Ek Mochi Ke Samne Jhuk Gai IPS medam..?
एक सुबह जिले की आईपीएस मैडम रिया शर्मा अपनी मां मधु शर्मा के साथ बाजार की ओर जा रही थी। रिया ने येलो रंग की पंजाबी सूट पहनी हुई थी, और उसकी मां मधु ने ग्रीन साड़ी। दोनों का चेहरा खुशी से भरा हुआ था। रिया अपने काम से थोड़ी छुट्टी लेकर अपनी मां के साथ समय बिताने निकली थी।
जैसे ही वे बाजार पहुंचे, रिया की नजर सड़क के दूसरी तरफ पड़ी, जहां उनके तलाकशुदा पापा अशोक बैठे-बैठे जूते पॉलिश कर रहे थे। यह देखकर रिया ने तुरंत अपनी मां से कहा, “मां, उस तरफ देखिए, यही मेरे पापा हैं।”
मधु शर्मा घबरा गईं और बोलीं, “नहीं बेटा, यह तुम्हारे पापा कैसे हो सकते हैं? तुम्हारे पापा तो अच्छे खासे आदमी थे। यह तो एक मूची हैं। देखो, जूते पॉलिश कर रहे हैं।”
रिया ने दृढ़ता से कहा, “नहीं मां, आपने जो फोटो मुझे दिखाया था, वही चेहरा है। मुझे पता है, आप झूठ बोल रही हैं। यही मेरे पापा हैं। प्लीज, मां, इन्हें हमारे घर लेकर चलिए। देखिए ना, इनकी हालत कितनी खराब है।”
इस बीच, जूते साफ करते-करते अशोक की नजर मधु पर पड़ी। उन्हें देखते ही उन्होंने तुरंत पहचान लिया और शर्म से अपना सिर झुका लिया। यह सब रिया देख रही थी। उसी पल उसे यकीन हो गया कि यही उसके पापा हैं। लेकिन मधु उसे खींचते हुए वहां से ले जाने लगीं।
वह कह रही थीं, “यह तुम्हारे पापा नहीं हैं। तुम्हें गलतफहमी हो गई है। चलो, घर चलो।” लेकिन रिया ने अपनी मां का हाथ छुड़ाते हुए कहा, “नहीं मां, पापा को घर लेकर चलो। देख तो लो, उनकी हालत कितनी खराब है। सब ठीक हो जाएगा। मां, भले ही आप दोनों का तलाक हो चुका है, लेकिन वो मेरे पापा हैं। आपका और उनका दुश्मनी हो सकती है, लेकिन मेरा तो नहीं है। मैं अपने पापा को घर ले जाऊंगी।”
मधु गुस्से से चिल्ला उठीं, “देखो, अगर तुम उन्हें घर लेकर जाओगी, तो मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी। अगर तुम्हें अपने पापा चाहिए, तो तुम मुझे भूल जाओ। ज्यादा जिद मत करो।”
रिया मजबूरी में कुछ नहीं कर सकी और मां के साथ चली गई। उधर, अशोक यह सब देख रहा था। उसके मन में यही ख्याल घूम रहा था, “मेरी बेटी कितनी बड़ी हो गई है। काश मेरी बेटी मेरे पास होती, तो शायद मेरी ऐसी हालत ना होती।”
वह सोचते हुए फिर से अपने काम में लग गया। घर आकर रिया ने मां से पूछा, “मां, आप झूठ क्यों बोल रही हैं? वही मेरे पापा हैं। आप उन्हें घर क्यों नहीं लाना चाहतीं? मुझे अपने पापा से मिलना है। लड़ाई अगर आप दोनों की हुई है, तो आपका रिश्ता खत्म हो गया। मेरा थोड़ी हुआ है। मैं अभी भी उनकी बेटी हूं। मुझे अपने पापा से मिलना है। प्लीज मां, मुझे मेरे पापा से मिलने दीजिए।”
मधु ने कहा, “बेटा, तुझे जो करना है, कर ले। मगर मैं उसे घर नहीं लाऊंगी। तुझे इस घर में रहना है या नहीं, यह तेरा फैसला है। लेकिन मैं उस आदमी को इस घर में कभी नहीं लाऊंगी।”
रिया मन ही मन सोचने लगी, “आखिर इतनी बड़ी कौन सी बात हो गई कि मां आज तक नहीं मान रही हैं? क्या मेरे पापा इतने बुरे इंसान थे? जिस वजह से मां के दिल में इतना गुस्सा है। लेकिन क्यों?”
दूसरे दिन, रिया चुपके से खुद अशोक से मिलने के लिए निकल पड़ी। मधु को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी कहां गई है। उन्हें लगा कि शायद वह ड्यूटी पर होगी। लेकिन रिया अपने पापा से मिलने बाजार की ओर निकल चुकी थी।
जैसे ही वह बाजार पहुंची, देखा कि वही जगह पर उनके पापा फिर से जूते पॉलिश कर रहे हैं। रिया तुरंत पास जाकर खड़ी हो गई और बोली, “आपका नाम क्या है?”
अशोक ने जवाब दिया, “मेरा नाम अशोक है।” फिर रिया बोली, “आप रहते कहां हैं?”
अशोक बोला, “मेरा कोई घर बार नहीं है। मैं यहीं सड़क पर रहता हूं। मेरा कोई नहीं है।”

यह सुनकर रिया की आंखों में आंसू आ गए। वह बोली, “आप मुझे पहचानते हैं?”
अशोक ने शर्म से सिर झुकाते हुए कहा, “नहीं, मैं आपको नहीं जानता। आप कौन हैं? मुझे क्या पता?”
रिया ने मन ही मन सोचा, “पापा झूठ क्यों बोल रहे हैं? मुझे तो पहचानते होंगे क्योंकि उस दिन मां के साथ उन्होंने मुझे देखा था।”
वह फिर बोली, “आप मुझे जानते नहीं हैं। मेरा नाम रिया है। याद कीजिए, शायद जानते होंगे। कहीं ना कहीं तो आपने मुझे जरूर देखा होगा ना।”
अशोक बोला, “नहीं बेटा, मैंने तुम्हें कहीं नहीं देखा है। मुझे सब याद है और मुझे यह भी नहीं पता कि रिया कौन है। हां, हो सकता है तुम मुझे जानती हो, लेकिन मैं तुम्हें नहीं जानता बेटा।”
यह सुनकर रिया को थोड़ी राहत मिली क्योंकि वह अपने पापा के मुंह से “बेटा” शब्द सुनना चाहती थी। सुनते ही वह बोली, “आप मेरे पापा हैं। आप झूठ बोल रहे हैं। मुझे पता है कि मेरी मां से आपकी शादी हुई थी और मैं आपकी बेटी हूं। मुझे नहीं पता कि आप दोनों के बीच क्या हुआ। किस वजह से रिश्ता टूटा। लेकिन अब मैं आप दोनों को एक साथ देखना चाहती हूं। मेरा सपना है कि मेरी मां और पापा फिर से एक साथ रहें।”
यह सुनकर अशोक घबराते हुए बोले, “आप यह सब क्या कह रही हैं? मेरी तो शादी भी नहीं हुई। आप शायद किसी और के बारे में बात कर रही होंगी। मैं किसी का पापा नहीं हूं।”
रिया ने फिर से कहा, “नहीं पापा, आप मेरे पापा हैं। मैं आपको अपने घर लेकर जाऊंगी। वैसे भी मां ने आपको बुलाया है।”
फिर बोली, “अब सब राजी हैं। प्लीज पापा, घर चलिए। हम लोग अब खुश रहेंगे। कोई गलती नहीं होगी। हम लोग फिर से नई जिंदगी शुरू करेंगे। आप प्लीज मेरे साथ घर चलिए।”
अशोक ने कहा, “नहीं बेटा, मैं तुम्हारे घर कैसे जा सकता हूं? हां, मानता हूं कि तुम मेरी बेटी हो। लेकिन अब तुम मेरे पास नहीं हो। कानून के मुताबिक तुम अब सिर्फ सरिता की बेटी हो और तुम वहीं खुश हो। मैं तुम्हें खुश नहीं रख सकता बेटा। मेरी इतनी हैसियत भी नहीं है कि तुम्हारी मां के साथ फिर से जिंदगी बिताने के लिए तुम्हारे साथ जाऊं। तुम यह सब भूल जाओ और अपना काम करो।”
अंशिका मन ही मन सोचने लगी, “पापा को घर ले जाने के लिए कुछ ना कुछ झूठ तो बोलना ही पड़ेगा। तभी वह मानेंगे।”
वह बोली, “नहीं पापा, आप गलत कह रहे हैं। आप मेरे पापा हैं और मैं आपको अपने घर लेकर जाऊंगी। वैसे भी मां ने आपको बुलाया है।”
फिर बोली, “अब सब राजी हैं। प्लीज पापा, घर चलिए। हम लोग अब खुश रहेंगे। कोई गलती नहीं होगी। हम लोग फिर से नई जिंदगी शुरू करेंगे। आप प्लीज मेरे साथ घर चलिए।”
अंशिका झूठी बात कहकर अपने पापा को मना लेती है कि मां ने उन्हें घर बुलाया है। यह सुनकर अशोक मान जाते हैं और तीनों मिलकर घर चले जाते हैं।
घर पहुंचते ही जैसे ही मधु की नजर अशोक पर पड़ती है, वह गुस्से से अंशिका को डांटने लगती है, “यह कौन है बेटा? तुम उसे किस घर में लेकर आ गई? तुम्हारा दिमाग तो सही है ना? यह सब तुम क्या कर रही हो? मैंने तुम्हें मना किया था फिर भी तुम यह सब कर रही हो। मुझे नहीं पता था कि तुम यह सब करने वाली हो। वरना मैं तुम्हें घर से बाहर ही नहीं जाने देती।”
मधु का गुस्सा देखकर अशोक वापस जाने लगे। तभी रिया ने उन्हें रोक लिया और बोली, “पापा, यह घर मेरा है। आप कहीं नहीं जाएंगे। आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। मैं आपको इस घर में रखूंगी। और वैसे भी, मैं आपकी बेटी हूं। कोई गैर इंसान नहीं। प्लीज पापा, मेरी बात मान जाइए। मन से माफी मांग लीजिए।”
मगर अशोक माफी मांगने को तैयार नहीं थे और ना ही मधु मानने को। तभी ललिता बोली, “मधु, देखो, मैं जानती हूं कि तुम दोनों के बीच क्या-क्या हुआ है और किस हालात से गुजरे हो। लेकिन अभी अपनी बेटी की वजह से तो तुम लोग मिल सकते हो ना। तुम्हारी बेटी अब बड़ी हो गई है और उसे अपने पापा के बिना जिंदगी अधूरी लगती है। इसीलिए वह यह सब कर रही है। तो प्लीज मान जाओ। तुम दोनों मिल जाओ। सबके लिए अच्छा होगा।”
फिर रिया रोते हुए बोली, “मां, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं। प्लीज, आप दोनों मिल जाइए। मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप दोनों की खुशी चाहिए। अगर आप दोनों मिल जाएंगे, तो वही मेरी सबसे बड़ी खुशी होगी।”
रिया की आंखों में आंसू देखकर अशोक की आंखों में भी नमी आ गई और मधु भी रो पड़ीं। फिर आंसू पोछते हुए मधु ने धीरे-धीरे अशोक का हाथ पकड़ लिया। दोनों गले लग गए।
इस तरह रिया अपनी हिम्मत और समझदारी से अपने मां-बाप को फिर से एक साथ कर देती है और अपने पापा को वापस पा लेती है।
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