो वहाँ भी कोई जवाब नहीं मिला। कॉलेज प्रशासन ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज अगले दिन दिखाया जाएगा। यह ढीलापन और असंवेदनशील रवैया परिवार के लिए बेहद पीड़ादायक था।

13 अगस्त: खेत में मिला शव और गहराता रहस्य

दो दिन बाद, 13 अगस्त की सुबह, गाँव के ही एक किसान ने अपने खेत में एक युवती का शव देखा। यह शव मनीषा का था। उसके गले पर गहरे कट के निशान थे, और पास में कीटनाशक की एक बोतल भी मिली। पुलिस ने जल्दबाज़ी में इसे आत्महत्या करार देना चाहा और कहा कि एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें व्यक्तिगत कारणों का उल्लेख है।

लेकिन मनीषा के परिवार ने इस थ्योरी को पूरी तरह खारिज कर दिया। उनके अनुसार मनीषा आत्महत्या नहीं कर सकती। वह मानसिक रूप से मज़बूत, समझदार और भविष्य को लेकर गंभीर थी। उन्होंने साफ़ कहा कि यह एक सुनियोजित हत्या है और पुलिस इसे आत्महत्या बताकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।

गांव में विरोध और सड़क पर जनता

जब यह खबर फैली, तो मनीषा के गाँव और आसपास के इलाकों में भारी विरोध शुरू हो गया। ग्रामीणों और छात्रों ने मिलकर दिल्ली-पिलानी हाईवे जाम कर दिया। उनकी मांग थी कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, पुलिस अधिकारियों को हटाया जाए और मनीषा को न्याय दिलाया जाए।

लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस जानबूझकर सुबूत मिटा रही है, और शुरू से ही मामला दबाने का प्रयास किया जा रहा है। हरियाणा के अन्य जिलों में भी लोग सोशल मीडिया पर आवाज़ उठाने लगे। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #JusticeForManisha ट्रेंड करने लगा।

सरकारी प्रतिक्रिया और इंटरनेट बंदी

आंदोलन इतना तीव्र हो गया कि प्रशासन को भिवानी और चरखी दादरी जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद करनी पड़ीं। सरकार को डर था कि स्थिति और न बिगड़ जाए। लेकिन लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पर भी दबाव बढ़ता गया। उन्होंने पहले पुलिस को जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए। बाद में, भारी जनदबाव और मीडिया की कवरेज के बाद उन्होंने CBI जांच की घोषणा की।

पोस्टमार्टम में देरी और विरोध जारी

परिवार ने साफ कहा कि जब तक जांच CBI को नहीं सौंपी जाती, तब तक वे मनीषा का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। इसी वजह से 9 दिनों तक मनीषा का शव रखकर प्रदर्शन चलता रहा। अंततः दिल्ली के AIIMS में पोस्टमार्टम कराया गया, जहाँ डॉक्टरों ने भी गले के घाव को संदिग्ध माना।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद, 21 अगस्त को मनीषा का अंतिम संस्कार हुआ। उनके छोटे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। गाँव में हजारों लोग एकत्र हुए। हर आंख नम थी, और हर मन में एक ही सवाल — “कब मिलेगा इंसाफ?”

राजनीति की एंट्री और विधानसभा में हंगामा

इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में भी इसकी गूंज सुनाई दी। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री से इस्तीफ़े की मांग तक कर डाली।

सरकार की ओर से जवाब आया कि विपक्ष इसे राजनीतिक रंग दे रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “मनीषा हमारी भी बेटी थी, हम न्याय सुनिश्चित करेंगे। राजनीति नहीं, समाधान की ज़रूरत है।”

सोशल मीडिया की भूमिका: मदद या भ्रम?

इस बीच सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलने लगीं। किसी ने इसे ऑनर किलिंग कहा, किसी ने लव एंगल जोड़ा, तो किसी ने धर्म से जोड़कर पोस्टें कीं। इन अफवाहों के चलते परिवार को और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी।

हरियाणा पुलिस ने 34 सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच शुरू की और कुछ पर कार्रवाई भी की। एक व्यक्ति को अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। DGP ने बयान दिया कि “सोशल मीडिया ने इस केस को उलझा दिया है, जिससे असली सच्चाई तक पहुँचने में बाधा आ रही है।”

CBI की एंट्री और अब आगे क्या?

अब यह मामला CBI के हाथ में है। जांच शुरू हो चुकी है, और जनता को उम्मीद है कि अब सही जांच होगी और सच्चाई सामने आएगी। CBI ने घटनास्थल का दौरा किया है, परिजनों से पूछताछ की है, और स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट को खंगाल रही है।

पर सवाल अब भी कायम हैं —

अगर यह आत्महत्या थी तो गले पर कट कैसे आया?

क्या मनीषा को किसी ने ब्लैकमेल किया था?

कॉलेज और स्कूल प्रशासन की भूमिका क्या थी?

पुलिस ने शुरू में जांच धीमी क्यों रखी?

इन सवालों का जवाब सिर्फ CBI ही दे सकती है।

एक अधूरी कहानी, एक गहरी सीख

मनीषा की मौत ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक युवा, साहसी लड़की जो अपने सपनों को साकार करना चाहती थी, अचानक रहस्यमय हालात में दुनिया से चली जाती है — और तंत्र पहले इसे “आत्महत्या” कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करता है।

लेकिन इस बार लोग चुप नहीं रहे। गाँव, जिला, राज्य और देश भर में एक स्वर में इंसाफ की मांग उठी। यही इस घटना की सबसे बड़ी सीख है — जब जनता जागरूक होती है, तो सत्ता को जवाब देना पड़ता है

मनीषा अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी आवाज़ आज लाखों लड़कियों की आवाज़ बन चुकी है —
“हमें सिर्फ शिक्षा नहीं, सुरक्षा और सम्मान भी चाहिए।”

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