मीना की कहानी – विश्वास, धोखा और आत्मसम्मान की मिसाल

शहर के सबसे आलीशान बंगले के सामने मीना खड़ी थी, जैसे वह कोई बुरा सपना देख रही हो। यही बंगला उसने अपने और अपने पति आनंद के खून-पसीने की कमाई से बनवाया था। आज उसी बंगले से उसे धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया था। उसके हाथ में बस एक फटी हुई साड़ी थी और आँखों में अनगिनत आँसू।

भीतर से उसके पति विशाल का ठहाका गूंजा, जिसने मीना की सारी दौलत अपने नाम करवा ली थी और अब तलाक देकर उसे सड़क पर छोड़ दिया था। मीना को लगा जैसे उसकी दुनिया ही उजड़ गई। वह वहीं जमीन पर बैठ गई और रोने लगी। उसे लगा कि उसकी जिंदगी का कोई मतलब नहीं बचा।

मीना का बचपन एक छोटे से गाँव में बीता था। उसके पिता एक साधारण किसान थे और माँ एक सीधी-सादी गृहिणी। मीना पढ़ाई में होशियार थी। उसके माता-पिता चाहते थे कि मीना को एक अच्छा घर और प्यार मिले। मीना का सपना था कि वह शहर जाकर कुछ बड़ा करे।

शादी के लिए कई रिश्ते आए, लेकिन मीना को कोई पसंद नहीं आया। फिर एक दिन शहर से आनंद का रिश्ता आया। आनंद एक बड़ी कंपनी में काम करता था, उसका परिवार भी संपन्न था। आनंद और मीना की शादी सादगी से हुई। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। आनंद की मेहनत से वे जल्दी ही अमीर हो गए, आलीशान घर, महंगी गाड़ियाँ – सबकुछ था।

लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। एक दिन आनंद को दिल का दौरा पड़ा और डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए। मीना अकेली रह गई। उसके पास करोड़ों की संपत्ति थी, लेकिन कोई खुशी नहीं थी। वह हर वक्त आनंद की यादों में खोई रहती थी। परिवार ने उसे संभालने की कोशिश की, लेकिन मीना गहरे दुख में डूबी रही।

धीरे-धीरे मीना ने कारोबार संभाला और उसमें खूब तरक्की की, पर अकेलापन उसकी जिंदगी में हमेशा रहा। इसी दौरान उसकी जिंदगी में विशाल आया, जो उसकी कंपनी में कर्मचारी था। विशाल ने मीना की भावनात्मक कमजोरी को समझा और उसे अपने प्यार के जाल में फंसा लिया। मीना को लगा कि विशाल सच में उससे प्यार करता है। उसने विशाल पर भरोसा कर लिया।

विशाल ने मीना को धीरे-धीरे उसके दोस्तों और परिवार से दूर कर दिया। वह मीना से कहता – “मुझे तुम्हारी दौलत नहीं चाहिए, बस तुम्हारा साथ चाहिए।” मीना ने विशाल से शादी कर ली। शादी के बाद विशाल ने कहा – “मीना, अपनी सारी संपत्ति मेरे नाम कर दो।” मीना को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन विशाल ने उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया। आखिरकार मीना ने अपनी सारी संपत्ति विशाल के नाम कर दी।

संपत्ति मिलते ही विशाल का असली चेहरा सामने आ गया। उसने मीना को अनदेखा करना शुरू कर दिया, ताने मारने लगा, बासी खाना देने लगा, घर से बाहर निकलने से मना कर दिया। मीना टूट चुकी थी। उसे लगा कि यही उसकी किस्मत है।

एक दिन मीना को अपनी पुरानी सहेली प्रिया की याद आई, जो वकील थी। मीना ने प्रिया से मदद मांगी। प्रिया ने विशाल के खिलाफ केस दर्ज किया। कोर्ट में प्रिया ने विशाल के झूठ और धोखे का पर्दाफाश किया। सबूत और गवाहों के आधार पर न्यायाधीश ने विशाल को दोषी ठहराया। विशाल को मीना की सारी संपत्ति वापस करनी पड़ी, उसे जेल भी जाना पड़ा।

मीना ने अपनी जिंदगी को फिर से शुरू किया। उसने दोबारा कभी शादी नहीं की। उसने अपनी जिंदगी समाज सेवा को समर्पित कर दी, गरीब और बेसहारा महिलाओं की मदद करने लगी। उसे अहसास हुआ कि सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने में है।

विशाल को जेल में बहुत अपमान और अकेलापन झेलना पड़ा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। जेल से निकलकर उसने मीना से माफी मांगी। मीना ने उसे माफ तो कर दिया, लेकिन अपने साथ नहीं रखा। उसने विशाल को समझाया – “पैसा सबकुछ नहीं होता, प्यार, सम्मान और इंसानियत सबसे जरूरी है। कभी किसी को धोखा मत दो, और हमेशा अपने परिवार का सम्मान करो।”