“जब बेटा दुबई से वापस आया, अपनी बीवी को देखकर उसके होश उड़ गए | नैतिक कहानी हिंदी में”

.

.

गांव रंगपुर की गलियों में एक पुराना, लेकिन बड़ा सा घर था, जिसे सब ‘रमेश का घर’ कहते थे। रमेश उस घर का अकेला रखवाला था, जिसके बारे में गांव वाले कहते थे कि वह बड़ा नेकदिल और जिम्मेदार आदमी है। लेकिन वक्त के साथ-साथ रमेश के मन में कुछ अजीब बदलाव आने लगे। वह धीरे-धीरे अपने अंदर के अंधकार में खोता गया, और उसकी रातें गुनाहों से रंगीन होने लगीं।

रमेश का एक बेटा था, आरिश, जो अब नौकरी के लिए दुबई जा रहा था। आरिश ने अपनी खूबसूरत पत्नी सोनिया को अपने पिता के पास छोड़कर जाने का फैसला किया था ताकि वह अपने काम पर ध्यान दे सके। रमेश अपने बेटे को विदा करते हुए खुश था, लेकिन उसके मन में कुछ अनकहे ख्याल भी थे। उसने बेटे से कहा, “बेटा, बेफिक्र रहो, मैं तुम्हारी सोनिया का अच्छे से ख्याल रखूंगा।”

आरिश अपनी पत्नी सोनिया का हाथ पकड़कर बोला, “बाबा, आप चिंता मत कीजिए, मैं जल्द वापस आऊंगा।” आरिश गाड़ी में बैठकर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया। सोनिया अब रमेश के साथ अकेली थी।

अगले दिन सुबह, सोनिया अपने ससुर को चाय देती हुई थी कि रमेश ने उसे अपने पास बुलाया। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी तन्हाई थी। उसने कहा, “बहू, मैं बहुत अकेला महसूस करता हूँ। मुझे कोई ऐसा चाहिए जो मेरे साथ रहे, मेरा दिल बहलाए और मुझे खुश रखे। मैं सोच रहा हूँ कि मैं दूसरी शादी कर लूं।”

सोनिया ने हैरानी से पूछा, “ससुर जी, आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? मैं तो आपकी देखभाल के लिए ही यहाँ हूँ। मैं आपकी हर बात मानूंगी।” रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “देखते हैं, तुम मुझे खुश रखने के लिए क्या कर सकती हो।” सोनिया ने जवाब दिया, “ससुर जी, इतनी जल्दी क्या है? अभी तो हम दोनों अकेले हैं, रात को मैं आपको एक खास तोहफा दूंगी।”

Jab Beta Dubai Se Wapis Aaya Apni Bevi Ko Dekh Kar Uske Hosh Udd Gaye | Moral  Stories In Urdu Hindi - YouTube

सोनिया ने चाय के बर्तन उठाए और किचन की ओर चली गई। रमेश उसकी हरकतों को चुपके से देख रहा था, उसकी निगाहें उस पर शिकारी की तरह टिकी थीं। जब सोनिया झाड़ू लगा रही थी या कपड़े धो रही थी, रमेश उसे सलाह देता, “बहू, काम करते हुए दुपट्टा उतार दिया करो ताकि आराम से काम कर सको।” उसकी निगाहों में छुपी हुई इच्छाएं साफ झलक रही थीं।

एक रात, रमेश कमरे से उठकर धीरे-धीरे सोनिया के कमरे की ओर बढ़ा। सोनिया आईने के सामने खड़ी अपने बाल संवार रही थी, उसका दुपट्टा कंधे से सरक गया था। रमेश के कदमों की आवाज सुनकर वह घबरा गई और बोली, “ससुर जी, क्या हुआ? क्या आपको कुछ चाहिए?” रमेश ने अपने पांव फिसलने का बहाना बनाया और सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया। दोनों बिस्तर पर गिर गए।

सोनिया घबराई हुई उठी और कहा, “ससुर जी, यह क्या था?” रमेश ने माफी मांगते हुए कहा, “माफ करना बहू, मेरा पांव फिसल गया था। मैं दवाई लेने आया था।” सोनिया के दिल में एक तूफान उठ रहा था, लेकिन उसने खुद को संभाला और कहा, “ससुर जी, आप अपने कमरे में जाइए, मैं दवाई लेकर आती हूं।”

शाम को जब सोनिया अपने पति आरिश से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी, रमेश चुपके से खिड़की के पीछे से उसे देख रहा था। उसकी आंखों में जलन और ईर्ष्या की आग थी। अगले दिन सोनिया ने एक औरत की हंसी सुनी और बाहर निकली तो देखा रमेश एक औरत के साथ हंस रहा था। सोनिया ने पूछा, “ससुर जी, यह कौन हैं?” रमेश ने कहा, “बहू, मैंने कहा था मैं दूसरी शादी करना चाहता हूं। यह खातून रिश्ते करवाती है, मैंने उनसे कहा है कि मेरे लिए कोई अच्छी बीवी ढूंढ दें।”

सोनिया का गुस्सा सातवें आसमान पर था। वह नहीं चाहती थी कि रमेश दूसरी शादी करे क्योंकि उसे डर था कि रमेश की जायदाद नई बीवी के नाम हो जाएगी और वह बेघर हो जाएगी। वह रात को दूध का गिलास लेकर रमेश के कमरे के पास गई। रमेश बिस्तर पर पड़ा था, उसके हाथ में एक पुराना खत और कुछ तस्वीरें थीं। सोनिया ने जानबूझकर अपना दुपट्टा गिरा दिया और रमेश के सीने पर सर रख दिया। रमेश ने कहा, “बहू, मैं तुम्हें खुश रखने की कोशिश कर रहा हूं, तुम्हें दूसरी शादी की जरूरत नहीं पड़ेगी।”

रमेश ने सोनिया को अपनी बाहों में भर लिया और कहा, “अगर तुम मेरी ख्वाहिशें पूरी करती रहो तो मैं तुम्हें सब कुछ दूंगा, मेरी दौलत, मेरी जायदाद सब तुम्हारा होगा। लेकिन अगर आरिश को पता चल गया तो क्या होगा?” सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “ससुर जी, उसे कौन बताएगा? वह कब वापस आएगा पता नहीं।”

आधी रात को जब सोनिया गहरी नींद में थी, रमेश उठा और सोनिया के कमरे की तलाशी लेने लगा। उसकी नजर एक फूलों वाले गुलदान पर पड़ी, जिसे उसने उठाया और चेहरे पर खौफनाक इत्मीनान के साथ अपने कमरे में चला गया।

दिन भर सोनिया रमेश को अपनी अदाओं से लुभाती रही, लेकिन रमेश उसकी तरफ झिझक कर देखता और पलट जाता। सोनिया उसकी इस सर्दी को समझ नहीं पाई, लेकिन उसने अपनी चालाकी जारी रखी। अगली रात अचानक सोनिया के कमरे से दर्द भरी आवाजें आईं। रमेश भागकर आया और देखा सोनिया रो रही है।

सोनिया ने कहा, “ससुर जी, आपने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है। मैं हामिला हो गई हूं और यह सब आपकी वजह से हुआ है। मेरी इज्जत लुट गई है।” रमेश ने इंकार किया, लेकिन सोनिया ने कहा, “रात को आपने मेरे साथ वह सब किया जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है, और अब आप मासूम बन रहे हैं।”

रमेश घबराया और बोला, “ठीक है बहू, मैं सब संभाल लूंगा, लेकिन इस राज का किसी को पता नहीं चलेगा।” सोनिया ने कहा, “मुझे कभी अकेला मत छोड़ना।”

अगली सुबह रमेश एक खूबसूरत औरत के साथ घर आया, जिसे उसने अपनी नई बीवी बताया। सोनिया का गुस्सा चरम पर था, लेकिन रमेश ने समझाया कि यह नई बीवी घर के सारे काम करेगी और वह बस प्यार करेगा। सोनिया ने इस बात को स्वीकार किया, लेकिन उसकी आंखों में दर्द और गुस्सा था।

धीरे-धीरे रमेश नई बीवी के साथ ज्यादा समय बिताने लगा और सोनिया से दूर रहने लगा। एक दिन सोनिया ने रमेश से पूछा, “ससुर जी, आप मुझसे दूर क्यों रहते हैं? आपने मुझे धोखा दिया।” रमेश ने कहा, “मैं तुम्हारी कोई बात नहीं मानता।”

सोनिया ने अपने पति आरिश को फोन किया और बताया कि रमेश ने उसे हामिला कर दिया है। आरिश ने कहा, “मैं तुरंत वापस आ रहा हूं।” सोनिया ने रमेश और उसकी नई बीवी की वीडियो भेजी, जिसमें रमेश के साथ उसका रिश्ता दिख रहा था।

आरिश घर पहुंचा और रमेश से भिड़ गया। रमेश ने आरिश को एक पुराना खत और तस्वीरें दिखाईं, जिसमें सोनिया की असलियत सामने आई। रमेश ने बताया कि सोनिया एक तवायफ थी और उसने उसे ब्लैकमेल करने के लिए यह ड्रामा रचा था।

आरिश ने गुस्से में सोनिया को थप्पड़ मारा और कहा, “मैं तुम्हें तलाक देता हूं।” सोनिया को घर से बाहर निकाल दिया गया। रमेश ने कहा, “पुलिस को मत बुलाना, नहीं तो हम सब बदनाम हो जाएंगे।”

आरिश ने अपने पिता से कहा, “यह धोखा था, लेकिन शुक्र है कि हमें सच पता चल गया।” रमेश ने कहा, “मैंने तुम्हें दुबई इसलिए भेजा ताकि तुम इस धोखे में न फंसो।”

इस तरह रमेश का घर और उसका परिवार एक बड़े धोखे और दर्दनाक सच का शिकार हो गया। उस घर का रखवाला ही शैतान बन गया था, जिसने अपनी रातें गुनाहों से रंगीन कर ली थीं, और अंजाम बहुत दर्दनाक था।