10 साल की मासूम लड़की भीख मांग रही थी, करोड़पति दंपत्ति ने जो किया, इंसानियत को झकझोर दिया!

दिल्ली के व्यस्त राजीव चौक सिग्नल पर ट्रैफिक जाम था। हर तरफ शोर, धुआं और बेचैनी का माहौल था। इसी भीड़ में 10 साल की नन्ही लड़की कोमल, फटी पुरानी फ्रॉक पहने, नंगे पैर, भूख से तड़पती हुई भीख मांग रही थी। लेकिन लोग उसकी तरफ नजर उठाए बिना आगे बढ़ जाते।

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इसी बीच काली Mercedes में बैठे दिल्ली के जाने-माने उद्योगपति विक्रम अरोड़ा और उनकी पत्नी सुजाता ने उस मासूम बच्ची को देखा। विक्रम ने कहा, “ये बच्चे रोज भीख मांगते हैं, आदत डाल ली है।” लेकिन सुजाता की आंखें भर आईं, उसने कहा, “यह मजबूरी है, आदत नहीं।”

सुजाता ने गाड़ी रोकी और कोमल से पूछा उसका नाम। कोमल ने कांपते होठों से बताया कि उसकी माँ कहती है पहले पेट भर लो, पढ़ाई बाद में। सुजाता का दिल टूट गया। विक्रम ने पास की दुकान से स्टेशनरी खरीद कर कोमल को दी और कहा, “अब भीख नहीं मांगोगी, यह सामान बेचोगी।”

कोमल ने पहली बार उम्मीद की चमक देखी। उसने मेहनत से पेन, कॉपियां बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे कई बच्चे उसके साथ जुड़ गए। उसने अपना छोटा ठेला लगाया और कारोबार बढ़ाया। पुलिस और दुकानदारों की मुश्किलों के बावजूद उसने हार नहीं मानी।

सालों बाद, जब विक्रम और सुजाता बूढ़े हो गए, उनके अपने बेटे और बहुएं उन्हें घर से निकालने लगे। तब कोमल, जिसने कभी भीख मांगी थी, उनके लिए सहारा बनी। उसने उन्हें अपने घर लिया, प्यार और सम्मान दिया।

यह खबर पूरे शहर में फैल गई। लोगों ने जाना कि असली संतान वही है जो बुजुर्गों का सम्मान करे। विक्रम के बेटे और बहुएं पछताते रहे, लेकिन समय ने सब कुछ बदल दिया।

सीख:
इंसानियत ही सबसे बड़ा रिश्ता है। कभी किसी को उसकी हालत या स्थिति से कम मत समझो। मदद करने का सही तरीका देना है, न कि सिर्फ भीख देना। अगर हम सब ऐसा करें, तो समाज सचमुच बदल सकता है।

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जय हिंद!