Police Walo Ny Army Officer ki Behan ke Sath Besharmi ki Sari Had Par Kar di, Phir Jo Hua

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पुलिसवालों ने आर्मी ऑफिसर की बहन के साथ की हैवानियत, फिर जो हुआ…

दोपहर का वक्त था। पुणे शहर की सड़कें तपते सूरज की आग से जल रही थीं। हवा जैसे थम सी गई थी। इसी चिलचिलाती धूप में एक साधारण सी लड़की घर से बाहर निकली थी—उसकी आंखों में मासूमियत थी और माथे पर हल्की-सी चिंता की लकीरें। वह आर्मी ऑफिसर की बहन थी। उसका भाई सीमा पर देश की रक्षा कर रहा था, लेकिन यहां शहर में उसकी बहन को नहीं मालूम था कि किस तरह का तूफ़ान उसका इंतज़ार कर रहा है।

पुलिस की हैवानियत

सड़क पर गश्त लगाते हुए कुछ पुलिसवाले उसकी ओर बढ़े। पहले तो उन्होंने मुस्कुराकर बात करनी चाही, फिर बात धीरे-धीरे गंदी निगाहों और बेहूदे शब्दों में बदल गई। लड़की ने नज़रें झुका लीं, तेज़ कदमों से वहां से निकलना चाहा, लेकिन वे दरिंदे जैसे उसके पीछे पड़ गए।
“अरे रुक… इतनी जल्दी में कहां जा रही है? ज़रा स्टेशन चल, पूछताछ करनी है…” – उनमें से एक हंसते हुए बोला।

उसने विरोध किया, लेकिन कानून की वर्दी पहने उन भेड़ियों ने सारी हदें पार कर दीं। किसी ने उसका दुपट्टा खींचा, किसी ने उसका रास्ता रोका। राहगीर दूर से तमाशा देख रहे थे, लेकिन कोई आगे नहीं आया। लड़की की चीखें शहर की चुप्पी में गुम हो रही थीं।

खबर पहुंची भाई तक

इसी बीच, किसी ने हिम्मत करके उसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। कुछ ही घंटों में यह वीडियो वायरल हो गया।
सीमा पर तैनात उसका भाई—कैप्टन अर्जुन—जब यह वीडियो देखता है, तो उसका खून खौल उठता है। उसने अपनी बहन से वादा किया था कि जब तक वह ज़िंदा है, कोई भी उसकी इज़्ज़त पर उंगली नहीं उठा सकता।

वह फौरन छुट्टी लेकर पुणे लौट आया। शहर में कदम रखते ही उसकी आंखों में आंसू और दिल में आग थी।

आर्मी ऑफिसर का गुस्सा

अगली सुबह, वही पुलिसवाले चौकी में बैठे हंसी-मज़ाक कर रहे थे। तभी दरवाज़ा ज़ोर से खुला। अंदर आया कैप्टन अर्जुन—उसकी वर्दी पर लगे मेडल चमक रहे थे और चेहरे पर गुस्से की लकीरें।
“जिसने मेरी बहन को छुआ है, वो अब बच नहीं पाएगा।” – उसकी आवाज़ गूंज उठी।

पुलिसवाले पहले हंसे, लेकिन अगले ही पल हालात बदल गए। अर्जुन ने एक-एक कर सबको ज़मीन पर गिरा दिया। उसके हर वार में उसकी बहन का दर्द झलक रहा था।
लाठियाँ, बंदूकें, कुर्सियां—कुछ भी उस आर्मी ऑफिसर के जोश को रोक न पाईं।

जनता का गुस्सा

जब शहरवालों ने देखा कि एक फौजी अपने परिवार के सम्मान के लिए लड़ रहा है, तो उनमें भी हिम्मत आ गई। भीड़ इकट्ठा हो गई, “हमें न्याय चाहिए!” के नारे लगने लगे। हर कोई उस बहन के साथ खड़ा हो गया, जो कल तक अकेली थी।

इंसाफ का पल

मीडिया ने खबर उठाई। टीवी चैनलों पर हेडलाइन चल रही थी—
“पुलिसवालों ने पार की दरिंदगी की हद, आर्मी ऑफिसर ने दिया करारा जवाब।”

राज्य सरकार को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी। उन पुलिसवालों को सस्पेंड किया गया, केस दर्ज हुआ और कोर्ट में पेशी हुई। अदालत में जब बहन ने कांपते हाथों से गवाही दी, तो पूरा हॉल सन्न रह गया।

अंत में…

कैप्टन अर्जुन ने बहन का हाथ थामकर कहा—
“तुम्हारे आंसू बेकार नहीं जाएंगे। जब तक मेरी सांसें चल रही हैं, मैं तुम्हारी ढाल बनकर खड़ा रहूंगा।”

और सच में, उस दिन पूरे शहर ने महसूस किया कि—
देश की सरहद पर लड़ने वाला फौजी सिर्फ सीमा का ही नहीं, बल्कि समाज की इज़्ज़त का भी सिपाही होता है।