विकास की सच्चाई: एक साधारण कर्मचारी से कंपनी के असली मालिक तक
सुबह का नजारा किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था। मुंबई के एक आलीशान ऑफिस के सामने लग्जरी कारों की कतारें थीं। दरवाजे खुले तो उनमें से सजे-धजे लोग बाहर निकले, सबकी आंखों में बस एक ही चमक थी – सपनों की ऊंचाइयों को छूने की तड़प। लेकिन उसी भीड़ में एक शख्स सबसे अलग दिखाई देता था – विकास। उसके कंधे पर पुराना बैग, कपड़े हल्के सिकुड़े हुए, और पैरों में घिसे हुए जूते। सबकी नजरों में वह बस एक साधारण कर्मचारी था, लेकिन सच यह था कि वह कंपनी का असली वारिस था।
अमेरिका में बिजनेस खड़ा करने के बाद विकास भारत लौटा था। उसने अपनी पहचान छिपा ली थी ताकि वह जान सके कि उसकी टीम में कौन ईमानदार है, कौन चापलूस है और कौन अपने पद के घमंड में इंसानियत भूल चुका है। इसी वजह से उसने एक सफाई कर्मचारी का भेष धारण किया।

ऑफिस में प्रवेश करते ही प्रियंका, असिस्टेंट मैनेजर, ने उसे कठोर स्वर में डांटा – “यहां क्यों खड़े हो? अभी सब साफ करो!” विकास ने सिर झुका लिया और चुपचाप काम में लग गया। आसपास के कर्मचारी उसकी बेइज्जती देखकर मुस्कुराए, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। सबको क्या पता था कि यही आदमी एक दिन उनकी किस्मत का फैसला करेगा।
दोपहर में विकास सफाई करता रहा, जबकि बाकी कर्मचारी उसकी मजाक उड़ाते रहे। “झाड़ू को स्कूल प्रोजेक्ट के अलावा कभी देखा नहीं होगा,” किसी ने कहा। “लिफ्ट का बटन दबाना भी नहीं आता होगा,” दूसरी ने हंसी उड़ाई। विकास ने सब सहन किया, मन ही मन हर चेहरे को याद करता गया।
एक दिन ऑफिस में पैसे चोरी होने की खबर फैल गई। प्रियंका ने बिना जांच किए नेहा नाम की सफाई कर्मचारी पर इल्जाम लगा दिया। नेहा रोती हुई कमरे से बाहर चली गई, कोई उसका पक्ष नहीं ले पाया। विकास ने रात को सिक्योरिटी रूम में जाकर सीसीटीवी फुटेज देखी और सच्चाई सामने आई – नेहा ने चोरी नहीं की थी। विकास ने वीडियो को सुरक्षित रख लिया।
अगली सुबह ऑफिस में एक गोल्डन Rolls Royce आकर रुकी। उसमें से निकला चमकदार सूट पहने, आत्मविश्वास से भरा विकास – असली मालिक के रूप में। सब हैरान रह गए। मीटिंग हॉल में विकास ने सीसीटीवी फुटेज सबके सामने चला दी। सच्चाई सबके सामने आ गई, नेहा निर्दोष थी। प्रियंका का चेहरा सफेद पड़ गया।
विकास ने नेहा को कंपनी की लॉजिस्टिक कोऑर्डिनेटर बना दिया और प्रियंका को कंपनी से निकाल दिया। लेकिन बाद में विकास ने प्रियंका से कहा – “जिंदगी यहीं खत्म नहीं होती। तुम्हारे पास अभी भी बदलने का मौका है। अहंकार अस्थाई है, लेकिन सच्चाई और मेहनत हमेशा साथ रहती है।” उसने प्रियंका को एक ट्रेनिंग प्रोग्राम का कार्ड दिया, ताकि वह नई शुरुआत कर सके।
यह कहानी सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि सच्चाई, न्याय और मानवता की जीत की है।
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