Jab Inspector Ne DM Madam Ko Aam Ladki Samajh Kar Thappad Mara Aur Phir Inspector Ko Kya Hua?
“एक प्लेट पानी पूरी और कानून का सच”
कहानी शुरू होती है एक आम शाम से, जब शहर की भीड़ में एक लड़की, ईशा राव, पानी पूरी के ठेले पर पहुंचती है।
“भैया, एक प्लेट पानी पूरी लगाना।”
“हां मैडम, बताइए। तीखा या मीठा खाएंगी?”
“एकदम तीखा बनाना, ऐसा कि मजा आ जाए।”
राहुल, गरीब पानी पूरी वाला, खुशी-खुशी प्लेट तैयार करता है। तभी वहां पुलिस की जीप आकर रुकती है। इंस्पेक्टर गोपाल वर्मा अपने सिपाहियों के साथ उतरता है।
“बे राहुल, तेरा ठेला आज फिर यहां लग गया। कितनी बार बोला है सड़क पे धंधा नहीं करना है।”
राहुल हाथ जोड़ता है, “साहब, गरीब आदमी हूं। बच्चों को पालना है। थोड़ा साइड में ही लगाया है, किसी को तकलीफ नहीं हो रही।”
गोपाल वर्मा हंसता है, “तकलीफ नहीं हो रही? और इस हफ्ते का हिस्सा कहां है?”
राहुल गिड़गिड़ाता है। तभी ईशा राव बीच में बोल पड़ती है, “ये क्या तरीका है? किसी गरीब की रोजी-रोटी को इस तरह लात मारते हुए आपको शर्म नहीं आती?”
गोपाल वर्मा और उसके सिपाही हैरान हो जाते हैं। “ओहो, सेवा करने कौन आया है? मैडम, तुम कौन हो? इसके रिश्तेदार हो?”
ईशा दृढ़ता से कहती है, “मैं इस देश की नागरिक हूं। और पूछ रही हूं किस कानून ने आपको यह हक दिया कि आप किसी की मेहनत को ऐसे बर्बाद कर दें?”
इंस्पेक्टर गुस्से में आ जाता है। “रुक, तुझे अभी कानून सिखाता हूं।”
सिपाही ईशा को घसीटते हैं, उसका विरोध सुनकर और भी सख्ती करते हैं।
“ले चलो इस लड़की को थाने, वहीं इसकी सारी अकड़ निकालेंगे।”
ईशा राव थाने पहुंचती है, जहां उसे लॉकअप में डाल दिया जाता है। वहां कुछ और महिलाएं पहले से कैद हैं।
एक महिला पूछती है, “बहन, तुझे क्यों पकड़ा?”
ईशा कहती है, “मैंने एक गरीब की मदद करने की गलती कर दी।”
दूसरी लड़की रोती है, “दीदी, ये लोग बहुत बुरे हैं। मैंने बस अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की सोची थी, घर वालों ने ही पुलिस से पकड़वा दिया। ये लोग मुझे सुबह से पीट रहे हैं।”
रात भर ईशा को झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश होती है।
“इस कागज पर साइन कर दे, इसमें लिखा है कि तूने सरकारी काम में बाधा डाली और नशे में हंगामा किया।”
ईशा डटकर जवाब देती है, “मैं किसी झूठे कागज पे साइन नहीं करूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की है।”
इंस्पेक्टर उसे धमकाता है, “चल बाहर निकल, अबे सुनती नहीं है क्या?”
ईशा को कमरे में ले जाकर मारने की धमकी दी जाती है, लेकिन वह डटी रहती है।
अचानक थाने में एक वरिष्ठ अधिकारी आते हैं।
“यहां क्या हो रहा है? गोपाल वर्मा, ये औरत कौन है?”
इंस्पेक्टर घबराकर कहता है, “सर, ये सड़क पे हंगामा कर रही थी।”
वरिष्ठ अधिकारी पूछते हैं, “बिना महिला कांस्टेबल के रात में एक महिला को प्रताड़ित करना गैरकानूनी है। बिना सबूत के इसे बंद क्यों किया है?”
आखिरकार, ईशा की जमानत हो जाती है। बाहर मीडिया खड़ी है। पत्रकार सवाल पूछते हैं, “मैडम, आप पे क्या आरोप लगाया गया है?”
ईशा राव की असली पहचान सामने आती है।
वह कमिश्नर से फोन पर बात करती है, “मैं ईशा राव हूं, इस जिले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट। कल रात आपकी पुलिस ने मुझे लॉकअप में रखा, मुझ पर हाथ उठाया। मैं चाहती हूं कि आपकी इंटरनल अफेयर्स टीम यहां आए।”
कमिश्नर और एसएसपी खुद थाने पहुंचते हैं।
ईशा कहती है, “मैं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हूं और मुझ पर हमला हुआ है। आपकी मौजूदगी में ये हुआ कैसे?”
कमिश्नर सख्ती से इंस्पेक्टर गोपाल वर्मा, कांस्टेबल आकाश ठाकुर, संजय और राजीव को सस्पेंड कर देते हैं। साथ ही एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हैं।
“राहुल चाट वाले को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई इन्हीं की तनख्वाह से की जाएगी।”
ईशा राव गरीबों और महिलाओं के लिए न्याय की मिसाल बन जाती है।
राहुल के ठेले की भरपाई होती है, उसे ऑफिशियल लाइसेंस दिलवाया जाता है।
ईशा कहती है, “आज जो हुआ वो शर्मनाक है, लेकिन यह एक शुरुआत भी है। मैं इस शहर के हर नागरिक को भरोसा दिलाना चाहती हूं कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।”
“अगर पुलिस जनता की रक्षक बनेगी तो हम उसे सलाम करेंगे। लेकिन अगर वो भक्षक बनेगी तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।”
थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश देती हैं।
“कानून सबके लिए एक है। न्याय होगा। पूरी जनता सच देख रही है।”
अंत में, जनता ईशा राव के जज्बे को सलाम करती है।
“मैडम ईशा राव जिंदाबाद नहीं, भारतीय जनता जिंदाबाद।”
नोट:
यह कहानी केवल मनोरंजन और शिक्षा के उद्देश्य से बनाई गई है। इसमें दिखाए गए सभी पात्र, घटनाएं और संवाद काल्पनिक हैं। कृपया इसे केवल कहानी के रूप में देखें और इसका आनंद लें।
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