पिता का अपमान, IPS बेटी का तूफान: पुलिस इंस्पेक्टर को ऐसा सबक मिला कि पूरा थाना कांप उठा!
अयोध्या के बाजार में न्याय की लड़ाई – एक प्रेरणादायक कहानी
सुबह का समय था। अयोध्या के व्यस्त बाजार में सड़क किनारे किशन लाल अपनी टोकरी में ताजे और रसीले फल बेच रहे थे। उनके चेहरे पर सुबह की धूप चमक रही थी, जिसमें जीवन भर की मेहनत की लकीरें साफ दिखती थीं। उनकी छोटी सी दुकान और दो बेटियां – अंजलि और प्रीति – ही उनकी पूरी दुनिया थीं। दोनों बेटियां शहर में पुलिस सेवा में उपनरीक्षक के पद पर तैनात थीं। किशन लाल को अपनी बेटियों पर बेहद गर्व था। वे अक्सर बेटियों से फोन पर बात करते, हालचाल पूछते, लेकिन कभी अपनी तकलीफें नहीं बताते थे। उन्हें डर था कि कहीं उनकी बेटियां अपनी नौकरी से भटक न जाएं।
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आज उन्हें पता नहीं था कि उनके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जो ना केवल उन्हें, बल्कि उनकी बेटियों को भी भीतर तक हिला देगा। किशन लाल अपने काम में मगन थे, ग्राहकों से बात कर रहे थे। तभी एक सरकारी जीप की आवाज़ ने बाजार का ध्यान खींचा। जीप में इंस्पेक्टर अशोक कुमार था, जिसकी आँखों में सत्ता का नशा और अहंकार साफ़ दिख रहा था। उसने किशन लाल से रूखे स्वर में कहा, “अरे बूढ़े, तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ दुकान लगाने की? जल्दी हटो यहां से!”
किशन लाल ने विनम्रता से कहा, “साहब, मैं थोड़ी देर के लिए ही हूँ, अभी हट जाता हूँ।” लेकिन इंस्पेक्टर का अहंकार और बढ़ गया। उसने किशन लाल की टोकरी को लात मार दी। सारे फल सड़क पर बिखर गए। लोग तमाशा देखने लगे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। किशन लाल ने आँसू पोंछे और चुपचाप गिरे हुए फल उठाने लगे। उनका बूढ़ा शरीर दर्द से कराह उठा, लेकिन अपमान का दर्द उससे कहीं ज्यादा था।
भीड़ में राजन नाम का एक युवा पत्रकार भी था। उसने मोबाइल से पूरी घटना रिकॉर्ड कर ली। इंस्पेक्टर ने धमकी दी, “वीडियो अपलोड किया तो सबक सिखाऊंगा!” लेकिन राजन ने वीडियो सुरक्षित रखा और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। कैप्शन था – “अयोध्या के बाजार में एक बूढ़े इंसान के साथ अन्याय!” वीडियो वायरल हो गया। लाखों लोग शेयर करने लगे। पुलिस की आलोचना शुरू हो गई।
यह वीडियो किशन लाल की छोटी बेटी प्रीति तक पहुँचा। उसका खून खौल उठा, आँखों में आँसू आ गए। उसने तुरंत अंजलि को वीडियो भेजा। अंजलि थाने में केस देख रही थी। वीडियो देखकर उसके हाथ काँपने लगे। यह उसका अपना पिता था! उसने गुस्से में कहा, “हमने संघर्ष किया ताकि बाबूजी को सुख मिले, लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था के आगे हम क्या कर सकते हैं?” उसने प्रीति को फोन किया, “तुम वहीं रहो, मैं आ रही हूँ। उस इंस्पेक्टर को सबक सिखाऊँगी।”
अंजलि ने वर्दी उतारकर सलवार सूट पहना और गाँव के लिए निकल पड़ी। घर पहुँचकर पिता को गले लगाया और रोने लगी। किशन लाल ने समझाया, “बेटा, जाने दे वह पुलिस वाला है, हमें उससे पंगा नहीं लेना चाहिए।” लेकिन अंजलि ने दृढ़ स्वर में कहा, “नहीं बाबूजी, मैं जानती हूँ मुझे क्या करना है।”
वह वर्दी पहनकर महिला उपनरीक्षक के रूप में थाने पहुँची। वहाँ इंस्पेक्टर अशोक कुमार नहीं था, सिर्फ एएसआई राजवीर और दो सिपाही थे। अंजलि ने कहा, “मैं इंस्पेक्टर अशोक कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती हूँ।” राजवीर ने अहंकार से कहा, “क्या? इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट! गलती तो तुम्हारे बाप की थी।” अंजलि ने अपनी ताकत भरी आवाज में कहा, “मुझे कानून मत सिखाओ। अगर रिपोर्ट नहीं लिखी तो आपके खिलाफ भी कार्रवाई करूंगी।” राजवीर हैरान रह गया। अंजलि ने अपना सरकारी पहचान पत्र मेज पर रख दिया। राजवीर घबरा गया, “माफ करें मैडम, बताइए क्या करना है?”
तभी इंस्पेक्टर अशोक कुमार थाने आया। अंजलि ने संयम से कहा, “याद रखना, मैं तुम्हें सस्पेंड करवाऊंगी।” वह बाहर निकल गई। घर जाकर उसने योजना बनाई और अगले दिन डीएम सुलेमान के ऑफिस पहुँची। वायरल वीडियो और गवाह राजन को साथ लेकर सबूत पेश किए। डीएम ने वीडियो देखकर कहा, “इंस्पेक्टर ने अपने पद का दुरुपयोग किया है।”
अगले दिन प्रेस मीटिंग बुलाई गई। डीएम ने कहा, “सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक इंस्पेक्टर ने बूढ़े के साथ गलत किया है। हमारे पास गवाह और सबूत हैं।” अंजलि मंच पर आई, “मैं उपनरीक्षक अंजलि शर्मा हूँ और पीड़ित बूढ़ा मेरा पिता है।” सब स्तब्ध रह गए। अंजलि ने कहा, “इंस्पेक्टर ही नहीं, एसआई राजवीर भी दोषी है।” डीएम ने तुरंत दोनों को निलंबित करने का आदेश दिया।
गाँव में खबर फैल गई। लोग कहने लगे – किशन लाल की बेटी ने न्याय दिलाया। शाम को टीवी पर खबर चली – “इंस्पेक्टर और एसआई सस्पेंड, उपनरीक्षक बेटी ने पिता को इंसाफ दिलाया।” विभागीय जांच में दोनों दोषी पाए गए। इंस्पेक्टर पर पद का दुरुपयोग और जनता से अभद्रता का आरोप साबित हुआ, एएसआई पर कर्तव्य में लापरवाही का। दोनों को बर्खास्त कर दिया गया और आपराधिक मामला दर्ज हुआ।
किशनल लाल ने रोते-हँसते अपनी बेटी को गले लगाया, “तुमने सिर्फ मेरा नहीं, पूरे गाँव का सिर ऊँचा कर दिया।”
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