बॉर्डर 2: सनी देओल की दहाड़ और पिता धर्मेंद्र की विरासत – “जब वर्दी पहनता हूँ, तो रगों में दौड़ता है करंट!”
मुंबई: भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि वे एक भावना बन जाती हैं। 1997 में आई ‘बॉर्डर’ एक ऐसी ही फिल्म थी। आज करीब तीन दशक बाद, जब इसके सीक्वल ‘बॉर्डर 2’ की चर्चा जोरों पर है, तो ‘तारा सिंह’ यानी सनी देओल का एक नया अवतार पूरी दुनिया के सामने आ रहा है। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान सनी देओल ने जो बातें कहीं, उन्होंने न केवल उनके प्रशंसकों का दिल जीत लिया, बल्कि हर भारतीय के भीतर देशभक्ति की एक नई लहर पैदा कर दी है।
“आवाज कहां तक जानी चाहिए? लाहौर तक!”
बातचीत की शुरुआत एक पुराने और बेहद ताकतवर सवाल से हुई। जब सनी देओल से पूछा गया कि उनकी आवाज की गूंज कहां तक जानी चाहिए, तो उन्होंने बिना एक पल की देरी किए अपनी उसी मशहूर कड़क आवाज में कहा— “लाहौर तक!” यह केवल एक संवाद नहीं है, बल्कि उस जज्बे की गूंज है जिसने दशकों से बॉलीवुड के इस ‘एंग्री यंग मैन’ को जनता का चहेता बनाए रखा है। उनके चेहरे पर वही पुराना जोश और आंखों में देश के प्रति समर्पण साफ दिखाई दे रहा था। इस एक वाक्य ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है और फैंस इसे ‘बॉर्डर 2’ के लिए एक बड़ा संकेत मान रहे हैं।
देश हमारी मां है: आज के युवा और देशभक्ति पर सनी के विचार
आज के दौर में अक्सर यह सवाल उठाया जाता है कि क्या आज की नई पीढ़ी (Gen Z) के भीतर वैसा ही राष्ट्रवाद है जैसा पुराने समय में था? सनी देओल ने इसका बहुत ही सटीक और भावनात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा:
“देश हमारी मां है और आज का यूथ भी इसे अपनी मां समझता है। वह इसकी रक्षा उसी तरह करेगा जैसे उनके पिताओं और परदादाओं ने की है। हम उन्हें ‘जेन-जी’ (Gen Z) कहें या कोई और नाम दें, लेकिन आखिर में वे हमारे बच्चे हैं और उनके भीतर वही खून दौड़ रहा है।”
सनी देओल का मानना है कि जज्बा कभी पुराना नहीं होता। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब भी हमारे ‘घर’ (भारत) पर कोई आंच आती है, तो हर भारतीय का खून खौल उठता है। उस वक्त हम यह नहीं देखते कि हमारे आसपास कौन है, हम बस सीधे अपने देश की रक्षा के लिए आगे बढ़ जाते हैं।
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वर्दी की ताकत: “99% शक्ति यूनिफॉर्म से आती है”
जब सनी देओल से उनकी फौजी ड्रेस और शूटिंग के अनुभव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने एक बहुत ही दिलचस्प बात साझा की। उन्होंने बताया कि एक अभिनेता के लिए फौज की वर्दी पहनना क्या मायने रखता है।
सनी ने भावुक होते हुए कहा, “फौज की ड्रेस अपने आप में बहुत यूनिक होती है। जैसे ही आप यह यूनिफॉर्म डाल लेते हैं, आपके अंदर एक करंट सा दौड़ जाता है। उस पल आपको लगता है कि आप केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि एक सच्चे सोल्जर हैं।”
उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि भले ही अभिनेता असली सैनिकों की तरह कड़ी ट्रेनिंग नहीं लेते, लेकिन जब वे वर्दी पहनते हैं, तो उनके भीतर के जज्बात उन्हें एक असली सिपाही के करीब ले जाते हैं। उनके अनुसार, यह वर्दी ही है जो उन्हें 99% ताकत देती है, बाकी काम उनकी अभिनय कला और जज्बात कर देते हैं।

धर्मेंद्र की विरासत और बॉर्डर 2 का भावनात्मक पहलू
इस फिल्म और सनी देओल के इस सफर में उनके पिता, महान अभिनेता धर्मेंद्र की परछाई हमेशा बनी रहती है। सनी देओल ने बार-बार यह संकेत दिया है कि उनके भीतर जो यह अदम्य साहस और देशप्रेम है, वह उन्हें विरासत में मिला है।
‘बॉर्डर 2’ में सनी का किरदार सिर्फ एक फौजी का नहीं है, बल्कि यह उस बेटे की कहानी भी है जो अपने पूर्वजों की वीरता को आगे ले जा रहा है। फिल्म के सेट पर सनी देओल कई बार अपने पिता को याद कर भावुक हो जाते हैं। दर्शकों के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या धर्मेंद्र भी इस फिल्म में किसी विशेष भूमिका में नजर आएंगे, क्योंकि प्रशंसकों के लिए इन दोनों बाप-बेटे को एक साथ पर्दे पर देखना किसी सपने से कम नहीं होगा।
निष्कर्ष: एक महागाथा की वापसी
सनी देओल की यह बातचीत यह साफ कर देती है कि ‘बॉर्डर 2’ केवल एक एक्शन फिल्म नहीं होने वाली है। यह एक ऐसी फिल्म होगी जो भावनाओं, विरासत और देशप्रेम के धागों से बुनी गई है। जब सनी देओल कहते हैं कि “आवाज लाहौर तक जाएगी”, तो वह केवल पाकिस्तान की बात नहीं कर रहे होते, बल्कि वे दुनिया को यह बता रहे होते हैं कि भारत का जज्बा आज भी उतना ही बुलंद है।
तो तैयार हो जाइए, क्योंकि सिनेमाघरों में एक बार फिर वही दहाड़ सुनाई देने वाली है, वही जोश दिखने वाला है और वही ‘ढाई किलो का हाथ’ दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाला है।
जय हिंद!
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