करोड़पति का बैग लौटाने गया लड़का तो हो गई जेल, अपनी मेहनत का मिला ऐसा इनाम…
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपकी ईमानदारी ही आपका सबसे बड़ा अपराध बन जाए तो क्या होगा? अगर आप किसी की खोई हुई चीज़ लौटाने जाएँ और आपको इनाम मिलने के बजाय जेल की सलाखों के पीछे फेंक दिया जाए तो कैसा लगेगा? यह कहानी है एक गरीब, लाचार लेकिन ईमानदार इंसान की, जिसकी सबसे बड़ी पूँजी उसकी सच्चाई थी। और उसके सामने खड़ा था एक अमीर उद्योगपति, जो शक और अहंकार से अंधा हो चुका था और जिसे लगता था कि पैसा और ताक़त ही सब कुछ है।
यह कहानी है क्रूरता, अन्याय और अंततः किस्मत के उस मोड़ की, जहाँ सच ने झुकने से इनकार कर दिया।
दो दुनियाएँ, एक शहर
मुंबई—सपनों का शहर। किसी के लिए यह अवसरों का स्वर्ग है, तो किसी के लिए संघर्ष का अखाड़ा।
शहर के एक भूले-बिसरे कोने में, चमचमाती इमारतों और महलों से दूर, टिन की छत और फटे पुराने पर्दों से ढके एक छोटे-से झोपड़े में रहता था रवि। तीस साल का यह नौजवान गाँव से मुंबई आया था सिर्फ़ एक सपना लेकर—अपनी विधवा माँ और छोटी बहन प्रिया को एक बेहतर ज़िंदगी देना।
रवि दिन-रात मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर कुली का काम करता। रोज़ाना घंटों भारी बोरियाँ ढोता, पसीने से तरबतर होकर थक जाता और बदले में उसे मुश्किल से इतना मिलता कि माँ शारदा देवी की दवाइयाँ और प्रिया की पढ़ाई का ख़र्च निकल सके। प्रिया बारहवीं कक्षा में थी और उसका सपना था टीचर बनने का। रवि ने उसी सपने को अपना मकसद बना लिया था।
रवि का सबसे बड़ा खज़ाना उसकी ईमानदारी थी, जो उसने अपने दिवंगत पिता से विरासत में पाई थी। उसके पिता हमेशा कहा करते थे—“बेटा, रोटी न हो, छत न हो, पर ईमान कभी मत खोना। गरीब का असली धन उसकी सच्चाई होती है।”
शहर के दूसरे छोर पर रहता था सिद्धार्थ ओबेरॉय—ओबेरॉय ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ का मालिक। पचास साल का यह आदमी भारत के सबसे ताक़तवर उद्योगपतियों में गिना जाता था। लेकिन इस दौलत और सफलता की कीमत उसने अपनी इंसानियत खोकर चुकाई थी। उसके लिए भरोसा मूर्खता था, भावनाएँ कमज़ोरी और गरीब लोग बस चोर।
खोया हुआ ब्रीफ़केस
एक शाम, लंदन से डील पक्की कर लौटते समय सिद्धार्थ मुंबई सेंट्रल पहुँचा। उसके हाथ में था एक महँगा चमड़े का ब्रीफ़केस, जिसमें एक लाख रुपये नक़द, विदेशी मुद्रा, ज़रूरी काग़ज़ात और सबसे अहम—उसकी माँ का दिया हुआ सोने का लॉकेट।
भीड़ में धक्का-मुक्की के बीच वह ब्रीफ़केस उसके हाथ से फिसल गया और एक पुराने बेंच के नीचे जा गिरा। सिद्धार्थ को पता भी नहीं चला और वह दफ़्तर चला गया।
कुछ देर बाद थका-हारा रवि उसी बेंच पर आकर बैठा। उसकी नज़र ब्रीफ़केस पर पड़ी। खोलकर देखा तो उसकी आँखें चौंधिया गईं। ज़िंदगी में पहली बार उसने इतना पैसा देखा था। एक पल को खयाल आया—अगर यह पैसा मिल जाए तो माँ का इलाज, प्रिया की पढ़ाई और एक पक्का घर… सबकुछ बदल सकता है।
पर उसी वक़्त उसके पिता की आवाज़ गूँजी—“यह तेरा नहीं है, इसे लौटाना।” रवि ने अंदर रखे विज़िटिंग कार्ड पर नाम पढ़ा—सिद्धार्थ ओबेरॉय। उसने निश्चय किया कि यह ब्रीफ़केस उसके मालिक तक पहुँचाना ही है।
ईमानदारी की क़ीमत
उधर ओबेरॉय विला में हड़कंप मच गया। सिद्धार्थ को ब्रीफ़केस गायब दिखा। पैसे से ज़्यादा डर उसे अपने काग़ज़ात और माँ के लॉकेट का था। उसने पुलिस को आदेश दिया कि स्टेशन के सभी कुलियों और भिखारियों को पकड़कर पूछताछ करो।
अगली सुबह रवि साफ़ कपड़े पहनकर ब्रीफ़केस लेकर ओबेरॉय टॉवर्स पहुँचा। गार्ड्स ने उसे भिखारी समझकर अपमानित किया और बाहर निकाल दिया। लेकिन रवि हिम्मत न हारते हुए ओबेरॉय विला पहुँ
Play video :
News
अरबपति ने अपनी बेचारी नौकरानी की परीक्षा लेने के लिए तिजोरी खुली छोड़ दी, फिर उसने जो किया, उस पर आपको यकीन नहीं होगा
अरबपति ने अपनी बेचारी नौकरानी की परीक्षा लेने के लिए तिजोरी खुली छोड़ दी, फिर उसने जो किया, उस पर…
भूखे माँ-बेटे को घर में जगह दी… आगे जो हुआ इंसानियत रो पड़ी
भूखे माँ-बेटे को घर में जगह दी… आगे जो हुआ इंसानियत रो पड़ी कहते हैं इंसान का असली इम्तिहान तब…
HEMŞIRE PARASIZ HASTAYA YARDIM ETTIĞI IÇIN KOVULDU… AMA BIR MILYARDER BUNU GÖRDÜ VE…
HEMŞIRE PARASIZ HASTAYA YARDIM ETTIĞI IÇIN KOVULDU… AMA BIR MILYARDER BUNU GÖRDÜ VE… . . Bir Hemşirenin Onur Mücadelesi Ayşe…
Sokak kızı bozuk para sayıyordu… Ama mağaza CEO’sunun hareketi herkesi ağlattı!
Sokak kızı bozuk para sayıyordu… Ama mağaza CEO’sunun hareketi herkesi ağlattı! . . Görünmez Bir Çocuğun Hikayesi Eskişehir’in Yıldız Mahallesi’nde…
भूखे माँ-बेटे को घर में जगह दी… आगे जो हुआ इंसानियत रो पड़ी
भूखे माँ-बेटे को घर में जगह दी… आगे जो हुआ इंसानियत रो पड़ी कहते हैं इंसान का असली इम्तिहान तब…
“Onu Ben Tamir Ederim.” Evsize Bir Adam, Milyarderin Çığlığını Duydu ve Ona Öğretemediğini Gösterdi
“Onu Ben Tamir Ederim.” Evsize Bir Adam, Milyarderin Çığlığını Duydu ve Ona Öğretemediğini Gösterdi . . Onu Ben Tamir Ederim…
End of content
No more pages to load