रेस्टोरेंट के बाहर अरबपति ने Bikhari का अपमान किया – अगले दिन घुटनों पर माफी माँगा वजह चौंकाने वाली

मुंबई के सबसे महंगे इलाके बांद्रा में स्थित गोल्डन पैलेस रेस्टोरेंट की चमकदार रोशनी रात के अंधेरे को चीरती हुई आसमान तक पहुंच रही थी। यह केवल एक रेस्टोरेंट नहीं था, बल्कि शहर के अमीर और प्रभावशाली लोगों का अड्डा था, जहां एक डिनर की कीमत एक आम आदमी की महीने भर की सैलरी के बराबर होती थी।

शानदार रेस्टोरेंट के बाहर ठंडी दिसंबर की रात में एक महिला सड़क के किनारे बैठी हुई थी। उसके बाल सफेद हो चुके थे, चेहरे पर झुर्रियों के निशान थे और शरीर पर पुराने फटे हुए कपड़े थे। उसके सामने एक छोटी सी कटोरी रखी थी जिसमें कुछ सिक्के पड़े हुए थे। लोग उसे एक साधारण भिखारी समझकर निकल जाते थे, लेकिन उस महिला की आंखों में कुछ अलग था। एक अजीब सा तेज जो साधारण भिखारियों में नहीं दिखता। वह रेस्टोरेंट की तरफ बार-बार देखती रहती थी जैसे किसी का इंतजार कर रही हो।

भाग 2: विक्रम अग्रवाल का आगमन

रात के 10:00 बजे एक काली BMW रेस्टोरेंट के सामने रुकी। उसमें से एक शानदार सूट पहने हुए आदमी निकला। विक्रम अग्रवाल, 45 साल का एक सफल बिजनेसमैन, जो अपनी कंपनी अग्रवाल इंडस्ट्रीज के लिए मशहूर था। उसके साथ उसकी पत्नी प्रिया और 18 साल का बेटा आर्यन भी था। विक्रम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में जाने से पहले उस भिखारी महिला को देखकर रुक गया।

उसके चेहरे पर घृणा का भाव आया। “अरे यार, यह भिखारी यहां क्यों बैठी है?” विक्रम ने चिढ़कर कहा, “इतने महंगे रेस्टोरेंट के बाहर यह गंदगी क्यों फैलाई जाती है?” भिखारी महिला ने अपना सिर उठाया और विक्रम की तरफ देखा। उसकी आंखों में दर्द था लेकिन वह चुप रही।

“पापा, चलिए अंदर चलते हैं,” आर्यन ने कहा। विक्रम ने भिखारी महिला के पास जाकर जोर से चिल्लाया, “यहां से भाग, इस जगह को गंदा मत कर। तू यहां बैठने की हकदार नहीं है।” महिला ने धीरे से कहा, “सर, मैं किसी को परेशान नहीं कर रही। बस यहां बैठी हूं।”

भाग 3: अपमान का प्रतिरोध

विक्रम हंसा, “तू इस जगह की कीमत जानती है? यहां एक वर्ग फुट जमीन की कीमत तेरी पूरी जिंदगी की कमाई से ज्यादा है और तू यहां बैठने की बात कर रही है।” रेस्टोरेंट से बाहर आने जाने वाले लोग रुक कर तमाशा देख रहे थे। कुछ अपने फोन निकालकर वीडियो बना रहे थे।

“विक्रम जी, प्लीज छोड़िए। चलिए अंदर चलते हैं,” प्रिया ने अपने पति को रोकने की कोशिश की। लेकिन विक्रम का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। उसने अपनी जेब से 500 का नोट निकाला और भिखारी महिला के सामने फेंकते हुए कहा, “ले, यह पैसे लेकर यहां से भाग जा और दोबारा यहां दिखाई मत देना।”

महिला ने नोट को नहीं छुआ। उसने शांति से कहा, “मुझे आपके पैसों की जरूरत नहीं है, बेटा।” “बेटा?” विक्रम आग बबूला हो गया। “तूने मुझे बेटा कहा। तू जानती है मैं कौन हूं? मैं विक्रम अग्रवाल हूं। मेरी संपत्ति 500 करोड़ से ज्यादा है।” महिला ने गहरी सांस ली और खड़ी हो गई।

भाग 4: भीड़ का डर

भीड़ में से किसी ने धीरे से कहा, “सर, बहुत हो गया। बुजुर्ग महिला है।” लेकिन विक्रम चिल्लाया, “चलो अब तो खुश हो।” फिर भिखारी महिला की तरफ मुड़कर बोला, “तू समझती क्या है अपने आप को? एक गंदी भिखारी जो पूरी जिंदगी हाथ फैलाकर जी है। तुझे यहां आने का कोई हक नहीं है।”

इतना कहकर विक्रम ने महिला के सामने रखी कटोरी को लात मारी। सिक्के इधर-उधर बिखर गए। महिला अपनी आंखों में आंसू लिए खड़ी रह गई। भीड़ में से कुछ लोगों ने विरोध की आवाज उठाई, लेकिन कोई आगे आने की हिम्मत नहीं कर रहा था। विक्रम अग्रवाल का नाम सुनकर सब डर गए थे।

“चलो, अब खुश हो?” विक्रम ने व्यंग से कहा, “अब यहां से भाग जा, नहीं तो पुलिस को बुलवा दूंगा।” महिला ने धीरे से अपने बिखरे सिक्के उठाए, अपनी कटोरी संभाली और चुपचाप वहां से चलने लगी। लेकिन जाते-जाते वह मुड़ी और विक्रम को देखकर बोली, “बेटा, याद रखना, जो ऊपर है वह नीचे आता है और जो नीचे है वह ऊपर जाता है। यह जिंदगी का नियम है।”

भाग 5: भिखारी की असली पहचान

“धमकी दे रही है,” विक्रम हंसा। “एक भिखारी मुझे धमकी? तू क्या उखाड़ लेगी?” महिला ने कुछ नहीं कहा और अंधेरे में गायब हो गई। विक्रम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में चला गया। लेकिन उसे नहीं पता था कि जिस महिला का उसने अपमान किया था, वह कोई साधारण भिखारी नहीं थी।

रेस्टोरेंट में जाते समय उसने देखा कि कुछ लोग अभी भी उसे घूर रहे थे। “पापा, आपने बहुत गलत किया,” आर्यन ने अपने पिता से कहा। “गल?” विक्रम ने कहा, “मैंने क्या गलत किया? उस गंदी औरत को उसकी औकात दिखाई है।”

भाग 6: एक नई शुरुआत

इसी बीच, वही महिला एक पार्क में बैठी हुई थी। उसने अपने पुराने कपड़ों के अंदर से एक महंगा स्मार्टफोन निकाला और एक नंबर डायल किया। “हैलो राज,” महिला ने कहा। उसकी आवाज अब बिल्कुल अलग थी, आत्मविश्वास से भरपूर और मजबूत।

“हां, मैडम कहिए,” दूसरी तरफ से एक आदमी की आवाज आई। “विक्रम अग्रवाल के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी करो। उसका बिजनेस, उसकी संपत्ति, उसके पार्टनर्स, उसकी कमजोरियां सब कुछ।”

महिला मुस्कुराई। “अभी कुछ नहीं। वक्त आने पर काम आएगा। पहले उसकी पूरी जानकारी चाहिए।” “मैडम, क्या आप ठीक हैं? आज बहुत अपमान हुआ है आपका,” राज ने कहा। महिला ने गंभीरता से कहा, “मैंने अपनी पूरी जिंदगी में ऐसे अपमान सहे हैं। लेकिन आज के बाद यह खेल बदल जाएगा। विक्रम अग्रवाल को नहीं पता कि उसने किससे पंगा लिया है।”

भाग 7: अतीत की यादें

महिला ने आसमान की तरफ देखा। तारे चमक रहे थे। “25 साल,” उसने धीरे से कहा। “25 साल मैंने इंतजार किया है इस दिन का। जब मैं अपनी असली पहचान दुनिया के सामने लाऊंगी।” वह उठी और धीरे-धीरे पार्क से बाहर निकली। एक लग्जरी कार उसका इंतजार कर रही थी। कार में बैठते समय उसके चेहरे से सारी मासूमियत गायब हो गई थी।

अब वह दिख रही थी एक मजबूत, दृढ़ संकल्पित महिला की तरह। कार स्टार्ट हुई और अंधेरे में गायब हो गई। विक्रम अग्रवाल को नहीं पता था कि उसकी जिंदगी बदलने वाली है और यह बदलाव लाने वाली है वह भिखारी महिला जिसका वह इतना अपमान कर चुका था।

भाग 8: विक्रम का दिन

अगले दिन विक्रम अग्रवाल अपने ऑफिस में बैठा हुआ था। वह बीती रात की घटना को पहले ही भूल चुका था। उसके लिए यह एक साधारण सी बात थी। लेकिन उसी समय शहर के दूसरे कोने में मुंबई के सबसे महंगे होटल रॉयल हेरिटेज के प्रेसिडेंशियल सूट में वही महिला बैठी हुई थी। लेकिन अब वह बिल्कुल अलग दिख रही थी। उसने एक एलीगेंट साड़ी पहनी हुई थी।

उसके सामने एक आदमी बैठा था। राज शर्मा, एक प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर और उसका भरोसेमंद सहायक। “मैडम, विक्रम अग्रवाल की पूरी जानकारी है यहां,” राज ने एक फाइल उसके सामने रखी। महिला ने फाइल खोली और पढ़ना शुरू किया। विक्रम अग्रवाल, 45 साल, अग्रवाल इंडस्ट्रीज के मालिक।

भाग 9: विक्रम की कमजोरियां

“इसकी कमजोरियां,” महिला ने सोचते हुए कहा। “इसके पास कई लोन हैं। बैंकों से करीब 200 करोड़ का कर्ज है और इसका सबसे बड़ा प्रोजेक्ट अग्रवाल टावर्स अभी भी अधूरा है। इसके लिए उसे और 300 करोड़ की जरूरत है।”

महिला मुस्कुराई। “दिलचस्प। और इसके साझेदार मुख्य साझेदार हैं खन्ना ग्रुप के राजू खन्ना।” “इसका बिजनेस पार्टनर है लेकिन सुना है कि दोनों के बीच कुछ तनाव चल रहा है।”

महिला ने फाइल बंद की। “राज, अब मैं तुम्हें बताती हूं कि हम क्या करने वाले हैं। सबसे पहले मैं चाहती हूं कि तुम राजू खन्ना से मिलो। उसे बताना है कि मैं उसके साथ एक बड़ा प्रोजेक्ट करना चाहती हूं। लेकिन शर्त यह है कि उसे विक्रम अग्रवाल के साथ अपनी साझेदारी तोड़नी होगी।”

भाग 10: योजना की शुरुआत

“मैडम, लेकिन वो क्यों मानेगा और उसे कैसे पता चलेगा कि आप कौन हैं?” राज ने पूछा। महिला ने मुस्कुराते हुए अपने बैग से कुछ कागजात निकाले। “राज, मिलो श्रीमती अनीता देवी से। भारत की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट चेन गोल्डन पैलेस की मालकिन।”

राज की आंखें फैल गईं। “मैडम, आप गोल्डन पैलेस की मालकिन हैं?” “हां राज, 20 सालों से मैं इस बिजनेस को चला रही हूं। आज भारत भर में मेरे 500 रेस्टोरेंट हैं। मेरी कुल संपत्ति 2000 करोड़ से ज्यादा है।”

राज हैरानी से उन्हें देख रहा था। “लेकिन मैडम, आप कल रात सड़क पर भीख मांग रही थी।” “अनीता देवी ने मुस्कुराकर पूरा किया। राज, यह मेरी एक आदत है। हर महीने मैं एक दिन भिखारी बनकर सड़कों पर निकलती हूं। इससे मुझे पता चलता है कि असल में समाज कैसा है। लोग गरीबों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।”

भाग 11: समाज का सच

राज समझ गया। “और कल रात विक्रम अग्रवाल ने बिल्कुल यही दिखा दिया कि वह कैसा इंसान है।” “और अब मैं उसे दिखाऊंगी कि जब एक गरीब के पास ताकत होती है तो क्या होता है।”

अनीता देवी ने एक और फाइल निकाली। “राज, तुम जानते हो कि विक्रम अग्रवाल जिस गोल्डन पैलेस रेस्टोरेंट के बाहर खड़ा होकर मेरा अपमान कर रहा था, वो मेरा ही रेस्टोरेंट है।” राज की सांस फूलने लगी। “मतलब मतलब यह है कि वो मेरी ही प्रॉपर्टी के बाहर खड़े होकर मुझे भगा रहा था।”

भाग 12: संघर्ष की कहानी

अनीता देवी ने खिड़की के पास जाकर कहा, “मुंबई का पूरा शहर मेरे नीचे फैला हुआ था। राज, मैंने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्ष किया है। 25 साल पहले जब मैंने शुरुआत की थी तो मेरे पास कुछ नहीं था। एक छोटा सा ढाबा था। लोग मुझे बावर्ची आंटी कहकर बुलाते थे।”

उसकी आंखों में दूर की कोई याद तैर गई। “उस समय भी ऐसे लोग मिले थे जो मुझे नीचा दिखाना चाहते थे। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। आज मैं यहां हूं। लेकिन मैं यह नहीं भूली कि गरीब होने का मतलब क्या है?”

राज चुपचाप सुन रहा था। “इसीलिए मैं हर महीने भिखारी बनकर निकलती हूं। मुझे यह देखना होता है कि अमीर लोग गरीबों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। ज्यादातर लोग तो सिर्फ नजरअंदाज कर देते हैं। कुछ ₹4 दे देते हैं। लेकिन कल जो विक्रम अग्रवाल ने किया, उसकी मुट्ठी कस गई। उसने मेरे साथ जो किया, वो सिर्फ मेरे साथ नहीं बल्कि हर गरीब के साथ अन्याय था। और अब मैं उसे सबक सिखाऊंगी।”

भाग 13: योजना का कार्यान्वयन

राज ने पूछा, “मैडम, आप क्या करने वाली हैं?” अनीता देवी मुड़ी और एक खतरनाक मुस्कान के साथ बोली, “राज, अभी तक विक्रम अग्रवाल को लगता था कि पैसा ही सब कुछ है। लेकिन वह नहीं जानता कि असली ताकत पैसे में नहीं बल्कि समझदारी और रिश्तों में होती है।”

उसने फोन उठाया और एक नंबर डायल किया। “हैलो राजू जी। मैं अनीता देवी बोल रही हूं। जी हां, गोल्डन पैलेस वाली अनीता देवी। आपसे मिलना था। एक बहुत बड़े प्रोजेक्ट के बारे में बात करनी है।”

भाग 14: विक्रम का संकट

विक्रम अग्रवाल अपने ऑफिस में बैठकर अपने नए प्रोजेक्ट की प्लानिंग कर रहा था। उसे नहीं पता था कि उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा तूफान आने वाला है। शाम को 6:00 बजे राजू खन्ना अनीता देवी के ऑफिस पहुंचा।

गोल्डन पैलेस का हेड ऑफिस मुंबई के बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में एक 20 मंजिला इमारत थी। राजू खन्ना को जब पता चला कि अनीता देवी उससे मिलना चाहती है तो वह तुरंत तैयार हो गया था। गोल्डन पैलेस एक बहुत बड़ा ब्रांड था और उसके साथ पार्टनरशिप का मतलब था करोड़ों का फायदा।

भाग 15: नई संभावनाएं

अनीता देवी के केबिन में पहुंचकर राजू खन्ना हैरान रह गया। वह एक बहुत ही एलीगेंट और पावरफुल लग रही थी। “राजू जी, बैठिए,” अनीता देवी ने कहा। “अनीता जी, आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई। आप जानती हैं, मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं। आपने जो एंपायर बनाया है वह काबिले तारीफ है।”

“शुक्रिया राजू जी। मैं भी आपके वर्क की तारीफ करती हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आप गलत आदमी के साथ पार्टनरशिप कर रहे हैं।” राजू खन्ना चौंक गया। “मतलब?”

भाग 16: विक्रम की सच्चाई

“विक्रम अग्रवाल,” अनीता देवी ने कहा। “मैं जानती हूं कि आप दोनों के बीच प्रॉब्लम्स चल रही हैं और मैं यह भी जानती हूं कि वह आपको सही प्रॉफिट शेयर नहीं दे रहा।” राजू खन्ना की आंखें चमकीं। “यह बात सच थी।”

“अनीता जी, आप कैसे जानती हैं?” “बिजनेस की दुनिया छोटी है। सब कुछ पता चल जाता है। मैं आपको एक ऑफर देना चाहती हूं। मेरे साथ पार्टनरशिप करिए। मैं आपको 500 करोड़ का प्रोजेक्ट देने को तैयार हूं।”

राजू खन्ना की सांस फूलने लगी। “500 करोड़?” “हां, लेकिन एक शर्त है। आपको विक्रम अग्रवाल के साथ अपनी सारी पार्टनरशिप्स तोड़नी होंगी।”

भाग 17: विक्रम का पतन

राजू खन्ना ने सोचा, “विक्रम के साथ उसका रिश्ता वैसे भी खराब चल रहा था और अनीता देवी का ऑफर बहुत बड़ा था।” “अनीता जी, मैं तैयार हूं। लेकिन आप ऐसा क्यों कर रही हैं? विक्रम अग्रवाल से आपकी कोई दुश्मनी है?”

अनीता देवी मुस्कुराई। “राजू जी, कल आपको सब पता चल जाएगा। फिलहाल आप बस इतना जान लीजिए कि विक्रम अग्रवाल ने एक बहुत बड़ी गलती की है और अब उसे इसकी सजा मिलेगी।”

अगली सुबह विक्रम अग्रवाल का दिन बहुत बुरा शुरू हुआ। सुबह 9:00 बजे ही उसे राजू खन्ना का फोन आया। “विक्रम, मुझे तुमसे बात करनी है।” राजू खन्ना ने कहा, उसकी आवाज में कुछ अलग था।

भाग 18: संकट की घड़ी

“हां राजू भाई, बोलो क्या बात है?” “विक्रम, मैं हमारी सारी पार्टनरशिप्स कैंसिल कर रहा हूं। अग्रवाल टावर्स प्रोजेक्ट से मैं बाहर निकल रहा हूं।” विक्रम को लगा जैसे आसमान सिर पर गिर पड़ा हो। “क्या राजू भाई, ऐसा क्यों? कोई प्रॉब्लम है तो बात करते हैं।”

“नहीं विक्रम, मेरा डिसीजन फाइनल है। कल तक मैं सारे कागजात वापस कर दूंगा।” फोन कट गया। विक्रम परेशान हो गया। राजू खन्ना के बिना अग्रवाल टावर्स प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सकता था। इसके लिए उसे 300 करोड़ चाहिए थे और राजू उसका मेन इन्वेस्टर था।

भाग 19: बुरे दिन

अभी वह इस सदमे से उभरा भी नहीं था कि उसका सेक्रेटरी आया। “सर, सेंट्रल बैंक के मैनेजर का फोन है। कह रहे हैं उर्जेंट बात है।” विक्रम ने फोन उठाया। “हां, मैं विक्रम अग्रवाल बोल रहा हूं।”

“सर, आपका लोन अकाउंट रिव्यू हो रहा है। आपको कल बैंक आना होगा। कुछ डॉक्यूमेंट्स की जरूरत है।” “लेकिन क्यों? कोई प्रॉब्लम है?” “सर, डिटेल में बात कल करेंगे।”

एक और फोन कट गया। विक्रम का माथा ठनका। एक साथ दो बुरी खबरें मिली थीं। दोपहर में उसे एक और झटका लगा। उसके बिजनेस पार्टनर में से एक और मिश्रा ग्रुप ने भी पार्टनरशिप तोड़ने की बात कही।

भाग 20: साजिश का एहसास

यह सब क्या हो रहा है? विक्रम ने अपने पीए से कहा। “सर, लगता है कोई बड़ा खेल हो रहा है। सब एक साथ पार्टनरशिप्स तोड़ रहे हैं।” शाम तक विक्रम को तीसरा झटका लगा। उसके बिगेस्ट क्लाइंट शार्मा एंटरप्राइजेस ने भी अपना ऑर्डर कैंसिल कर दिया।

विक्रम समझ गया कि यह कोई कोइंसिडेंस नहीं है। कोई उसके खिलाफ साजिश कर रहा है। रात में घर पहुंचकर वह अपनी पत्नी प्रिया से बात कर रहा था। “प्रिया, कुछ गड़बड़ है। लगता है कोई मेरे खिलाफ कांस्परेसी कर रहा है।”

भाग 21: अतीत की छाया

“विक्रम, कहीं कल रात वाली बात का तो कनेक्शन नहीं?” प्रिया ने सवाल किया। “कल रात तुम उस भिखारी की बात कर रही हो। अरे, वह एक गंदी औरत थी। उसका इससे क्या कनेक्शन हो सकता है?”

“विक्रम, तुमने बहुत गलत किया था। एक बुजुर्ग महिला के साथ इतना बुरा व्यवहार।” “प्रिया, प्लीज मेरी प्रॉब्लम सॉल्व करने में हेल्प करो। लेक्चर देने में नहीं।”

भाग 22: बैंक का संकट

अगली सुबह विक्रम बैंक गया। बैंक मैनेजर ने उसे बैठने को कहा। “मिस्टर अग्रवाल, आपकी फाइनेंशियल सिचुएशन देखकर हमें चिंता हो रही है। आपके मेन पार्टनर्स आपको छोड़ रहे हैं। आपके क्लाइंट्स ऑर्डर्स कैंसिल कर रहे हैं। इससे आपकी रिपेइंग कैपेसिटी पर सवाल उठ रहे हैं।”

“लेकिन सर, यह टेंपरेरी सिचुएशन है। मुझे कुछ और टाइम दीजिए।” “मिस्टर अग्रवाल, हमें खुशी होगी अगर आप कोई गारंट और ला सकें। कोई बिग बिजनेस हाउस आपको सपोर्ट कर दे।”

भाग 23: विक्रम की हताशा

विक्रम परेशान होकर बैंक से निकला। सारे डोर्स बंद हो रहे थे। उसी दिन दोपहर में उसे एक कॉल आया। नंबर अननोन था। “हैलो मिस्टर विक्रम अग्रवाल।” दूसरी तरफ से एक महिला की आवाज आई। “जी हां, कौन बोल रहा है?”

“मैं अनीता देवी हूं। गोल्डन पैलेस रेस्टोरेंट चेन की ओनर।” विक्रम चौंक गया। अनीता देवी का नाम तो उसने सुना था। “जी अनीता। जी कहिए।”

“मिस्टर अग्रवाल, मुझे आपसे मिलना है। एक इंपॉर्टेंट बिजनेस प्रोपजिशन है।” विक्रम की आंखों में उम्मीद की किरण जगी। “जी बिल्कुल। कब और कहां?” “आज शाम 7:00 बजे गोल्डन पैलेस रेस्टोरेंट में। वहीं जहां कल रात आप फैमिली डिनर पर आए थे।”

भाग 24: अनीता देवी का सामना

शाम को 7:00 बजे विक्रम गोल्डन पैलेस रेस्टोरेंट पहुंचा। रेस्टोरेंट का मैनेजर उसका इंतजार कर रहा था। “सर, अनीता मैडम प्राइवेट डाइनिंग रूम में आपका इंतजार कर रही हैं।” विक्रम के दिमाग में बिजनेस की पॉसिबिलिटीज चल रही थी।

अगर अनीता देवी उसके साथ पार्टनरशिप करें तो सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएंगी। वो प्राइवेट डाइनिंग रूम में पहुंचा। रूम लग्जुरियसली डेकोरेटेड था। एक एलीगेंट लेडी मेज पर बैठी हुई थी। उसकी पीठ विक्रम की तरफ थी।

भाग 25: पहचान का तूफान

“अनीता जी,” विक्रम ने कहा। महिला धीरे से मुड़ी। विक्रम को देखते ही उसके होश उड़ गए। यह वही महिला थी जिसके साथ कल रात उसने इतना बुरा व्यवहार किया था। वही भिखारी, लेकिन आज वो बिल्कुल अलग दिख रही थी। एलीगेंट, पावरफुल, कॉन्फिडेंट।

“आप आप वही?” विक्रम हकला रहा था। “जी हां, मिस्टर अग्रवाल, मैं वही गंदी भिखारी हूं जिसे आपने कल रात इसी रेस्टोरेंट के बाहर से भगाने की कोशिश की थी।” अनीता देवी ने शांत आवाज में कहा।

भाग 26: विक्रम की सजा

विक्रम की टांगे कांपने लगीं। “मैडम, मैं… मतलब…” “बैठिए, मिस्टर अग्रवाल,” अनीता देवी ने इशारा किया। विक्रम कांपते हुए बैठ गया। “मिस्टर अग्रवाल, आपको पता है मैं कौन हूं?”

विक्रम ने हकलाते हुए कहा, “अनीता देवी?” “गोल्डन पैलेस की सिर्फ गोल्डन पैलेस की नहीं, भारत की सबसे बड़ी रेस्टोरेंट चेन की मालकिन। 500 रेस्टोरेंट्स, 500 एंप्लाइज, 2000 करोड़ की नेटवर्थ।”

विक्रम के मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। “और सबसे मजेदार बात यह है कि जिस रेस्टोरेंट के बाहर आपने मुझे भगाने की कोशिश की थी, वो मेरा ही रेस्टोरेंट है। मेरी ही प्रॉपर्टी के बाहर आपने मुझे अपमानित किया था।”

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