चलती कार में फोन फटने से हुआ बहुत बड़ा हादसा/पुलिस के भी होश उड़ गए/
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मोबाइल का अभिशाप
राजस्थान के अजमेर जिले के अंबा मसीना गाँव में अशोक कुमार अपने परिवार के साथ रहता था। गाँव के सबसे बड़े जमींदार सतपाल सिंह की गाड़ी चलाना ही उसकी रोज़ी-रोटी थी। हर महीने पंद्रह हज़ार रुपये मिलते थे, लेकिन महंगाई के इस दौर में ये रकम परिवार चलाने के लिए नाकाफी थी।
अशोक की पत्नी कांता देवी खर्चीले स्वभाव की थी। उसके दो बच्चे थे—बड़ी बेटी आरती, जो बारहवीं में पढ़ती थी, और बेटा बबलू, जो नौवीं कक्षा का छात्र था। कांता देवी को मोबाइल फोन का बहुत शौक था, और आरती भी आजकल के बच्चों की तरह बिना फोन के रह नहीं सकती थी। तीन महीने पहले अशोक ने सतपाल सिंह से कुछ पैसे उधार लेकर अपनी पत्नी और बेटी के लिए दो मोबाइल फोन खरीद दिए थे। परिवार में खुशी लौट आई थी। सब ठीक-ठाक चल रहा था।

एक दिन की शुरुआत
20 सितंबर 2025 की सुबह थी। आरती स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और अपना मोबाइल साथ ले गई। अशोक भी मालिक की गाड़ी लेकर काम पर निकल गया। बबलू भी स्कूल चला गया। घर में कांता देवी अकेली रह गई। उसने कपड़े धोने के लिए वाशिंग मशीन चलाई, लेकिन गलती से अपना मोबाइल भी कपड़ों के साथ मशीन में चला गया। पानी में डूबकर फोन खराब हो गया। कांता देवी परेशान हो गई, क्योंकि वह फोन के बिना एक पल भी नहीं रह सकती थी।
दूसरी तरफ, आरती का फोन स्कूल में चोरी हो गया। शाम को जब आरती घर लौटी, तो उसने मां को बताया कि उसका फोन चोरी हो गया है। कांता ने भी अपनी परेशानी बताई। दोनों ने मिलकर अशोक से नए फोन की जिद की, लेकिन अशोक ने साफ मना कर दिया—”मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।”
कांता देवी ने ठान लिया कि किसी भी तरह फोन हासिल करना है। अगले दिन घर के सामने मोबाइल शॉप खुल गई, जिसे गाँव का युवक गौरव चलाता था। गौरव को महिलाओं में दिलचस्पी थी और वह अपनी दुकान पर आने वाली महिलाओं को तरह-तरह के लालच देता था।
लालच और समझौता
कांता देवी ने गौरव से पुराने फोन की मांग की। गौरव ने शर्त रखी—”तुम मेरी इच्छाओं को पूरा करो, तभी फोन मिलेगा।” कांता ने मजबूरी में हाँ कर दी और गौरव से एक पुराना फोन ले आई। बच्चों को खुश देखकर वह भी खुश हो गई, लेकिन उसे नहीं पता था कि यही फोन आगे चलकर परिवार के लिए मुसीबत बन जाएगा।
कुछ दिनों बाद आरती का फोन भी खराब हो गया। वह गौरव की दुकान पर गई। गौरव ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उसने आरती को उसकी मां की अश्लील वीडियो दिखाकर धमकाया—”अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगी, तो ये वीडियो गाँव में वायरल कर दूंगा।” डर के मारे आरती ने उसकी बात मान ली और गौरव से नया फोन ले आई।
गिरते रिश्ते, बढ़ती परेशानी
अब परिवार में दो फोन थे—एक पुराना, एक नया। लेकिन इन फोनों के पीछे छिपे राज़ ने पूरे परिवार को अंदर से तोड़ दिया था। बबलू ने अपनी मां और बहन को रात में गौरव की दुकान पर जाते देख लिया। उसने मां से पूछा, लेकिन मां ने उसे चुप रहने की धमकी दी—”अगर तुमने पिता को बता दिया, तो घर बर्बाद हो जाएगा।”
बबलू ने सारी बातें अपने पिता अशोक को बता दीं। अशोक को गहरा झटका लगा। उसे लगा कि उसकी पत्नी और बेटी ने उसे धोखा दिया है। उसके अंदर गुस्सा और पछतावा दोनों उमड़ने लगे।
हादसा
शाम को अशोक ने परिवार को होटल में खाना खिलाने का बहाना बनाया। सबको गाड़ी में बैठाकर सुनसान इलाके में ले गया। वहाँ गाड़ी रोककर पेट्रोल छिड़क दिया और आग लगा दी। कांता देवी और आरती जलकर मर गईं। बबलू बाहर था और उसने सब कुछ देखा।
अशोक ने पुलिस को बताया कि गाड़ी में रखे मोबाइल फोन फट गए, जिससे हादसा हुआ। लेकिन बबलू ने सच बता दिया—”मेरे पिता ने मां और बहन को जलाकर मार दिया है।” पुलिस ने अशोक को गिरफ्तार कर लिया। गौरव भी पकड़ा गया।
समाज के सवाल
पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। गाँव में चर्चा शुरू हो गई—क्या अशोक का किया सही था? क्या परिवार में संवाद की कमी, लालच, और डर ने सबकुछ बर्बाद कर दिया? क्या गौरव जैसे लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए? क्या मोबाइल फोन हमारे जीवन में ज़रूरत से ज़्यादा अहमियत पा चुके हैं?
अंतिम संदेश
इस कहानी का अंत दुखद है, लेकिन यह समाज के लिए एक चेतावनी भी है। रिश्तों में विश्वास, संवाद, और सम्मान जरूरी है। लालच, डर, और गलत फैसले पूरे परिवार को बर्बाद कर सकते हैं। तकनीक जीवन को आसान बना सकती है, लेकिन अगर उसका इस्तेमाल गलत तरीके से हो, तो वही तकनीक अभिशाप बन जाती है।
आपकी राय क्या है? क्या अशोक का फैसला सही था? क्या परिवार को पहले संवाद करना चाहिए था? क्या गौरव को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए? कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें।
समाप्त
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