कहानी: एक भिखारी की उड़ान
एवरग्रीन एविएशंस का प्रेजेंटेशन हॉल सन्नाटा से भरा हुआ था। ऐसा सन्नाटा कि अगर सुई गिर जाए तो उसकी आवाज भी सुनाई दे। सामने वाइट बोर्ड पर उलझे हुए डिजाइन की लकीरें बनी हुई थीं, और हर निगाह बस उसी पर टिकी थी। प्रोजेक्ट हेड रोहित मल्होत्रा के माथे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं, और उनकी आवाज में घबराहट साफ झलक रही थी।
यह वही रोहित था, जिसने अपनी जिंदगी में कई सफल एविएशन प्रोजेक्ट्स पूरे किए थे और अपनी काबिलियत के लिए मशहूर था। वह पूरे भरोसे के साथ कंपनी के सीईओ विजय सिंघानिया को समझा रहे थे,
“सर, यह हमारा लेटेस्ट डिजाइन है। क्लियर स्काई में जहाज में कोई दिक्कत नहीं आती, लेकिन समस्या तब आती है जब जहाज तेज रफ्तार के साथ टर्बुलेंस में प्रवेश करता है। इस टर्बुलेंस को कंट्रोल करने के लिए हमने एक नोज सेंसर लगाया, लेकिन अब तक कोई पॉजिटिव रिजल्ट नहीं मिला।”
सभी इंजीनियर ध्यान से सुन रहे थे। एवरग्रीन एविएशंस एक जहाज बनाने वाली कंपनी थी जिसे एक मल्टीनेशनल कंपनी ने दुनिया का सबसे तेज एयरक्राफ्ट बनाने का प्रोजेक्ट दिया था। डेडलाइन सिर पर थी, और अब उनके पास सिर्फ 48 घंटे थे फाइनल डिजाइन देने के लिए। लेकिन टर्बुलेंस से जुड़ी यह समस्या अब भी उनकी राह की सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई थी।
इसी प्रोजेक्ट से जुड़ी मीटिंग के लिए आज कंपनी के सीईओ विजय सिंघानिया ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई थी। हॉल के दरवाजे पर हल्की सी दरार खुली थी, जहां से एक अधूरा साया झांक रहा था। एक अधेड़ उम्र का भिखारी, जो काफी देर तक चुपचाप अंदर का मंजर देखता रहा और सब उसकी मौजूदगी से बेखबर थे। फिर उसने अचानक दरवाजा खोला, अंदर कदम रखा और शांत लहजे में बोला,
“डिजाइन में कोई खराबी नहीं है। टर्बुलेंस कंट्रोल करने के लिए नोज की पोजिशन कंट्रोल करना जरूरी है और इसके लिए सेंसर के साथ एक फिल्टर लगाने की जरूरत है।”
पूरा हॉल जैसे एक पल के लिए ठहर गया। सबकी निगाहें उस अजनबी पर जम गईं। फिर अचानक कहकहे गूंज उठे। एक इंजीनियर ने तंज करते हुए कहा,
“लगता है यह सीधा पागलखाने से भाग कर आया है।”
दूसरा इंजीनियर गुस्से से बोला,
“यह यहां आया कैसे? सिक्योरिटी कहां है? इसको बाहर निकालो!”
सिक्योरिटी गार्ड आगे बढ़ा, लेकिन सीईओ सिंघानिया ने हाथ उठाकर उसे रुकने का इशारा किया।
रूम में फिर सन्नाटा छा गया। सिंघानिया ने भिखारी की आंखों में देखते हुए कहा,
“अभी जो तुमने कहा, दोबारा रिपीट करो।”
भिखारी ने शांत अंदाज में कहा,
“सर, डिजाइन बिल्कुल सही है, लेकिन टर्बुलेंस को काबू में रखने के लिए नोज की पोजिशन संभालने वाले सेंसर के साथ एक फिल्टर लगाना पड़ेगा।”
सिंघानिया ने प्रोजेक्ट हेड से मार्कर लिया और भिखारी को थमा दिया,
“दिखाओ तुम्हारा दिमाग क्या कहता है। लेकिन याद रखना, हमारा एक-एक सेकंड बहुत कीमती है।”
भिखारी वाइट बोर्ड के सामने आ खड़ा हुआ। उसने बोर्ड पर कुछ लाइन्स खींचीं, एक सिंपल सा मगर असरदार खाका।
“जब जहाज को छोटे-छोटे झटके लगते हैं, यह नाक वाला सेंसर ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है। ऑटो पायलट घबरा कर फौरन नाक नीचे कर देता है। उस मोमेंट पायलट उसे वापस ऊपर खींचने की कोशिश करता है। रिजल्ट, एक टसल, एक फाइट। जहाज खुद अपने खिलाफ उलझने लगता है। लेकिन अगर हम इस सेंसर के साथ एक फिल्टर लगा दें तो यह फौरन घबराएगा नहीं। पहले दूसरे सेंसर्स से कंसल्ट करेगा फिर डिसीजन लेगा। यूं जहाज सॉफ्ट नेचर से अपनी उड़ान जारी रखेगा और पायलट और सिस्टम एक दूसरे के दुश्मन नहीं रहेंगे।”
सिंघानिया ने तुरंत इंजीनियर्स को कहा,
“फौरन इस मॉडिफिकेशन को सिस्टम में डालकर सिमुलेशन चलाओ।”
इंजीनियर्स ने लैपटॉप खोले और सिमुलेशन शुरू की। जहाज तेज हवाओं में उड़ रहा था, हर छोटा झटका, हर हरकत कंट्रोल में थी। पायलट और सिस्टम के बीच लड़ाई खत्म हो गई। सिंपल फिल्टर ने सिस्टम को कंट्रोल में रखा। रिजल्ट धीरे-धीरे बेहतर होने लगा। सबकी आंखें फैल गईं, दिलों में खुशी की लहर दौड़ गई।
सिंघानिया ने भिखारी के पास जाकर हाथ बढ़ाया,
“दोस्त, आपने तो कमाल कर दिया!”
सीईओ ने उसका हाथ मजबूती से दबाया,
“आपने हमारी कंपनी को बचा लिया। एवरग्रीन एविएशंस हमेशा आपकी शुक्रगुजार रहेगी।”
फिर सीईओ ने पूछा,
“इतनी सारी नॉलेज आपके पास कैसे? यह सब आपने कहां से सीखा?”
भिखारी ने धीमे मगर कॉन्फिडेंट लहजे में कहा,
“सर, यह नॉलेज मुझे बरसों के एक्सपीरियंस से आई है। मैंने अपने करियर में कई डिज़ाइन प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। हर फेलियर, हर सक्सेस ने मुझे कुछ ना कुछ सिखाया। यह सब उसी सफर की कमाई है।”
सिंघानिया ने हैरान होकर पूछा,
“तुम्हारा नाम क्या है और कहां रहते हो?”
भिखारी ने अपनी थकी आंखें ऊपर उठाई,
“सर, मेरा नाम राहुल शुक्ला है।”
यह नाम सुनते ही पूरा हॉल जैसे पत्थर का हो गया। इंजीनियर्स हैरत से देखने लगे।
“क्या तुम वही राहुल शुक्ला हो जो पेसिफिक एविएशन में इंजीनियर था? वही जिस पर फ्लाइट 811 के क्रैश का इल्जाम लगा था?”
राहुल ने कांपती आवाज में कहा,
“जी सर, मैं वही राहुल शुक्ला हूं।”
सिंघानिया ने हिचकिचाते हुए पूछा,
“लेकिन क्या वो खराबी वाला डिजाइन तुमने पास किया था?”
राहुल की आंखों में आंसू तैरने लगे।
“नहीं सर, मैंने कभी वो डिजाइन मंजूर नहीं किया था। बल्कि मैंने उसके नुकसान बताए थे, समझाया था, लेकिन उस टाइम के सीईओ ने मेरी ऑब्जेक्शंस को इग्नोर कर दिया और खुद सिग्नेचर कर दिए। जब एक्सीडेंट हुआ, तो सारा इल्जाम मुझ पर डाल दिया गया। न्यूज़पेपर्स ने मुझे कातिल लिखा, इन्वेस्टिगेशन वालों ने मेरी बात तक नहीं सुनी। रिश्वत देकर मेरी सच्चाई दबा दी गई। मैं 6 महीने जेल में रहा, एक ऐसे क्राइम के लिए जो मैंने किया ही नहीं था।”
रूम में बैठे इंजीनियर्स की आंखें भीग गईं।
सिंघानिया ने पूछा,
“लेकिन जेल से निकलने के बाद तुमने दूसरी नौकरी क्यों नहीं की? तुम भिखारी की लाइफ क्यों जीते रहे?”
राहुल ने गहरी सांस ली,
“सर, मैंने कई कंपनीज में अप्लाई किया था, लेकिन मुझ पर लगे दाग की वजह से किसी ने मुझे नौकरी नहीं दी। यहां तक कि मैंने आपकी कंपनी एवरग्रीन एविएशंस में भी अप्लाई किया था, लेकिन वहां भी मुझे भगा दिया गया। किसी ने मेरा सच नहीं सुना। मेरे ऊपर कई सारे लोन थे, सब कुछ बेच डाला, हर ख्वाब कुर्बान कर दिया।”
रूम में मौजूद हर किसी के चेहरे पर हैरानी और शर्मिंदगी थी।
सिंघानिया ने कहा,
“राहुल, तुमने आज हमें आईना दिखा दिया। हमें माफ कर दो। हम सब तुम्हारे गुनहगार हैं। हम चाहते हैं कि तुम दोबारा अपने सफर की शुरुआत यहीं से करो। एवरग्रीन एविएशंस तुम्हें सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर शामिल करना चाहती है।”
यह सुनते ही राहुल की आंखों में सैलाब आ गया।
“आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर। मैंने सोचा भी नहीं था कि जिंदगी मुझे दोबारा यह चांस देगी।”
राहुल के चेहरे पर मुस्कान थी, लेकिन उसकी मुस्कान के पीछे एक तूफान छिपा था। उसकी आंखों में एक चमक थी, लेकिन उस चमक के पीछे एक ऐसा क्रोध जो आने वाले दिनों में पेसिफिक एविएशन की ईंट से ईंट बजाने वाला था जिसने उसे बर्बाद किया था।
News
Sad News for Shilpa Shetty Family as Shilpa’s End of her Era after Fraud with Raaj Kundra?
Sad News for Shilpa Shetty: Bastian Bandra Restaurant Shuts Down Amid ₹60 Crore Fraud Case Bollywood actress Shilpa Shetty has…
बूढ़ा आदमी होटल में बचा हुआ खाना मांग रहा था..वेंटर ने भगा दिया लेकिन एक महिला ने जो
कहानी: इंसानियत का असली रंग शहर की सबसे महंगी जगह, होटल ग्रैंड सैफायर की चमचमाती रोशनी शाम के मौसम को…
बुजुर्ग आदमी ATM का PIN भूल गया, जब लोगों से मदद माँगी तो उसे ठग समझ लिया और पुलिस बुला.
कहानी: एटीएम के बाहर बैठा बुजुर्ग सुबह के लगभग 10 बजे थे। शहर की भीड़भाड़ वाली मार्केट में एक एटीएम…
गांव के मेले में बुजुर्ग ने एक छोटी गुड़िया खरीदी लोगों ने मज़ाक उड़ाया लेकिन उसकी वजह
कहानी: गुड़िया और बुजुर्ग का अधूरा सपना गांव का मेला अपने पूरे रंग में था। ढोल-नगाड़ों की आवाज़, बच्चों की…
मैकेनिक ने 24 घंटा काम करके फौजी ट्रक ठीक किया , और पैसे भी नहीं लिए , फिर जब फौजी कुछ माह बाद
कहानी: एक गुमनाम मैकेनिक और देश के रखवाले क्या देशभक्ति सिर्फ वर्दी पहनने वालों तक सीमित होती है? नहीं! कभी-कभी…
बूढ़े बाप को वृद्धाश्रम छोड़ आया बेटा, अगले दिन जब आश्रम का मालिक घर आया तो बेटे के होश उड़ गए!
कहानी: घर और मकान माँ-बाप का दिल जीतकर जो घर बनता है, उसे ही असली घर कहते हैं। लेकिन माँ-बाप…
End of content
No more pages to load