गरीब समझकर बड़े सेठ ने मजाक उड़ाया| फिर सेठ की बेटी ने गरीब मछुवारे से शादी करली| फिर जो हुआ…….
गुजरात के एक समुद्री किनारे पर बसे छोटे से गांव नीलकंठपुर में एक धनी व्यापारी हेमंत शाह रहता था। उसका व्यापार मोतियों का था और वह पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध था। उसके पास सैकड़ों गोताखोर काम करते थे, जो समुद्र से मोती निकाल कर लाते थे। हेमंत शाह की तीन बेटियां थीं—प्रिया, सुमित्रा और रुद्रा। जबकि बड़ी बेटियां धन-संपत्ति में रुचि रखती थीं, रुद्रा का स्वभाव बहुत अलग था। रुद्रा हमेशा गरीबों की मदद में लगी रहती थी।
रुद्रा की संवेदनशीलता
रुद्रा रोज सुबह समुद्री किनारे जाकर मछुआरों की पत्नियों से बात करती, उनके बच्चों को पढ़ाती और उनकी समस्याएं सुनती। उसी गांव में एक मछुआरा करीम भी रहता था, जो अपनी मेहनत से परिवार का पेट पालता था। करीम के दो बेटे थे—इदरीस और यूनुस। इदरीस बड़ा बेटा था, जो हमेशा अमीर बनने के सपने देखता रहता था, जबकि छोटा बेटा यूनुस बहुत सीधा साधा और मेहनती था। वह रोज अपने पिता के साथ समुद्र में मछली पकड़ने जाता था और कभी किसी से झूठ नहीं बोलता था।
करीम के पास एक पुरानी नाव थी, जो उसके दादा से मिली थी। इस नाव का नाम “रहमत” था और यह तूफानों से बचकर हमेशा सही-सलामत घर लौटती थी। गांव वाले कहते थे कि इस नाव में कुछ जादू है, लेकिन करीम जानता था कि यह अल्लाह की रहमत है।
तूफान का आगाज
एक दिन समुद्र में बहुत तेज तूफान आया। सारे मछुआरे किनारे पर लौट आए, लेकिन हेमंत शाह के दो गोताखोर समुद्र में फंस गए थे। उनकी नाव टूट गई थी और वे एक बड़ी चट्टान पर छुपे हुए थे। जब रुद्रा को इसका पता चला, तो वह बहुत परेशान हो गई।
“पिताजी, हमें उनकी मदद करनी चाहिए,” रुद्रा ने कहा।
हेमंत शाह ने जवाब दिया, “बेटी, इस तूफान में कौन जाएगा? मैं किसी और गोताखोर की जान खतरे में नहीं डाल सकता।”
लेकिन रुद्रा का दिल नहीं माना। वह चुपके से घर से निकली और करीम के घर पहुंची। वहां यूनुस अपने पिता के साथ नाव की मरम्मत कर रहा था।
“करीम चाचा, समुद्र में दो आदमी फंसे हुए हैं। क्या आप उनकी मदद कर सकते हैं?” रुद्रा ने विनती की।
करीम ने आसमान की तरफ देखा। हवा में अभी भी तेजी थी, लेकिन तूफान थम रहा था। यूनुस ने अपने पिता से कहा, “अब्बू, चलिए, रहमत हमें बचाकर ले आएगी।”
साहसिक यात्रा
तीनों ने मिलकर नाव को समुद्र में उतारा। रुद्रा भी उनके साथ जाने की जिद करने लगी। पहले तो करीम ने मना किया, लेकिन रुद्रा ने कहा, “चाचा, मैं उन गोताखोरों को जानती हूं। वे डरे हुए होंगे। अगर मैं उनसे बात करूं तो वे जल्दी नाव में आ जाएंगे।”
अंततः करीम मान गया और चारों रहमत नाव में सवार होकर तूफानी समुद्र में निकले। लहरें अभी भी ऊंची थीं और नाव बार-बार हिल रही थी। यूनुस ने बड़ी कुशलता से नाव को चलाया और वे उस चट्टान तक पहुंचे जहां दोनों गोताखोर छुपे हुए थे।
“अरे मानसिंह, किशन!” रुद्रा ने आवाज लगाई। “घबराओ मत। हम आपको लेने आए हैं।”
दोनों गोताखोरों को जब रुद्रा की आवाज सुनाई दी, तो उनकी जान में जान आई। वे सावधानी से नाव में चढ़ गए, लेकिन अचानक एक और बड़ी लहर आई और नाव में पानी भर गया।
“चाचा, नाव डूब रही है!” यूनुस ने चिल्लाकर कहा।
करीम ने तुरंत निर्णय लिया। उसने अपने पास रखा एक कंटेनर निकाला जिसमें पानी जमा था। “यूनुस, इस कंटेनर से पानी बाहर फेंको। रुद्रा, तुम इन दोनों को संभालो। मैं नाव चलाता हूं।”
सभी ने मिलकर कड़ी मेहनत की। यूनुस लगातार पानी निकालता रहा। रुद्रा ने दोनों घायल गोताखोरों की हिम्मत बंधाई और करीम ने बड़ी सावधानी से नाव को किनारे तक पहुंचाया।
गांव का स्वागत
जब वे सुरक्षित किनारे पहुंचे, तो पूरा गांव उनका स्वागत करने के लिए खड़ा था। हेमंत शाह की आंखों में आंसू थे। उसने अपनी बेटी को गले लगाया और करीम के पैर छुए।
“करीम भाई, आपने मेरे आदमियों की जान बचाई है। आप जो भी इनाम मांगेंगे, मैं दूंगा।”
करीम ने हाथ जोड़ते हुए कहा, “सेठ जी, यह हमारा फर्ज था। इनाम की कोई जरूरत नहीं।”
लेकिन हेमंत शाह ने जिद की और आग्रह करके करीम को हजारों रुपए दिए। साथ ही उसने यूनुस को अपने यहां काम का प्रस्ताव भी दिया।
दोस्ती का आरंभ
इस घटना के बाद रुद्रा और यूनुस में दोस्ती हो गई। रुद्रा अक्सर समुद्री किनारे आती और यूनुस से बातें करती। यूनुस ने रुद्रा को मछली पकड़ना सिखाया और रुद्रा ने यूनुस को हिंदी पढ़ना सिखाया।
महीनों बीते और दोनों की दोस्ती प्रेम में बदल गई। लेकिन वे जानते थे कि यह आसान नहीं होगा। रुद्रा एक धनी व्यापारी की बेटी थी और यूनुस एक मछुआरे का बेटा।
संघर्ष का समय
एक दिन हेमंत शाह को पता चला कि रुद्रा और यूनुस में प्रेम है। वह बहुत गुस्सा हुआ। “यह कैसे हो सकता है? मैं अपनी बेटी की शादी एक मछुआरे के बेटे से नहीं कर सकता,” उसने रुद्रा से कहा।
रुद्रा ने जवाब दिया, “पिताजी, यूनुस एक अच्छा इंसान है। उसने आपके गोताखोरों की जान बचाई थी। पैसा और जाति से बड़ा इंसानियत होती है।”
लेकिन हेमंत शाह नहीं माना। उसने रुद्रा को घर में बंद कर दिया और यूनुस को गांव छोड़ने का आदेश दे दिया।

इदरीस की साजिश
यूनुस के बड़े भाई इदरीस को जब यह बात पता चली, तो वह बहुत खुश हुआ। उसे लगा कि अगर यूनुस चला जाए तो सारी संपत्ति उसकी हो जाएगी। उसने हेमंत शाह से मिलकर कहा, “सेठ जी, आप चिंता मत कीजिए। मैं अपने भाई को समझा दूंगा।”
लेकिन सच्चाई यह थी कि इदरीस अपने भाई से जलता था। उसने एक साजिश रची। उसने यूनुस से कहा, “भाई, हेमंत सेठ ने तुझे गांव छोड़ने को कहा है। लेकिन मैंने एक रास्ता निकाला है। तू एक काम कर। रात को सेठ जी के घर जाकर रुद्रा से मिला। मैंने चौकीदार को पैसे दे दिए हैं। वह तुझे अंदर जाने देगा।”
धोखा
यूनुस को लगा कि उसका भाई वाकई उसकी मदद कर रहा है। वह नहीं जानता था कि इदरीस ने हेमंत शाह को पहले से ही इसकी जानकारी दे दी थी। रात को जब यूनुस हेमंत शाह के घर पहुंचा, तो वहां पहले से ही जाल बिछा हुआ था। हेमंत शाह के आदमी उसका इंतजार कर रहे थे।
“तो तुम चोर की तरह मेरे घर में घुसे हो,” हेमंत शाह ने गुस्से से कहा।
यूनुस ने समझाने की कोशिश की। “सेठ जी, मैं सिर्फ रुद्रा से एक बार मिलना चाहता था।”
“मिलना रात के अंधेरे में?” हेमंत शाह ने व्यंग से कहा। “गांव वाले क्या कहेंगे? तुमने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी।”
हेमंत शाह ने यूनुस को बांधकर एक कमरे में बंद कर दिया और अगली सुबह गांव के मुखिया को बुलाया। पंचायत में फैसला हुआ कि यूनुस को गांव से निकाल दिया जाए।
करीम का दुख
करीम को जब यह बात पता चली, तो वह टूट गया। उसने यूनुस से पूछा, “बेटा, तूने ऐसा क्यों किया?” यूनुस ने सच्चाई बताई कि इदरीस ने उसे यह राह दिखाई थी।
लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। रुद्रा को जब पता चला कि यूनुस को गांव से निकाल दिया गया है, तो वह पागल हो गई। उसने अपने पिता से कहा, “आपने यूनुस के साथ बहुत गलत किया है। वह एक अच्छा इंसान है।”
“अच्छा इंसान जो रात के अंधेरे में किसी की बेटी से मिलने आए?” हेमंत शाह ने जवाब दिया।
रुद्रा का निर्णय
रुद्रा ने तभी निर्णय लिया कि वह भी गांव छोड़ देगी। रात को वह अपने गहने कपड़े बांधकर घर से निकल पड़ी। यूनुस उस समय समुद्री किनारे पर बैठकर रो रहा था। उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई थी। तभी रुद्रा वहां आई।
“यूनुस, मैं तुम्हारे साथ चलूंगी। हम कहीं और जाकर नई जिंदगी शुरू करेंगे।”
यूनुस ने कहा, “रुद्रा, यह गलत है। तुम अपना घर-बार छोड़कर मेरे साथ नहीं आ सकती। मेरे लिए तुम सबसे ज्यादा अहमियत रखती हो।”
दोनों ने फैसला किया कि वे गांव छोड़कर किसी बड़े शहर में जाएंगे, जहां कोई उन्हें नहीं जानता। करीम की पुरानी नाव रहमत समुद्री किनारे खड़ी थी। यूनुस ने सोचा कि वे इस नाव से दूसरे किनारे जा सकते हैं।
नया सफर
रात के अंधेरे में दोनों ने नाव को पानी में उतारा। यूनुस ने नाव चलाना शुरू किया। समुद्र शांत था और चांद की रोशनी में उनकी राह साफ दिख रही थी। लेकिन अचानक मौसम बदल गया। बादल आ गए और हवा तेज होने लगी।
यूनुस ने रुद्रा से कहा, “मुझे लगता है तूफान आने वाला है। हमें वापस जाना चाहिए।”
“नहीं यूनुस, अब वापसी नहीं है। हमें आगे ही जाना है,” रुद्रा ने दृढ़ता से कहा।
तूफान और भी तेज हो गया। नाव तेज हवाओं में लड़खड़ाने लगी। यूनुस ने पूरी ताकत लगाकर नाव को काबू में रखने की कोशिश की। लेकिन तभी एक बहुत बड़ी लहर आई और नाव पलट गई। दोनों पानी में गिर गए।
संकट का समय
रुद्रा को तैरना नहीं आता था। यूनुस ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन तूफान बहुत तेज था। “यूनुस, मुझे छोड़ दो। अपनी जान बचाओ,” रुद्रा चिल्लाई।
“कभी नहीं,” यूनुस ने जवाब दिया और रुद्रा को कसकर पकड़े रहा। भगवान की कृपा से नाव का एक टुकड़ा पास में आ गया। दोनों ने उसे पकड़ लिया और तैरते हुए किसी छोटे से द्वीप तक पहुंचे।
यह द्वीप बहुत छोटा था और वहां सिर्फ कुछ नारियल के पेड़ और एक छोटा सा चश्मा था। दोनों ने सोचा कि शायद कोई दिन बाद उन्हें ढूंढने आएगा। लेकिन दिन बीतते गए और कोई नहीं आया।
द्वीप पर जीवन
यूनुस रोज समुद्र में मछली पकड़ता और रुद्रा नारियल तोड़कर खाना बनाती। वे एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहने लगे। महीनों बाद एक दिन समुद्र में एक जहाज दिखाई दिया। यूनुस ने आग जलाकर धुआं किया ताकि जहाज वाले उन्हें देख सकें।
जहाज वाले उन्हें देखकर द्वीप पर आए। जहाज का कप्तान एक अच्छा आदमी था। उसका नाम कैप्टन राजू था। उसने दोनों की कहानी सुनी और उन्हें अपने जहाज पर बैठा लिया।
“तुम लोग कहां जाना चाहते हो?” कैप्टन ने पूछा।
“कैप्टन साहब, हम मुंबई जाना चाहते हैं। वहां हम नई जिंदगी शुरू करेंगे,” यूनुस ने जवाब दिया।
कैप्टन राजू ने उन्हें मुंबई तक छोड़ा।
नई शुरुआत
मुंबई पहुंचकर यूनुस ने एक मछली के व्यापारी के यहां काम शुरू किया। रुद्रा ने एक दर्जी की दुकान में काम किया। दोनों ने मेहनत करके पैसे इकट्ठे किए। एक साल बाद उन्होंने एक छोटे से मंदिर में शादी की।
पंडित जी ने कहा, “बेटा, प्रेम और विश्वास से की गई शादी हमेशा सफल होती है।”
प्रेम की परीक्षा
भाग एक समाप्त होता है। यूनुस और रुद्रा ने अपना प्रेम पा लिया है, लेकिन उनकी असली परीक्षा अभी बाकी है।
मुंबई का जीवन आसान नहीं था। यूनुस और रुद्रा एक छोटी सी चाल में रहते थे। यूनुस दिनभर मछली का काम करता और रुद्रा कपड़े सिलाई का काम करती। दोनों की मेहनत से धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी।
एक साल बाद रुद्रा के पेट में बच्चा आया। डॉक्टर ने कहा कि यह लड़का होगा। दोनों बहुत खुश हुए। यूनुस ने कहा, “रुद्रा, अब हमारा अपना छोटा सा परिवार होगा। हम इसे अच्छी शिक्षा देंगे।”
“हां यूनुस। और हम इसे सिखाएंगे कि जाति धर्म से बड़ा इंसानियत होती है,” रुद्रा ने जवाब दिया।
जब बच्चा पैदा हुआ, तो वे उसका नाम रखा “अमन” क्योंकि उनकी जिंदगी में अब शांति आ गई थी।
अमन का पालन-पोषण
अमन बहुत सुंदर और स्वस्थ बच्चा था। उसकी आंखें यूनुस की तरह थीं लेकिन चेहरा रुद्रा की तरह। यूनुस ने अपनी मेहनत से एक छोटी सी मछली की दुकान खोली। रुद्रा ने घर से कपड़े सिलाई का काम करने लगी।
अमन बड़ा होने लगा और बहुत तेज निकला। वह 3 साल की उम्र में ही तीन भाषाएं बोलना सीख गया—हिंदी, गुजराती और उर्दू।
एक नई चुनौती
एक दिन यूनुस के पास एक अजनबी आदमी आया। वह एक बड़ी मछली कंपनी का मैनेजर था।
“यूनुस भाई, मैंने सुना है आप बहुत अच्छी मछली पकड़ते हैं। हमारी कंपनी को एक अच्छे सप्लायर की जरूरत है। क्या आप हमारे साथ काम करना चाहेंगे?”
यूनुस ने यह प्रस्ताव सुना तो खुश हो गया। यह उसकी जिंदगी बदलने का मौका था। लेकिन उसने एक शर्त रखी। “साहब, मैं आपके साथ काम करूंगा, लेकिन मुझे महीने में 2 दिन छुट्टी चाहिए ताकि मैं अपने परिवार के साथ समय बिता सकूं।”
मैनेजर मान गया। यूनुस का काम अच्छा चलने लगा और उनकी आमदनी बढ़ गई। उन्होंने एक बेहतर घर लिया और अमन को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया।
अमन की जिज्ञासा
समय बीतता गया और अमन 10 साल का हो गया। वह स्कूल में बहुत होशियार था और हमेशा अव्वल आता था। उसके टीचर कहते थे कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बन सकता है।
एक दिन अमन ने अपने मम्मी-पापा से पूछा, “मम्मी, हमारे नाना-नानी कहां हैं? मेरे दोस्तों के नाना-नानी आते रहते हैं लेकिन हमारे कभी नहीं आते।”
रुद्रा और यूनुस ने एक-दूसरे को देखा। वे नहीं जानते थे कि अमन को क्या जवाब दें।
“बेटा, हमारे नाना-नानी बहुत दूर रहते हैं,” रुद्रा ने कहा।
“तो हम उनसे मिलने क्यों नहीं जाते?” अमन ने पूछा।
यूनुस ने अमन को गले लगाकर कहा, “बेटा, जब तुम बड़े हो जाओगे तो हम तुम्हें सब कुछ बताएंगे।”
गांव की स्थिति
उधर, उनके गांव नीलकंठपुर में भी बहुत कुछ बदल गया था। हेमंत शाह को अपनी गलती का एहसास हो चुका था। रुद्रा के बिना उसका दिल बहुत उदास रहता था। उसकी बड़ी बेटियां भी शादी-ब्याह करके दूसरे शहरों में चली गई थीं।
करीम भी बूढ़ा हो गया था। यूनुस के बिना उसका दिल भी उदास रहता था। बड़ा बेटा इदरीस शराब पीने लगा था और कभी-कभी घर में मारपीट भी करता था। करीम को पछतावा था कि उसने गलत बेटे पर भरोसा किया था।
लौटने का समय
एक दिन गांव में खबर आई कि मुंबई से कुछ व्यापारी मछली का कारोबार देखने आने वाले हैं। हेमंत शाह को लगा कि शायद वह भी मछली के धंधे में हाथ आजमाएं।
जब वे व्यापारी गांव आए, तो उनमें से एक का चेहरा हेमंत शाह को जाना पहचाना लगा। वह व्यापारी और कोई नहीं बल्कि यूनुस था। 10 साल में वह काफी बदल गया था। अब उसकी दाढ़ी थी और वह महंगे कपड़े पहनता था।
हेमंत शाह ने पहले तो यूनुस को नहीं पहचाना। लेकिन जब यूनुस बोला, तो उसकी आवाज पहचान में आ गई। “आप हेमंत सेठ हैं ना?” यूनुस ने पूछा।
हेमंत शाह के होश उड़ गए। यह वही यूनुस था जिसे उसने 10 साल पहले गांव से निकाला था। लेकिन अब वह एक सफल व्यापारी बनकर लौटा था।
माफी की आवश्यकता
“यूनुस, तुम!” हेमंत शाह की आवाज में शर्म थी।
“जी हां, सेठ जी, मैं यूनुस ही हूं। लेकिन अब मैं करीम का बेटा नहीं, बल्कि सी फूड एंटरप्राइजेस का मालिक हूं,” यूनुस ने गर्व से कहा।
हेमंत शाह को समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे। उसने हकलाते हुए पूछा, “और रुद्रा कैसी है?”
“रुद्रा अब मेरी पत्नी है। हमारा एक 10 साल का बेटा भी है जिसका नाम अमन है,” यूनुस ने जवाब दिया।
हेमंत शाह की आंखों में आंसू आ गए। उसने कांपती आवाज में कहा, “यूनुस, मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया था।”
पुनर्मिलन
यूनुस का दिल भी भर आया। वह अपने अंदर का गुस्सा भूलकर बोला, “सेठ जी, वह पुरानी बात है। अब हम सब आगे बढ़ चुके हैं। मेरी बेटी कैसी है? क्या वह मुझसे मिलना चाहेगी?”
हेमंत शाह ने उम्मीद भरी नजरों से पूछा।
यूनुस ने कहा, “सेठ जी, रुद्रा रोज आपको याद करती है। वह हमेशा कहती है कि काश पापा मुझे माफ कर देते।”
अगली बात जो हेमंत शाह ने कही, उससे यूनुस को बहुत खुशी हुई। “यूनुस, क्या तुम रुद्रा और अमन को लेकर यहां आ सकते हो? मैं अपने नवासे से मिलना चाहता हूं।”
यूनुस ने वादा किया कि वह अगले महीने परिवार के साथ आएगा।
करीम का सुख
इधर करीम को भी पता चला कि यूनुस वापस आया है। बूढ़ा मछुआरा दौड़ता हुआ यूनुस के पास आया। “यूनुस बेटा!” करीम ने अपने बेटे को गले लगाकर कहा।
“अब्बू!” यूनुस की आंखों से आंसू बहने लगे। “बेटा, मैं कितना अकेला था तेरे बिना।”
“तेरा भाई इदरीस वह…” करीम कुछ और कहना चाहता था, लेकिन रुक गया।
“अब्बू, इदरीस भाई कैसे हैं?” यूनुस ने पूछा।
करीम ने दुख भरी आवाज में कहा, “बेटा, वह शराब पीता है और कभी काम नहीं करता। गांव वाले उससे परेशान हैं।”
यूनुस को अपने भाई पर गुस्सा आया, लेकिन फिर उसे लगा कि वह अब एक सफल आदमी है, तो उसे अपने परिवार की मदद करनी चाहिए।
इदरीस से मुलाकात
“अब्बू, आप चिंता मत कीजिए। मैं इदरीस भाई को समझाऊंगा।”
अगले दिन यूनुस ने इदरीस से मुलाकात की। इदरीस को देखकर यूनुस का दिल दुखा। वह बहुत कमजोर हो गया था और उसके कपड़े भी फटे हुए थे।
“इदरीस भाई!” यूनुस ने प्यार से कहा।
इदरीस ने यूनुस को देखा तो उसकी आंखों में शर्म थी। वह जानता था कि उसने अपने भाई के साथ गलत किया था। “यूनुस, तू वापस आ गया?” इदरीस ने हकलाते हुए कहा।
“हां भाई, मैं आया हूं। लेकिन तुम्हारी यह हालत क्यों है?”
“यूनुस, मैंने तेरे साथ बहुत गलत किया था। मैं तुझसे जलता था इसलिए मैंने तुझे फंसाने की साजिश रची थी।”
यूनुस को पूरी सच्चाई पता चल गई। लेकिन उसने अपने भाई को माफ कर दिया। “भाई, जो हुआ सो हुआ। अब आगे देखते हैं। तुम शराब छोड़ दो और मेरे साथ काम करो।”
इदरीस की आंखों में आंसू आ गए। उसने अपने भाई के पैर छुए और कहा, “यूनुस, तू सच में बहुत अच्छा है। मैं शराब छोड़ता हूं और अब ईमानदारी से काम करूंगा।”
परिवार की वापसी
एक महीने बाद यूनुस अपनी पत्नी रुद्रा और बेटे अमन के साथ गांव आया। हेमंत शाह ने बहुत धूमधाम से उनका स्वागत किया। पूरे गांव को दावत दी गई।
जब हेमंत शाह ने अपने नवासे अमन को देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अमन बहुत सुंदर और तेज बच्चा था।
“नाना जी!” अमन ने हेमंत शाह के पैर छुए।
हेमंत शाह ने अमन को गले लगाकर कहा, “मेरा प्यारा नवासा, तुम कितने बड़े हो गए हो।”
भावुक पुनर्मिलन
रुद्रा और उसके पिता की मुलाकात बहुत भावुक थी। दोनों रोते रहे और एक-दूसरे से माफी मांगते रहे।
“पापा, मुझे माफ कर द��जिए। मैंने आपकी बात नहीं मानी थी,” रुद्रा ने कहा।
“नहीं बेटी, गलती मेरी थी। मैंने तुम्हारी खुशी से ज्यादा समाज की बात सोची थी,” हेमंत शाह ने जवाब दिया।
गांव वालों ने भी यूनुस का बहुत सम्मान किया। जो लोग पहले उसे छोटा समझते थे, अब वे उसकी तारीफ कर रहे थे। पंचायत के मुखिया ने कहा, “यूनुस बेटा, तुमने अपनी मेहनत से बहुत नाम कमाया है। हमें गर्व है।”
यूनुस ने जवाब दिया, “चाचा जी, यह सब इस गांव की देन है। यहीं से मैंने मेहनत करना सीखा है।”
शिक्षा का सपना
यूनुस ने गांव के विकास के लिए एक स्कूल खुलवाने का ऐलान किया। उसने कहा, “मैं चाहता हूं कि इस गांव के बच्चे भी अच्छी शिक्षा पा सकें।”
अमन को अपने नाना-नानी और दादा-दादी से मिलकर बहुत खुशी हुई। उसने कहा, “मम्मी, अब हमारे पास भी बड़े परिवार हैं।”
एक नया प्रस्ताव
एक हफ्ते बाद जब यूनुस का परिवार मुंबई वापस जाने वाला था, तो हेमंत शाह ने एक प्रस्ताव रखा। “यूनुस बेटा, क्यों ना तुम यहीं वापस आकर रहो। मैं तुम्हारे बिजनेस में पार्टनर बन जाऊंगा।”
यूनुस और रुद्रा ने इस प्रस्ताव पर सोचा। अमन भी बोला, “पापा, मुझे यह गांव बहुत अच्छा लगता है। यहां नाना जी और दादाजी भी हैं।”
आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे गांव में ही रहेंगे। यूनुस ने अपना मुंबई का काम अपने विश्वास पात्र मैनेजर को सौंप दिया और नीलकंठपुर में एक नई मछली प्रोसेसिंग यूनिट खोली।
इदरीस का सुधार
इदरीस ने सच में शराब छोड़ दी और यूनुस के साथ ईमानदारी से काम करने लगा। धीरे-धीरे उसकी हालत सुधरने लगी। करीम बहुत खुश था कि उसके दोनों बेटे अब साथ हैं।
हेमंत शाह भी खुश था कि उसकी बेटी और नवासा उसके पास हैं। यूनुस के बिजनेस की सफलता से पूरे गांव का फायदा हुआ। कई लोगों को रोजगार मिला। गांव में सड़क, बिजली और पानी की सुविधा भी आ गई।
अमन का भविष्य
अमन गांव के स्कूल में पढ़ने लगा और वहां के बच्चों के साथ दोस्ती कर ली। वह हिंदी, गुजराती, उर्दू और अंग्रेजी में बात कर सकता था, जिससे सभी बच्चे उससे प्रभावित थे।
एक दिन अमन ने अपने पापा से पूछा, “पापा, आपने और मम्मी ने इतनी मुश्किलों के बाद भी हार नहीं मानी। क्यों?”
यूनुस ने अमन को समझाते हुए कहा, “बेटा, जब तुम्हारा मकसद सच्चा हो और तुम ईमानदारी से मेहनत करो, तो भगवान तुम्हारी मदद करता है। हमने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा और हमेशा दूसरों की मदद की।”
रुद्रा ने भी कहा, “अमन बेटा, प्रेम और धैर्य से हर समस्या का समाधान हो सकता है। हमें कभी भी जाति धर्म के बंटवारे में नहीं पड़ना चाहिए।”
अमन का सपना
कुछ साल बाद अमन बड़ा होकर इंजीनियर बना। उसने गांव में एक कॉलेज खोला ताकि आसपास के बच्चे भी उच्च शिक्षा पा सकें। यूनुस और रुद्रा को अपने बेटे पर बहुत गर्व था।
हेमंत शाह अपने आखिरी दिनों में बहुत संतुष्ट था। उसने एक दिन यूनुस से कहा, “बेटा, मैंने अपनी जिंदगी में बहुत गलतियां की हैं। लेकिन तुमने मुझे सबक सिखाया कि इंसानियत सबसे बड़ी चीज है।”
करीम की खुशी
करीम भी अपने बुढ़ापे में बहुत खुश था। उसके दोनों बेटे अब सफल थे और उसका नवासा अमन बहुत प्यार से उसकी देखभाल करता था।
गांव के लोग अक्सर यूनुस और रुद्रा की कहानी सुनाते और कहते, “देखो, सच्चा प्रेम और मेहनत कैसे इंसान की किस्मत बदल देती है।”
समापन
वर्षों बाद जब यूनुस और रुद्रा बूढ़े हुए, तो वे अक्सर समुद्री किनारे बैठकर अपनी यादों को संजोते। वे उस द्वीप को भी याद करते जहां वे तूफान के बाद फंसे थे।
“यूनुस, क्या तुमको कभी पछतावा?” रुद्रा ने एक दिन पूछा।
“कभी नहीं रुद्रा, हमने जो भी फैसले लिए, वे सही थे। हमने अपनी मर्जी से जिंदगी जी और खुश रहे,” यूनुस ने जवाब दिया।
अमन की भी शादी हो गई एक पढ़ी-लिखी लड़की से जो किसी दूसरे धर्म की थी। लेकिन यूनुस और रुद्रा ने उसका पूरा साथ दिया क्योंकि वे जानते थे कि प्रेम में कोई बंटवारा नहीं होता।
आज भी नीलकंठपुर गांव में यूनुस और रुद्रा की कहानी एक मिसाल बनकर बताई जाती है। लोग कहते हैं कि जब इंसान सच्चे दिल से किसी से प्रेम करता है और ईमानदारी से मेहनत करता है, तो भगवान उसकी हर मुराद पूरी करता है।
समुद्र आज भी वैसे ही लहराता है और रहमत नाव का नाम आज भी गांव के मछुआरों में प्रसिद्ध है। यूनुस के बेटे अमन ने एक नई नाव बनवाई है जिसका नाम रखा है “एकता” क्योंकि उनके परिवार की कहानी एकता और प्रेम की कहानी है।
Play video :
News
जब 10 एक्सपर्ट मैकेनिक फेल हो गए… एक गरीब बच्चे ने इंजन चालू कर दिया! 🔥
जब 10 एक्सपर्ट मैकेनिक फेल हो गए… एक गरीब बच्चे ने इंजन चालू कर दिया! 🔥 बिलियनियर अजय सिंह की…
मैं 10 भाषाएँ बोलती हूँ” — अदालत में गरीब लड़की ने सच बोलकर अमीर को हरा दिया! 💥
मैं 10 भाषाएँ बोलती हूँ” — अदालत में गरीब लड़की ने सच बोलकर अमीर को हरा दिया! 💥 दिल्ली की…
10 साल के गरीब क्लीनर ने अरबपति की गूंगी बेटी को बोलना सिखा दिया 😱❤️
10 साल के गरीब क्लीनर ने अरबपति की गूंगी बेटी को बोलना सिखा दिया 😱❤️ मुंबई के सिटी केयर हॉस्पिटल…
“Baba, ben hayattayım” – Milyoner arkasını döndü… ve bir yıl önce ölen kızını gördü!
“Baba, ben hayattayım” – Milyoner arkasını döndü… ve bir yıl önce ölen kızını gördü! . . 💔 “Baba, Ben Hayattayım”…
Milyoner, ikiz kızlarını komşunun kapısında ağlayarak yemek dilenirken bulur. Keşfettiği şey…
Milyoner, ikiz kızlarını komşunun kapısında ağlayarak yemek dilenirken bulur. Keşfettiği şey… . . Bu, ihanet, kayıp, umutsuzluk ve sonrasında gelen…
KİMSE ONUN HELİKOPTERİ TAMİR EDEBİLECEĞİNE İNANMIYORDU… TA Kİ İMKANSIZI BAŞARANA KADAR
KİMSE ONUN HELİKOPTERİ TAMİR EDEBİLECEĞİNE İNANMIYORDU… TA Kİ İMKANSIZI BAŞARANA KADAR . . 🚁 Kimse Onun Helikopteri Tamir Edebileceğine İnanmıyordu….
End of content
No more pages to load

