माँ की ममता – एक भावुक कहानी

लखनऊ की एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में सोनिया नाम की महिला काम करती थी। एक दिन जब वह ऑफिस जा रही थी, तभी अचानक उसके साड़ी के पल्लू को किसी ने पकड़ लिया। वह मुड़ी तो देखा कि एक छह साल का मासूम बच्चा था। बच्चा बोला, “माँ, तुम कहाँ थी? मैंने तुम्हें कितना ढूंढा और मुझे बहुत भूख लगी है।”

सोनिया हैरान रह गई। गार्ड ने आकर बच्चे को डांटा और सोनिया को अंदर भेज दिया। लेकिन सोनिया के मन में उस बच्चे का चेहरा बार-बार घूमता रहा। घर जाकर उसने पति अमित को सब बताया। अमित ने समझाया कि ऐसे बच्चे अक्सर भीख मांगते हैं, लेकिन सोनिया का मन नहीं माना।

कुछ दिनों बाद सोनिया ने गार्ड से उस बच्चे के बारे में पूछा तो गार्ड ने बताया कि उसका नाम रमेश है। उसकी माँ इसी कंपनी में काम करती थी, लेकिन अब वह नहीं रही। उसके पिता शराबी हैं, बेटे की देखभाल नहीं करते। रमेश मजबूरी में भीख मांगता है।

सोनिया ने गार्ड से रमेश के घर चलने को कहा। वहाँ जाकर पता चला कि रमेश का पिता उसे मारकर भाग गया है और रमेश बेहोश सरकारी अस्पताल में भर्ती है। सोनिया और गार्ड अस्पताल पहुँचे, वहाँ रमेश अकेला था। सोनिया ने उसके सिर पर हाथ फेरा तो रमेश बोला, “माँ, तुम आ गई!” दोनों की आँखों में आँसू आ गए।

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सोनिया घर लौटी, पति को सब बताया। अमित ने कहा, “हमारे पास बच्चा नहीं है, क्यों न हम रमेश को गोद लें?” सोनिया ने खुशी से हामी भर दी। दोनों ने रमेश का इलाज करवाया, उसे अच्छे स्कूल में दाखिल कराया और उसे अपना बेटा बना लिया।

धीरे-धीरे रमेश सोनिया और अमित के साथ खुश रहने लगा। गाँव लौटने पर लोगों ने देखा कि उनके पास बच्चा है, सब हैरान हुए। सोनिया और अमित ने सबको बताया कि यह उनका ही बेटा है। गाँव वालों ने भी मान लिया और सोनिया पर लगा दाग पूरी तरह धुल गया।

इस तरह माँ की ममता ने एक मासूम की जिंदगी बदल दी।