होटल का असली मालिक: गंगा प्रसाद की कहानी
शहर के सबसे बड़े पाँच सितारा होटल में एक सुबह 11 बजे एक बुजुर्ग साधारण कपड़े पहने हुए, हाथ में पुराना झोला लिए अंदर आ रहे थे। उनका नाम था गंगा प्रसाद।
होटल के गार्ड ने उन्हें देखकर रास्ता रोक लिया, “बाबा, आप यहाँ क्यों आए हैं? क्या काम है?”
गंगा प्रसाद ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, मेरी यहाँ बुकिंग है। बस उसी के बारे में पूछना था।”
गार्ड ने मजाक उड़ाते हुए अपने साथी से कहा, “देखो तो, बाबा कह रहे हैं इनकी यहाँ बुकिंग है!”
गार्ड ने फिर कहा, “बाबा, शायद आपको गलत पता दे दिया गया है। यह होटल बहुत महंगा है। यहाँ कोई आम आदमी नहीं आ सकता।”
इतने में होटल की रिसेप्शनिस्ट राधा कपूर ने यह बातचीत सुन ली। उसने गंगा प्रसाद को ऊपर से नीचे तक देखा और ताने भरी मुस्कान के साथ बोली, “बाबा, मुझे नहीं लगता आपकी कोई बुकिंग यहाँ होगी। शायद आप गलत जगह आ गए हैं।”
गंगा प्रसाद ने शांत स्वर में कहा, “बेटी, एक बार चेक तो कर लो। शायद मेरी बुकिंग यहीं हो।”
राधा ने लापरवाही से कहा, “ठीक है बाबा, इसमें समय लगेगा। आप वेटिंग एरिया में जाकर बैठ जाइए।”
गंगा प्रसाद चुपचाप कोने की कुर्सी पर बैठ गए। लॉबी में मौजूद कई गेस्ट उन्हें ताने मार रहे थे। किसी ने कहा, “लगता है मुफ्त का खाना खाने आया है।”
किसी ने कहा, “इसकी औकात नहीं है कि यहाँ का एक गिलास पानी भी खरीद सके।”
गंगा प्रसाद सब सुनते रहे, लेकिन चुप रहे।
एक बच्चा अपनी माँ से बोला, “मम्मी, ये बाबा यहाँ क्यों बैठे हैं?”
माँ बोली, “बेटा, सब किस्मत की मार है। जब किस्मत साथ न दे तो सबकी सुननी पड़ती है।”
राधा फिर से वहाँ आई और अपने साथी से बोली, “पता नहीं मैनेजर साहब क्या कहेंगे। ऐसे लोगों को यहाँ बैठाना भी रिस्क है। होटल की इमेज खराब हो रही है।”
साथी ने कहा, “कुछ देर बाद खुद ही चला जाएगा।”
गंगा प्रसाद एक घंटे तक वहाँ बैठे रहे। कभी घड़ी देखते, कभी रिसेप्शन की तरफ।
फिर धीरे से उठे और बोले, “बेटी, अगर तुम व्यस्त हो तो अपने मैनेजर को बुला दो। मुझे उनसे जरूरी बात करनी है।”
राधा ने अनमने ढंग से मैनेजर विक्रम खन्ना को फोन किया।
विक्रम ने दूर से देखा और बोला, “क्या ये हमारे गेस्ट हैं या बस ऐसे ही चले आए हैं? मेरे पास अभी टाइम नहीं है। बैठने दो, थोड़ी देर में खुद चले जाएंगे।”
गंगा प्रसाद फिर कोने की कुर्सी पर बैठ गए।
राधा ने कहा, “बाबा, आपको थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। मैनेजर अभी भी बिजी हैं।”
गंगा प्रसाद बोले, “ठीक है बेटी, मैं इंतजार कर लूंगा।”
इसी बीच होटल का बेल बॉय अर्जुन शर्मा आया। उसने गंगा प्रसाद को देखा और सम्मान से पूछा, “बाबा, आप कब से बैठे हैं? क्या किसी ने आपकी मदद नहीं की?”
गंगा प्रसाद बोले, “बेटा, मैं मैनेजर से मिलना चाहता हूँ, पर लगता है वो व्यस्त हैं।”
अर्जुन बोला, “बाबा, आप चिंता न करें। मैं अभी उनसे बात करता हूँ।”
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