गरीब समझे गए पति की असली पहचान – अर्जुन और रिया की कहानी

रिया ने हमेशा अपने पति अर्जुन को गरीब समझकर ताने दिए।
वह कहती – “तेरे बाप की भी औकात नहीं कि मेरी बराबरी कर सके।”
शादी के बाद हर रोज रिया कभी अर्जुन के कपड़ों पर, कभी जूतों पर, तो कभी उसके बोलने के ढंग पर ताना मारती।
“तुम मेरे स्टेटस के नहीं हो अर्जुन। तुमसे शादी करना मेरे लिए किसी सजा से कम नहीं। पापा चाहते तो मुझे किसी बड़े घर में ब्याह सकते थे। लेकिन उन्होंने मेरी किस्मत ही फोड़ दी।”

अर्जुन चुप रहता। रिया के शब्द उसे चोट पहुँचाते, लेकिन वह कभी पलटकर जवाब नहीं देता।
एक बार रिया ने अपने कॉलेज की सहेलियों को घर बुलाया। आलीशान घर था, लेकिन उसने अर्जुन को सबके सामने नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ा।
“देखो, यही है मेरा पति। बस एक मामूली क्लर्क। सोचो मेरी किस्मत कितनी खराब है कि मुझे ऐसे आदमी के साथ रहना पड़ रहा है।”

अर्जुन ने हल्की मुस्कान के साथ चाय सर्व की – “आप लोग आराम से बैठिए, घर आपका ही है।”
रिया ने फिर ताना मारा – “यह भी कोई बात करने का तरीका है। तुम्हारे पास क्लास ही नहीं है। अगर मैं दोस्तों के सामने शर्मिंदा होती हूं, तो उसकी वजह सिर्फ तुम हो।”
अर्जुन ने धीरे से जवाब दिया – “अगर तुम्हें शर्म आती है तो मैं कोशिश करूंगा कि सामने ना आऊं, ताकि तुम्हारा मूड खराब ना हो।”

रिया और भड़क गई – “कितना बेवकूफ है तू। जरा भी तमीज नहीं है क्या? हे भगवान, पता नहीं पिछले जन्म में कौन सा गुनाह हो गया था जो यह मेरी किस्मत में रखा था।”

दिन गुजरते गए। हर दिन नया ताना, हर दिन नई बेइज्जती।
कभी वह अर्जुन को गरीब कहती, कभी निकम्मा।
अर्जुन बस सहता रहा। नौकर-चाकर भी हैरान थे कि कोई पत्नी अपने पति को इतना नीचा कैसे दिखा सकती है।
अर्जुन का चेहरा शांत रहता, आंखों में शर्मिंदगी जरूर दिखती, पर गुस्सा नहीं।

एक रात डिनर के समय भी रिया ने कटाक्ष किया – “तुम्हें पता है अर्जुन, मेरे पापा की मेहरबानी है वरना तुम तो पूरी जिंदगी किराए के मकान में गुजारते। तुम्हारे पास तो अपना घर तक नहीं होता। तुम मेरे पति कहलाने लायक ही नहीं हो।”
अर्जुन ने प्लेट में खाना परोसते हुए कहा – “घर-गाड़ी से रिश्ता नहीं चलता रिया, रिश्ता भरोसे और सम्मान से चलता है। लेकिन शायद मैं तुम्हें वह एहसास अभी नहीं दे पाया।”
रिया हंसते हुए बोली – “तुम और मुझे एहसास दोगे? तुम्हारी औकात मेरे सामने धूल बराबर भी नहीं है। जब भी मैं तुम्हें देखती हूं, लगता है पापा ने मेरी जिंदगी से खेला है।”

अर्जुन शांत रहा – “शायद वक्त ही तुम्हें सच्चाई दिखाएगा।”