IPS मैडम के ऊपर कीचड़ क्यों डाला ? फिर उसके बाद जो हुआ।

सुबह की हल्की धुंध और ट्रैफिक की हलचल के बीच सड़क के किनारे खड़ी रवीना सिंह बस का इंतजार कर रही थी। गुलाबी रंग की सलवार सूट में वह साधारण सी दिखती थी। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि सामने खड़ी महिला एक आईपीएस अधिकारी है। रवीना का मन शादी-ब्याह के कामों में व्यस्त था, लेकिन वह अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहती थी।

भाग 2: घमंड का सामना

कुछ ही देर बीती थी कि एक काली रंग की जीप तेजी से आई और साइड में रुक गई। उसमें से निकला युवक राजेश पासवान, जिसका रुख और रब दोनों ही साफ दिख रहे थे। वह मंत्री का बेटा था, जिसकी शक्ल सूरत में घमंड झलकता था। जैसे ही वह जीप से उतरा, उसने मुस्कुराकर रवीना से कहा, “चलोगी क्या?” उसकी आवाज में मस्ती और घुमावदार तानों का असर था।

रवीना के भीतर गुस्सा उठ खड़ा हुआ, लेकिन उसने चेहरे पर कड़वी सख्ती रखी और बिना जवाब दिए खड़ी रही। राजेश हंसते हुए और करीब आकर बोला, “अरे मैडम, इतना मुंह क्यों घुमा रखा है? अपने आशिक से क्या शर्माती हो?”

भाग 3: छेड़खानी का प्रतिरोध

रवीना ने ठंडे लहजे में कहा, “आपको कोई अधिकार नहीं कि आप किसी अनजान लड़की से ऐसे बात करें।” लेकिन राजेश को यह सब मजाक सा लगा। उसने आगे बढ़ने की कोशिश की और जब रवीना ने मुंह फेर रखा, तो वह हंसते हुए बोला, “अरे शर्माने की क्या बात? मैं तो बस मजाक कर रहा था।”

उसकी बातें बेवकूफाना और लाभोर सी थीं। वह स्पष्ट तौर पर छेड़खानी कर रहा था। रवीना ने सख्ती से कहा, “यहां बीच सड़क पर लड़की को छेड़ रहे हो। क्या तुम्हें शर्म नहीं आती?”

भाग 4: राजेश की धमकी

राजेश ने अहंकार भरी हंसी के साथ पलटा और ठहाका लगाते हुए कहा, “अच्छा, तू मुझे मार देगी? मार के दिखा तो सही। मैं तुम्हें याद रखूंगा। तुम्हारे हाथों मार पड़ना मेरे लिए अब नया रोमांच होगा।”

रवीना ने उसकी आंखों में ठंडी नजर डालकर कहा, “तुम्हारी धमकियों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं किसी की संपत्ति नहीं कि तुम बस अम्लिक बनकर मुझ पर हक जताओ। अब बस यहां से हट जाओ।”

भाग 5: हाथ उठाना

राजेश की बातों ने जैसे किसी अंगारे को हवा दे दी हो। उसका घमंड पल भर में आग में बदल गया। उसने तेज स्वर में चिल्लाते हुए रवीना के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। रवीना का चेहरा ठिठक गया, लेकिन उसकी आंखों में क्रोध की आग पहले से भी तेज जल उठी।

राजेश ने बेसुरी आवाज में कहा, “इतना प्यार से बोल रहा हूं और तू कुछ समझती नहीं? मैंने कहा है कि मैं तुम्हें लिए बिना यहां से नहीं जाऊंगा।”

भाग 6: आत्मरक्षा का क्षण

रवीना ने अपने कराटे और आत्मरक्षा में निपुणता का प्रयोग किया। उसने अपने हाथों से राजेश को इतनी ताकत से झटका दिया कि वह संतुलन खो बैठा। राजेश चिल्लाया, “तू मुझे मारेगी?” दोनों के बीच धक्कामुक्की शुरू हो गई।

रवीना ने तेज मोड़ लिया और कलाई पकड़कर राजेश को जमीन पर गिरा दिया। भीड़ में खड़े लोग चौंक उठे। कुछ ने मोबाइल निकालकर रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया।

भाग 7: राजेश का डर

राजेश जो अभी तक अपनी अकड़ में डूबा था, अचानक डर के मारे कांप उठा। उसने मन ही मन सोचा कि अब पापा को बुलाना ही पड़ेगा। उसने चिल्लाया, “रुक, तुझे अभी बताता हूं। मैं अपने पापा को बुलाता हूं। वे आएंगे और तुझे सबक सिखाएंगे।”

भाग 8: अनिल कपूर का आगमन

कुछ ही देर में एक महंगी कार मौके पर आई, और कार से एक मध्यम आयु का पुरुष उतरा। चेहरा परिचित, कद-काठी में प्रभावशाली, वह अनिल कपूर था। उसने भीड़ में कदम रखते ही मुस्कान भरी नकली आदाब के साथ रवीना की तरफ सलाम ठोकते हुए कहा, “अच्छा, आप यहां क्या मामला है मैडम?”

भाग 9: अनिल की प्रतिक्रिया

राजेश ने गुस्से में कहा, “पापा, इस लड़की ने मुझे मारा। देखो मेरा क्या हाल कर दिया। इसे नहीं छोड़ूंगा।” अनिल कपूर का रंग बदल गया। उसने रवीना की ओर देखते हुए कहा, “मैडम, आपने मेरे बेटे को क्यों इस तरह?”

भाग 10: रवीना का साहस

रवीना ने गर्दन सीधी कर ली और शांत स्वर में जवाब दिया, “मुझे आपके बेटे की परवरिश की जिम्मेदारी लेने की जरूरत नहीं। उसने जो किया वह सार्वजनिक जगह पर हुआ। मैंने केवल आत्मरक्षा की।”

भाग 11: समाज की नजरें

भीड़ में एक सन्नाटा छा गया। लोग फुसफुसाने लगे कि मामला बड़ा होने वाला है। रवीना ने कहा, “आप चाहे तो शिकायत दर्ज कराइए। पर याद रखें कानून का कानून ही चलेगा।”

भाग 12: डीएम की कार्रवाई

अनिल कपूर के सुर में पहली सी कठोरता थी। लेकिन जब रवीना ने कहा कि पहले अपने बेटे की हरकत सुनिए फिर फैसला कीजिए तो भीड़ में लोगों के चेहरे पर कुछ बदल गया। रवीना ने बिना किसी डर के बहस की हदें साफ कर दी।

भाग 13: रवीना की रिपोर्ट

रवीना ने तुरंत आइडेंटिफिकेशन करवाकर मोबाइल रिकॉर्डिंग और आसपास के गवाहों के बयान भी सुरक्षित करवा लिए। उसने फिर राजेश को अपने साथ थाने ले जाने के निर्देश दिए। इंस्पेक्टर रणवीर सिंह को तुरंत फोन करके बुलाया गया।

भाग 14: थाने में कार्रवाई

थाने में पहुंचते ही रवीना ने खुद मामले की प्रारंभिक जांच में हाथ लगाया। उसने संयम और पेशेवर कड़ाई के साथ गवाहों से पूछताछ करवाई। जांच में जो तथ्य सामने आए वे चिंताजनक थे। कई लड़कियों ने बतलाया कि राजेश अक्सर सार्वजनिक जगहों पर घूरता, अहित टिप्पणी करता और कई बार जबरन छेड़छाड़ की कोशिश करता।

भाग 15: गवाहों की आवाज

कुछ लड़कियां डर के मारे पहले कभी थाने नहीं आई। रवीना ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया। उसने तुरंत एक लिखित रिपोर्ट तैयार करवाई। गवाही रिकॉर्डिंग और प्राथमिक वैधानिक कागजातों के साथ और राजेश के खिलाफ सख्त धाराओं के लागू होने की सिफारिश की।

भाग 16: डीएम ऑफिस की ओर

रवीना ने तय किया कि इसे डीएम ऑफिस तक सीधे ले जाना होगा ताकि जिला प्रशासन पूरी तरह से इस पर संज्ञान ले। उसने सारी फाइल और सबूत संक्षेप में तैयार करवाकर डीएम कार्तिक मेहरा को स्थिति से अवगत कराना उचित समझा।

भाग 17: डीएम का समर्थन

डीएम कार्तिक मेहरा ने रवीना की पेशेवरता की तारीफ की। लेकिन साथ ही कहा कि इस तरह के मामले में केवल भावनाओं से काम नहीं लिया जा सकता। कानून के दायरे में कदम उठाना होगा।

भाग 18: प्रेस कॉन्फ्रेंस

डीएम ने तुरंत आवश्यक निर्देश दिए। राजेश पासवान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश, गिरफ्तार करने की अनुमति देने के लिए सबूतों का संकलन और मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु एक मजिस्ट्रेट और एडी मुलजिम की मौजूदगी में जांच की निगरानी।

भाग 19: समाज में बदलाव

समाज में यह संदेश साफ हो गया कि कोई भी व्यक्ति चाहे उसका नाम कितना भी ऊंचा हो, कानून से ऊपर नहीं है। कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी रही और साक्ष्य के आधार पर अभियोजन पक्ष ने मामला मजबूत ढंग से पेश किया।

भाग 20: रवीना की लड़ाई

रवीना के लिए यह कोई जीत हार की बात नहीं थी। उसका मकसद सिर्फ न्याय था। ना केवल अपने लिए बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए जिन्होंने ताकतवरों के डर से आवाज नहीं उठाई।

भाग 21: न्याय की आवाज

प्रेस और जनता ने देखा कि किस तरह पारदर्शिता और कर्तव्य निष्ठता से काम लेने पर बड़े-बड़े दबावों को अपना सही मुकाम दिखाया जा सकता है। डीएम कार्तिक मेहरा की तत्परता और रवीना की निर्भीकता ने मिलकर संदेश दिया कि व्यवस्था में अगर ईमानदार लोग हो तो बदलाव संभव है।

भाग 22: बदलाव की लहर

कहानी के अंत में जब मामला न्यायालय के पास आगे बढ़ा, तब भी लोगों की नजरें इस घटना पर बनी रहीं। ना केवल इसलिए कि यह एक मंत्री परिवार से जुड़ा मामला था, बल्कि इसलिए कि यह एक संदेश बन चुका था।

भाग 23: रवीना का नया सवेरा

रवीना अपने काम पर लौट आई। पर बदलाव की लहर जो उन्होंने शुरू की थी, सड़कों पर, थानों में और अफसरशाही में महसूस की जा सकती थी। जनता को अब थोड़ी और हिम्मत मिली थी कि वे भी अपनी आवाज उठा सकें।

भाग 24: निष्कर्ष

इस कहानी ने यह संदेश दिया कि हमें हर गलत करने वालों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ताकि जुल्म करने वाले जुल्म करने से पहले 100 बार सोचें।

अंत

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