गरीब लड़का समझकर मज़ाक उड़ाती थी,सच सामने आते ही पूरा कॉलेज हिल गया फिर जो हुआ…

घमंड और सादगी – अहाना और विवान की कहानी

भाग 1: रुतबे का रंगीन संसार

दिल्ली के सबसे हाई-क्लास कॉलेज, आर्यन हेरिटेज कॉलेज में हर दिन रॉयल शो जैसा माहौल रहता था। चमचमाती गाड़ियां, स्टाइलिश कपड़े, सोशल मीडिया के लिए पोज करती लड़कियां – जैसे कॉलेज नहीं, कोई फैशन रनवे हो। इसी माहौल में हर किसी की नजरें टिकती थीं अहाना वालिया पर। वह दिल्ली के मशहूर रियल एस्टेट टाइकून और राजनीतिक रसूखदार विक्रम वालिया की इकलौती बेटी थी। उसकी खूबसूरती, चाल, मुस्कान और रुतबा – सब कुछ उसे कॉलेज की क्वीन बना देता था। लड़कियां उसके जैसा बनना चाहती थीं, लड़के उसके आसपास मंडराते रहते थे।

भाग 2: साधारण लड़के की एंट्री

एक दिन, उसी कॉलेज में दाखिल हुआ एक साधारण सा लड़का – विवान शर्मा। हल्की टीशर्ट, पुरानी जींस, एक सीधा सा बैग और चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास। उसकी आंखों में स्थिरता थी, कोई दिखावा नहीं, कोई जरूरत नहीं। पहली ही क्लास में प्रोफेसर ने प्रोजेक्ट असाइनमेंट के लिए ग्रुप्स बनाए और किस्मत से अहाना और विवान एक ही ग्रुप में आ गए।

अहाना ने उसे देखा जैसे कोई गलती से थाली में नींबू रख दे। तिरस्कार से बोली, “सीरियसली, मेरे साथ?” फिर अपनी सहेली से – “लगता है अब स्कॉलरशिप वाले भी यहां आ गए हैं।” विवान ने बस शांत स्वर में कहा, “प्रोजेक्ट की डेडलाइन पास है, हमें समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।” उसका जवाब सीधा था, लेकिन ठहराव ने अहाना को भीतर तक छू लिया।

भाग 3: अहाना का घमंड और विवान की सादगी

अहाना ने जैसे ठान लिया था कि वह विवान को उसकी औकात दिखा कर रहेगी। लाइब्रेरी, कैंटीन, क्लासरूम – हर जगह वह उसकी सादगी पर ताने कसती, कपड़ों पर टिप्पणी करती, उसकी शांत प्रवृत्ति को कायरता समझकर नीचा दिखाने की कोशिश करती।

एक दिन लाइब्रेरी में अहाना ने सबके सामने कहा – “अभी तक स्मार्टफोन नहीं खरीदा? किताबों से पढ़ाई करता है!” विवान ने हल्की मुस्कान के साथ कहा – “ज्ञान का जरिया मायने रखता है, उसकी कीमत नहीं।” अहाना कुछ पल को चुप रह गई, लेकिन उसका अहंकार फिर बोल पड़ा।

कैंटीन में जब विवान साधारण खाना लेकर बैठा, अहाना ने फिर ताना मारा – “लगता है गांव की मेस से खाना पैक करवा लाया है।” विवान ने बेहद शांति से जवाब दिया – “भूख पेट की होती है, स्टाइल की नहीं। खाना पेट भरने के लिए है, सोशल मीडिया पर दिखाने के लिए नहीं।”

भाग 4: टकराव की शुरुआत

अहाना को समझ नहीं आता था कि विवान उसकी बातों का जवाब कैसे देता है – बिना चीख-चिल्लाहट के, लेकिन असरदार। वह सोचती थी, इसमें ऐसा क्या है जो हर चोट पर मुस्कुरा देता है? प्रोजेक्ट मीटिंग्स में विवान अपनी रिसर्च में डूबा रहता, कम बोलता, लेकिन जब बोलता तो समझदारी की मिसाल देता।

धीरे-धीरे अहाना को एहसास होने लगा कि वह जिसे बैकवर्ड समझती थी, उसकी सोच उससे कहीं ज्यादा आगे थी। उसके अंदर जलन, हैरानी और शायद आकर्षण भी जन्म लेने लगा।

भाग 5: कॉलेज फेस्ट और बड़ा खुलासा

कुछ हफ्तों बाद कॉलेज में सालाना फेस्ट शुरू हुआ। अहाना हमेशा की तरह स्टार थी – डिजाइनर ड्रेस, परफेक्ट मेकअप, कैमरों के सामने चमकती मुस्कान। लेकिन इस बार उसका ध्यान बार-बार विवान की ओर जाता था, जो स्टेज के पीछे तकनीकी टीम में काम कर रहा था। अहाना ने फिर ताना मारा – “ओ हेलो टेक्नीशियन बाबू, स्टेज पर आने की हिम्मत नहीं होती क्या?” विवान ने मुस्कुराकर जवाब दिया – “हर किसी का स्टेज अलग होता है। कोई तालियों के बीच खड़ा होता है, कोई उनकी मेहनत में।”

फेस्ट का सबसे बड़ा आकर्षण था एक चैरिटी ऑक्शन, जिसमें दिल्ली के कई बड़े बिजनेसमैन शामिल थे। अहाना को यकीन था कि उसके पापा सबसे महंगी पेंटिंग खरीदेंगे। लेकिन अचानक एक आवाज आई – “5 करोड़!” पूरा हॉल चुप हो गया। मंच पर आया – विवान शर्मा। और माइक पर घोषणा हुई – “मिलिए विवान शर्मा से, भारत की सबसे बड़ी टेक कंपनी विराट टेक का संस्थापक और सीईओ।”

पूरा कॉलेज दंग रह गया। अहाना के होश उड़ गए। वह विवान, जिसके कपड़ों पर वह ताने कसती थी, असल में अरबपति टेक आइकॉन था। उसने कॉलेज में अपनी पहचान छुपाई थी, ताकि आम छात्र की जिंदगी जी सके और सच्चे रिश्तों को पहचान सके।

भाग 6: अहाना का आत्ममंथन

अब कॉलेज में हर कोई विवान के आसपास मंडराने लगा। लेकिन अहाना खुद से लड़ रही थी। उसका घमंड, ताने, सब अब उसके मन में गूंज रहे थे। कई दिनों तक उसने विवान से नजरें चुराईं, लेकिन एक दिन उसने हिम्मत जुटाई। लाइब्रेरी में जाकर बोली – “विवान, मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें गलत समझा, नीचा दिखाने की कोशिश की। लेकिन तुम तो सबसे ऊंचे निकले।”

विवान ने मुस्कुराकर कहा – “तुम जैसी दिखती हो, वैसी हो नहीं। बस अपने खोल में बंद थी।” अहाना की आंखें भर आईं, पहली बार उसने खुद को हल्का महसूस किया।

भाग 7: बदलाव की शुरुआत

अब अहाना बदलने लगी थी। वह दिखावे से बाहर निकल रही थी, विवान के आसपास उसका मन सुकून ढूंढने लगा था। वह अब मेहनत, सादगी और समझदारी का प्रतीक बन चुकी थी। एक दिन कॉलेज में बिजनेस इनोवेशन प्रोजेक्ट का ऐलान हुआ। विजेता को विराट टेक में इंटर्नशिप का मौका मिलना था। अहाना ने दिन-रात मेहनत की, एक ऐप बनाया – जो भारत के गांवों में बच्चों को मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा दे सके।

प्रेजेंटेशन के दिन, उसने आत्मविश्वास से कहा – “यह सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, उम्मीद है।” तालियों की गूंज में पहली बार विवान की आंखों में उसकी तरफ इज्जत दिखी। लेकिन तभी एक लड़की ने उस पर चोरी का इल्जाम लगाया। विवान ने दोनों प्रोजेक्ट्स की जांच की, और पूरे कॉलेज के सामने कहा – “अहाना का प्रोजेक्ट उसकी सोच है, सोनिया का दावा झूठा है। विजेता सिर्फ एक है – अहाना वालिया।”

भाग 8: प्यार की मंजिल

उस शाम, कॉलेज के गार्डन में अहाना ने विवान से कहा – “तुमने मेरी सोच, मेरा नजरिया और शायद मेरा दिल भी बदल दिया। मैं तुमसे प्यार करती हूं।” विवान ने उसका हाथ थाम लिया – “प्यार दिखावे से नहीं, दिल से होता है। और हां, मैं भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूं।”

कुछ साल बाद, समंदर के किनारे एक सादगी भरी शादी में अहाना और विवान ने एक-दूसरे को हमेशा के लिए अपना बना लिया।

सीख

यह कहानी बताती है कि असली अमीरी दिल और चरित्र में होती है, न कि कपड़ों या रुतबे में। अहाना का घमंड विवान की सादगी के आगे टिक नहीं पाया। प्यार, समझदारी और मेहनत ने दोनों को बदल दिया और उनकी जिंदगी को नई दिशा दी।

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