जब एक लड़की ने जिन्न को किया आज़ाद, फिर जो हुआ उसने पूरे गाँव को हिला दिया

राजस्थान के रेगिस्तान के किनारे बसे छोटे से गाँव “किशनगढ़” में एक पुरानी दंतकथा थी — कहा जाता था कि पहाड़ी की गुफा में एक जिन्न बंद है, जिसे कभी किसी ने देखने की हिम्मत नहीं की। लोग मानते थे कि जो भी उस बोतल को खोलेगा, उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी।

लेकिन अनाया इन बातों पर यकीन नहीं करती थी। शहर से पढ़ाई करके लौटी, वह विज्ञान की छात्रा थी और अंधविश्वासों पर हँसती थी। एक दिन अपने दोस्तों के साथ उसने उस गुफा की ओर जाने का फैसला किया। सब डर रहे थे, लेकिन अनाया बोली — “जिन्न जैसी कोई चीज़ नहीं होती। बस पुराने लोग कहानियाँ बनाते हैं।”

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गुफा में अंधेरा था, हवा ठंडी और भारी। दीवारों पर कुछ अजीब चिन्ह खुदे थे। अनाया की टॉर्च की रोशनी एक पुराने पीतल के बर्तन पर पड़ी — धूल और मकड़ी के जाल से ढका हुआ। उसने हँसते हुए कहा, “देखो! यही है तुम्हारा जिन्न की बोतल।”

दोस्तों ने मना किया, “मत छू अनाया, यह अच्छा नहीं है।”

लेकिन उसने बोतल उठाई और धीरे से उसका ढक्कन खोला।

जैसे ही ढक्कन खुला, भीतर से एक काली धुंआ उठी और पूरे गुफा में फैल गई। हवा में ठंड बढ़ गई, दीवारें कांपने लगीं। सब घबरा गए और बाहर भागे — पर अनाया वहीं खड़ी रह गई, जैसे किसी ने उसे जकड़ लिया हो।

धुएँ से एक आकृति बनी — ऊँचा, छायादार और आँखों में नीली आग जैसी चमक। उसने धीमी लेकिन भारी आवाज़ में कहा,
“तुमने मुझे आज़ाद किया, लड़की… अब मैं तुम्हारी किस्मत का मालिक हूँ।”

अनाया डर से कांप गई। उसने कहा, “मैंने तुम्हें बचाया है, मुझे कुछ मत करना।”
जिन्न बोला, “मैं किसी पर एहसान नहीं छोड़ता। हर आज़ादी की एक क़ीमत होती है।”

उसने हवा में कुछ पढ़ा और बोतल ज़मीन पर टूट गई।
“अब तुम भी उस बोतल की तरह हो, लड़की… टूटी हुई, लेकिन कैद में।”

जिन्न गायब हो गया।

अनाया बाहर आई, लेकिन सब कुछ अजीब था। गाँव के लोग उसे पहचान नहीं पा रहे थे। घर पहुँची तो उसके माता-पिता ने दरवाज़ा नहीं खोला — “हमारी बेटी तो पाँच साल पहले मर गई थी!” उन्होंने कहा।

अनाया सदमे में सड़क पर गिर पड़ी। वह भागती रही, चिल्लाती रही, पर कोई उसे सुन नहीं पा रहा था। उसके पैर ज़मीन को छूते थे, लेकिन वह अब इंसान नहीं थी।

रात को गुफा से वही नीली रोशनी उठी। एक आवाज़ गूँजी —
“हर आत्मा जो मुझे आज़ाद करती है, खुद मेरी कैदी बन जाती है…”

अगली सुबह गाँव वालों ने फिर उसी बोतल को देखा — लेकिन इस बार उसके अंदर धुएँ की जगह एक लड़की का चेहरा था।

लोगों ने फिर गुफा को पत्थरों से बंद कर दिया।
कहते हैं, आज भी जब रात में हवा चलती है, तो कोई फुसफुसाहट सुनाई देती है —
“कभी किसी को बेवजह आज़ाद मत करना…”