अनन्या पटेल : साड़ी में आई बिजनेस क्वीन की कहानी
अनन्या पटेल, उम्र 30 साल, गुजरात के अहमदाबाद शहर से एक ऐसी महिला थी जिसने अपनी मेहनत और जिद से बिजनेस की दुनिया में अपनी पहचान बनाई थी। एक सुबह, मुंबई से न्यूयॉर्क की फ्लाइट उतर चुकी थी। एयरपोर्ट पर लोग तेज़ कदमों से बाहर निकल रहे थे, कोई सूट-टाई में, कोई महंगे ब्रांड्स से लदी औरतें, कोई अपने टैक्सी की ओर भागते अमेरिकी।
लेकिन इन सबके बीच एक महिला सबसे अलग दिख रही थी। उसके कंधे पर हल्के गुलाबी रंग की साड़ी बड़ी सलीके से डली थी। साड़ी पर सुनहरी जरी की पतली किनारी चमक रही थी। माथे पर छोटी सी बिंदी, बालों को साधारण जोड़े में बांधा गया था। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। वह कोई पर्यटक नहीं थी, बल्कि एक बिजनेस वूमन थी जो अपनी होटल चेन की नई शाखा का निरीक्षण करने अमेरिका आई थी।
एयरपोर्ट से निकलते ही न्यूयॉर्क की ठंडी हवा ने उसका स्वागत किया। ऊंची-ऊंची इमारतें, सड़क पर दौड़ती टैक्सियां, हर सिग्नल की चमक, सब कुछ चकाचौंध कर देने वाला था। अनन्या की टैक्सी एक भव्य होटल के सामने रुकी—यह वही होटल था जिसे उसने भारत से पैसे लगाकर खड़ा किया था। नाम था “द रॉयल हेरिटेज”।
अनन्या ने गहरी सांस ली और टैक्सी से बाहर निकली। उसकी साड़ी के पल्लू पर हल्की हवा खेल रही थी। वह सीधे होटल के मुख्य दरवाजे पर पहुंची। दरवाजे पर खड़े दो गार्ड्स और अंदर खड़ा रिसेप्शन स्टाफ उसे देखते ही चौंक गए। गार्ड ने सिर से पांव तक उसे देखा—साड़ी, चूड़ियां, बिना मेकअप का साधारण चेहरा।
गार्ड हंसते हुए बोला,
“एक्सक्यूज मी मैम, यह कोई शादी का हॉल नहीं है। यह फाइव स्टार होटल है।”
अनन्या ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मुझे पता है, मैं यहीं आई हूं।”
गार्ड ने आंखें तरेरी,
“लेकिन आपके जैसे लोग यहां गेस्ट नहीं हो सकते। यहां सिर्फ हाई क्लास लोग आते हैं।”
रिसेप्शन पर खड़ी लड़की ने भी ताना मारा,
“मैम, यह कोई इंडियन वेडिंग नहीं है। यू मस्ट बी लुकिंग फॉर सम कम्युनिटी सेंटर।”
अनन्या चुप रही। उसने सोचा शायद ये लोग मजाक कर रहे हैं। लेकिन तभी गार्ड ने उसकी बाह पकड़ कर दरवाजे से बाहर धक्का दे दिया,
“कृपया यहां से जाइए, यह जगह आपके लिए नहीं है।”
अनन्या लड़खड़ा कर बाहर गिर गई। उसके हाथ से पर्स छूट कर जमीन पर बिखर गया। राहगीर तमाशा देखने लगे, कुछ हंसे, कुछ ने वीडियो बनाने की कोशिश की। वह चुपचाप जमीन से उठी, साड़ी का पल्लू धूल से भर गया था। लेकिन उसकी आंखों में आंसू नहीं थे, सिर्फ गुस्सा और ठान ली हुई जिद थी। उसके मन में सिर्फ एक वाक्य गूंज रहा था—**कल यही लोग मेरे आगे सिर झुकाएंगे।**
सड़क पर खड़े लोग बातें कर रहे थे,
“Who is she? Maybe some poor immigrant? Strange sari in New York…”
अनन्या सब सुन रही थी, लेकिन जवाब नहीं दिया। उसने धीरे-धीरे अपना पर्स उठाया, धूल झाड़ी और सीधी खड़ी हो गई। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। अपमान की आग उसके भीतर सुलग रही थी।
यह वही होटल है, जिसकी हर ईंट में मेरा खून-पसीना लगा है और आज मेरे ही होटल से मुझे निकाल दिया गया।
उसने खुद को संभाला और टैक्सी स्टैंड की ओर बढ़ी। वो चुपचाप होटल के बाहर से उसे देखती रही। रोशनी से सजा वो भवन, लोग शान से अंदर-बाहर जाते हुए, और वह सोच रही थी—अगर मैं चाहूं तो आज ही इस गार्ड की नौकरी खत्म कर सकती हूं। लेकिन नहीं, मैं सबक सिखाऊंगी, ऐसा सबक जिसे पूरी दुनिया देखेगी।
भीड़ अब बिखर चुकी थी, लेकिन उसके भीतर गुस्से की चिंगारी धधक रही थी। उसने अपने आप से कहा,
“यह चोट मेरे अहंकार पर नहीं, मेरी पहचान पर लगी है। अब वक्त है कि मैं दुनिया को दिखाऊं कि साड़ी पहनने वाली औरत किसी से कम नहीं होती।”
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