कहानी का नाम: सच्चाई की जीत
रजत ने अपनी पत्नी प्रिया को बांझ कहकर घर से निकाल दिया।
प्रिया ने बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन रजत ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी।
बेघर होकर प्रिया महानगर की सड़कों पर चल रही थी।
उसकी आंखों में आंसू थे, दिल में दर्द और मन में सवाल—अब आगे क्या होगा?
महानगर के शोरगुल वाले इलाके में रजत नाम का एक बड़ा व्यापारी रहता था।
उसके पास कई शोरूम्स थे, महंगी गाड़ियां, आलीशान बंगले और एक पावरफुल लाइफस्टाइल थी।
लेकिन उसकी जिंदगी में एक कमी थी—उसकी पत्नी प्रिया अब तक मां नहीं बन पाई थी।
प्रिया एक शांत, सुंदर और नेकदिल औरत थी।
वह रजत के साथ तब से थी जब उसके पास कुछ नहीं था।
प्रिया ने सात साल तक हर सुख-दुख में उसका साथ निभाया,
लेकिन समाज और घरवालों के तानों के कारण उसका दिल बार-बार टूटता रहा।
रजत की मां सरला देवी हमेशा प्रिया को ताने मारती थी।
रजत भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने शर्मिंदा महसूस करता था।
वह अक्सर प्रिया पर गुस्सा निकालता, उसे बेकार समझता,
जैसे उसकी जिंदगी का मकसद सिर्फ बच्चे पैदा करना हो।
एक शाम उनके आलीशान बंगले में जोरदार झगड़ा हुआ।
रजत ने गुस्से में प्रिया से कहा, “सालों हो गए, तुम मुझे वारिस नहीं दे सकी।
मेरी मां, मेरे दोस्त सब मुझ पर हंसते हैं।
तुमने मेरी इज्जत का क्या किया?”
प्रिया की आंखों से आंसू बह रहे थे।
उसने कहा, “मैंने सब कुछ किया, मन्नतें मांगी, मंदिरों में पूजा की,
व्रत रखे, आपकी हर खुशी में साथ दिया।”
लेकिन रजत का दिल पत्थर का हो चुका था।
उसने प्रिया को तलाक देने का फैसला सुनाया।
“तुम मेरे लिए बोझ हो, अपनी चीजें पैक करो और सुबह होने से पहले घर छोड़ दो।”
उस रात प्रिया ने अपने सालों की यादों को समेटकर एक छोटा सा बैग पैक किया।
रजत ने उसे एक बार भी रोकने की कोशिश नहीं की।
जब प्रिया उस घर से बाहर निकली, उसकी आंखों में आंसू थे,
लेकिन उसने मन ही मन कहा, “मैं टूटूंगी नहीं।
मेरा भगवान मेरे लिए लड़ेगा।”
महानगर की सड़कों पर चलते हुए प्रिया को अपनी सबसे अच्छी दोस्त रीना की याद आई।
रीना शिवपुर के एक छोटे से कस्बे में रहती थी और टेलरिंग का छोटा सा बिजनेस चलाती थी।
प्रिया ने रीना के घर पहुंचकर सारी बात बताई।
रीना ने उसे गले लगाया और कहा, “तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूं।
यह तुम्हारा अपना घर है।”
कुछ दिनों तक प्रिया बहुत उदास रही।
रीना ने उसे चीयर अप करने की कोशिश की,
बाजार घुमाया, नई जगहें दिखाईं,
लेकिन प्रिया डरती थी लोगों की नजरों से।
कुछ हफ्ते बाद रीना ने प्रिया से उसकी मेडिकल हिस्ट्री पूछी।
क्या कभी ठीक से फर्टिलिटी टेस्ट करवाए?
प्रिया ने बताया—रजत ने कभी अपनी जांच करवाने की बात नहीं मानी थी।
रीना ने कहा, “कल हम मेडिकल सेंटर चलेंगे और असली सच्चाई पता करेंगे।”
डॉक्टर शर्मा ने प्रिया का पूरा चेकअप किया।
दो दिन बाद रिपोर्ट्स आईं—
“मैडम, आप पूरी तरह स्वस्थ हैं। आपका रिप्रोडक्टिव सिस्टम बिल्कुल ठीक है।
अगर सात साल में प्रेगनेंसी नहीं हुई, तो आपके पति को अपनी जांच करवानी चाहिए।”
प्रिया की आंखों से राहत के आंसू बहने लगे।
रीना ने खुशी से कहा, “देखा, सारी गलती तुम्हारी नहीं थी।”
धीरे-धीरे प्रिया ने रीना के टेलरिंग बिजनेस में मदद करना शुरू किया।
फिर उसने घर के खाने का छोटा सा स्टॉल शुरू किया।
उसके हाथ की बनी दाल मखनी और पराठे मशहूर हो गए।
लोग उसे शिवपुर की बेस्ट कुक कहने लगे।
एक दिन अर्जुन नाम का नेकदिल आदमी उसके स्टॉल पर आया।
वह प्रिया के खाने और उसके स्वभाव से बहुत प्रभावित हुआ।
धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती बढ़ी।
अर्जुन ने प्रिया से शादी करने का प्रस्ताव रखा।
कई महीनों बाद प्रिया ने हां कर दी।
शिवपुर के छोटे मंदिर में दोनों ने शादी कर ली।
रीना ने खूब जश्न मनाया।
कुछ समय बाद प्रिया को कमजोरी महसूस होने लगी।
अर्जुन ने उसे हॉस्पिटल जाने के लिए कहा।
रिपोर्ट्स आईं—”बधाई हो, आप प्रेग्नेंट हैं!”
प्रिया को ट्विंस हुए।
उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया,
“मैं बांझ नहीं हूं। भगवान ने सबको गलत साबित कर दिया।”
इधर रजत अपनी दौलत के बावजूद निसंतान ही रहा।
उसने मीरा नाम की लड़की से शादी की तैयारी की।
मीरा भी बच्चे चाहती थी।
रजत ने खास तौर पर प्रिया को शादी का इनविटेशन भेजा,
ताकि उसे नीचा दिखा सके।
शादी के दिन प्रिया अपने दोनों बच्चों के साथ पहुंची।
हॉल में सब हैरान रह गए।
मीरा ने रजत से पूछा, “ये बच्चे किसके हैं?”
रजत चुप रहा।
मीरा ने सबके सामने रजत का झूठ उजागर कर दिया।
“तुमने कहा था, तुम्हारी पहली पत्नी बांझ थी।
पर सच तो यह है कि गलती तुम्हारी थी।”
मीरा ने शादी तोड़ दी।
रजत शर्मिंदा होकर मंडप से बाहर चला गया।
प्रिया ने शांति से कहा, “तुमने मुझे बांझ कहा,
मुझे घर से निकाला, मुझे तोड़ दिया।
पर भगवान ने मुझे दो बच्चे दिए।”
रजत ने बाद में प्रिया से माफी मांगी।
उसने माना कि गलती उसकी थी,
उसका अहंकार और झूठ उसकी बर्बादी की वजह बना।
प्रिया ने उसे माफ किया,
और सलाह दी कि अपना टेस्ट करवाए,
ताकि आगे किसी को दोष न दे।
रजत ने टेस्ट करवाया—सच सामने था।
इनफर्टिलिटी की वजह वही था।
उसकी मां ने भी अपनी गलती मानी।
रजत ने प्रिया को एक लेटर लिखा,
“तुमने मुझे सच्चाई सिखाई।
मैं उम्मीद करता हूं कि तुम्हारे बेटे तुम पर गर्व करेंगे।
मैं तुम्हें शांति की कामना करता हूं।”
प्रिया ने लेटर को फोल्ड किया।
उसके चेहरे पर सुकून की मुस्कान थी।
दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई की राह मुश्किल जरूर होती है,
लेकिन जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।
कभी खुद को कम मत समझिए,
और ना ही किसी को आपकी कीमत कम करने दीजिए।
आपकी हिम्मत, आपकी सच्चाई ही आपकी सबसे बड़ी शक्ति है।
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हम मिलेंगे एक नई कहानी के साथ।
तब तक खुश रहिए और हमेशा अपनी सच्चाई के साथ खड़े रहिए।
नमस्ते।
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