परिचय

पटना के एक बड़े शॉपिंग मॉल में पार्किंग इंचार्ज के रूप में काम करने वाली अर्पिता, एक गरीब लेकिन निडर लड़की थी। उसके पिता राजेश और भाई स्टेशन के बाहर फल बेचते थे। जीवन में संघर्ष और तंगी थी, लेकिन अर्पिता ने कभी अपनी ईमानदारी नहीं छोड़ी और अपने काम के प्रति समर्पित रही।

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घटना का आरंभ

एक दिन, एक महंगी कार में बैठा लड़का गाड़ी को गलत तरीके से पार्क करने लगा। जब अर्पिता ने उसे रोका, तो उसने घमंड से जवाब दिया। उसने अपने एक जान पहचान वाले दरोगा को फोन किया, और थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ी मॉल के बाहर आ गई। दरोगा ने अर्पिता को अपमानित करते हुए कहा कि वह नेता के बेटे के खिलाफ पंगा ले रही है।

गिरफ्तारी

अर्पिता ने हिम्मत नहीं हारी और कहा कि वह सिर्फ अपना काम कर रही है। लेकिन दरोगा ने बिना किसी सबूत के अर्पिता को गिरफ्तार कर लिया और थाने ले गया। जब उसके पिता और भाई थाने पहुंचे, तो उन्हें अपमानित किया गया और बताया गया कि उनकी बेटी चोर है।

उम्मीद की किरण

राजेश और उसके बेटे ने एक वकील से मदद मांगी, लेकिन उसने केस लेने से मना कर दिया। तब राजेश के बेटे को एसीपी जगत शर्मा का वीडियो याद आया, जिसमें उन्होंने अन्याय के खिलाफ मदद की बात कही थी।

एसीपी का हस्तक्षेप

राजेश के बेटे ने एसीपी को कॉल किया। एसीपी ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया और साधारण कपड़ों में थाने पहुंचे। उन्होंने राजेश और उसके बेटे की बातें ध्यान से सुनीं और थाने में जाकर दरोगा से बात की।

न्याय की प्राप्ति

जगत शर्मा ने दरोगा को सख्त लहजे में बताया कि महिलाओं को बिना महिला कांस्टेबल के रात में हवालात में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने दरोगा को सस्पेंड कर दिया और अर्पिता को छोड़ने का आदेश दिया।

आगे की लड़ाई

जगत शर्मा ने राजेश से कहा कि उन्हें मंत्री के बेटे के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करना होगा। अर्पिता ने अपने पिता का हाथ थामते हुए कहा कि अब डरने की जरूरत नहीं है।

अदालत का फैसला

मंत्री के बेटे के खिलाफ केस दर्ज हुआ, और जांच में साबित हुआ कि आरोप झूठे थे। अदालत ने अर्पिता को निर्दोष घोषित किया और मंत्री के बेटे को चेतावनी दी।

निष्कर्ष

इस घटना के बाद अर्पिता दोबारा उसी मॉल में पार्किंग इंचार्ज के रूप में काम करने लगी, लेकिन अब लोग उसे सम्मान की नजर से देखते थे। अर्पिता ने साबित कर दिया कि ईमानदारी और साहस से किसी भी अन्याय का सामना किया जा सकता है।

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