कहानी: एटीएम के बाहर बैठा बुजुर्ग
सुबह के लगभग 10 बजे थे। शहर की भीड़भाड़ वाली मार्केट में एक एटीएम के बाहर एक बूढ़ा आदमी बैठा था। उसके शरीर पर पुराने और झुर्रीदार कपड़े थे, आंखों में थकान और चेहरे पर गहरी बेबसी।
उसके हाथ में एक छोटा सा पर्स था और पास ही एक कागज का पुर्जा पड़ा था, जिस पर शायद उसका खाता नंबर लिखा था।
लोग इधर-उधर जा रहे थे। कोई सब्जी लेकर लौट रहा था, कोई दफ्तर की ओर भाग रहा था, कोई मोबाइल में मशगूल था।
लेकिन वह बूढ़ा वहीं बैठा था, एटीएम के ठीक बाहर, और हर गुजरने वाले से एक ही बात कह रहा था—
“बेटा, एक मिनट रुको। जरा मेरी मदद कर दो। मुझे पैसे निकालने हैं। मेरी बीवी बीमार है।”
पर कोई रुकता नहीं था।
कुछ लोग उसे घूरते हुए आगे बढ़ जाते, कुछ बड़बड़ाते—”नया तरीका है भीख मांगने का। अब एटीएम से भी निकलवाते हैं!”
किसी ने ताना मारा—”बुड्ढे, अगर पैसे निकालने होते तो खुद कार्ड चला लेते। बहानेबाजी मत करो।”
एक आदमी ने तो गुस्से में कह ही दिया—”यह सारा ड्रामा करके किसी को फंसाना चाहता है। साफ दिख रहा है, कोई ठग है।”
वह बूढ़ा फिर भी चुपचाप वहीं बैठा रहा। कभी-कभी अपनी जेब से एक पुराना एटीएम कार्ड निकालता और फिर वापस रख देता।
उसके होठ सूख चुके थे और आंखें बार-बार एटीएम के गेट की तरफ उम्मीद से देखतीं।
करीब आधे घंटे बाद एक अधेड़ उम्र की महिला रुकी। उसने बूढ़े को देखा और धीरे से पूछा—
“क्या बात है बाबा? आप यहां क्यों बैठे हैं?”
बूढ़े ने कांपती आवाज़ में कहा—
“बेटी, मेरी पत्नी बहुत बीमार है। मैंने पेंशन निकलवाने की कोशिश की, पर पिन याद नहीं आ रहा। किसी से कह रहा हूं कि मदद कर दे, बस कार्ड डालकर पैसा निकाल दे, लेकिन कोई रुकता ही नहीं।”

महिला थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली—
“बाबा, ऐसे नहीं होता। आप गलतफहमी में फंस जाओगे। अभी पुलिस को बुला देती हूं, वो देखेंगे।”
बूढ़े ने डर के मारे हाथ जोड़ लिए—
“बेटी, मत बुलाओ। मैं चोर नहीं हूं।”
पर महिला ने कॉल कर दी।
कुछ ही देर में पुलिस की गाड़ी आई और दो कांस्टेबल बाहर निकले। उन्हें देखकर भीड़ जुटने लगी।
लोग फुसफुसाने लगे—”देखा था ना? कुछ गड़बड़ है। एटीएम के बाहर कोई क्यों बैठेगा इस तरह?”
पुलिस वालों ने सख्त लहजे में पूछा—
“नाम क्या है तुम्हारा? और यहां क्यों बैठे हो?”
बूढ़े ने घबराकर बताया—
“मेरा नाम रमेश प्रकाश है। मैं रिटायर्ड बैंक अफसर हूं। पहले बैंक में क्लर्क था, फिर प्रमोशन मिला। अब याददाश्त कमजोर हो गई है। पिन भूल गया हूं। बहुत कोशिश की, कार्ड ब्लॉक ना हो इसलिए किसी से मदद मांग रहा था। मेरी बीवी घर में बीमार है, दवाई लानी है।”
एक कांस्टेबल ने कटाक्ष करते हुए कहा—
“बहुत अच्छी स्क्रिप्ट है बाबा। एक्टिंग जबरदस्त है।”
दूसरा बोला—”चलो थाने, वहीं पता चलेगा कितनी बीवी बीमार है।”
भीड़ में खड़ा एक युवक, जो अब तक सब देख रहा था, अचानक आगे आया। उसके हाथ में एक फोल्डर था, पहनावा बता रहा था कि शायद ऑफिस जा रहा था।
उसने बूढ़े की तरफ गौर से देखा, फिर चौंकते हुए कहा—
“आप… आप रमेश प्रकाश जी हैं ना? आपने मुझे बैंक में नौकरी दिलाई थी। जब पापा बीमार थे, आपने मेरी फीस का भी इंतजाम करवाया था।”
पुलिस वाले रुक गए। पूरे माहौल में सन्नाटा छा गया।
वह युवक आगे बढ़ा और बूढ़े के पास घुटनों के बल बैठ गया—
“सर, आप यहां इस हाल में, किसी ने मदद नहीं की?”
रमेश प्रकाश की आंखें भर आईं। बस धीमे से सिर हिलाया।
भीड़ अब चुप थी, बहुत चुप। जो लोग ताने दे रहे थे, अब सिर झुका कर खामोश थे।
वह युवक अभी भी रमेश प्रकाश के पास घुटनों पर बैठा था, आंखें नम थीं और आवाज़ में भावनाओं की गूंज थी—
“सर, आपने मुझे सिर्फ बैंक में नौकरी ही नहीं दिलाई थी, जब मेरे पिताजी अस्पताल में थे और मैं फीस नहीं भर पा रहा था, आपने अपनी जेब से पैसे दिए थे। आज मैं जो भी हूं, आपकी वजह से हूं। और आज आप इस हालत में एटीएम के बाहर अकेले लोगों से मदद मांग रहे हैं?”
रमेश जी ने उसका हाथ हल्के से थामा, जैसे वह भूल चुके हों कि उन्होंने किसी की इतनी मदद की थी।
उनकी आवाज अब भी कांप रही थी—
“बेटा, बहुत कोशिश की, तीन बार गलत पिन डाल दिया। अब डर लग रहा था कि कहीं कार्ड ही ब्लॉक ना हो जाए। मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था। कोई मेरी बात सुन नहीं रहा था।”
कांस्टेबल की आंखें अब झुकने लगी थीं। थोड़ी देर पहले जो ताने मार रहा था, अब वह चुपचाप अपने जूते की धूल देखने लगा।
दूसरा कांस्टेबल धीरे-धीरे पास आया और नरमी से पूछा—
“बाबा, आपने कहा कि आप बैंक में काम करते थे? कौन से बैंक में?”
रमेश जी ने धीमे से जवाब दिया—
“स्टेट बैंक, चौराहा ब्रांच में 35 साल की सेवा दी थी। फाइनल रिटायरमेंट 2004 में हुआ।”
अब पुलिस वाले भी समझ चुके थे कि वह कोई ठग या झांसा देने वाला नहीं, बल्कि एक ईमानदार बुजुर्ग व्यक्ति हैं जो उम्र और बीमारी के साथ अकेला पड़ गया है।
भीड़ में मौजूद कुछ लोग अब अपने फोन में उनका फोटो लेने की कोशिश कर रहे थे।
लेकिन अब भाव बदल चुका था।
पहले वह तस्वीर थी—एक और ठग पकड़ा गया।
अब वह तस्वीर थी—एक अनदेखा हीरो सामने आया।
वह युवक जिसने रमेश जी को पहचाना था, अब सीधा खड़ा हुआ।
उसने पुलिस से कहा—
“सर, यह आदमी कोई मामूली इंसान नहीं है। आपने जो देखा वह सच्चाई नहीं, बस उसकी सतह थी। मेरे जैसे ना जाने कितनों की जिंदगी बदली है इन्होंने। आज जब इनको जरूरत थी तो हमने क्या किया? शक, अपमान और ताने।”
भीड़ सच में असहज हो रही थी।
एक बुजुर्ग महिला जो पास ही खड़ी थी, धीरे से आई और बोली—
“बाबा, आप माफ करना, मैंने भी आपको गलत समझा था।”
एक रिक्शा चालक आगे आया—
“बाबूजी, मैं आपको दवा की दुकान तक छोड़ देता हूं। ऐसा मत सोचिए, मेरे पास जितना है, उतना चलता है।”
रमेश जी ने सबकी तरफ देखा।
उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन मुस्कान भी थी।
उस मुस्कान में दर्द था, लेकिन साथ ही सुकून भी।
वह युवक उनकी मदद से खड़ा हुआ और बोला—
“मैं आपका खाता दोबारा एक्टिव करवाता हूं, नया पिन बनवाता हूं, और आप जैसे लोगों के लिए कुछ करना मेरी जिम्मेदारी है। लेकिन सबसे पहले चलिए, आंटी के लिए दवाई लेते हैं।”
उसने उनका हाथ थामा और एटीएम के सामने खड़ी भीड़ के बीच से ले जाने लगा।
हर कोई रास्ता बना रहा था, लेकिन अब आदर और शर्म के साथ।
पुलिस अधिकारी वहीं खड़े थे और उनके चेहरे पर पछतावे की एक रेखा साफ दिखाई दे रही थी।
एटीएम के बाहर लगा नोटिस बोर्ड हल्के-हल्के हवा में हिल रहा था, जिस पर लिखा था—”आपात स्थिति में सहायता हेतु हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।”
लेकिन आज की सच्चाई ने यह दिखा दिया था कि असली हेल्पलाइन क्या होती है—इंसानियत, समझदारी और समय पर दिया गया सहारा।
एटीएम के बाहर का माहौल अब बदल चुका था।
जहां कुछ समय पहले तक शंका, उपेक्षा और तिरस्कार था, अब वहां संवेदना, पश्चाताप और सम्मान था।
रमेश जी का हाथ पकड़े वह युवक उन्हें अपनी गाड़ी में बिठाकर दवा की दुकान की ओर ले चला।
रास्ते भर रमेश जी खामोश थे।
उनकी आंखों में वह सारे दृश्य तैर रहे थे—कैसे लोगों ने उन्हें नजरअंदाज किया, कैसे उन पर आरोप लगे, और कैसे उसी भीड़ में से एक युवक उनके अतीत को पहचान कर आगे आया।
दुकान से दवाइयां लेने के बाद वह दोनों रमेश जी के छोटे से घर पहुंचे।
टूटी हुई दीवारें, झूलता हुआ पंखा और कोने में लेटी एक बुजुर्ग महिला।
वही थीं रमेश जी की पत्नी, जिनकी सांसे अब भी उखड़ी हुई थीं।
युवक ने उन्हें दवा दी और धीरे से पानी पिलाया।
फिर रमेश जी की ओर मुड़कर बोला—
“सर, अब यह सब मैं संभाल लूंगा। अब आप अकेले नहीं हैं।”
रमेश जी की आंखें भर आईं।
उन्होंने कांपते हुए कहा—
“बेटा, जब तक हाथों में ताकत थी, दूसरों के लिए बहुत कुछ किया।
पर जब खुद असहाय हुआ तो किसी की आंख में भी इंसानियत नजर नहीं आई।
अगर तू ना आता तो शायद मैं भी उस एटीएम की सीढ़ियों पर चुपचाप मर जाता।”
युवक ने उनके हाथ थाम लिए—
“आप जैसे लोगों की वजह से ही आज हम जैसे लोग इंसान बने हैं। अब वक्त है कि समाज आपकी सेवा करे।”
उसी शाम वह युवक सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखता है—
“आज एक ऐसे इंसान से मिला जो एक जमाने में मेरे जीवन का रक्षक था। पर आज हम सब ने मिलकर उन्हें भुला दिया।
एक रिटायर्ड बैंक अफसर जिसे पिन याद नहीं रहा, भीड़ ने चोर समझ लिया।
क्या हमारी संवेदना सिर्फ किताबों में रह गई है?
क्या बुजुर्ग अब बोझ समझे जाने लगे हैं?”
पोस्ट वायरल हो जाती है।
अगले दिन कई न्यूज़ चैनल इस खबर को उठाते हैं।
एक स्थानीय अखबार के पहले पन्ने पर छपता है—
**”एटीएम पर बैठा ठग नहीं, पूर्व बैंक अफसर निकला। समाज को आईना दिखा गई यह घटना।”**
कुछ दिनों बाद शहर के डीएम खुद रमेश प्रकाश के घर पहुंचते हैं।
साथ में बैंक अधिकारी भी होते हैं।
वे माफी मांगते हैं और उनकी पेंशन प्रक्रिया को ठीक करते हैं।
नया एटीएम कार्ड और पिन तुरंत दिया जाता है।
एक एनजीओ रमेश जी और उनकी पत्नी की देखभाल के लिए नियमित हेल्प भेजने का वादा करती है।
लेकिन सबसे बड़ा बदलाव वह था जो शहर के लोगों की सोच में आया।
हर बुजुर्ग जो सड़क पर अकेला दिखता है, वह बोझ नहीं होता।
वह एक इतिहास होता है जिसे हमने पढ़ा नहीं होता।
News
Karisma Kapoor’s Children Allegedly Excluded from Sanjay Kapoor’s ₹50,000 Crore Fortune: Inheritance Dispute Looms
Karisma Kapoor’s Children Allegedly Excluded from Sanjay Kapoor’s ₹50,000 Crore Fortune: Inheritance Dispute Looms A major controversy has erupted following…
Bihar Police Officer Suspended After Brutal Assault on Auto Driver
Bihar Police Officer Suspended After Brutal Assault on Auto Driver In a shocking incident that has raised serious questions about…
Television and Marathi Actress Priya Marathe Passes Away, Leaving Behind Unfulfilled Wishes
Television and Marathi Actress Priya Marathe Passes Away, Leaving Behind Unfulfilled Wishes Priya Marathe, a renowned television and Marathi actress,…
From the Valleys of Kashmir to the Corridors of Power: The Inspiring Journey of IAS Officer Athar Aamir Khan
From the Valleys of Kashmir to the Corridors of Power: The Inspiring Journey of IAS Officer Athar Aamir Khan In…
Major Twist in Disha Salian Case: No Evidence of Conspiracy, Aditya Thackeray Cleared
Major Twist in Disha Salian Case: No Evidence of Conspiracy, Aditya Thackeray Cleared A major development has emerged in the…
कहानी : असली अमीरी दिल से होती है
कहानी : असली अमीरी दिल से होती है मुंबई के सबसे पॉश इलाके कफ परेड में सिंघानिया ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज…
End of content
No more pages to load



