एक खूबसूरत लड़की मजदूरी कर रही थी मगर एक दिन जब उसकी सच्चाई के बारे में पता चला तो तलाकशुदा पत्नि

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अध्याय 1: एक नई सुबह

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जिले में, सुबह-सुबह राजस्व चौराहे पर मजदूरों की भीड़ लगी थी।
हर कोई अपने-अपने घर की जिम्मेदारियों, सपनों और परेशानियों के साथ काम की तलाश में आया था।
इन्हीं मजदूरों के बीच एक 24-25 साल की महिला बैठी थी—मधु।
उसकी गोद में आठ-नौ महीने की बच्ची सो रही थी।
मधु की आंखों में थकान थी, लेकिन चेहरा मेहनत की चमक से भरा था।
वो चाहती थी कि आज उसे कोई काम मिल जाए ताकि अपनी मां और बच्ची का पेट भर सके।

अध्याय 2: रवि की वापसी

रवि, जो तीन साल सऊदी अरब में काम करके लौटा था, आज अपने गांव में नई शुरुआत करना चाहता था।
कोरोना महामारी ने उसकी जिंदगी बदल दी थी।
अब उसने फैसला किया कि जितना भी कमाना है, अपने गांव में ही कमाएगा।
उसके पास पांच बीघा जमीन थी, जिसमें पौधों की नर्सरी शुरू करने की योजना बनाई।
नर्सरी के लिए मजदूरों की जरूरत थी, इसलिए वह चौराहे पर पहुंचा।

अध्याय 3: पहली मुलाकात

रवि की नजर मधु पर पड़ी।
वह सोचने लगा—इतनी सुंदर लड़की मजदूरी करने आई है?
कुछ देर तक उसे देखता रहा, फिर पास बुलाया।
“मेरे पास काम है, क्या तुम मजदूरी पर चलोगी?”
मधु ने तुरंत हां कर दी।
रवि ने चार-पांच महिला मजदूरों को चुन लिया और टेम्पो में बैठाने लगा।
मधु ने अपनी बच्ची को गोद में लिया और टेम्पो में बैठ गई।

रवि ने पूछा, “यह बच्चा किसका है?”
मधु बोली, “साहब, यह मेरा ही है।”
रवि ने चिंता जताई, “इतने छोटे बच्चे के साथ तुम कैसे काम कर पाओगी?”
मधु ने कहा, “मेरी बच्ची बहुत शांत है, मैं काम अच्छे से कर लूंगी।”
लेकिन रवि ने मना कर दिया, “माफ करना, बच्चे के साथ काम मुश्किल होगा।”
मधु उदास होकर चबूतरे पर बैठ गई, उसकी आंखें भर आईं।

अध्याय 4: दूसरा मौका

अगले दिन रवि फिर मजदूर लेने आया।
महिला मजदूरों ने उसे घेर लिया, मधु भी दौड़कर आई, लेकिन पिछली बार की वजह से पीछे हट गई।
रवि ने मधु को बुलाया, “आज तुम भी चलो।”
मधु की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
नर्सरी में काम शुरू हुआ।
मधु ने जितनी मेहनत और लगन से काम किया, उतनी किसी ने नहीं।
एक घंटे में वो 60 थैलियां भर देती, बाकी महिलाएं सिर्फ 50।

मधु ने बच्ची को छाया में लेटाकर खिलौने दे दिए।
जब बच्ची रोने लगी, रवि ने खुद उसे गोद में उठा लिया।
मधु ने कहा, “मालिक, नीचे लिटा दीजिए, नहीं तो आपको मैला कर देगी।”
रवि बोला, “कोई बात नहीं, अब तुम बच्ची को संभालो।”
मधु ने बच्ची को गोद में लेकर दूध पिलाया।

अध्याय 5: सम्मान और अपनापन

काम के दौरान रवि मजदूरों के लिए चाय, नमकीन, बिस्कुट, और बच्ची के लिए फ्रूटी व चिप्स लाया।
मधु ने कहा, “इतनी छोटी बच्ची है, ज्यादा कुछ नहीं खाएगी।”
रवि ने बच्ची को चिप्स खिलाया, फ्रूटी पिलाई।
बाकी मजदूरों ने देखा कि रवि मधु और उसकी बच्ची का कितना ख्याल रखता है।

रवि ने महसूस किया कि मधु सबसे ज्यादा मेहनती है।
उसने मधु से बातचीत शुरू की—मधु ने बताया कि उसके पति नशेड़ी हैं, ससुराल वाले मारपीट करते हैं, इसलिए मायके लौट आई।
मां के साथ रहती है, बच्ची को खुद पालती है।
मजदूरी के पैसे से ही मां-बेटी का गुजारा चलता है।

अध्याय 6: मधु का संघर्ष

मधु ने बताया कि उसे महीने में सिर्फ 8-10 दिन ही काम मिलता है।
बाकी लोग बच्चे के साथ काम पर नहीं रखते।
मधु कभी किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी।
रवि को उसकी ईमानदारी, मेहनत और सच्चाई बहुत पसंद आई।

अध्याय 7: रवि का बदलता मन

रवि सोचने लगा, “काश ऐसी जीवनसंगिनी मुझे मिली होती।”
मधु की सुंदरता, मेहनत और ईमानदारी ने उसे आकर्षित किया।
रवि ने एक दिन मधु की तारीफ की, “तुम बहुत खूबसूरत हो और बहुत मेहनती भी।”
मधु ने हंसकर कहा, “आपको मेरे काम से मतलब रखना चाहिए, खूबसूरती से नहीं।”

रवि ने कहा, “तुम मेरी मजदूरों में सबसे अच्छी लगती हो।”
मधु ने बात टाल दी, लेकिन रवि महसूस कर रहा था कि उसके मन में मधु के लिए भावनाएं जाग रही हैं।

अध्याय 8: मधु की परेशानी

एक दिन मधु नई साड़ी पहनकर आई, बच्ची भी नए कपड़ों में थी।
रवि ने तारीफ की, “आज तो तुम नर्सरी की मालकिन लग रही हो।”
लेकिन मधु की आंखों में आंसू थे।
रवि ने पूछा, “क्या हुआ?”
मधु ने बताया, “अब मैं काम नहीं कर पाऊंगी, मेरा पति रात में आया था, मारपीट की, गंदी बातें बोलीं।”

मधु बोली, “मुझे बदनाम करता है, कहता है कि मैं यहां धंधा करती हूं। मैं तो मेहनत मजदूरी करती हूं, लेकिन लोग समझते नहीं।”

अध्याय 9: पति का उत्पीड़न

मधु का पति नर्सरी पर आ गया, गालियां देने लगा, मधु को घसीटने लगा।
मधु रोने लगी, बच्ची भी रोने लगी।
रवि ने मधु का बचाव किया, “अब इन्हें छोड़ भी दो, जब ये तुम्हारे साथ जाना नहीं चाहती।”
पति ने रवि को भी धमकाया, लेकिन रवि ने उसका हाथ मरोड़ दिया, बाकी महिलाएं मधु को संभालने लगीं।

मधु का पति बोला, “मैं थाने जाकर एफआईआर कराऊंगा, तू मेरी पत्नी को रखैल बना कर रखा है।”
रवि बोला, “जाओ, जो करना है कर लो।”

अध्याय 10: मधु का सहारा

रवि ने मधु को दिलासा दिया, “तुम्हें काम की चिंता मत करो, मैं हमेशा तुम्हें काम दूंगा।”
मधु बोली, “यह ड्रामा पिछले तीन सालों में 30 बार कर चुका है।”

छह महीने बीत गए।
मधु नर्सरी में काम करती रही।
उसकी बच्ची अब डेढ़ साल की हो गई थी।
रवि ने उसके लिए खिलौने लाए, प्यार-दुलार किया।
मधु की मां भी खुश थी कि बेटी को अच्छा सहारा मिल गया।

अध्याय 11: नर्सरी की सफलता

रवि ने पौधे बेचकर 15,000 रुपये कमाए।
उसने मधु को 3,000 रुपये दिए, उसका हाथ पकड़कर बोला, “यह सब तुम्हारी मेहनत का नतीजा है। अगर तुम नहीं होती तो मैं सफल नहीं हो पाता।”

रवि ने मधु से कहा, “इन फूलों की तरह तुम भी बहुत प्यारी हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।”

मधु फूट-फूटकर रोने लगी, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा, जैसे कोई सपना देख रही हूं।”

रवि ने कहा, “जब मैं तुमसे प्यार करता हूं तो शादी भी तुम्हारे साथ ही करूंगा।”

अध्याय 12: सच्चा प्यार और सम्मान

रवि ने गांव में पंचायत बैठाई, मधु के पति से छुटकारा दिलाया।
मधु और रवि का विवाह हुआ।
रवि ने मधु की मां को भी अपने घर ले आया।
अब परिवार हंसी-खुशी रहने लगा।

मधु की बच्ची अब बड़ी हो गई थी।
रवि उसका भी बहुत ख्याल रखता था।
नर्सरी में फूलों की खुशबू के साथ मधु की मेहनत और प्यार की कहानी भी महकने लगी।

अध्याय 13: समाज का संदेश

रवि और मधु की कहानी गांव में मिसाल बन गई।
लोग कहते, “सच्चे प्यार और मेहनत से हर मुश्किल आसान हो जाती है।”
मधु अब सिर्फ मजदूर नहीं, रवि की जीवनसंगिनी, उसकी नर्सरी की मालकिन और समाज के लिए प्रेरणा बन गई थी।

मूल संदेश:
यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी की परिस्थितियों को देखकर उसे कम मत आंकिए।
मेहनत, ईमानदारी और सच्चा प्यार इंसान की पहचान है।
समाज को चाहिए कि वह महिलाओं का सम्मान करे, उन्हें सहारा दे।
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जय हिंद!