एक अरबपति एक टोकरी में एक बच्चे को पाता है और सच्चाई उसे हमेशा के लिए उसकी नौकरानी से जोड़ देती है

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अरबपति, टोकरी में बच्चा और नौकरानी का सच — एक दिल छू लेने वाली कहानी

मुंबई की उमस भरी सुबह थी। अरबपति राजीव मेहरा, जिनका नाम व्यापार जगत में कठोरता और अनुशासन के लिए जाना जाता था, अपने विशाल हवेली के लोहे के भारी दरवाजे को खोल रहे थे। उनकी आंखों में वो खालीपन था, जो अक्सर सिर्फ उन लोगों में दिखता है जिन्होंने पैसे के पीछे भागते-भागते अपनी आत्मा खो दी हो। उस दिन उनके जीवन की दिशा अचानक बदलने वाली थी।

दरवाजे के पास एक छोटी सी बुनी हुई टोकरी थी। उसमें एक मासूम बच्चा था, जिसकी बड़ी-बड़ी नम आंखें राजीव को देख रही थीं। उसकी छोटी सी मुट्ठी में एक चांदी का पेंडेंट था, जिस पर मेहरा परिवार का वही प्रतीक बना था जिसे राजीव ने वर्षों पहले अपने अजन्मे बेटे के लिए बनवाया था। राजीव का शरीर जड़ हो गया। जैसे अतीत ने उसे पकड़ लिया हो। उसकी सांसें तेज हो गईं, हाथ कांपने लगे। “कोई है?” उसने चिल्लाया। कोई जवाब नहीं आया। फिर उसकी नौकरानी सीता दौड़ती हुई आई। बच्चा देखकर उसके चेहरे पर डर और पहचान का भाव था। राजीव समझ गया कि सीता कुछ जानती है।

राजीव ने पुलिस बुलाने की धमकी दी, लेकिन सीता ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी आंखों में आंसू थे। वह बोली, “साहब, यह बच्चा यहां बिना वजह नहीं आया है।” सीता ने राजीव को अंदर आने और दरवाजे बंद करने का इशारा किया। हवेली की विशाल दीवारें जैसे इस रहस्य को समेट नहीं पा रही थीं। राजीव ने टोकरी उठाई और शिशु को अपने करीब खींच लिया। अंदर जाते ही राजीव ने देखा कि सीता का व्यवहार सामान्य से कहीं अधिक परेशान था। उसकी आंखों में एक अजीब चमक थी और वह बार-बार अपने साड़ी के पल्लू से माथे का पसीना पोंछ रही थी।

राजीव ने गुस्से से पूछा, “यह सब क्या है सीता?” सीता ने बच्चे को सहलाया और वह धीरे-धीरे शांत हो गया। राजीव को और गुस्सा आ गया। “तुम इस बच्चे के बारे में क्या जानती हो?” उसकी आवाज में धमकी थी। सीता ने गहरी सांस ली और कहा, “कुछ राज सिर्फ आपके नहीं हैं साहब, वे आपके परिवार के भी हैं।”

तभी शिशु ने राजीव की उंगली पकड़ ली। उस छोटे से स्पर्श ने राजीव के अंदर दर्दनाक यादों का तूफान ला दिया। उसकी आंखों के सामने वो रात तैर गई जब डॉक्टरों ने बताया था कि उसका बेटा जन्म के समय ही मर गया था। वही आंखें, वही सवालों से भरी आंखें। सीता धीरे-धीरे नजदीक आई और बोली, “कभी-कभी जिंदगी हमें दूसरा मौका देती है।”

राजीव ने बच्चे की ओर देखा। वही आंखें, वही नाक, वही पेंडेंट। यह वही प्रतीक था जिसे उसने अपने अजन्मे बच्चे के लिए बनवाया था। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था? उसका बेटा तो मर चुका था। सीता ने टोकरी से एक कपड़ा निकाला — अमृत नर्सिंग होम कोलकाता लिखा हुआ था। यही अस्पताल था जहां उसका बेटा पैदा हुआ था। राजीव के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। “इसका मतलब है कि मुझसे झूठ बोला गया। मेरा बेटा जीवित है।”

तभी बाहर से कार के इंजन की आवाज आई। “साहब, आपके भाई आ गए हैं।” सीता ने बच्चे को राजीव के बेडरूम में ले जाने को कहा। राजीव ने आदेश दिया, “किसी को इसके बारे में पता नहीं चलना चाहिए।” लेकिन उसके मन में सवाल था — इतने सालों तक बच्चे को किसने छिपाकर रखा और क्यों?

रात भर राजीव सो नहीं सका। वह बच्चे को देखता रहा। क्या उसे पुलिस को बुलाना चाहिए या यह सब एक गहरे राज के अंतर्गत रखना चाहिए? सीता ने सलाह दी, “कुछ चीजें पुलिस के हाथों में देने से पहले घर के भीतर ही सुलझानी चाहिए।” राजीव ने स्वीकार किया कि उसने कभी सीता की बातों को गंभीरता से नहीं लिया था।

अगली सुबह हवेली में अफवाह फैल गई कि राजीव ने किसी बच्चे को गोद लिया है। डॉक्टर अहमद, परिवार के पुराने मित्र, बच्चे का चेकअप करने आए। उन्होंने बच्चे के कंधे पर वही चंद्रमा जैसा निशान देखा जो मेहरा परिवार के हर सदस्य के पास था। राजीव ने सीता से पूछा, “तुम्हें यह कैसे पता?” सीता ने कहा, “मैं पिछले 20 साल से आपके परिवार के लिए काम कर रही हूं साहब।”

तभी राजीव के फोन पर एक अनजान नंबर से कॉल आई — “जो आपने अपने दरवाजे पर पाया है, वह सिर्फ आपकी समस्या नहीं है बल्कि आपकी जिम्मेदारी भी है। आपके पास अब सिर्फ 24 घंटे हैं।” राजीव समझ गया कि यह खेल सिर्फ परिवार का नहीं बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।

शाम को राजीव के व्यापारिक समारोह में मंत्री प्रसाद और भाई विकास मौजूद थे। मंत्री प्रसाद ने संकेत दिए कि मेहरा परिवार की विरासत सिर्फ धन नहीं बल्कि खून का बंधन भी है। तभी बच्चे के रोने की आवाज आई। विकास ने व्यंग्य में कहा, “लगता है कि मेहरा मंशन में कोई नया मेहमान है।” राजीव ने स्वीकार किया कि उसने एक बच्चे को गोद लिया है। मंत्री प्रसाद ने कहा, “कभी-कभी परिवार की चीजें एक बड़े खेल का हिस्सा होती हैं।”

राजीव ने सीता से पूछा, “क्या तुमने मेरे बेटे को चुराया था?” विकास ने कहा, “यह मेरी योजना नहीं थी, यह पिताजी की थी। जब तुम्हारी पत्नी गर्भवती हुई थी, मंत्री प्रसाद ने पिताजी को धमकी दी थी। तुम्हारी पत्नी ने अपने प्यार में अपनी मौत का नाटक किया ताकि तुम्हें बचा सके। वह दक्षिण भारत के एक गांव में रह रही है। जब तुम्हारा बेटा पैदा हुआ, उसने उसे अपने साथ ले लिया। अब खतरा टल गया है, इसलिए तुम्हारा बेटा वापस आया है।”

सीता ने सच बताया — बच्चा उसका पोता है, उसकी बेटी की मृत्यु के बाद उसने राजीव के पास छोड़ दिया। राजीव ने कहा, “तुम इस परिवार का हिस्सा हो। तुम और तुम्हारा पोता दोनों यहीं रहोगे। हम साथ में एक नया परिवार बनाएंगे।”

अगले दिन राजीव की पत्नी और बेटा वापस आने वाले थे। राजीव ने बच्चे को अपनी बाहों में लिया और सीता को अपने करीब बुलाया। “तुम दोनों ने मुझे जीना सिखाया है,” उसने कहा। खिड़की से मुंबई का आसमान देखता हुआ राजीव अब जानता था कि असली दौलत रिश्तों में है।

सीता ने कहा, “कभी-कभी जिंदगी हमें खोने के लिए कुछ देती है ताकि हम कुछ ज्यादा कीमती पा सकें।” राजीव मुस्कुराया। नौकरानी और अरबपति दो अलग-अलग दुनिया के लोग अब एक साथ जुड़े थे — सच्चाई से।

इस कहानी से सीख मिलती है कि जीवन का सबसे बड़ा धन रिश्तों में छिपा होता है। कभी-कभी हमारे जीवन के सबसे बड़े रहस्य और खजाने हमारे बिल्कुल सामने होते हैं, बस हमें उन्हें देखने के लिए अपनी आंखें और दिल खोलने की जरूरत होती है।

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https://youtu.be/6Izs2QqYTJ4?si=s1fNYnGsMbsxIFuC