बच्चे ने जज साहब से कहा – मेरे पापा बेकसूर हैं, मेरे पास सबूत है । उन्हें छोड़ दीजिए…फिर जज ने जो

5 साल के बच्चे ने अदालत में कर दिया कमाल!

लखनऊ की अदालत में गहमागहमी थी।
जज साहब आरोपी रोहित वर्मा को हत्या के जुर्म में फांसी देने ही वाले थे,
तभी एक मासूम आवाज आई—
“रुकिए जज साहब!”
सबकी नजरें घूमीं।
दरवाजे पर खड़ा था सिर्फ 5 साल का आर्यन,
आंसुओं से भरी आंखें, कांपते हाथ,
और हाथ में एक टूटा-फूटा रोबोट।

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आर्यन बोला—
“ये रोबोट अंकल वर्मा ने मुझे दिया था। इसमें कैमरा है, सब रिकॉर्ड है। मेरे पापा निर्दोष हैं।”

कोर्ट में सन्नाटा।
जज ने रोबोट फॉरेंसिक लैब भेजने का आदेश दिया।

अगले दिन, फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया—
“रोबोट में हत्या वाली रात की रिकॉर्डिंग है।”
वीडियो चला—
एक नकाबपोश कातिल, हाथ में ड्रैगन टैटू।
सब मान गए, रोहित ही कातिल है।

तभी आर्यन चिल्लाया—
“मेरे पापा के हाथ पर ड्रैगन नहीं, बटरफ्लाई टैटू है!”
रोहित ने स्लीव ऊपर की—
वाकई बटरफ्लाई टैटू था।
कोर्ट में हंगामा।

फॉरेंसिक जांच में पता चला—
वीडियो में टैटू बदल दिया गया था।
सबूत के साथ छेड़छाड़ हुई थी।

फिर आर्यन ने एक डायरी दी—
जिसमें लिखा था,
“मुझे मारने की धमकी मिल रही है। अगर मैं मारा जाऊं, तो समझना रोहित निर्दोष है।”

तभी कोर्ट में फॉरेंसिक असिस्टेंट रमेश पकड़ा गया।
उसने कबूल किया—
प्रोसीक्यूशन लॉयर विजय सिंह ने पैसे देकर वीडियो बदलवाया था।

सीबीआई जांच में खुलासा हुआ—
विजय सिंह को बिजनेस राइवल कंपनी से पैसे मिले थे,
ताकि रोहित को फंसाया जा सके।

जज साहब ने आदेश दिया—
“रोहित वर्मा निर्दोष है। अदालत आपसे माफी मांगती है।”

रोहित ने बेटे को गले लगाया—
“बेटा, तू मेरा हीरो है!”

आर्यन बोला—
“मैंने तो बस सच बोला, अंकल वर्मा ने यही सिखाया था।”

कोर्ट तालियों से गूंज उठा।
मीडिया ने पूछा—
“सच की जीत पर क्या कहना चाहेंगे?”
रोहित मुस्कुराए—
“सच चाहे कितना भी छुपाया जाए, जीत उसी की होती है।”

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