दूसरी पत्नी हेमा मालिनी ने खोला 50 साल पुराना राज। Prakash kaur expose hema secret
धर्मेंद्र की जिंदगी: प्यार, दर्द और रिश्तों की कहानी
धर्मेंद्र देओल का नाम भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में गिना जाता है। उनका जीवन सिर्फ एक सुपरस्टार की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने प्यार किया, समझौते किए, और दर्द को चुपचाप सहा। धर्मेंद्र के निधन के बाद, उनके परिवार में जो घटनाएं हुईं, उन्होंने उनके जीवन की जटिलताओं को और भी उजागर किया। आइए, हम उनकी जिंदगी की इस दिलचस्प कहानी को समझते हैं।
धर्मेंद्र का करियर और प्यार
धर्मेंद्र ने 1960 में फिल्म “दिल भी तेरा हम भी तेरे” से अपने करियर की शुरुआत की। उस दौर में राजेश खन्ना, दिलीप कुमार, और देवानंद जैसे बड़े सितारे फिल्म इंडस्ट्री में छाए हुए थे। धर्मेंद्र ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से जल्द ही एक अलग पहचान बनाई। उनकी फिल्मों ने उन्हें न केवल स्टार बनाया, बल्कि उनके व्यक्तित्व ने भी लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई।
धर्मेंद्र की जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने हेमा मालिनी के साथ प्रेम संबंध स्थापित किया। हेमा की खूबसूरती और अभिनय ने धर्मेंद्र को अपनी ओर खींच लिया। हालांकि, धर्मेंद्र पहले से ही शादीशुदा थे, और उनके चार बच्चे थे। इस स्थिति ने उनके और हेमा के रिश्ते को और भी जटिल बना दिया।
विवाह और विवाद
धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर से शादी 19 साल की उम्र में हुई थी। प्रकाश कौर ने अपने बच्चों को हमेशा इस फिल्मी दुनिया से दूर रखा। दूसरी ओर, धर्मेंद्र ने अपनी फिल्मी जिंदगी में रमकर नए प्यार की तलाश शुरू की। जब उनका नाम हेमा मालिनी के साथ जुड़ा, तो यह खबरें तेजी से फैलने लगीं।
हेमा मालिनी और धर्मेंद्र का रिश्ता तब और भी पेचीदा हो गया जब हेमा की मां ने उनकी शादी के खिलाफ खड़ा होना शुरू किया। उन्होंने हेमा को जितेंद्र के साथ शादी करने का सुझाव दिया, जो उस समय के एक बड़े अभिनेता थे। लेकिन हेमा का दिल पहले से ही धर्मेंद्र के लिए धड़क रहा था।

इस्लाम अपनाना
धर्मेंद्र और हेमा के रिश्ते में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने इस्लाम अपनाने का फैसला किया। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि इस्लाम में एक पुरुष को एक से अधिक शादी करने की अनुमति है। धर्मेंद्र ने अपना नाम दिलावर खान रखा और हेमा ने भी इस्लाम कबूल किया।
इस निर्णय ने उन्हें एक साथ आने का रास्ता दिया, लेकिन इसके साथ ही कई विवाद भी खड़े हुए। धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर ने तलाक देने से इनकार कर दिया, जिससे धर्मेंद्र और हेमा की शादी कानूनी रूप से विवादित हो गई।
परिवारों के बीच की दूरी
धर्मेंद्र की जिंदगी में दो परिवारों के बीच की दूरी हमेशा बनी रही। हेमा और उनके बच्चों के साथ-साथ प्रकाश कौर और उनके बच्चों के बीच एक अजीब सी खामोशी थी। धर्मेंद्र ने दोनों परिवारों को एक साथ लाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
धर्मेंद्र की बेटियां ईशा और अहाना ने अपने पिता को हमेशा याद किया, लेकिन उनके लिए भी यह स्थिति कठिन थी। उन्होंने अपनी मां को यह कहकर सुला दिया कि “पापा शूटिंग पर गए हैं,” ताकि उनके मन में कोई कड़वाहट न आए।
धर्मेंद्र का निधन और शोक सभा
धर्मेंद्र का निधन 24 नवंबर 2025 को हुआ। उनके निधन के बाद, शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें बॉलीवुड के कई बड़े सितारे शामिल हुए। लेकिन इस शोक सभा में हेमा मालिनी का न होना चर्चा का विषय बन गया।
दो अलग-अलग शोक सभाएं आयोजित की गईं, जिसमें एक जूहू में थी जहां देओल परिवार मौजूद था, जबकि दूसरी निजी प्रेयर मीट हेमा और उनकी बेटियों के लिए थी। इस फैसले ने सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलाने का काम किया।
अफवाहें और सच्चाई
जब हेमा मालिनी शोक सभा में नहीं आई, तो लोगों ने कहा कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया या फिर उन्हें अंदर जाने से रोका गया। लेकिन सच्चाई यह थी कि हेमा को डॉक्टरों ने लंबी यात्रा और भावनात्मक तनाव से बचने की सलाह दी थी। उन्होंने अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक सभा में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया।
हेमा ने अपने घर पर एक निजी प्रार्थना सभा रखी, जहां परिवार के करीबी लोग और मित्र आए। उन्होंने धर्मेंद्र जी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
रिश्तों की जटिलता
धर्मेंद्र के निधन के बाद, परिवार के बीच की दूरियां फिर से उजागर हो गईं। ईशा और अहाना ने अपनी मां के साथ धर्मेंद्र की याद में प्रार्थना की, लेकिन यह स्पष्ट था कि रिश्तों में अब भी कड़वाहट थी।
धर्मेंद्र की जायदाद का बंटवारा भी एक बड़ा मुद्दा बन गया। उनकी संपत्ति के लिए वसीयत बनी है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अगर वसीयत बनी है, तो उसमें लिखी शर्तें ही कानूनी दृष्टि से मान्य होंगी।
निष्कर्ष
धर्मेंद्र की जिंदगी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि रिश्ते हमेशा आसान नहीं होते। प्यार, दर्द, और समझौते के बीच एक संतुलन बनाना मुश्किल होता है। परिवारों के बीच की दूरियां कभी-कभी इतनी गहरी हो जाती हैं कि उन्हें पाटना मुश्किल हो जाता है।
धर्मेंद्र का जीवन एक प्रेरणा है कि कैसे एक इंसान अपने प्यार और परिवार के लिए संघर्ष करता है। उनकी कहानी हमें यह याद दिलाती है कि असली विरासत केवल संपत्ति नहीं होती, बल्कि प्यार और रिश्तों की गहराई होती है।
इस कहानी के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि जीवन में सच्चे रिश्ते और प्यार ही सबसे महत्वपूर्ण हैं। चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, परिवार और प्यार के बंधन को मजबूत बनाए रखना चाहिए।
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