सालों बाद कॉलेज का पहला प्यार, जब SP बनकर मिला… फिर जो हुआ | Heart touching story
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कॉलेज का पहला प्यार, सालों बाद SP बनकर मिला – एक दिल छू लेने वाली कहानी
नीलम की जिंदगी हमेशा से साधारण रही थी। छोटे से शहर की एक साधारण लड़की, जो अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती रही। कॉलेज के दिनों में उसकी जिंदगी में एक नाम आया था – अर्जुन। वो लंबा, आत्मविश्वासी और हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित। दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होती गई और कब वो दोस्ती प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला।
अर्जुन का सपना था कि वो एक दिन बड़ा अफसर बने, अपनी वर्दी में गर्व से खड़ा हो। लेकिन हालात ऐसे थे कि अर्जुन को नीलम से दूर जाना पड़ा। उसने नीलम से कहा था, “मैं तुमसे दूर इसलिए जाता हूं क्योंकि मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है। मेरी मंजिल एसपी बनना है।” नीलम ने उसका फैसला समझा, लेकिन दिल में कहीं एक खालीपन रह गया।
समय बीतता गया। नीलम स्कूल में टीचर बन गई, अपने परिवार की जिम्मेदारियों में उलझ गई। अर्जुन की यादें उसके दिल के किसी कोने में दब गईं। लेकिन वो पन्ना कभी पूरी तरह बंद नहीं हुआ। सालों बाद एक दिन स्कूल में खबर आई – “आज एसपी साहब स्कूल विजिट पर आ रहे हैं।” पूरा स्कूल तैयारियों में जुट गया। बच्चों की लाइन लगी, टीचर्स अपनी-अपनी ड्यूटी संभाल रहे थे।
मुख्य दरवाजे पर एक काली गाड़ी रुकी। उसमें से उतरे एक ऊंचे कद वाले अफसर – अर्जुन सिंह। वर्दी की चमक, चेहरे की गंभीरता और आंखों में वही तेज। नीलम की आंखें धुंधला गईं, हाथ कांपने लगे। वो पहचान गई – ये वही अर्जुन है, उसका कॉलेज का प्यार, जो आज एसपी बनकर उसके सामने खड़ा है।
अर्जुन ने बच्चों को सलाम किया, स्टाफ से मिला। उसकी नजर जब नीलम पर पड़ी तो समय जैसे थम गया। दोनों की आंखें मिलीं, बरसों की दूरी, अधूरी बातें, टूटा सपना – सब एक ही पल में सामने आ गया। भ्रमण खत्म हुआ, अर्जुन बाहर निकलने लगा। नीलम ने हिम्मत करके आवाज दी, “अर्जुन…” अर्जुन रुक गया, पलटा, उसकी आंखें सीधे नीलम की आंखों में जा अटकी। कुछ सेकंड की खामोशी, जिसमें बरसों की मोहब्बत और दर्द छुपा था।
अर्जुन मुस्कराया, “नीलम, मुझे पता था एक दिन तुम्हें फिर देखूंगा।” नीलम की आंखें भर आईं। उसने धीमे से कहा, “तुम तो वादा करके गए थे…” अर्जुन ने गहरी सांस ली, “मैं लौटा हूं नीलम, अपने वादे के साथ, अपनी वर्दी के साथ। क्या वो जगह अब भी खाली है जो मैंने सालों पहले छोड़ी थी?” नीलम ने मुस्कान के साथ कहा, “तुम देर से आए अर्जुन, लेकिन सही वक्त पर आए।”
उस मुलाकात के बाद दोनों की खामोशी टूटने लगी। स्कूल से निकलते वक्त नीलम ने पूछा, “अगर वक्त हो तो एक कप चाय हो जाए?” अर्जुन मुस्कराया, “इतने सालों बाद कोई पूछे तो वक्त खुद रुक जाता है।” दोनों पास के पुराने कैफे में बैठ गए, वही कैफे जहां कॉलेज के दिनों में नीलम दोस्तों के साथ हंसा करती थी और अर्जुन दूर से उसे देखता था।
कुछ पल दोनों चुप रहे, सिर्फ आंखों से बातें हो रही थी। नीलम ने कहा, “बहुत कुछ बदल गया अर्जुन, लेकिन आज भी जब तुम्हें देखती हूं तो लगता है जैसे कॉलेज का वही पहला दिन है।” अर्जुन की आंखें भर आईं, “मैं हर पल तुम्हारे बारे में सोचता था। जब ट्रेनिंग के लिए दूर जाता था, जब रात को थककर किताबों में सिर झुकाता था। हर बार मेरे दिल में बस एक ख्वाहिश होती थी – एक दिन वर्दी में तुम्हारे सामने खड़ा हूं और कह सकूं कि मैंने अपना वादा निभाया है।”
नीलम की आंखों से आंसू ढलक पड़े, “पर अर्जुन मेरी दुनिया अब बहुत बदल गई है। पापा बीमार हैं, जिम्मेदारियों का बोझ है, और वो साल जब मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत थी – तुम नहीं थे।” अर्जुन ने उसका हाथ थाम लिया, “मैं जानता हूं मेरी खामोशी ने तुम्हें सबसे ज्यादा तकलीफ दी, पर मेरी मजबूरी थी। मैं डरता था कि कहीं मेरे अधूरे सपनों की वजह से तुम्हारी जिंदगी भी अधूरी न रह जाए।”
नीलम ने पूछा, “तो अब क्या अभी कोई दूरी है हमारे बीच?” अर्जुन ने कहा, “अब नहीं नीलम। अब मैं सिर्फ वर्दी से नहीं, दिल से रिश्ता जोड़ना चाहता हूं। इस बार तुम्हें अपने साथ लेकर चलने आया हूं।” नीलम की आंखों में राहत की चमक थी, लेकिन समाज का डर भी। “अर्जुन, प्यार तो हमारे दिलों का सच है, पर समाज क्या कहेगा?”
अर्जुन ने जवाब दिया, “जिस समाज ने हमें तोड़ा था, अब उसी को दिखाना होगा कि प्यार कोई गुनाह नहीं होता। मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं।” अगले दिन अर्जुन अपनी वर्दी पहनकर नीलम के घर गया। उसके बूढ़े पिता ने दरवाजा खोला। अर्जुन ने कहा, “अंकल, मैं आपकी बेटी का हाथ मांगने आया हूं।”
पिता ने पूछा, “क्या तुम समाज से लड़ पाओगे? क्या तुम नीलम को हर हाल में स्वीकार कर पाओगे?” अर्जुन ने आत्मविश्वास से कहा, “मैं समाज से नहीं डरता। जिसने मुझे इंसान बनाया, उसके लिए लड़ना मेरा फर्ज है। नीलम मेरे जीवन का सच है।”
कुछ ही दिनों बाद अर्जुन और नीलम की सगाई हुई। कोई बड़ी सजावट नहीं, बस अपनों के बीच एक सच्चा रिश्ता जुड़ रहा था। लेकिन जैसे ही खबर फैली, समाज दो हिस्सों में बंट गया – कुछ ने तारीफ की, कुछ ने ताने मारे। नीलम ने सबके सामने कहा, “यह प्यार है, अफवाह नहीं। अगर कोई सवाल उठाएगा तो हम दोनों मुस्कुरा कर जवाब देंगे।”
अर्जुन को ऑफिस में भी ताने मिले, “इतना बड़ा अफसर और साधारण टीचर से शादी?” अर्जुन ने कहा, “जिसने मुझे इंसान बनाया, उसके सामने बाकी सब रिश्ते छोटे हैं।”
फिर वो दिन आया जब दोनों ने समाज के डर से ऊपर उठकर मंदिर में शादी कर ली। ना कोई शाही जश्न, बस सादगी और सच्चाई। जब अर्जुन ने नीलम के गले में वरमाला डाली, नीलम की आंखों से आंसू थम ही नहीं रहे थे – वो आंसू सुकून के थे कि उसका अधूरा सपना पूरा हो गया।
शादी के बाद भी समाज की बातें चलती रहीं। किसी ने कहा, “यह रिश्ता टिकेगा नहीं।” किसी ने कहा, “एसपी ने अपनी वर्दी की गरिमा कम कर दी।” लेकिन नीलम और अर्जुन ने इन सबका जवाब चुपचाप अपनी जिंदगी से दिया। नीलम स्कूल में बच्चों को पढ़ाती रही, मिसाल बन गई। अर्जुन अपनी वर्दी में और ज्यादा इज्जत कमाने लगा – लोग अब उसे सिर्फ अफसर नहीं, एक सच्चा इंसान मानने लगे।
शाम को दोनों छत पर बैठकर बातें करते। नीलम कहती, “अर्जुन, याद है कॉलेज में मैंने कहा था – अगर तुमने मुझे दिल से चाहा है तो एक दिन लौटकर जरूर आओगे?” अर्जुन मुस्कुराता, “हां नीलम, देखो मैं लौटा भी – वर्दी में और दिल से भी।”
उनकी आंखों में वही चमक थी जो सालों पहले कॉलेज की लाइब्रेरी में थी। अब उनके बीच खामोशी नहीं, भरोसा था, साथ था, और ऐसी मोहब्बत थी जिसे कोई ताकत तोड़ नहीं सकती थी।
यह कहानी सिर्फ नीलम और अर्जुन की नहीं है। यह कहानी उस भरोसे की है जो वक्त और दूरी की हर दीवार को तोड़कर लौट आता है। यह कहानी उस हिम्मत की है जो हमें समाज के तानों से ऊपर उठकर अपने दिल की सुनने का साहस देती है। और यह कहानी उस मोहब्बत की है जो साबित करती है कि अगर रिश्ता दिल से जुड़ा हो तो वक्त और हालात चाहे जैसे भी हों, वह रिश्ता कभी नहीं टूटता।
तो दोस्तों, क्या आपको लगता है कि सच्चा प्यार हर मुश्किल को पार कर सकता है? क्या हमें समाज की परवाह किए बिना अपने दिल की सुननी चाहिए? अपनी राय जरूर बताइए।
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