“आर्मी ऑफिसर की मां को इंस्पेक्टर ने बीच सड़क पर मारी लात, फिर इंस्पेक्टर के साथ जो हुआ सब हैरान रह गए!”

सच्ची घटना पर आधारित कहानी: आर्मी ऑफिसर राजेश सिंह की मां-बेटी को मिला न्याय

सुबह का समय था। आर्मी ऑफिसर राजेश सिंह की मां और छोटी बहन संगीता बाजार जा रही थीं। बेटे ने पैसे भेजे थे और कहा था कि मां को नई साड़ी दिलाना है। दोनों खुश थीं, लेकिन किसे पता था कि आज उनकी जिंदगी में तूफान आने वाला है।

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रास्ते में पुलिस की बैरिकेडिंग थी। इंस्पेक्टर कुणाल वर्मा दो सिपाहियों के साथ गाड़ियों की चेकिंग कर रहे थे। संगीता ने मोटरसाइकिल साइड में लगाई, तभी इंस्पेक्टर ने लाठी घुमाकर उन्हें रोक लिया। गुस्से में बोले, “सड़क तेरे बाप की है क्या? बिना हेलमेट के गाड़ी चला रही हो! जल्दी से ₹5000 का चालान भरो।”

संगीता डर गई। उसने विनती की, “सर, मैं तेज नहीं चला रही थी। हेलमेट भूल गई क्योंकि बाजार पास ही है और मां की तबीयत ठीक नहीं है।” लेकिन इंस्पेक्टर ने उनकी एक न सुनी। भीड़ इकट्ठा होने लगी, मगर कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। संगीता की मां हाथ जोड़कर बोलीं, “साहब, छोड़ दीजिए। हम गरीब लोग हैं।” मगर इंस्पेक्टर और भड़क गया, “यह बुढ़िया बहुत जुबान निकाल रही है। जल्दी से गाड़ी के कागज दिखाओ।”

संगीता ने सारे कागज दिए, सब ठीक थे। फिर भी चालान की जिद। पैसे नहीं थे तो इंस्पेक्टर ने संगीता को थप्पड़ मार दिया। मां-बेटी रोती रहीं, मगर इंस्पेक्टर ने उन्हें थाने ले जाकर लॉकअप में डाल दिया। “दो दिन तक खाना-पानी नहीं मिलेगा,” उसने हवलदारों को आदेश दिया।

लॉकअप में संगीता अपनी मां को संभाल रही थी। मां की तबीयत बिगड़ने लगी। पानी मांगा, मगर इंस्पेक्टर ने मना कर दिया। उधर, एक लड़के ने पूरी घटना का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। कुछ ही देर में वीडियो वायरल हो गया। लोगों की आंखों में आंसू आ गए। सब कह रहे थे—यह तो अन्याय है!

वीडियो आर्मी ऑफिसर राजेश सिंह तक पहुंच गया। उन्होंने छुट्टी ली और दौड़ते हुए थाने पहुंचे। मां-बेटी को देखकर उनका गुस्सा फूट पड़ा। इंस्पेक्टर डर गया और तुरंत माफी मांगने लगा। राजेश सिंह ने एंबुलेंस बुलाकर मां को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टर ने बताया—अगर समय पर इलाज नहीं मिलता तो हालत गंभीर हो सकती थी।

राजेश सिंह ने ठान लिया कि इंस्पेक्टर को सजा दिलाकर रहेंगे। वह आईपीएस अधिकारी नेहा पार्वती के पास पहुंचे और वीडियो दिखाया। नेहा ने तुरंत कार्रवाई शुरू की, इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने का आदेश दिया और केस कोर्ट में पहुंच गया।

अगले दिन कोर्ट में भारी भीड़ थी। जज ने गंभीरता से सभी सबूत और गवाह सुने। संगीता ने बताया कैसे पुलिस ने बिना वजह चालान मांगा, थप्पड़ मारा और लॉकअप में बंद किया। डॉक्टर ने बताया कि मां की तबीयत पुलिस की लापरवाही से बिगड़ी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने पूरे मामले को साफ कर दिया।

जज साहब ने फैसला सुनाया—“इंस्पेक्टर कुणाल वर्मा ने वर्दी का दुरुपयोग किया, निर्दोष महिला और उसकी बेटी पर अत्याचार किया। इसलिए उसे तुरंत सस्पेंड किया जाए और जेल भेजा जाए। पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए।”

कोर्ट में शांति छा गई। राजेश सिंह और संगीता ने राहत की सांस ली। जनता ने बाहर नारे लगाए—न्याय हुआ, न्याय हुआ। इस घटना ने पूरे जिले में मिसाल कायम कर दी। लोगों को समझ आ गया कि कानून सबके लिए बराबर है। आर्मी ऑफिसर राजेश सिंह के साहस और मां-बेटी की मजबूती ने साबित कर दिया कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।

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