जिसे लड़की ने अपने होटल से निकाला, वह बना उसी होटल का मालिक, फिर जो हुआ

अनामिका और नितेश: अहंकार से साझेदारी तक

दिल्ली के मशहूर इलाके में ‘साज’ नामक रेस्टोरेंट था। मालिक तो अनामिका का पिता था, लेकिन उसे चलाती थी सिर्फ 18 साल की अनामिका।
महंगे कपड़े, गाड़ी, रुतबा—उसकी पहचान थी। रसोई में काम करने वालों को वह कभी सम्मान नहीं देती थी, खासकर नितेश को, जो गांव से आया था, अंग्रेजी नहीं जानता था, लेकिन उसके हाथों में जादू था।

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ग्राहक उसके बनाए खाने के दीवाने थे, पर अनामिका को उसकी भाषा और सादगी ही नजर आती थी। एक दिन एक सेलिब्रिटी होटल मालिक रेस्टोरेंट में आई। अनामिका ने बिना रसोई से पूछे मेन्यू में नई डिश रख दी। नितेश ने समझाया—”मैडम, मुश्किल होगी”, पर अनामिका ने उसे ताना मारा—”तुम सिर्फ रसोई वाले हो, चुप रहो।”

नितेश ने सिर झुका लिया, रातभर मेहनत की, डिश परफेक्ट बनी, ग्राहक खुश हुए। मगर अनामिका ने शुक्रिया नहीं कहा।
कुछ दिनों बाद ग्राहक कम होने लगे, सर्विस गिरने लगी। अनामिका को गुस्सा आया, पर असली समस्या थी—नितेश का टूटना।
तीन महीने बाद, नितेश को निकाल दिया गया। रेस्टोरेंट का नाम मिट्टी में मिल गया। कर्मचारी चले गए, ग्राहक गायब हो गए। अनामिका अकेली रह गई।

एक दिन दोस्त के साथ नए रेस्टोरेंट ‘आसमान’ गई। वहां का खाना खाया—स्वाद वही, जादू वही। पता चला—हेड शेफ नितेश है!
अनामिका शर्मिंदा होकर रसोई में गई, नितेश से माफी मांगी। नितेश ने कहा—”अगर मुझे बराबरी का हक मिले, पार्टनर बनूं, तभी लौटूंगा।”
अनामिका ने हां कहा। साज फिर जिंदा हो गया। अब दोनों मालिक थे, दोनों की मेहनत, दोनों के सपने। रेस्टोरेंट फिर से चमक उठा।

एक दिन अनामिका ने कहा—”मैंने तुम्हारे साथ गलत किया, मुझे माफ कर दो।”
नितेश ने मुस्कुराकर कहा—”जिस दिन तुम आसमान में आई थी, उसी दिन माफ कर दिया था। अब खुद को माफ करो।”

कुछ महीनों बाद, दोनों ने अपने रेस्टोरेंट में शादी की। परिवार और कर्मचारियों के बीच।
क्योंकि असली सफलता तब मिलती है जब अहंकार की जगह समझदारी, और अकेलेपन की जगह साझेदारी आ जाए।

अगर आप नितेश की जगह होते, क्या फिर से अनामिका के साथ काम करना चाहते?
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