भूखे बच्चे ने सिर्फ एक रोटी मांगी थी, लेकिन करोड़पति ने जो दिया | पूरी इंसानियत हिल गई | फिर जो हुआ.

.
.

कहानी: एक रोटी की फरियाद

दोस्तों, जरा आंखें बंद कीजिए और सोचिए एक ठंडी सुबह शहर की भीड़भाड़, गाड़ियों का शोर और उसी शोर के बीच सड़क के किनारे बैठा एक छोटा सा बच्चा। फटेहाल कपड़े, आंखों में भूख की बेचैनी और होठों से निकली बस एक फरियाद—“मुझे एक रोटी चाहिए, बस एक रोटी।” यही मासूम आवाज एक करोड़पति की जिंदगी बदल देती है और वहीं से शुरू होती है इंसानियत की सबसे बड़ी कहानी। यह सच्ची कहानी दिल को झकझोर देने वाली है।

एक ठंडी सर्द सुबह थी। शहर की सड़कों पर हल्की धुंध तैर रही थी। लोग अपनी रफ्तार में दफ्तरों, दुकानों और कामकाज की ओर भागे जा रहे थे। गाड़ियां हॉर्न बजाते हुए निकल रही थीं। लेकिन इसी भीड़भाड़ वाली सड़क के कोने पर एक टूटी हुई झोपड़ी जैसे दिखने वाले पुराने ढांचे की दीवार से सटकर बैठा था एक छोटा सा बच्चा। उम्र होगी शायद आठ या 9 साल। कपड़े इतने मैले थे कि रंग तक पहचान में नहीं आ रहे थे। चेहरे पर धूल, बाल बिखरे हुए और आंखों में भूख की वह बेचैनी जो किसी की भी रूह हिला दे।

उसके सामने पड़ा था एक पुराना सा स्टील का कटोरा। उसमें कुछ सिक्के पड़े थे। कभी किसी ने दया करके फेंक दिए होंगे। लेकिन आज वह सिक्के उसके लिए बेकार थे। उसका पेट सिर्फ सिक्कों से नहीं भरेगा। बच्चे के होंठ सूखे हुए थे और आंखों से बार-बार आंसू निकल कर गालों पर गिर जाते थे। दोस्तों, वह बच्चा लोगों से मदद की उम्मीद में देख रहा था, लेकिन कोई भी उसकी ओर ध्यान नहीं दे रहा था। सब अपने काम में व्यस्त थे।

उस बच्चे का नाम था मोहन। मोहन एक छोटे से गांव का रहने वाला था। उसके माता-पिता खेतों में काम करते थे, लेकिन एक दिन एक दुर्घटना में उसके पिता की मौत हो गई। उसके बाद उसकी मां ने भी बीमार होकर दुनिया छोड़ दी। मोहन अब अकेला रह गया था। उसके पास न तो कोई परिवार था और न ही कोई सहारा।

उसकी भूख और दीन-हीन स्थिति ने उसे शहर की ओर खींच लिया। वह सोचता था कि शायद शहर में उसे कुछ काम मिल जाए और वह अपने लिए कुछ खाना कमा सके। लेकिन शहर की असलियत ने उसे झकझोर दिया। यहां तो उसे रोटी के लिए भीख मांगनी पड़ रही थी।

मोहन ने अपने कटोरे में सिक्के देखे। उनमें से कुछ सिक्के उसके लिए काफी नहीं थे। वह सोचने लगा, “अगर मुझे एक रोटी मिल जाए, तो शायद मैं थोड़ी देर के लिए भूख मिटा सकूं।” उसने फिर से आस-पास के लोगों को देखा, लेकिन किसी ने भी उसकी ओर ध्यान नहीं दिया।

तभी एक कार उसके पास रुकी। कार के अंदर से एक आदमी बाहर आया। वह एक सफल व्यापारी था, जिसका नाम था राजेश। राजेश एक करोड़पति था, लेकिन उसकी जिंदगी में कोई खुशी नहीं थी। वह हमेशा काम में व्यस्त रहता था और अपने परिवार से दूर था। आज वह अपनी कार में बैठकर काम से लौट रहा था, जब उसकी नजर मोहन पर पड़ी।

राजेश ने मोहन को देखा और उसकी आंखों में भूख की बेचैनी को समझ गया। उसने तुरंत अपनी कार से बाहर निकलकर मोहन के पास जाकर पूछा, “बच्चे, तुम्हें क्या चाहिए?” मोहन ने शर्माते हुए कहा, “मुझे एक रोटी चाहिए, बस एक रोटी।”

राजेश का दिल पसीज गया। उसने अपने पर्स से पैसे निकालकर मोहन को दिए, लेकिन मोहन ने पैसे लेने से मना कर दिया। उसने कहा, “मैं पैसे नहीं चाहता, मुझे सिर्फ एक रोटी चाहिए।”

राजेश थोड़ी हैरान हुआ। उसने सोचा, “यह बच्चा पैसे नहीं, बल्कि खाना चाहता है।” उसने तुरंत पास के एक ढाबे से रोटी मंगवाई। जब रोटी आई, तो मोहन ने उसे बड़े प्यार से लिया और उसे चूमकर कहा, “धन्यवाद, भैया।”

राजेश ने मोहन को रोटी खाते हुए देखा। उसकी आंखों में आंसू थे। उसने सोचा, “मैंने इस बच्चे को केवल एक रोटी दी, लेकिन इसने मुझे एक सीख दी है।”

इस घटना ने राजेश की जिंदगी को बदल दिया। उसने महसूस किया कि पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण है इंसानियत। उसने तय किया कि वह अपनी जिंदगी में बदलाव लाएगा। उसने मोहन की मदद करने का सोचा।

राजेश ने मोहन से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” मोहन ने जवाब दिया, “मेरा नाम मोहन है।” राजेश ने आगे कहा, “क्या तुम मेरे साथ चलोगे? मैं तुम्हें एक अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहता हूं।”

मोहन ने आश्चर्य से राजेश की ओर देखा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक करोड़पति उसका हाथ थामने के लिए तैयार है। उसने कहा, “क्या आप सच में ऐसा करेंगे?”

राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां, मैं तुम्हें पढ़ाना चाहता हूं। तुम एक अच्छे इंसान बन सकते हो।” मोहन ने खुशी-खुशी राजेश का हाथ थाम लिया।

राजेश ने मोहन को अपने साथ अपने घर ले जाने का फैसला किया। वह उसे अपने परिवार से मिलवाना चाहता था। राजेश की पत्नी, सुमिता, एक दयालु महिला थी। जब उसने मोहन को देखा, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसने मोहन को गले लगाते हुए कहा, “बेटा, तुम हमारे परिवार का हिस्सा हो।”

राजेश और सुमिता ने मोहन को अपने बेटे की तरह प्यार दिया। उन्होंने उसे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया और उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फैसला किया। मोहन ने भी अपनी पढ़ाई में मेहनत की और जल्दी ही कक्षा में टॉप करने लगा।

समय बीतता गया। मोहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छे कॉलेज में दाखिला लिया। राजेश और सुमिता ने हमेशा उसका साथ दिया। मोहन ने अपनी मेहनत और लगन से सभी के दिलों में एक खास जगह बना ली।

एक दिन मोहन ने राजेश से कहा, “भैया, मैं अब बड़ा हो गया हूं। मैं भी आपकी तरह एक सफल इंसान बनना चाहता हूं।” राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, तुम तो पहले से ही सफल हो। तुमने मुझे इंसानियत की सच्ची तस्वीर दिखाई है।”

मोहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक बड़े बिजनेस में काम करने लगा। उसने राजेश के साथ मिलकर एक एनजीओ खोला, जिसका उद्देश्य गरीब बच्चों को शिक्षा देना था। मोहन ने अपने जैसे बच्चों की मदद करने का संकल्प लिया।

एक दिन, मोहन ने राजेश को बुलाया और कहा, “भैया, आज मैं एक नई शुरुआत करना चाहता हूं। मैं एक स्कूल खोलना चाहता हूं, जहां गरीब बच्चे मुफ्त में पढ़ सकें।” राजेश ने गर्व से कहा, “यह तो बेहतरीन विचार है। मैं तुम्हारे साथ हूं।”

मोहन ने शहर के एक बड़े इलाके में एक स्कूल खोला। उसने वहां गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का फैसला किया। स्कूल में बच्चों को न केवल पढ़ाई कराई जाती थी, बल्कि उन्हें खेलकूद और अन्य गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता था।

धीरे-धीरे मोहन का स्कूल प्रसिद्ध हो गया। वहां के बच्चे अच्छे अंक लाने लगे और कई बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने लगे। मोहन ने अपने स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को अच्छे संस्कार भी सिखाए।

राजेश और सुमिता ने मोहन की इस पहल को देखकर गर्व महसूस किया। उन्होंने मोहन को बताया, “तुमने हमें सिखाया है कि असली दौलत पैसे में नहीं, बल्कि इंसानियत में होती है।”

समय के साथ मोहन ने अपने स्कूल को और बड़ा किया। उसने कई शाखाएं खोलीं और लाखों बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाया। मोहन ने यह साबित कर दिया कि एक रोटी की फरियाद कभी-कभी किसी की जिंदगी बदल सकती है।

अंत में, मोहन ने राजेश और सुमिता का धन्यवाद किया। उसने कहा, “आपने मुझे एक नया जीवन दिया। आपने मेरी भूख को मिटाया और मुझे इंसानियत की सच्चाई दिखाई।”

राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, यह सब तुम्हारी मेहनत का फल है। तुमने अपनी ईमानदारी और मेहनत से यह सब हासिल किया है।”

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इंसानियत की सबसे बड़ी कहानी तब शुरू होती है जब हम दूसरों की मदद करते हैं। एक छोटी सी मदद कभी-कभी किसी की जिंदगी बदल सकती है।