मुंबई एयरपोर्ट पर एक साधारण लड़के की कहानी, जिसने पूरी कंपनी की सोच बदल दी

कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे मोड़ पर ले आती है, जहां लोग हमारे कपड़ों से हमारी कीमत आंकते हैं। लेकिन जब किस्मत पलटती है, तो वही लोग हमारी इज्जत को सलाम करते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है आर्यन तिवारी की, जिसने अपने साधारण रूप से असाधारण बदलाव ला दिया।

मुंबई की एक सुबह थी। एयरपोर्ट रोड पर लग्जरी गाड़ियों की कतार थी, चारों ओर सूट-बूट पहने लोग, फॉर्मल बैग और ब्लूटूथ लगाए एग्जीक्यूटिव्स। इसी भीड़ में एक सादा सा लड़का, आर्यन तिवारी, अपने झोले में कुछ कागज और हाथ में पुराना फोन लिए, चेहरे पर शांति के साथ आगे बढ़ रहा था। वह सीधा ब्लू स्काई एयरलाइंस के हेड ऑफिस पहुंचा, जो देश की सबसे बड़ी कंपनियों में गिनी जाती है।

गेट पर सिक्योरिटी गार्ड ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और रास्ता रोक लिया। “भाई साहब, कहां जा रहे हो? यह ऑफिस किसी इंटरव्यू सेंटर की तरह नहीं है।” आर्यन मुस्कुराया और बोला, “मुझे अंदर जाना है, मेरी अपॉइंटमेंट है।” गार्ड ने ठहाका लगाया, “यहां बड़े-बड़े मिनिस्टर बिना अपॉइंटमेंट के नहीं घुस पाते। आप तो किसी डिलीवरी एजेंसी से लग रहे हैं।” पीछे खड़े स्टाफ हंसने लगे। तभी अंदर से रिया कपूर, कंपनी की पब्लिक रिलेशंस हेड, आईं। उन्होंने भी आर्यन को ताने मारते हुए कहा, “मुझे नहीं लगता कि आपकी अपॉइंटमेंट हमारे सीईओ से होगी। शायद आप गलत जगह आ गए हैं।”

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रिया ने रजिस्टर चेक करने के लिए कहा और आर्यन को लॉबी में बैठा दिया। आसपास बैठे लोग उसे भिखारी समझ रहे थे, कोई कह रहा था नौकरी मांगने आया है, कोई ट्रायल फ्लाइट की बात कर रहा था। लेकिन आर्यन शांति से सब सुनता रहा।

आधे घंटे बाद, जूनियर स्टाफ सौरभ मेहता ने आर्यन से पूछा, “सर, क्या कोई मदद चाहिए?” आर्यन ने बताया कि उसकी सीईओ से 11 बजे मीटिंग है। सौरभ हैरान रह गया, क्योंकि उसी समय सीईओ की एक इन्वेस्टर के साथ मीटिंग थी। सौरभ ने अंदर जाकर मैनेजर विवेक से कहा, लेकिन विवेक ने उसे बाहर इंतजार करने या वापस जाने को कह दिया। सौरभ ने आर्यन को बताया, आर्यन मुस्कुरा कर बोला, “कोई बात नहीं, वक्त आएगा तो वह खुद बुलाएंगे।”

11 बजे आर्यन खुद उठकर सीईओ ऑफिस की ओर बढ़ा। रिया ने फिर रोका, लेकिन वह दरवाजा खोलकर अंदर चला गया। विक्रांत मल्होत्रा, सीईओ, फोन पर बात कर रहा था। उसने आर्यन को देखा और हंसते हुए बोला, “किस हैसियत से मेरे साथ मीटिंग करने आए हो?” आर्यन ने शांत स्वर में जवाब दिया, “जिस हैसियत से आपने आज तक किसी की पहचान नहीं की।”

आर्यन ने अपना बैग खोला और एक लिफाफा निकाला। विक्रांत ने बेपरवाही से लिफाफा टेबल पर फेंक दिया, लेकिन आर्यन ने कहा, “सिक्योरिटी बुलाने से पहले आपको पता होना चाहिए कि किसे बाहर निकाल रहे हैं।” विक्रांत ने मजाक में पूछा, “तुम कौन हो?” आर्यन ने जवाब दिया, “जिसने इस एयरलाइन को बचाने के लिए 10 साल पहले अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगाई थी। और अब इसे वापस लेने आया है।”

कमरे में सन्नाटा छा गया। रिया और विवेक दरवाजे पर खड़े सब सुन रहे थे। आर्यन ने कहा, “कल सुबह 10 बजे जब पूरी कंपनी की मीटिंग होगी, तब सच्चाई खुद बोलेगी।”

अगले दिन, ऑफिस में हलचल थी। सबको पता था कि कल जो लड़का आया था, वही अब मीटिंग में आने वाला है। रिया बेचैन थी, डर रही थी कि अगर वह बड़ा आदमी निकला तो उसकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। तभी ऑफिस के गेट खुले और आर्यन तिवारी अंदर आया, इस बार उसके साथ एक अधिकारी था। आर्यन ने रिसेप्शन पर जाकर कहा, “सीईओ विक्रांत मल्होत्रा को बुलाइए, आज मीटिंग मैंने बुलवाई है।”

मीटिंग में, अधिकारी ने डॉक्यूमेंट्स दिखाए कि ब्लू स्काई एयरलाइंस के 62% शेयर अब आर्यन तिवारी के नाम पर हैं। विक्रांत का चेहरा सफेद पड़ गया। हर पेज पर आर्यन का नाम था। आर्यन ने बताया कि 10 साल पहले, जब कोई आगे आने को तैयार नहीं था, उसने अपने आखिरी पैसों से कंपनी को बचाया था। उसकी शर्त थी कि जब तक कंपनी स्थिर न हो, उसका नाम डॉक्यूमेंट में न हो।

आर्यन ने सौरभ मेहता को जनरल मैनेजर बना दिया, क्योंकि उसने इंसानियत दिखाई थी। विक्रांत को फील्ड ऑफिसर बना दिया गया, और रिया को उसकी गलती मानने पर माफ किया गया। आर्यन ने कहा, “अब से हर कर्मचारी की इज्जत बराबर होगी। असली अमीरी पैसे से नहीं, सोच से होती है।”

आज ब्लू स्काई एयरलाइंस की पहली फ्लाइट ‘आर्यन एक्सप्रेस’ नाम से उड़ान भरने वाली थी। आर्यन ने कहा, “यह फ्लाइट मेरे नाम पर नहीं, मेरी मां के सपने पर है।” पूरी कंपनी में इंसानियत की नई हवा बह रही थी।

यह कहानी हमें सिखाती है कि असली पहचान कपड़ों से नहीं, इरादों और इंसानियत से होती है। अगर हम सब थोड़ी सी इज्जत बांट दें, तो दुनिया में कोई गरीब नहीं रहेगा।