DM मैडम सड़क किनारे सब्जी खरीद रही थी | तभी पुलिस वाले ने थप्पड़ मार दिया
डीएम मैडम की बहादुरी: एक प्रेरणादायक कहानी
कामुक शाम थी, बाजार में हलचल और चहल-पहल थी। सड़क किनारे ठेले लगे थे, लोग रोजमर्रा का सामान खरीद रहे थे। उन्हीं में एक साधारण सी महिला भी दिख रही थी — हल्की सूती साड़ी, चेहरे पर हल्का घूंघट, पैरों में चप्पलें। कोई सोच भी नहीं सकता था कि यही महिला शहर की सबसे बड़ी अफसर, जिला कलेक्टर यानी डीएम मैडम हैं।
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डीएम मैडम ईमानदार और कर्मठ अधिकारी थीं। वे जानती थीं कि सरकारी योजनाओं का असली हाल जानने के लिए जनता के बीच बिना पहचान के जाना पड़ता है। इसलिए आज वे आम महिला बनकर बाजार आई थीं।
सब्जी खरीदते वक्त उन्होंने ठेले वाले से भाव पूछा, “भैया, आलू और टमाटर कितने के दिए?” सब्जीवाले ने जवाब दिया, “मैडम, आलू 40 रुपये किलो, टमाटर 50 रुपये किलो।” वे भाव-ताव करने लगीं, तभी एक घमंडी पुलिसवाला आया और ठेले वालों पर चिल्लाने लगा, “कितनी बार कहा है, सड़क पर ठेला मत लगाया करो! हटो यहां से!” सब्जी वाला डर गया, लेकिन डीएम मैडम ने विनम्रता से कहा, “साहब, ये गरीब लोग मेहनत कर रहे हैं, इन्हें परेशान मत कीजिए।”
पुलिसवाले को यह बात नागवार गुज़री। उसने गुस्से में डीएम मैडम को थप्पड़ मार दिया। सभी लोग सन्न रह गए, लेकिन डीएम मैडम ने खुद को संभाले रखा। पुलिसवाले ने उन्हें जबरदस्ती पकड़कर जीप में डाल दिया और थाने ले गया।
थाने पहुंचकर डीएम मैडम को एक गंदी हवालात में बंद कर दिया गया। वहां पहले से कुछ महिलाएं डरी-सहमी बैठी थीं। खाने में सूखी रोटियां और बासी दाल मिली। पुलिसवाले ने टॉयलेट साफ करने को कहा। अब डीएम मैडम का सब्र टूटने लगा। रात के 11 बजे उन्होंने अपने असली रूप का परिचय देने का फैसला किया।

उन्होंने जेब से फोन निकाला और एसपी साहब को कॉल किया। “जी मैडम, कोई आदेश?” दूसरी तरफ से आवाज आई। डीएम मैडम ने थाने के इंस्पेक्टर को सख्त लहजे में कहा, “तुम लोगों ने एक आम नागरिक को टॉर्चर किया है, क्या तुम्हें पता है कि तुमने किसे पकड़ा है? मैं इस जिले की डीएम हूं!”
इतना सुनते ही थाने में हड़कंप मच गया। एसपी साहब तुरंत फोर्स के साथ पहुंचे। डीएम मैडम ने सारी घटना बताई — थप्पड़, गंदी हवालात, बुरा खाना, टॉर्चर। एसपी साहब ने सभी दोषी पुलिसवालों को तुरंत निलंबित कर दिया। इंस्पेक्टर डीएम मैडम के पैरों में गिर पड़ा, “मैडम, माफ कर दीजिए।”
डीएम मैडम ने कहा, “जब तुमने गरीब को सताया, तब परिवार का ख्याल क्यों नहीं आया? वर्दी सेवा के लिए है, अत्याचार के लिए नहीं।”
इस घटना के बाद पूरे जिले में पुलिस सुधार के नए नियम लागू हुए। गरीबों और आम जनता को सताने वालों पर कड़ी नजर रखी जाने लगी। डीएम मैडम ने मिसाल कायम की — कानून सबके लिए बराबर है। कभी किसी को कमजोर मत समझो, क्योंकि वह सबसे ताकतवर हो सकता है।
सीख:
जो गलत करेगा, उसे एक दिन उसके कर्मों की सजा जरूर मिलेगी। हमेशा सही के साथ खड़े रहो, न्याय जरूर मिलेगा।
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